हम ने आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद, अलगाववाद पर काबू पा लिया. हम ने भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया. नोटबंदी कर के कालाधन जमा करने वालों की कमर तोड़ दी. ऐसी बड़ीबड़ी दावे करने वाली भारतीय जनता पार्टी के मुंह पर उस वक्त ताले पड़ गए जब 5 चक्र की सुरक्षा व्यवस्था को धता बता कर, पुलिस और इंटेलिजैंस की आंखों में धूल झोंक कर 5 युवा गैस स्प्रे की बोतलें लिए संसद के अंदर घुस गए और उन में से 2 संसद परिसर में और 2 चलती लोकसभा में पब्लिक दीर्घा से होते हुए नेताओं के बीच संसद की बेंचों पर कूदते हुए रंगीन गैस छोड़ने लगे और एक जिस ने उन को अंदर घुसने में मदद की वह संसद में अपने साथियों का वीडियो बना कर और उस को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर के फरार हो गया.

13 दिसंबर, 2023 की इस घटना ने 13 दिसंबर, 2001 की याद ताजा कर दी, जब 5 आतंकियों ने इसी तरह संसद की सुरक्षा भेद कर वहां गोलीबारी की थी, जिस में 5 जवानों सहित 9 लोगों की मौत हुई थी. उस दिन भी 5 लोग थे, सभी इसी देश के नागरिक थे, आज भी 5 लोग थे और इसी देश के नागरिक हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि तब वे पांचों मुसलमान थे, आज ये पांचों हिंदू हैं. शायद इसीलिए भाजपा नेताओं के मुंह बंद हैं.

शुक्र है कि इस बार संसद पर हमला करने वालों के पास सिर्फ गैस स्प्रे थे, अगर पिस्तौल या बम होते तो अंजाम पिछले हमले से कहीं ज्यादा भयावह होता क्योंकि पिछली बार संसद पर हमला करने वाले आतंकियों को जवानों ने बाहर ही रोक लिया था मगर अब की बार तो ये अंदर तक पहुंच गए.

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