ट्रांजिट कैंप में यूनिफौर्म में ही रहना होता है. इसलिए मैं ने भी यूनिफौर्म पहन ली. बार गेट पर एक जवान खड़ा था. उस ने सैल्यूट किया और गेट खोल दिया. मैस हवलदार ने हमारा स्वागत किया.
कैप्टन संगीता ने मेरे लिए और अपने लिए एकएक पैग वाइन का और्डर दिया. जब वाइन आई तो कैप्टन साहिबा ने पूछा, ‘कुछ सनैक्स हैं?’ ‘हैं, मैम. आलू भुजिया और पनीर के पकौड़े.’
‘ ऐसा करो, 2 प्लेट पनीर के पकौड़े ले आओ.’ ‘इस में कुछ मिलाया जाता है?’ मैं ने पूछा.
‘हां, बीयर मिला सकती हो, पानी मिला सकती हो, लेकिन हम सोडा मिला कर पिएंगे.’
सोडा आया. दोनों ने अपनेअपने गिलास भर लिए. धीरेधीरे पीने लगीं. मन के भीतर गिल्ट भी फील हुआ कि जिस चीज को आज तक हाथ नहीं लगाया, उसे पी रही हूं. मां, बाऊ जी देखेंगे तो जाने क्या सोचें. पर सेना के वातावरण में ऐसा करना आवश्यक है. सर्द इलाके में जा रही हूं, वहां तो इस के बिना रहा ही नहीं जा सकता. ट्रेनिंग में बताया गया था. ‘गिल्ट फील कर रही हो?’
कैप्टन संगीता ने मेरे मन की बात पढ़ ली थी. मैं ने हां में सिर हिलाया.‘पहली बार मुझे भी ऐसा ही फील हुआ था. पर अब नहीं होता है. जब माइनस में तापमान जाएगा तब यह वाइन नहीं, रम का सहारा लेना पड़ेगा. तब भी सर्दी नहीं जाएगी. धीरेधीरे सब पता चल जाएगा. हम ने ऐसा प्रोफैशन चुना है जो आज तक केवल पुरुष चुनते आए थे. हम किसी से कम नहीं हैं, यही तो चुनौती है. कुछ मत सोचो. ड्रिंक का लुत्फ लो.’