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पिछले 3-4 महीनों से अपनी 16 साल की बेटी शिल्पा को समझना मेरे लिए बहुत कठिन हो गया है. जो हरकतें मुझे किलसाती हैं, उन्हें करने में शिल्पा को न जाने क्या आनंद आने लगा है.
आज भी मेरी इच्छा के विरुद्ध वह अपने पिता के साथ एक महंगी नई ड्रेस खरीदने बाजार चली गई.

मैं ने अपने पति राजीव को समझाने का प्रयास किया था, “अभी पीछे दीवाली पर ही तो हम ने शिल्पा को 2 नई ड्रेस दिलवाई थीं. जिस चीज की उसे जरूरत नहीं उस पर अनापशनाप पैसा खर्च करना कहां की समझदारी है.’’

राजीव के कुछ कहने से पहले शिल्पा खीझ कर बोली, ‘‘मम्मी, आप को समझदारी की बातें तब ही क्यों याद आती हैं, जब मैं अपनी खुशी के लिए कुछ करना चाहती हूं. आप ने रेणु दीदी की शादी के लिए जो नई साड़ी ली है, वह भी फुजूलखर्ची है क्या?’’

‘‘वह साड़ी मैं ने नहीं खरीदी है, वह तो तुम्हारे पापा ने मुझे उपहार में दी है.’’

‘‘तब समझ लीजिए कि पापा आज नई ड्रेस भी मुझे उपहार में दिलवा रहे हैं. नए कपड़े पहनने का जितना शौक आप को है, उतना ही मुझे भी है,’’ कह कर वह पैर पटकती अपने कमरे में जा घुसी थी.

उस के स्वभाव में यह तुनकमिजाजी, गुस्सा और चिड़चिड़ापन पिछले कुछ महीनों में ही आया है. उस से पहले वह मुझ से मीठा बोलती थी और मुझे पूरी इज्जत देती थी.

शिल्पा पढ़ाई में होशियार और देखने में आकर्षक है. 5 फुट, 6 इंच का लंबा कद उस के व्यक्तित्व को और ज्यादा प्रभावशाली बना देता है.

‘जितनी सुंदर मां, उतनी सुंदर बेटी,’ अपने परिचितों के मुंह से हम मांबेटी की प्रशंसा करने वाला यह वाक्य मैं अनेक बार सुन चुकी हूं.

मैं अपने मुंह मियांमिट्ठू नहीं बनना चाहती, पर यह सच है कि अपने व्यक्तित्व को आकर्षक व प्रभावशाली बनाए रखने के लिए मैं सदा प्रयत्नशील रही हूं. 38 साल की होने के बावजूद मैं 30 से ज्यादा की नहीं दिखती. खूब हंसनेहंसाने की अपनी आदत के कारण मैं किसी भी पार्टी समारोह में जान डाल सकती हूं. सजनेसंवरने की कला के लगभग हर पहलू की मुझे अच्छी जानकारी है. मैं लाखों में एक हूं, ऐसा कह कर लोग मेरी तारीफ करते हैं.

मेरी बेटी करोड़ों में एक दिखे, इस की इच्छुक मैं सदा रही हूं. उस के व्यक्तित्व के बहुआयामी विकास के लिए अपना सारा ज्ञान उसे दे देने की लालसा हमेशा से मेरे अंदर बहुत बलवती रही है. पहले शिल्पा मेरे अनुभवों के निचोड़ को बड़े ध्यान से सुनती थी, लेकिन अब वह तनीतनी सी और उखड़ी हुई सी रहती है. उस की खामोशी में नाराजगी और शब्दों में बेअदबी साफ झलकती है. उस में आए इस खराब परिवर्तन का कारण मैं नहीं जानती.

वह अपना व्यवहार सुधारे, इस बात को मैं उसे हर तरह से समझा कर हार चुकी हूं. हम मांबेटी के बीच दूरी बढ़ती जा रही है, इस का मुझे अफसोस है और यह मेरी चिंता का कारण भी बन गया है.

राजीव मुझे कई बार समझा चुके हैं, ‘‘मीना, तुम शिल्पा से ज्यादा उलझा न करो. वह जो करती है उसे करने दो. हमारी बेटी बिगड़ी हुई नहीं है. उस के स्वभाव में आया चिड़चिड़ापन वक्त के साथ अपनेआप चला जाएगा…’’ लेकिन शिल्पा में आए परिवर्तन को देख कर मेरा सिर भन्नाया ही रहता है.

शिल्पा अपने लिए जो नीला सूट बाजार से ले कर आर्ई, वह वाकई बहुत खूबसूरत था. उस ने उसे अपने ऊपर तरहतरह से लगा कर मुझे दिखाया. उसे बेहद खुश देख कर मैं ने खुद को बजट की चिंता से उबारा और दिल से उस के खूबसूरत सूट की तारीफ करने लगी.

‘‘मम्मी, रेणु दीदी की शादी में तुम भी पापा की दी हुई नीली साड़ी पहनोगी न…” शिल्पा के होंठों पर उभरी मुसकराहट न जाने क्यों मुझे कुछ अजीब सी लग रही थी.

‘‘हां, नीले रंग में सजी हम मांबेटी बैंक्विट हाल में यकीनन सभी की निगाहों का केंद्र बन जाएंगी,’’ मैं ने हंस कर जवाब दिया.

 

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