कार्यालयों के 3 महत्त्वपूर्ण पहिए हैं जिन पर चल कर कार्यालय गति पकड़ते पाए जाते हैं. ये पहिए हैं - नोट, सीट और नोटशीट. इन में से एक के अभाव में कार्यालय को कार्यालय नहीं माना जाता. कोई भी अधिकारी किसी कर्मचारी को एक ही आदेश देता हुआ पाया जाता है, ‘पुट अप विद द नोट’ यानी ‘नोट सहित आगे बढ़ाइए’. स्पष्ट है कि जब अधिकारी ही नोट सहित नोटशीट चाहता है तो कर्मचारी क्यों न चाहेगा? कर्मचारी बेचारा अगलबगल से पूछ कर, पुरानी नस्तियों का सहारा ले कर, थोड़ा अपनी ओर से जोड़ कर नोट सहित, फाइल बढ़ाता है. आखिर नोटशीट में अपना नोट क्यों लगाए, वह बहुधा अगलबगल की टीप देता है.

उस दिन एक अधिकारी ने अपने स्टैनो से कहा, ‘‘इतनी सारी गलतियों सहित ड्राफ्ट आप हस्ताक्षरार्थ भेजते हैं?’’

स्टैनो ने उत्तर दिया, ‘‘सर, यह सच है कि नोटशीट में बहुत सारी व्याकरण, वर्तनी और भाषा की गलतियां हैं, किंतु वे हम ने नहीं की हैं. वे विश्व बैंक से चली आ रही हैं. हम एक आदेश ले रहे हैं कि क्या हम इन्हें ठीक कर दें. क्योंकि भले ही ड्राफ्ट नोटशीट पर तैयार हो, उस की कोई भी काटछांट या उस पर पुनर्लेखन ड्राफ्ट को यानी प्रारूप को कचरे की पेटी में फिंकवा सकता है.’’

स्टैनो से अधिकारी की यह चर्चा चल ही रही थी कि एक कर्मचारी नेता धड़धड़ाता हुआ अधिकारी के कक्ष में घुसा और ऊंची आवाज में पूछने लगा, ‘‘क्या फुजूलखर्ची, कार्यालयों में कर्मचारियों की अनुपस्थिति, टैलीफोन के दुरुपयोग आदि पर रोक लगाई जा रही है? यदि ऐसा होता है तो यह बरदाश्त के बाहर होगा.’’

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