‘मम्मी, आप की नूडल्स और आप का परांठा मु?ो तो बहुत बुरा लगता है. ये तो भैया के लिए ही रहने दो. मु?ो तो दूध दो चौकलेट वाला,’ यह कह कर वह मम्मी के गले से जोर से चिपक जाती.
मम्मी उसे गले से लगाए ही दूध गरम करतीं, फिर उस में चौकलेट मिक्स मिलातीं और रानू को अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार से पिलातीं.
चिंटू और रानू बाहर के कमरे में बैठ कर एकटक अपनी मम्मी और पापा की फोटो को देखते रहते. उन की आंखों से आंसू बहते रहते.
‘चिंटू, चलो बाजार चलते हैं, तुम्हें जूता लेना है न?’
‘अरे, अभी तो मैं होमवर्क कर रहा हूं.’
‘आ कर कर लेना.’
‘अच्छा चलो पर आइसक्रीम भी खिलाना.’
मम्मी तक आवाज पहुंच चुकी थी.
‘खबरदार जो आइसक्रीम खाई, सर्दी हो जाती है. नाक बहने लगती है,’ मम्मी की जोर से आवाज अंदर से ही आती.
‘अरे, एकाध आइसक्रीम खा लेने से सर्दी नहीं होती,’ पापा बचाव करते.
‘रहने दो, तुम्हें क्या है, परेशान तो मु?ो ही होना पड़ता है.’
पापा सम?ा जाते कि अब मम्मी से बहस करना खतरे से खाली नहीं है. वे चुप हो जाते पर हाथों के इशारे से चिंटू को सम?ा देते कि वे बाजार में आइसक्रीम खाएंगे ही.
‘रानू को भी ले लें,’ कहते हुए पापा रानू को गोद में उठा लेते.
बाजार से जब लौटते तो एक आइसक्रीम मम्मी के लिए ले कर आना न भूलते.
‘देख लेना चिंटू, मम्मी बेलन ले कर मारने दौड़ेगी.’
‘पर पापा, हम लोग सभी ने आइसक्रीम खा ली है. मम्मी अकेली नहीं खा पाई हैं. उन के लिए तो ले जानी ही पड़ेगी न.’