इस मूर्ख आतंकवादी का हर बयान भोपाल के वोटरों का मजाक उड़ा रहा है.  अगर लोग पार्टी के बजाय अच्छे लोगों को वोट करें तो सदन में सब अच्छे व्यक्ति आएंगे तो जनता के हित के काम कर पाएंगे. इसलिए भाजपा या कांग्रेस को न चुनकर हम किसी अच्छे व्यक्ति को चुनते  तो आज भोपाल का ऐसा मजाक नहीं बन रहा होता. पर दिक्कत ये है कि अच्छे व्यक्ति के पास प्रचार प्रसार के लिए इतना पैसा नहीं होता.

भोपाल में व्हाट्सएप पर वायरल हो रही उक्त पोस्ट सांसद प्रज्ञा भारती के उस बयान पर एक सटीक प्रतिक्रिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष के पास मारक शक्ति है जिसका प्रयोग वह वह भाजपा नेताओं को मारने के लिए कर रहा है. भोपाल स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को श्रद्धांजलि देने आयोजित सभा में प्रज्ञा भारती ने यह भी कहा कि यह बात चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें एक महाराज ने बताते आगाह किया था कि आप सावधान रहें. ऐसा यानि मारक शक्ति का प्रयोग भाजपा और उसके नेताओं को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है.

बकौल प्रज्ञा के गुमनाम और काल्पनिक बाबा, यह मारक शक्ति भाजपा के उन कर्मठ काबिल और ऐसे नेताओं पर असर करेगी जो पार्टी को संभालते हैं और बकौल प्रज्ञा भारती, आज मैं देखती हूं कि वास्तव में हमारा शीर्ष नेतृत्व सुषमा जी, गौर जी और जेटली जी पीड़ा सहते हुए जा रहे हैं. यह देखकर मन में आया कि कहीं ये सच तो नहीं है, सच यह है कि हमारे बीच से हमारा नेतृत्व लगातार जा रहा है. भले ही आप विश्वास करें या न करें पर सच यही है और ये ही हो रहा है.

साध्वी प्रज्ञा भारती के इस बेहूदे, अतार्तिक और अंधविश्वास से लबरेज बयान पर जिस किसी ने भी उक्त पोस्ट बनाकर वायरल की. उसने या उन जैसे व्यथित बुद्दिजीवियों ने जाने क्यों यह नहीं सोचा कि प्रज्ञा भारती ने दरअसल में वह बात कह ही डाली. जिसे दर्जनों भाजपा नेता हंसी उड़ने के डर से नहीं कह पा रहे कि वाकई लगातार हुई दिग्गज नेताओं की मौत कोई इत्तफाक नहीं हैं बल्कि इसके पीछे जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ यानि तंत्र मंत्र, ऊपरी हवा और जादू टोने का असर तो है.

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प्रज्ञा भारती ने कहने की हिम्मत दिखाई तो भगवा खेमे में सकते में है और इसे उनकी व्यक्तिगत राय बताते मामले से पिंड छुड़ाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इस कोशिश में खिसियाहट और आंशिक सहमति बताती है कि भाजपाई गोदाम के कुछ दानों में ही अंधविश्वास का घुन नहीं लगा है बल्कि इसकी बुनियाद ही घुन लगी यानि खोखली है. जिस पर जैसे तैसे सत्ता की इमारत तो खड़ी हो गई है लेकिन वास्तविक सच अंधविश्वासों के आदी भाजपा नेताओं को ही नहीं पच रहा है.

प्रज्ञा भारती के इस मारक बयान पर किसने क्या प्रतिक्रिया दी. उन्हें जानने से पहले इस कल्पना जीवी सांसद को यह समझा देना जरूरी है कि विपक्ष के पास अगर ऐसी कोई शक्ति होती तो वह विपक्ष में होता ही क्यों और यह प्रयोग उसने नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे जमीनी  नेताओं पर क्यों नहीं किया जिनकी मेहनत की वजह से भाजपा आज सत्ता में है. क्या वे तंत्र मंत्र प्रूफ हैं और अगर है तो कैसे है. और हाल ही में दिवंगत नेताओं को क्यों तंत्र मंत्र प्रूफ सुविधा नहीं दी गई .

