राजधानी दिल्ली और एनसीआर की हवा में लगातार जहर घुलता जा रहा है. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का स्तर 500 के पार पहुंच चुका है. इसका मतलब स्थिति बेहद गंभीर और आपातकाल वाली है. प्रदूषण की वजह से पूरे दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत के नीले आसमान पर कालिख पुत गयी है. उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पैनल ने दिल्ली में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करते हुए तमाम निर्माण कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण ने प्रदूषण की गम्भीर श्रेणी को देखते हुए पूरे ठंड के दौरान पटाखे फोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. दिल्ली के स्कूल 5 नवम्बर तक बंद रहेंगे. इस बात की घोषणा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कर दी है. जहरीली हवा की वजह से जहां कई जगह ऑफिस की भी टाइमिंग बदल दी गयी हैं. वहीं, अन्य संस्थानों में उपस्थिति लगातार गिर रही है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या में तीस फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसमें से ज्यादातर सांस की तकलीफ, घुटन, आंखों में जलन और पानी आने जैसी समस्या से ग्रस्त हैं. एक हालिया रिसर्च यह बताती है कि हालात इतने खतरनाक हैं कि यह प्रदूषण आम आदमी की जिन्दगी के दस साल कम कर रहा है. सबसे बुरी हालत दिल्ली से सटे गाजियाबाद की है.

गाजियाबाद देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक है और सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की मानें तो ट्रैफिक जाम, धुआं और जमी हुई धूल वहां वायु प्रदूषण की मुख्य वजह है. शहर के 20 इलाके को चिह्नित किया है जहां धूल भरे प्रदूषण की स्थिति सबसे गंभीर है. लोगों का सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, वहीं स्कूल जाने वाले नन्हें-नन्हें बच्चे खांसी और आंख में जलन के चलते परेशान हो रहे हैं. खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका यह प्रदूषण मां बनने वाली महिलाओं और उनकी कोख में पल रहे शिशु के लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो रहा है.

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