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कुछ दिनों पहले पता लगा था कि अब मामाजी किसी हकीम का इलाज कर रहे हैं और बहुत फायदा है. खुश हो कर आए थे. स्वयं ही खबर दे गए थे. कभी किसी नैचुरोपैथी के कैंप में 10 दिनों के लिए गए थे, लेकिन वहां के इलाज से घबरा कर 3 दिनों में ही भाग कर आ गए थे. फिर कुछ दिनों तक होमियोपैथी का इलाज करने के बाद उस के पास फिर से आए तो उस ने कैंसर स्पैशलिस्ट डाक्टर मयंक के पास भेज दिया तो उन्होंने बायोप्सी करवाने को कहा. अब वे फिर उस को परेशान करने के लिए आ गए थे. उस का मन तो कर रहा था कि मामाजी को डांट कर घर से बाहर कर दे और फाइल उठा कर फेंक दे लेकिन खुद को कंट्रोल करते हुए वह अपने कमरे में आ गई और अपना ईमेल चैक करने लगी.

अब कुछ दिनों से वह मैडिकल कालेज में लैक्चर देने के लिए बुलाई जाती थी. सर्जरी के क्षेत्र में अब वह पहचानी जाने लगी थी. अपने स्टूडैंट टाइम में वह टौपर रही थी, हमेशा मेहनती छात्रा रही थी. एमएस में वह गोल्ड मैडलिस्ट रही थी. वह अपने अतीत में विचरण करने लगी.

जब वह 28 साल की हो गई तो शादी के लिए पेरैंट्स के दबाव के साथसाथ वह भी अपने अकेलेपन से ऊब चुकी थी. जब उसे कोई डाक्टर मैच समझ नहीं आ रहा था तो मैट्रिमोनियल साइट्स पर ढूंढ़ते हुए अविरल का बायोडाटा उसे पसंद आया था. अविरल आईटी के साथ आईएमएम से एमबीए था. वह मल्टीनैशनल कंपनी में सीनियर मैनेजर था.

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