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शिल्पा ने मेरा परिचय उन्हें दिया, तो उन्होंने मुझे फौरन हाथ जोड़ कर नमस्ते की. मैं ने उन के नाम पूछे, फिर उन की पोशाकों की प्रशंसा करने के बाद बातचीत की डोर फिर से शिल्पा को थमा दी.

उन चारों किशोरियों के पास गपशप करने को ढेर सारा मसाला मौजूद था. पार्टी में किस स्त्री ने क्या खास पहना हुआ है, उन के बीच इस पर पहले चर्चा हुई. फिर जूही चावला की नई फिल्म पर टिप्पणियां सुनने को मिलीं मुझे. जब वे स्कूल की बातें करने लगीं तो कुछ ज्यादा समझ में न आने के बावजूद मैं मुसकराती हुई उन की मीठी आवाजों का आनंद लेती रही थी.

‘‘मैं पूड़ी ले कर आती हूं,’’ मैं ने जब ऐसा कहा, तो उन को मेरी मौजूदगी का एहसास हुआ और उन के बातचीत में रुकावट पैदा हुई.

शिल्पा की सहेलियों को मुसकराता हुआ छोड़ मैं खाने की मेज की तरफ बढ़ गई.

‘‘शिल्पा, तेरी मम्मी कितनी सीधीसादी हैं,’’ पीछे से उभरी कविता नाम की लड़की की आवाज मेरे कानों तक भी पहुंची, ‘‘स्कूल में तेरी बातें सुन कर तो हमें लगता था कि ये बहुत आधुनिक और फैशनेबल होंगी, पर ये तो बिलकुल ‘सिंपल’ हैं.’’

‘‘बोलती भी कितना कम हैं तेरी मम्मी, शिल्पा,’’ वंदना की आवाज भी मुझे साफ सुनाई पड़ी, ‘‘कितना फर्क है तुम मांबेटी में. सुंदरता तुझे उन से मिली लगती है, पर ‘स्मार्टनेस’ पापा से मिली है क्या तुझे?’’

शिल्पा ने जवाब में क्या कहा, मैं सुन नहीं पाई, क्योंकि मेरी एक परिचित महिला मुझ से बातें करने लगी थीं. फिर 2 औरतें और हमारे पास आ खड़ी हुईं. उन्हीं के साथ मैं ने बाकी का खाना खाया, स्वीट डिश ली और कौफी भी पी.

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