बेहूदी और बेवकूफी की बातों पर तय है. चर्चा में बेहूदगी और बेबकूफी रहेगी ही इसलिए वह है भी कि क्यों प्रज्ञा भारती तंत्र मंत्र का प्रचार कर रहीं हैं. वे गांधी नेहरू को कोसें तो एकदफा इसे राजनैतिक द्वेष या कुंठा या फिर एक खतरनाक विचारधारा मानकर नजरंदाज किया जा सकता है लेकिन उससे सहमत नहीं हुआ जा सकता. बात अब हदें पार कर तंत्र मंत्र और जादू टोने जैसी बकवास बातों पर आ गई है तो यकीन माने भोपाल या देश के कोई दस–पंद्रह फीसदी लोग ही इसका विरोध करेंगे लेकिन बाकी डर कर सोचेंगे कि कहीं यह सच तो नहीं क्योंकि तमाम धर्म ग्रंथ ऐसी ही बातों से भरे पड़े हैं इसलिए प्रज्ञा भारती की बात में दम तो है .

गली गली में बाबा

देश प्रज्ञा भारती जैसे लोगों का ही है जिसका छोटा सा प्रमाण वे बाबा और तांत्रिक हैं जो इफरात से हर शहर के गली मोहल्ले में दरबार लगाए पाये जाते हैं. इनके यहां गंडा ताबीज लेने आए मूर्खों की भीड़ बताती है कि प्रज्ञा भारती जैसे पेराशूट नेता किस तरह की भीड़ द्वारा चुने जाते हैं. अकेले भोपाल में कोई एक हजार तांत्रिक हैं जो उल्लुओं को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा किया करते हैं. इनमें से कई तो बाकायदा चैनल और अखबारों में इश्तहार भी देते हैं कि जो काम या समस्याएं बुद्धि, विवेक, शिक्षा, जागरूकता और विज्ञान से नहीं हो सकते. वे तंत्र मंत्र से ग्यारह से लेकर ग्यारह हजार रुपए तक में चुटकी बजाते ही हो जाते हैं .

कुकुरमुत्ते से गली गली उग रहे ये बाबा हर मर्ज की दवा रखते हैं. ये बेऔलादों को औलाद सुख दिलाने का दावा करते हैं, पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिकाओं को वश में कराते हैं, मुकदमों में शर्तिया जीत दिलाते हैं, लाइलाज बीमारियों को भगाते हैं, सेक्स पावर बढ़ाते हैं, परीक्षा में पास कराते हैं, दफ्तर में अधिकारियों और बौस को यजमान अर्थात ग्राहक के अनुकूल बनाते हैं, व्यापार में मुनाफा दिलवाते हैं और तो और यही बाबा दुश्मन को मूठ करनी से मारने का दम भी भरते हैं. जिसका जिक्र प्रज्ञा भारती ने किया. सरकार अगर इन महारथियों की इस अनूठी विद्या का इस्तेमाल सरहदों पर आतंकवादियों के सफाये के लिए करे तो देश के खरबों रुपए बचा सकती है जिन्हें वह सेना की तैनाती पर खर्च कर रही है .

तो प्रज्ञा भारती ने गलत या मिथ्या कुछ नहीं कहा उन्होंने वही कहा जो आम भोपाली या हिंदुस्तानी समझौता करता या करवाता है. दुश्मन को तंत्र मंत्र के जरिये मरवा देने के प्रिय काम के विज्ञापन जिस देश में एफएमसीजी के प्रोडक्ट की बिक्री जैसे आम हों और कई कानूनों के वजूद में होने के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई न होती हो बल्कि कार्रवाई करने के जिम्मेदार लोग ही इन मठों और ठियों पर अपने काम करवाने जाते हो वहां प्रज्ञा भारती जैसी सांसद को ही दोष देना उनके साथ ज्यादती वाली बात है .

हमलावर हुई कांग्रेस  

इसी वजह के चलते लोगों ने उनकी यह बकवास हाजमे के चूरन की तरह फांक ली लेकिन कांग्रेसियों ने सुनहरी मौका हाथ से नहीं जाने दिया क्योंकि वे जानते हैं और सोच भी रहे होंगे कि काश कोई ऐसी शक्ति होती तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री होते और नरेंद्र मोदी किसी रेलवे स्टेशन के बाहर मोदी टी स्टाल खोलकर बैठे होते और अमित शाह झूठे कप प्लेट धो रहे होते .

