भारत ने दृष्टिहीन विश्वकप क्रिकेट 2018 के फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को हरा कर खिताब पर कब्जा जमा लिया. भारत ने पिछली बार यानी वर्ष 2014 में भी विश्वकप का खिताब अपने नाम किया था.
उधर अंडर-19 वर्ल्डकप में भी भारत ने आस्ट्रेलिया को मात दे कर चौथी बार वर्ल्ड चैंपियन का खिताब हासिल कर लिया.
इस देश के खिलाडि़यों की विडंबना देखिए एक तरफ अंडर-19 क्रिकेट टीम व इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल में क्रिकेटरों पर करोड़ों रुपए की बारिश होती है वहीं दूसरी तरफ दृष्टिहीन क्रिकेट टीम के कई सदस्यों के पास रोजगार तक नहीं है. कोई खेतिहर मजदूर है तो कोई घरों में दूध बेचता है तो कोई और्केस्ट्रा में गा कर जीवन व्यतीत करता है.
जब वर्ष 2014 में भारतीय टीम विश्व विजेता बनी थी तो बहुत बड़ीबड़ी बातें की गई थीं लग रहा था कि अब दृष्टिहीन क्रिकेटरों के भी दिन फिरने वाले हैं पर हकीकत इस से कोसों दूर है.
वलसाड़ के रहने वाले गणेश मूंडकर को वर्ष 2014 में गुजरात सरकार ने नौकरी देने का वादा किया था पर गणेश को नौकरी नहीं मिली. नतीजतन वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं लेकिन उन का हालचाल लेने वाला कोई नहीं. गणेश के मातापिता खेत में मजदूरी करते हैं और किसी तरह अपना जीवनयापन करते हैं. कई बार तो आर्थिक स्थिति के चलते वे गणेश को क्रिकेट खेलने के लिए मना भी कर चुके हैं.
आंध्र प्रदेश के कूरनूल जिले के प्रेम कुमार बी वन श्रे यानी पूर्णरूप से नेत्रहीन हैं और और्केस्ट्रा में गा कर अपना गुजारा करते हैं.