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रीना की सांसें सब से पहले थमीं थीं. पति को देखते हुए उस ने अंतिम सांस ली. सहेंद्र को तो तब ही पता चला जब उस ने रीना का बैड खाली देखा. उस की ?ापकी लग गई थी. उस बीच में रीना ने अंतिम सांस ली थी. नर्स ने बताया था कि सामने वाले बैड वाली महिला की मुत्यु अभीअभी हुई है. नर्स को पता नहीं था कि वह उस की पत्नी थी. पत्नी की मुत्यु का समाचार सुन कर सहेंद्र को गहरा धक्का लगा और शाम तक वे भी चल बसे. दोनों की डैडबौडीज शवगृह में रख दी गई थीं.

रीना के फोन से मिले नंबर पर अस्पताल के स्टाफ ने फोन कर दोनों की मृत्यु की सूचना दी थी. रीना के मोबाइल में सब से ऊपर महेंद्र का ही नंबर था, इस कारण महेंद्र को फोन लगाया गया पर उस ने फोन नहीं उठाया. दूसरा नंबर मुन्नीबाई का था जिस पर घंटी गई तो फोन तुरंत रिसीव हो गया.

मुन्नीबाई रीना के मोबाइल नंबर को जानती थी. जब से दोनों अस्पताल गए हैं तब से रीना रोज ही उस से बात करती रहती थी और अपने बच्चों के हालचाल जानती रहती थी. इस बार मुन्नीबाई ने जो कुछ सुना, उस से वह दहल गई. उस की सम?ा में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. बच्चों को और पिताजी को इस की सूचना दे या नहीं.

बच्चे वैसे भी जब से पापामम्मी गए हैं तब से ही उदास बैठे हैं. वे तो अभी मृत्यु का मतलब भी नहीं जानते. उस ने खामोशी से दोनों की मृत्यु का समाचार सुना. उस की आंखों से आंसू बह निकले. चिंटू जब भी मम्मी का फोन कामवाली काकी के पास आता था तो मम्मी उस से बात करेंगी, यह सोच कर मुन्नीबाई के पास आ जाता था. रीना मुन्नीबाई से सारा हाल जान लेने के बाद चिंटू से बात करती भी थी और हिदायत देती थी कि मुन्नीबाई को परेशान न करे. आज भी जब फोन की घंटी बजी तो चिंटू मुन्नीबाई के पास आ कर बैठ गया था इस उम्मीद में कि उस की मम्मी उस से भी जरूर बात करेंगी. पर आज मुन्नीबाई ने ही बात नहीं की थी केवल फोन सुना था और फिर बंद कर दिया था.

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