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शिल्पा की आंखों में अचानक मेरा मजाक उड़ाने वाले भाव पैदा हुए और उस ने चुभते स्वर में कहा, ‘‘मम्मी, नीला रंग मुझ पर जितना खिलेगा उतना आप पर नहीं, क्योंकि चटक रंग एक उम्र के बाद औरतों पर ज्यादा फबते नहीं. कल शाम समारोह में मेरे नाम की धूम होगी. देख लेना, लोग आप से मुझ को नहीं, बल्कि मेरे कारण आप को पहचानेंगे.’’

शिल्पा की बात सुन कर मैं स्तब्ध रह गई. मेरे कुछ कहने से पहले उस ने सूट का डब्बा उठाया और बड़ी अकड़ से चलती हुई बाहर निकल गई.

मुझे ऐसा लगा कि शिल्पा ने जानबूझ कर मुझ से अशिष्टता की और वह सोच कर मेरा पारा चढ़ने लगा. पर फौरन शिल्पा के पीछेपीछ उसे डांटने नहीं गई, यह अच्छा ही हुआ. गुस्से में बेकाबू हो जान से पहले ही मैं अपनी बेटी के अनुचित व्यवहार का कारण समझने में सफल हो गई थी.

मैं ने उसे नई ड्रेस दिलाए जाने का विरोध किया था, इस कारण वह मुझ से नाराज थी. अब इसी नई ड्रेस के बूते पर विवाह समारोह में मुझे से बेहतर दिखने को उस ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर मुझे चुनौती दे डाली थी.
उस की आंखों और उस की मुसकराहट में मैं ने अकड़ और घमंड के भाव देखे थे. तभी उस की चुनौती दोस्ताना या हंसीमजाक के अंदाज में दी गई चुनौती नहीं लग रही थी मुझे.
उस के घमंड में डूबे शब्दों ने मुझे सारी शाम परेशान रखा. रात में राजीव के सोने के बाद भी मैं बहुत देर तक जागती रही. अपनी बेटी के मन को समझाने के लिए मैं गहन सोचविचार करने में जुटी थी.

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