एक दिन मैं लाइब्रेरी में बैठी पढ़ रही थी कि अचानक सीमा मेरे पास आई, ‘अंजू, तुझे पता है कि मजनू की शादी हो गई?’
‘क्या?’ मैं चौंक गई. थोड़ी देर बाद खुद को संयत कर के बोली थी, ‘क्या कोई और मजाक नहीं कर सकती थी?’
‘अंजू, यह मजाक नहीं है. मुकुल अपने दोस्त की शादी में गया था. मेरा भाई भी उस शादी में गया हुआ था. वहां फेरों के पहले लड़के ने लड़की से शादी करने से इनकार कर दिया क्योंकि लड़की बेहद कुरूप थी.
‘मजनू ने दोनों में समझौता कराना चाहा तो लड़के ने क्रोध में कहा, मुझे जो लड़की दिखाई गई थी, वह यह नहीं है. इस कुरूप से कौन करेगा शादी. तू बहुत समझा रहा है तो तू ही इस से शादी कर ले.
‘दरअसल, कुछ दिन पहले लड़की का चेहरा खाना बनाते समय थोड़ा जल गया था,’ इतना कह कर वह थोड़ा रुकी.
इधर मेरी सांस रुकी जा रही थी. मैं सब कुछ जल्दी ही सुन लेना चाहती थी, ‘आगे बोल, क्या हुआ?’
‘कुछ नहीं अंजू, फिर वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था. वहां पूरे पंडाल में उस लड़की से शादी करने के लिए कोई राजी न हुआ. मुकुल उस लड़के को समझा कर हार गया तो अंत में उस ने यह निर्णय ले लिया कि वह उस लड़की से शादी करेगा. पता नहीं क्यों, उसे ऐसा निर्णय लेते समय तेरा खयाल क्यों नहीं आया?’
इतना सुनना था कि मैं सीमा के कंधे पर सिर रख कर फफकफफक कर रोने लगी. मेरी सहेलियां और मुकुल के कुछ मित्र भी वहां आ पहुंचे थे. सब ने मुझे घेर लिया था. हमारे प्यार की दास्तान सब को पता थी, इसलिए सभी इस घटना से दुखी थे.