मोदी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली 9 अगस्त 2019 से दिल्ली के अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान में इलाज करा रहे थे. 9 अगस्त को सांस लेने में समस्या के कारण उन्हें एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था. स्थिति में सुधार ना होने से 66 वर्षीय अरुण जेटली की शनिवार 24 अगस्त को मौत हो गई. जेटली का पिछले वर्ष किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था. उनके बाएं पैर में सौफ्ट टिशू सर्कोमा नामक कैंसर था. जिसके सर्जरी के लिए वह इसी साल जनवरी में न्यूयौर्क गए थे. जहां से, मई में भाजपा के दुबारा सत्ता में आने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बधाई दी. जेटली ने अपने राजनीतिक मौकों के लिए आभार जताया और स्वास्थ्य कारणों से नई सरकार में किसी भी नई जिम्मेदारी को ना लेने की गुजारिश की.

एम्स की प्रवक्ता आरती विज ने मीडिया के लिए जारी प्रेस रिलीज में बताया कि अरुण जेटली ने शनिवार को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली. एम्स में उनसे मिलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी पहुचें थे.

अरुण जेटली का सफर:

28 दिसम्बर 1952 को जन्में अरुण जेटली का राजनीतिक सफर 1974 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान शुरू हुआ. जब देश में कांग्रेस सरकार के नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन औफ इंडिया का बोलबाला भारत के हर छोटे बड़े कौलेजों में था. अरुण जेटली ने दिल्ली विश्वविद्यालय में भाजपा के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से छात्र नेता और छात्र अध्यक्ष का चुनाव जीता. उसके बाद 1975 से लेकर 1977 तक जब देश में इमरजेंसी लागू हुआ तब जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इंदिरा गांधी के विरोध प्रदर्शन के दौरान जेटली को 9 माह का कारावास भी हुआ. जिसके बाद उनसे प्रभावित होकर जयप्रकाश नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र एवं युवा संगठन समिति का संयोजक बना दिया. जेल में सजा के समय जेटली ने मानवीय मूल को समझने के लिए ढेरों किताबें पढ़ डाली. जिससे उनके व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ा.

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