बहरहाल इन ख्बाबों ख्यालों से परे प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि इसका जवाब तो पीएम साहब को देना चाहिए कि कैसे-कैसे लोगों को सांसद बना दिया प्रज्ञा भारती को तो किसी मंदिर की जबाबदारी दे देना चाहिए .  इसी में भगवान और जनता दोनों की  भलाई है. सज्जन सिंह वर्मा से एक कदम आगे बढ़ते कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने साध्वी के बयान को मूर्खतापूर्ण और आपत्तिजनक करार देते उनके मानसिक संतुलन बिगड़ने की बात कही. बकौल शोभा ओझा प्रज्ञा भारती को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन व संरक्षण प्राप्त है . उनके लिए पागलखाना सटीक जगह है .  

कांग्रेस मीडिया विभाग के ही उपाध्यक्ष नरेंद्र सलूजा के मुताबिक प्रज्ञा भारती का बयान निंदनीय है और अंधविश्वास और काला जादू आदि कुरीतियों को बढ़ावा देने बाला और भारत के संविधान की अवहेलना करने बाला भी है . उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी की नजर में आज के युग में इस तरह की अंधविशासी बातें करना ठीक नहीं है .  प्रज्ञा भारती की सोच दुखद है.

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पर ये हैं कि मानते नहीं

भाजपा में अंधविश्वासी नेताओं और मानसिकता की कोई कमी नहीं है इसलिए किसी नेता ने उनके इस मारक शक्ति बाले बयान को गलत या अंधविश्वासी नहीं बताया उल्टे जो नेता मीडिया के सामने पड़ गए उन्होने अपने अलग अंदाज में प्रज्ञा भारती से इत्तफाक रखते जता दिया कि पार्टी पूजा पाठ और यज्ञ हवन बगैरह के साथ साथ तंत्र मंत्र में भी भरोसा करती है .

नेता प्रतिपक्ष पंडित गोपाल भार्गव ने ज्ञान की बात यह कही कि यह प्रज्ञा भारती के ज्ञान की बात है इसके बारे में वही बता सकती हैं कि कौन सी मारक शक्ति होती है. लेकिन मैं उनके बयान से सहमत नहीं हूं, ये साध्वी के निजी विचार हैं. मैंने सृजन शक्ति के बारे में सुना है . राज्यसभा सदस्य और दिग्गज भाजपा नेता प्रभात झा की मानें तो अगस्त का महीना पार्टी नेताओं के लिए ठीक नहीं, यह मनहूस है. अटल जी से लेकर जेटली जी तक ने अगस्त के महीने में ही साथ छोड़ा.

कोई तीसरा नेता इस बयान पर कुछ नहीं बोला. प्रभात झा भी जब मनहूस शब्द पर घिरने लगे तो उन्होंने खिसियाहट मिटाने की गरज से कहा कि मनहूस से उनका आशय ग्रहण शब्द से था जो कि वैज्ञानिक शब्द है.

सहज समझा जा सकता है कि प्रज्ञा भारती का यह मारक बयान भाजपा के गले की हड्डी बन गया है जिस पर भाजपा नेता असहमत होने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे. ऐसे में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से भाजपा के एक और भगवान टाइप के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह  के हाथों पराजित हुए युवा वामपंथी नेता कन्हैया कुमार का यह बयान याद हो आना स्वभाविक है कि अब देश में तर्क और विज्ञान की बात करना बेकार है. हैरानी वाली बात यह है कि कन्हैया कुमार ने यह बयान मतदान के बाद और नतीजे आने से पहले ही दे दिया था यानि उन्हें एहसास था कि भाजपा के धर्म कर्म का जादू जनता के सर चढ़कर बोल रहा है .

अब भी नहीं आ रही अक्ल

जनता को कोई अक्ल प्रज्ञा भारती के इस बयान से आ रही हो ऐसा लग नहीं रहा. मोदी भक्त और भाजपाई जो आए दिन हिन्दुत्व को लेकर शब्दों और विचारों की आग उगला करते हैं वे इस मुद्दे पर खामोश हैं क्योंकि तार्किक और वैज्ञानिक सोच बाले उन पर भारी पड़ रहे हैं . भक्तों की कोशिश यह है कि यह विवाद तूल न पकड़े और जितने जल्दी थम जाये उतना ही अच्छा है .

