सोशल मीडिया दुनिया के ऐसे लोगों को जोड़ रहा है जो नजर से बहुत दूर हैं जबकि वह उन अपनों को दूर कर रहा है जो नजर के सामने हैं.
एक समय था जब चिट्ठियों के सहारे हम जिंदगी के सुखदुख बांट लिया करते थे. चिट्ठियों के इंतजार में यादें संजोया करते थे. चिट्ठी यदि लेट भी आया करती थी तो उस को पढ़ने की उत्सुकता और बढ़ जाती थी. लेकिन आज सबकुछ बदल चुका है. बढ़ती टैक्नोलौजी के कारण लोगों के जीवन और रिश्ते दोनों में खासा बदलाव देखने को मिला है.
आज सोशल मीडिया द्वारा हम अपने प्रियजनों के संपर्क में तो हैं, लेकिन इसी सोशल मीडिया ने कई रिश्तों को अंदर से खोखला कर दिया है. किसी को प्यार दिखाना है तो सोशल मीडिया, किसी पर गुस्सा निकालना है तो सोशल मीडिया, यहां तक कि किसी को फंक्शन में आमंत्रित करना है तो सोशल मीडिया का सहारा. ऐसे में रिश्तों में सिर्फ दिखावा ही रह गया है या यों कहें रिश्ते अब बनावटी होते जा रहे हैं.
बात अगर दोस्ती की करें, तो अब मित्रता भी कच्चे धागे की तरह हो गई है. जो दोस्त कभी घंटों एकदूसरे का इंतजार किया करते थे, अब वही दोस्त सोशल मीडिया पर लेट रिप्लाई आने पर मुंह फुलाते दिखते हैं. ऐसा ही अंकिता और जोशना के साथ भी हुआ.
अंकिता और जोशना की दोस्ती कालेज के प्रथम वर्ष में हुई थी. यह उन का कालेज का आखिरी वर्ष है. 3 साल दोनों ने खूब मस्ती की. सोशल मीडिया पर दोनों की तसवीरें साफ दर्शाती हैं कि दोनों की दोस्ती में कितना प्यार है. लेकिन यह कैसा प्यार था जिस की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई और खत्म भी सोशल मीडिया पर ही हुई.
दरअसल, तीसरे वर्ष की परीक्षा के बाद जोशना एमए की प्रवेश परीक्षा की तैयारी में लग गई थी. इधर कालेज में विदाई समारोह यानी फेयरवैल के लिए सभी उत्सुक थे. जोशना भी बहुत खुश थी. लेकिन जब प्रवेश परीक्षा का एडमिट कार्ड उस के हाथ आया तो उसे देखते ही जोशना उदास हो गई. दरअसल, परीक्षा और फेयरवैल की तारीख एक ही दिन पड़ गई थी.
जोशना को समझ ही नहीं आ रहा था अब वह क्या करे. यह बात जब उस ने अंकिता को बताई तो वह भी उदास हो गई. आखिर में सब ने उस को फेयरवैल के बजाय परीक्षा देने की ही सलाह दी.
कुछ दिन बीते. जोशना परीक्षा की तैयारी में व्यस्त थी और अंकिता फेयरवैल की. हालांकि बीचबीच में दोनों की बात सोशल मीडिया पर हो जाया करती थी, लेकिन जोशना को अंकिता के बात करने के तरीके में बदलाव नजर आने लगा था.
फेयरवैल वाले दिन जोशना को उम्मीद थी कि अंकिता उस को परीक्षा की शुभकामनाएं देने के लिए मैसेज जरूर करेगी. मैसेज न आने पर जोशना ने खुद ही व्हाट्सऐप पर मैसेज कर के लिख दिया, ‘मैं परीक्षा के लिए जा रही हूं, तू तैयार हो कर फोटो जरूर भेजना, मुझे देखना है तू साड़ी में कैसी लगेगी.’ इतना लिख कर जोशना परीक्षा के लिए चली गई.
परीक्षा के बाद जब जोशना ने फोन देखा तो सिर्फ ओके लिखा हुआ आया था. जोशना को लगा शायद अंकिता व्यस्त होगी या थक गई होगी. लेकिन रात को भी उस ने फोटो नहीं भेजी और न उस ने उस की परीक्षा के बारे में कुछ सवाल किया.
जोशना को इस बात का बहुत बुरा लगा. जोशना ने अंकिता को मैसेज करना ही बंद कर दिया. अचानक 4 दिनों बाद जोशना के फोन पर अंकिता का मैसेज आया. मैसेज खोला तो देखा अंकिता की फेरयवैल की फोटोज थीं. जोशना ने फोटोज देखीं लेकिन बदले में कोई मैसेज नहीं भेजा. अब होना क्या था, दोनों की दोस्ती अहंकार के कुएं में डूबती जा रही थी.
अंकिता ने एक दिन बाद फिर मैसेज भेजा और पूछा, ‘कैसी लगी पिक?’ लेकिन जोशना ने कोई जवाब नहीं दिया. कुछ समय बाद जब दोनों कालेज में मिलीं तो दोनों ही अजीब व्यवहार कर रही थीं. दोस्तों के बहुत कहने पर दोनों ने बात तो की लेकिन एकदूसरे पर इलजाम लगा कर.
