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‘मम्मी, किस ने कहा आप को कि शिवम ने मुझे फंसाया?’ बाथरूम से आ नेहा बोली.

 

‘चुप्प,’ रमा अपने ऊपर से नियंत्रण खो बैठी. शिवम को अनापशनाप सुनाने लगी. नेहा और दीप्ति ने बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन रमा थमने का नाम न ले रही थी.

 

‘शिवम, जाओ यहां से,’ नेहा ने शिवम को जाने का इशारा करते हुए जोर से कहा.

 

अपमानित सा शिवम दरवाजे से बाहर निकल गया. पलभर में पूरा दृश्य बदल गया. नेहा का चेहरा तमतमा गया. दीप्ति कभी मम्मी को देखती, तो कभी नेहा को.

 

‘नेहा, समझने की कोशिश कर. हम एक छोटे से कसबे में रहते हैं. अगर तेरा विवाह शिवम से करते हैं, तो हमारी इज्जत खाक में मिल जाएगी. लोग क्या कहेंगे? तेरी छोटी बहनों की शादी होना मुश्किल हो जाएगा. घर के बड़ेबुजुर्ग हरगिज राजी न होंगे इस रिश्ते के लिए. सारी बिरादरी हमारे मुंह पर थूकेगी,’ रुंधे गले से रमा बोली.

 

 

 

नेहा कुछ देर होंठ भींचे खामोश बैठी रही.

 

‘मम्मी, आप बेकार समय बरबाद कर रहे हो. मैं ने फैसला कर लिया है. बस, आप के आशीर्वाद का इंतजार है,’ यह बोलतेबोलते नेहा का स्वर कटु हो गया. मम्मी ने जो शब्द शिवम को बोले थे, वे उस के दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहे थे.

 

‘वह तुझे कभी नहीं मिलेगा,’ तिलमिलाती हुई रमा चिल्लाई.

 

‘क्यों? सिर्फ एक जाति के कारण, तो मैं इस जाति को तिलांजलि देती हूं. धिक्कारती हूं इस जातिप्रथा को जो इंसान को जाति के तराजू में तोलती हो,’ नेहा ने उत्तेजना से हांफते हुए कहा.

 

रमा नेहा के बगावती तेवरों को देख हैरान रह गई. दीप्ति भी नेहा का यह रूप देख कर सिहर उठी. वातावरण बेहद तनावपूर्ण हो गया.

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