लाख टके का और चिंतनीय सवाल यह है कि सच जानते और समझते हुये भी लोग क्यों तंत्र मंत्र और झाड़ा फूंकी को गलत और बकबास कहने से बच रहे हैं. इस अहम सवाल का जबाब यह है कि आज वे अगर इस बकबास से असहमति जताएँगे तो कल को पूजा पाठ की प्रासंगिकता और औचित्य पर भी सवाल उठने लगेगे जिनका कोई सटीक जबाब उनके पास नहीं है और न पहले कभी था .

प्रज्ञा भारती से असहमत लोगों को उनका आभारी भी होना चाहिए कि उनके बयान के बाद कई नहीं तो कुछ लोग तो खुलकर सामने आए और उन्हें कुछ इस तरह कोसा .

ट्रोल भी खूब हुईं –

सोशल मीडिया पर यूजर्स बड़े व्यंगात्मक और दिलचस्प तरीके से प्रज्ञा भारती को ट्रोल कर रहे हैं जिससे लगता है कि पूरे कुए में भंग नहीं पड़ी है और सभी दूसरों की तरह अंधविश्वासी और मूर्ख नहीं . एक यूजर डाक्टर शुभम मिश्रा ने ताना मारा कि भोपाल की जनता की जय हो क्या नायाब हीरा चुना है … ये जेटली की श्रद्धांजलि सभा नहीं , भाजपा नेताओं को सचेत करने की सभा है …. साधना बढ़ाओ वरना विपक्ष की मारक शक्ति से बच नहीं पाओगे .

एक और यूजर ने भोपाल के वोटरों पर तंज़ कसा है कि आपने बबूल का पेड़ बोया है तो नीम कहाँ से मिलेगा . भोपाल बालों ने जाने क्या सोचकर इन्हें नुमाइंदगी थमाई है . किसी ने प्रज्ञा भारती के दिमाग में केमिकल लोंचा बताया तो किसी ने उन्हें मशवरा भी दिया है कि आप मारक शक्ति इस्तेमाल करने बालों को श्राप क्यों नहीं दे देतीं . कइयों ने भाजपा पर सवाल भी दागा है कि वह किस मजबूरी के चलते प्रज्ञा भारती को बाहर का रास्ता नहीं दिखा रही .

यह है मजबूरी –

इन यूजर्स को शायद ही समझ आए कि एक अकेली प्रज्ञा भारती ही नहीं बल्कि सभी साधु संत और साध्वियाँ भाजपा की बड़ी मजबूरी हैं और शुरू से ही हैं इन्हीं के भड़काऊ धार्मिक भाषणों से उसे वोट मिलते रहे हैं . उसे सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में इन भगवा वस्त्र धारियों का बड़ा योगदान है . यही वो लोग हैं जो देश में पूजा पाठ और तंत्र मंत्र का माहौल बनाए रखते हैं . इस देश में वोट विकास के नहीं बल्कि धर्म और हिन्दुत्व के नाम पर पड़ते ही नहीं बल्कि इफ़रात से आँधी के आमों की तरह झड़ते हैं .

अब अगर पूरी जनता जागरूक हो जाएगी तो भाजपा सुस्त पड़ जाएगी इसलिए इनकी बेहूदगियां वह खुशी खुशी न केवल झेलती है बल्कि उन्हें इस बाबत उकसाती भी रहती है. केमिकल लोंचा जनता के दिमाग में भी है कि देश धार्मिक तौर तरीकों से चले तो आज नहीं तो कल राम राज आ ही जाएगा . और राम राज के सीधे माने ये हैं कि वर्ण व्यवस्था बहाल हो , दलितों ,आदिवासियों , पिछड़ों, मुसलमानो और औरतों को दबाकर रखा जाये. खूब पूजा पाठ हो मंदिर भक्तों से ठसाठस भरे रहें दक्षिणा चढ़ती रहे और पंडे पुजारियों को मेहनत कर पेट पालने जैसा निकृष्ट काम न करना पड़े और इसके लिए एक प्रज्ञा भारती नहीं बल्कि सौ पचास संत साध्वियों को भी संसद लाना पड़े तो सौदा घाटे का नहीं क्योंकि जनता ने  303 सीटें कबड्डी खेलने नही है.

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