अंकिता उसे समझा रही थी कि वह मैसेज देख कर भूल गई थी और घर पर कोई नहीं था, इसलिए वह ज्यादा फोन इस्तेमाल नहीं कर रही थी. लेकिन जोशना अपने गुस्से को बराबर रखे हुए थी. लेट मैसेज और गलतफहमी के कारण अंकिता और जोशना की दोस्ती में मनमुटाव हमेशा के लिए हो गया.
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रिश्तों पर भारी सोशल मीडिया की लत
आज के समय में रिश्तों में बस औपचारिकता ही रह गई है. पहले लोग एकदूसरे के साथ वक्त बिताया करते थे, अब लोग सिर्फ एकदूसरे के साथ फोटो डालना पसंद करते हैं. पिछले एक दशक में सोशल नैटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता जबरदस्त बढ़ी है. जमाना बदल रहा है, रिश्ते बदल रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी बदलाव जारी हैं. कल तक जो पड़ोसी और रिश्तेदार एकदूसरे से बहुतकुछ छिपाया करते थे, आज वे खुद ही सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल कर हर राज से परदा हटा देते हैं और फिर खुद ही रोते रहते हैं.
इंटरनैट के जमाने में लोग सोशल मीडिया से इस कदर जुड़ गए हैं कि रोज अपनी दिनचर्या को सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. उस के बाद अपनी जिंदगी के हर पहलू पर लोगों की राय, उन की पसंदनापसंद जानना चाहते हैं.
सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोग आपस में जुड़े तो हैं लेकिन इस जुड़ाव में न तो अपनापन है, न असली रुचि, बल्कि लोगों में प्रतिस्पर्धा और जलन अधिक है. सोशल मीडिया पर लोग घंटों समय बिता देते हैं लेकिन लोगों के पास एकदूसरे से मिलने का समय नहीं होता. वीडियोकौल, फोनकौल, चैटिंग ने बहुतकुछ बदल कर रख दिया है.
पहले लोग शौपिंग करने जाते थे तो पूरा परिवार साथ जाता था. साथ शौपिंग करने में कितना मजा आता था. लेकिन अब तो बस कोई एक चला जाए और फोटो भेज दे तो इसी से हो जाती है शौपिंग. जब कभी घर में शादीविवाह जैसा कोई फंक्शन हुआ करता था तब लोग समय निकाल कर घरघर जा कर न्योता दिया करते थे. लेकिन आज का समय बदल गया है. लोग घरघर जाने के बजाय सोशल मीडिया के माध्यम से ही न्योता दे देते हैं.
सोशल मीडिया की लत में लोग समय की बचत करने लगे हैं या यों कहें लोगों को एक हाथ से ही ताली बजाने का मौका मिल गया है. नतीजतन, हम साथ तो चल रहे हैं लेकिन रिश्तों में दूरियां बढ़ती जा रही हैं.
दोस्ती और गलतफहमी
दोस्ती के रिश्ते में थोड़ीबहुत तूतूमैंमैं तो होती रहती है. लेकिन कई बार सोशल मीडिया पर बातचीत के दौरान हुई गलतफहमी भी तकरार की वजह हो सकती है. हम अकसर देखते हैं लोगों को सोशल मीडिया पर बातचीत करते वक्त ‘ओके,’ ‘हम्म,’ ‘ठीक है’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए. लेकिन इन शब्दों की गिनती बेमन से भेजे जाने वाले शब्दों में की जाती है जिस का ज्यादा इस्तेमाल करने से दोस्ती में कड़वाहट आ जाती है. सोशल मीडिया पर गलतफहमी सब से ज्यादा दोस्ती के रिश्तों में देखी जाती है.
सोनाक्षी और सौरभ दोनों एकदूसरे को अच्छा दोस्त मानते हैं. दोनों जब भी मिलते हैं, खूब मस्ती करते हैं. लेकिन सौरभ को ऐसा लगता है कि सोनाक्षी उस से बेमन से बातें किया करती है. ऐसा लगने की वजह है सोशल मीडिया. सोनाक्षी को चैटिंग के जरिए बात करना ज्यादा पसंद नहीं. ऐसे में जब भी सौरभ उस को मैसेज करता है तो उस का जवाब ‘ठीक है’ में ही आता है.
कई बार दोनों की इस बात पर बहस भी हुई है. एक दिन दोनों की यह बहस लड़ाई में बदल गई. सौरभ कहता है, ‘‘तू औनलाइन आती है, फिर भी जवाब देर से देती है और सच कहूं तो ‘हम्मओके’ में जवाब देना होता है तो मत ही दिया कर.’’ यह सुनते ही सोनाक्षी भी गुस्से से लाल हो गई.
गुस्से में उस ने भी जवाब देना शुरू कर दिया, ‘‘तुझे कितनी बार बताया है कि मुझे इस तरह से बात करना ज्यादा पसंद नहीं. लेकिन तुझे पता नहीं क्या होता है. हमेशा यह सवाल ले कर मेरे सामने आ जाता है. जब भी मैं तुझ से मिलती हूं, अच्छे से बात करती हूं. इस के बावजूद तू ऐसे सवाल करता है. ऐसा कर कि आज के बाद बात ही मत करना, क्योंकि में सच में अब परेशान हो चुकी हूं.’’