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‘ आप सभी महिलाओं को भारतीय सेना में स्थाई कमीशन प्राप्त करने के लिए बधाई. आप सेना की कलास वन गजेटेड अफसर हैं, जैसे, सिविल में आईएएस, आईपीएस अफसर हैं. आप महिला हैं, यंग और सुंदर हैं. आप पुरुषप्रधान यूनिटों में जा रही हैं. उन की मानसिकता को समझते हुए ड्यूटी को अंजाम देना है. आप अपनी छठी इंद्रिय हमेशा ऐक्टिव रखें. हर पुरुष के मन और मस्तिष्क में कहीं न कहीं औरत रहती है. औरत के मन में पुरुष रहता है. आप आग और घी से इस की तुलना कर सकती हैं. और भी कई तरह की समस्याएं आएंगी, जिन्हें आप को अपने बुद्धिबल से हल करना है.

‘एक बहुत पुरानी कहावत है- अगर आप का पैसा चला जाता है तो समझें कुछ नहीं गया; सेहत चली जाती है तो समझें कुछ चला गया; अगर आप का चरित्र चला गया तो समझें सबकुछ चला गया. पूरी ट्रेनिंग के दौरान सभी इंस्ट्रक्टरज ने इस बात का ध्यान रखा है कि उन के शरीर का कोई अंग आप को न छुए. अगर वे वैपन ट्रेनिंग दे रहे थे तो उन्होंने अलग वेपन ले कर आप के बराबर लेट कर ट्रेनिंग दी है. यही अनुशासन है. पूरी भारतीय सेना अनुशासनप्रिय है. लेकिन अगर आप खुद मर्यादा तोड़ेंगी तो आप ब्लैकमेल होती रहेंगी. मर्यादा में रहते हुए ड्यूटी करनी है और खुद को प्रूफ करना है कि आप पुरुषों से किसी भी तरह से कम नहीं हैं. बस, मुझे यही कहना है.’

बातें हमेशा याद रखने लायक थीं. सभी अफसर अपनीअपनी फलाइट के अनुसार घर के लिए एयरपोर्ट जा रही थीं. सभी को 20 दिनों की छुट्टी दी गई थी. इस के लिए आईएमए की गाड़ियां समयसमय पर एयरपोर्ट छोड़ रही थीं. मेरी फलाइट 4 बजे की थी, इसलिए मुझे लंच कर के 2 बजे एयरपोर्ट के लिए निकलना था. मेरे साथ लैफ्टिनैंट सुरिंदर कौर की भी फलाइट थी. हम दोनों को अमृतसर की फलाइट लेनी थी. वहां से उसे अपने गांव चले जाना था और मैं अमृतसर की ही थी.

चलने से पूर्व हमें मूवमैंट और्डर, एयर टिकट और बोर्डिंग पास दे दिया गए थे. हमें बताया गया था कि अपना बक्सा और बैडहोल्डल को लगेज काउंटर पर जमा करवा देना है. अगर थोड़ाबहुत सामान बच जाता है तो वह हैंडबैग में रख लेना हैं. सिक्योरिटी चैक में मुश्किल नहीं होगी.हमें बिजनैस कलास का टिकट दिया गया था. सेना के अफसर को बिजनैस कलास का टिकट अथोराइज है. प्लेन में यूनिफौर्म में केवल 2 महिलाएं ही बैठी थीं. बाकी सब पुरुष, औरतें और बच्चे थे. हम दोनों आकर्षण की केंद्र बनी हुई थीं. सुंदर यूनिफौर्म, दोनों कंधों पर चमकते दो-दो स्टार, हमारी सुंदरता को और बढ़ा रहे थे. एयर होस्टेज ने बड़ी मनमोहक मुसकान के साथ हमें पानी दिया और कहा, ‘दोनों महिला अफसरों का हमारी फ्लाइट में स्वागत है. यहां से सेना के पुरुष अफसर तो बहुत जाते हैं परंतु महिला अफसरों को आज पहली बार देख रही हूं.’

लैफ्टिनैंट सुरिंदर कौर ने जवाब दिया, ‘आप ठीक कहती हैं. यह पहला बैच है महिला अफसरों का.’ मैं ने उस का हाथ दबा दिया कि आगे कुछ न कहना है. मिलीटरी मैटर विल नौट बी डिस्कस्ड.
‘मैं आप के लिए गरमागरम चाय लाती हूं.’चाय आई और हम दोनों पीने लगीं. तभी फ्लाई में घोषणा हुई. थोड़ी देर बाद हम हवा में थे. डेढ़ साल बाद घर जा रही थीं. दोनों बहुत खुश थीं. मैं ने लै. सुरिंदर कौर से रात रुक कर जाने के लिए कहा. उस ने कहा, ‘बड़े भाईसाहब एयरपोर्ट पर लेने आ रहे हैं, रुकना नहीं हो पाएगा.’
‘मेरे भी भाईसाहब लेने आ रहे हैं. अब पता नहीं, कब मिलना होगा. आप तो गोहाटी जाएंगी?’
‘हां जी, गोहाटी. वहां से बाई रोड जाना पड़ेगा. हम एक ही विभाग की हैं. कहीं न कहीं मुलाकात हो ही जाएगी. मेरे कमाड़िंग अफसर ने लिखा है कि वे गोहाटी एयरपोर्ट पर गाड़ी भेज देंगे. यूनिट तक आने में असुविधा नहीं होगी.’

