प्रदूषण की मार झेल रही हवा जैसेजैसे सर्दी बढ़ रही है और जहरीली होती जा रही है. आशंका जताई जा रही है कि दीवाली के बाद इस के स्तर में और इजाफा हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली और हवा का रुख दिल्ली की तरफ होने से दिल्ली और एनसीआर के निवासियों को इस के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

दिल्ली से ज्यादा प्रदूषण की मार एनसीआर के शहरों को झेलनी पड़ रही है. अभी हाल ही में गाजियाबाद और गुरुग्राम की हवा दिल्ली से ज्यादा जहरीले स्तर पर पहुंच गई थी. दोनों शहरों का गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है. ऐसी हवा में सांस लेने से स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक राजधानी में प्रदूषण भरे खतरनाक दिनों की शुरुआत हो गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर मध्य तक दिल्ली गैस के चैंबर में तबदील हो सकती है.

प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर रोक

दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी की ओर से 417 ऐसी इकाइयों को बंद करने का नोटिस जारी किया गया है, जो चेतावनी देने पर भी प्रदूषण का स्तर कम नहीं कर रहे हैं. साथ ही 113 ऐसी औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का निर्देश दिया है जो इन्हें सीएनजी में तबदील नहीं की गई हैं. पूरी दिल्ली में 1,368 इकाइयों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं.

दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में लगातार खराब होती हवा की गुणवत्ता को ठीक करने के लिए सरकार अब सख्त कदम उठाते हुए वायु प्रदूषण मानको का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई करेगी. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने हाल ही में एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति बैठक की समीक्षा के बाद यह जानकारी दी.

हवा को जहरीला बनाता धुंआ

दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए हो रही तमाम कोशिशें नाकाफी साबित होती दिख रही हैं. हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने व हवा की रफ्तार कम होने से यह धुंआ वातावरण में फैल कर उसे दूषित कर रहा है. इस का स्वास्थ्य पर तो हानिकारक असर हो ही रहा है साथ ही दृश्यता कम होने से आवागमन भी बाधित हो रहा है. हवा में प्रदूषण फैलाने वाले पार्टिकुलेट मैटर को आमतौर पर उन के आकार के हिसाब से 2 श्रेणियों पीएम 10 व पीएम 2.5 में बांटा जाता है. पीएम 10 आकार के कण बड़े होते हैं और आमतौर पर हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इन को शरीर में घुसने से रोकती है या फिर ये कफ द्वारा बाहार निकल जाते हैं, लेकिन पीएम 2.5 आकार के प्रदूषण कण बेहद महीन होते हैं और सांस के जरिए सीधे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, इस से तमाम किस्म की बीमारियों और हार्टअटैक का खतरा होता है. दिल्ली की हवा में इस की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई जोकि चिंतनीय है.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस के लिए मुख्य तौर पर पर्यावरण में फैला धुंआ ही जिम्मेदार है चाहे वह पराली जलाने से फैला हो या फिर उद्योगों या पटाखों से निकला धुंआ हो.

प्रदूषण के प्रकोप से बच्चों का आईक्यू हो रहा है कम

प्रदूषण के प्रकोप से न केवल दिल्ली बल्कि दुनियाभर के ज्यादातर विकसित और विकासशील देश भी जूझ रहे हैं. वायु प्रदूषण न सिर्फ आप के कपड़े खराब करता है बल्कि नौनिहालों के दिमाग पर भी यह बुरा असर डालता है. वायु प्रदूषण आईक्यू को कम करने के साथ ही याददाश्त भी कम करता है साथ ही कई तरह के तंत्रिका संबंधी बीमारियों को पैदा करता है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह बच्चों में चिंता, विकास संबंधी बीमारियों को भी जन्म देता है. दुनियाभर में तकरीबन एक करोड़ 70 लाख बच्चे वायु प्रदूषण से प्रभावित हैं. इस के प्रकोप से बच्चे अलजाइमर और पर्किसन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण का सीधा संबंध निमोनिया जैसी बीमारियों से है जो देश में हर साल 18 लाख बच्चों की जान लेता है. इस के अलावा यह दूसरे श्वास और दमा जैसे रोगों को भी जन्म देता है.

अंतरकलह में फंसी सरकारें

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को ले कर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रवैया अपनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में बाहर से आने वाले 10 और 15 साल पुराने पैट्रोल और डीजल के वाहनों पर तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने ट्रांसपोर्ट विभाग को ऐसे वाहनों का सड़कों पर पाए जाने से उन्हें जब्त करने के निर्देश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से पहले राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भी ऐसे वाहनों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चलाने पर प्रतिबंध लगाया है.

इधर, केंद्र और दिल्ली सरकार एकदूसरे पर कीचड़ उछाल रही है, बजाय इस जानलेवा समस्या को हल करने के. वैसे भी सरकारों का काम, समस्या हल करना थोड़े होता है वे तो इस पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकती हैं. लेकिन इस गंभीर समस्या पर केंद्र और राज्य सरकारों को गंभीरता से विचार करना होगा अन्यथा हालात भयंकर होंगे.

 

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