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पिछली बार बहन की गोद भराई में उस की सास ने तो ताना मार ही दिया था. लगता है, नेहा को पुरानी चीजों से बहुत लगाव है, इसलिए हमेशा यही हार  पहनती है. अरे भाई, अब तो नया ले लो, वो भी बेचारा थक गया होगा. हाल  सब के ठहाकों से गूंज उठा था, पर कहां से ले ले नया हार...? सोचते हुए उस ने जैसे ही हार निकाला..., अरे, इस की एक झुमकी तो टूट रही है. हाय, अब क्या  पहनूंगी? सोने का कुछ न कुछ तो पहनना पड़ेगा, मंगलसूत्र तो बहुत ही हलका है, अकेले उस से काम नहीं चलेगा. सुबह औफिस जाते वक्त इन्हें दे दूंगी, सुनार के यहां डाल देंगे. दिन में जा कर उठा लाऊंगी, परसों तो निकलना ही है. सुबह पति से मनुहार कर के नेहा ने झुमकी सुनार के यहां पहुंचा दी थी.

जल्दीजल्दी घर के काम पूरे कर के वह झुमकी लेने बाजार की तरफ चल पड़ी. बाजार पास ही था, इसलिए पैदल ही चल दी. मायके जाने के उत्साह में कांची कब उस के ध्यान से उतर गई, उसे पता ही नहीं चला. उत्साह का आलम ये था कि जिस बंगले ने उस की नींद उड़ा रखी थी, उस की तरफ भी उस का ध्यान नहीं गया.

तेज कदमों से चलते हुए वह सुनार की दुकान पर पहुंची, झुमकी उठा कर जैसे ही वह पलटी, उस का मुंह खुला का खुला रह गया. सामने कांची खड़ी थी, वो भी उसे देख कर हक्काबक्का रह गई. कुछ पल बाद दोनों को जैसे ही होश आया, खुशी से चीखते हुए कांची उस से लिपट गई.

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