‘सेना का हर काम परफैक्ट है. मैं सर्द इलाके में जा रहीं हूं. चंडीगढ़ में हमारा रीयर है. वह सारा सामान जो मुझे लेह एयरपोर्ट पर पहन कर उतरना है, वहां के इंचार्ज चंडीगढ़ ट्रांजिट कैंप में ही दे देंगे.’
बातों में पता ही नहीं चला कि कब टाइम बीत गया. प्लेन के उतरने की सूचना दी चुकी थी. सब ने अपनी बैल्टें बांध ली थीं. प्लेन एयरपोर्ट पर उतर चुका था. सूचना दी गई कि पहले स्टाफ और चालक दल उतरेगा, फिर यात्री. सामने बाहर गेट तक ले जाने के लिए बस खड़ी थी. हम उस में बैठ गए. बस तेजी से आगे बढ़ गई. मैं और सुरिंदर बहुत रोमांचित थीं. डेढ़ साल का समय बहुत होता है. अपनों से मिलने का जबरदस्त उत्साह था. हमें यूनीफौर्म में देख कर पता नहीं कैसा रिऐक्ट करेंगे. भाई का मोबाइल आ गया था कि वे लगेज मिलने वाली जगह पर मिलेंगे. मैं ने उन को बता दिया था कि सामान में एक बड़ा काला बक्सा है और एक बैडहोल्डल है. दोनों पर मेरा नाम लिखा है.

लै. सुरिंदर कौर ने भी अपने भाई को बता दिया था. जब हम लगेज की जगह पर पहुंचे तो दोनों ट्रौली में सामान ले कर खड़े थे. लै. सुरिंदर के भाई ने तो तुरंत उसे पहचान लिया क्योंकि वे बचपन से अपने पिता को यूनिफौर्म में देखते आए थे. मुझे पहचानने में भाई को देर लगी. जब पहचाना, तो गले लगाने में देर नहीं की. ‘छुटकी, तुम यूनिफौर्म में बहुत स्मार्ट लग रही हो. वाह, क्या बात है.’ वे मुझे सुंदर कहतेकहते रुक गए थे. मैं ने लै. सुरिंदर कौर और उन के भाई का परिचय करवाया और फिर अपनीअपनी कारों की ओर बढ़ गए.घर में सभी ऐसे मिले जैसे युगों के बाद मिले हों. विशेषकर बाऊ जी, जो मेरे सेना में जाने से सब से अधिक नाराज थे. वे भी स्वागत के लिए बैठे थे. बाऊ जी ऐसा स्वागत करेंगे, मुझे उम्मीद नहीं थी. मैं खुश थी, बाऊ जी मेरे स्वागत समारोह में शामिल थे. मां बताती थी, जब मैं अपनी सहेली से मिलने गई हुई थी, वे मेरी यूनिफौर्म पर लगी हर चीज को बड़े ध्यान से देख रहे थे. खुश थे, कह रहे थे, ‘ हमारी नीरू बहुत स्मार्ट हो गई. बनियों की लड़कियों की तरह थुलथुल नहीं है. पेट तो बिलकुल नहीं रहा.’

‘बाऊ जी, वह आईएमए से ट्रेनिंग कर के आई है. वहां भागदौड़ अधिक होती है. किसी का पेट नहीं निकलता. जिस का थोड़ाबहुत होता भी है, वह भी भागदौड़ में ठीक हो जाता है. खाने को खूब अच्छा मिलता है और पचता है. इसलिए सेहत अच्छी हो जाती है.’ मेरे छोटे भाई ने बाऊ जी को बताया था.
‘अच्छा, फौजियों को तो शराब भी मिलती है. सर्दी आ रही है. पूछना कि ब्रांडी की बोतल मिलेगी? ’
बाऊ जी, सर्दी में रात को दूध में 2 चम्मच ब्रांडी डाल कर पीते थे. इस से उन का पेट ठीक रहता था. घर में घुसते ही मैं ने उन की यह बात सुन ली थी.

मैं ने कहा, ‘ बाऊ जी, हम अफसरों को हर महीने 12 बोतल शराब मिलती है. प्लेन में ज्वलनशील चीजें लाने का हुक्म नहीं है, इसलिए हमें आईएमए से हरेक को लैटर मिला है कि वे अपनेअपने शहर या एरिया की स्टेशन कैंटीन से शराब की बोतलें ले लें. मैं छोटे भाई के साथ जा कर कल ला दूंगी. ग्रौसरी का सामान भी 12 हजार रुपए का ले सकती हूं. वहां बाजार से सस्ता होता है, उन इन पर टैक्स नहीं लगता है.’
‘दीदी, आप का कैंटीन कार्ड बना हुआ है?’ छोटे ने पूछा.

‘सब आईएमए में ही बन जाते हैं. तुम मेरे साथ चलना. कल सब दिला दूंगी.’
मैं स्टेशन कैंटीन से बाऊ जी के लिए न केवल ब्रांडी की बोतलें लाई बल्कि ग्रौसरी का भी बहुत सा सामान ले लाई.

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