लेखिका-निधि अमित पांडे
डाक्टर ने कहा, ‘उन्हें खून चढ़ाना पड़ेगा. उन के घर के लोग किधर हैं? वे अब तक आए क्यों नहीं? आप उन के घर के सभी सदस्यों को जल्दी बुला लीजिए ताकि उन के खून से हम पेशेंट के खून की जांच कर सकें. अगर समय पर उन को खून नहीं चढ़ाया गया तो उन का बचना बहुत मुश्किल है क्योंकि हम हर मुमकिन कोशिश कर चुके हैं. बाहर ब्लडबैंक में उन के ग्रुप का खून नहीं मिल रहा है. आप जल्दी करिए, देर नहीं होनी चाहिए.’
ममता ने कहा, ‘मेमसाब तो शहर के बाहर हैं, उन को आने में शाम होगी. आप मुझे बताइए, साहब का ब्लडग्रुप क्या है?’
डाक्टर ने ममता को साहिल का ब्लडग्रुप बताया तो ममता सिर पर हाथ रख बैठ गई और खुद को कोसने लगी कि समय की कितनी मारी है वह. ममता खुद को बहुत मजबूर महसूस कर रही थी. थोड़ी देर चुप रहने के बाद ममता ने अस्पताल के फ़ोन से राधा को फोन लगा कर कहा कि वह मेमसाब को फोन कर के सिर्फ इतना बता दे कि साहब का ऐक्सिडैंट हो गया है और लौट कर सीधे अस्पताल आने को बोलना. फिर वह डाक्टर के कमरे की तरफ बढ़ गई.
डाक्टर साहब के पास जा कर वह बोली कि मेमसाब को आने में समय लगेगा, जब तक कोई और वयवस्था नहीं होती, उस के खून की जांच कर लें.
ममता का खून साहिल के खून से मैच हो जाएगा, यह ममता जानती थी. उस ने अपना खून दे कर पूजा मेमसाब के सुहाग को तो बचा लिया था पर किस को पता था कि वह अपनी जान खतरे में डाल चुकी है.