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संपादकीय
मैला आंचल
मैडम, आप भरम में हैं. यह मकान आप के पति ने किराए पर लिया था,’’ उस ने किराएदारी के कागजात दिखाए. अब शक की कोई गुंजाइश ही नहीं बची थी."
भाग - 1
रिश्तों की आड़ में क्याक्या हो जाता है, पता ही तब चलता है, जब कोई अपना सगा ही इसे तारतार कर देता है. क्या वह भीख मांगती शालिनी को पहचान कर अपने घर ले आई? क्या थी
भाग - 2
मेरे आग्रह को वे टाल न सकीं. रास्तेभर हम मूक बने रहे. निश्चय ही शालिनी भाभी सहज नहीं थीं. उन के चेहरे के भाव बता रहे थे. मैं ने चोर नजरों से देखा.
भाग - 3
2 दिन बाद सुंदरी औफिस आई. उस का चेहरा उतरा हुआ था. किसी काम में जी नहीं लगा. रहरह कर भविष्य की उसे दुश्चिंता घेर लेती. तब पेट गिराने का जमाना नहीं था और न ही उतनी उन्नत टैक्नोलौजी थी.2 दिन बाद सुंदरी औफिस आई. उस का चेहरा उतरा हुआ था. किसी काम में जी नहीं
भाग - 4
शालिनी भाभी की सुनाई कहानी मेरे जेहन में चलचित्र की भांति तैर रही थी. परंतु एक बात मुझे बारबार कचोटती कि शालिनी भाभी को शिवराम और उस की बहूबेटे के बारे में इतना सब कैसे पता है.
भाग - 5
अस्पताल में आतेजाते मैं ने महसूस किया कि एक वार्ड ब्वाय को मुझ से सहानुभूति थी. वह मेरी मां का बेहद खयाल रखता. अचानक एक रोज मां जब चल बसी.
भाग - 6
बाबा को अस्पताल में भरती किया गया. मेरा भी इलाज किया. संयोग से मैं बच गई. मगर, बाबा 2-4 घंटे भी जिंदा नहीं रहा.
भाग - 7
आप ने बहुत दुख झेले हैं. अब आप भीख नहीं मांगेंगी. मेरे साथ रहेंगी. मेैं आप को विश्वास दिलाती हूं कि जब तक जिंदा रहूंगी.
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