कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

10 मिनट में हम ट्रांजिट कैंप में पहुंच गए. मैं उन के औफिस में गई. मूवमैंट और्डर पर स्टैंप लगवाई और गाड़ी में आ कर बैठ गई. गाड़ी यूनिट की ओर चल दी.यूनिट में पहुंच कर मैं ने एडयूडैंट कैप्टन अर्जुन सिंह को रिपोर्ट किया. उन्होंने मेरा उठ कर जबरदस्त स्वागत किया. तुरंत गरमागरम चाय मंगवाई. सर्दी बहुत थी, मैं ने केवल ठंडी कमीज पर कोटपारका पहना हुआ था. चाय की मुझे सख्त जरूरत थी. चाय पी कर बहुत अच्छा लगा.

कैप्टन अर्जुन सिंह ने कहा, ‘आप अपने सहायक को ले कर क्वार्टरमास्टर में जा कर स्नो क्लोथिंग और एक्स्ट्रा क्लोथिंग ले लें. फिर इस वातावरण में घुलमिल जाने के लिए अगले 48 घंटे रैस्ट में रहेंगी. ‘सतनाम सिंह,’ कैप्टन साहब ने आवाज दी. मेरा सहायक तुरंत हाजिर हुआ.‘मैडम को क्वार्टरमास्टर के पास ले जाओ और सारे कपड़े दिला दो और इन के कमरे में रखवा देना. अपस्लोटर खान को बुला कर ले आना. मैडम की सारी यूनिफौर्म फिट करवा कर तैयार करवा देना.’

‘जी, साहब.’‘लै. नीरजा, खान है तो टैंट रिपेयर करने के लिए लेकिन यूनिफौर्म बहुत अच्छी फिट करता है. हम सब उसी से यूनिफौर्म फिट करवाते हैं. सौ रुपया एक यूनिफौर्म का लेता है. आप नाप देने के बजाय उस को अपनी कमीज और पैंट दे देना. वह उस के मुताबिक फिटिंग कर देगा.’‘जी,’ कह कर मैं उठ खड़ी हुई. सैल्यूट किया और कमरे से बाहर आ गई. सतनाम मुझे क्वार्टरमास्टर के पास ले गया. सभी ने मुझे उठ कर सैल्यूट किया. क्वार्टरमास्टर सूबेदार रवि किशन थे. मैं ने अपना परिचय दिया, ‘मैं लै. नीरजा गुप्ता, आप की यूनिट में नई पोस्टिंग आई पर हूं.’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...