निर्भया कांड हो या बदायूं कांड, छोटा शहर हो या महानगर, कसबा हो या गांव, विदेशी महिला हो या गांवदेहात की, सवर्ण हो या दलित. पुरुषों द्वारा किए जाने वाले गैंगरेप की घटनाएं पिछले कुछ सालों से तकरीबन हर रोज की खबर बन गई हैं. समाज एकल बलात्कार से ही परेशान था, अब तो सामूहिक बलात्कार आम बात होती चली जा रही है. इस में पीडि़ता के बचने की संभावना न के बराबर होती है.

यदि केवल 2019 की ही बात करें, तो देश में अकल्पनीय गैंगरेप की कई घटनाएं घटी हैं. बिहार के गया डिस्ट्रिक्ट में 15 वर्षीया किशोरी के साथ न केवल गैंगरेप किया गया बल्कि उस का सिर मूंड़ कर उसे गांवभर में घुमाया भी गया. घटना अगस्त की है जब पीडि़ता अपने दोस्त के साथ रात में टहलने निकली थी. पीडि़ता के अनुसार, वह उस लड़के की गर्लफ्रैंड थी और इस बाबत उस के दोस्तों से मिलने के लिए राजी हुई थी. लेकिन, उन 6 लड़कों ने लड़की पर हमला कर दिया और उस के बौयफ्रैंड समेत सातों लड़कों ने बारीबारी उस का बलात्कार किया.

लड़कों के खिलाफ लगाए गए पीडि़ता के आरोपों को गांव के लोगों ने  झूठ माना और इसीलिए लड़की का सिर मूंड़ कर उसे गांव में शर्मसार करने के लिए घुमाया गया.

दोस्तों द्वारा किए गए गैंगरेप के मामलों की गिनती कम नहीं है. नैशनल क्राइम ब्यूरो औफ रिकौर्ड्स यानी एनसीआरबी की 2013 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2012 में 24,923 रेप की घटनाएं सामने आई थीं जिन में से 24,470 रेप पीडि़ता के किसी परिचित द्वारा किए गए थे.

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