पुलवामा आतंकी हमले में मारे गये 40 जवानों की चिताएं अभी ठंडी भी नहीं पड़ीं, उनके परिजनों के आंसू अभी थमे भी नहीं कि मजदूर दिवस 1 मई के रोज महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सलियों ने ब्लास्ट करके सी-60 के 15 कमांडोज और एक ड्राइवर को मौत की नींद सुला दिया. नक्सलियों ने घात लगा कर कमांडोज को ले जा रही बस को आईईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया. करखुड़ा से छह किलोमीटर दूर कोरची मार्ग पर लेंदारी पुल पर यह हमला हुआ. इससे पहले रात में ही नक्सलियों ने यहां एक सड़क निर्माण कम्पनी के करीब 30 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. वाहनों को जलाने के बाद सुरक्षाकर्मियों की गश्त जरूर होगी, इसी साजिश के तहत वाहनों को जलाया गया था. नक्सलियों ने सटीक योजना बनायी थी. वाहनों के जलने की खबर सुनते ही कमांडोज का एक जत्था रवाना कर दिया गया. पहले 60 कमांडोज का जत्था भेजा जाना था, मगर पहली गाड़ी में सिर्फ 15 ही गये और नक्सलियों की आसान सी साजिश का शिकार होकर अपनी जानें गंवा बैठे.

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यूपीए सरकार हो, या मोदी सरकार, नक्सली समस्या पर नकेल कसने में दोनों ही नाकाम रहे हैं. नक्सली लगातार हमारे जवानों की सामूहिक हत्याएं कर रहे हैं, उनके वाहनों को ब्लास्ट में उड़ा रहे हैं, उनके हथियार लूट रहे हैं और शासन-प्रशासन इन्हें काबू कर पाने में अक्षम है. नक्सलियों के झुंड एक राज्य से दूसरे राज्य में आसानी से मय हथियारों के आवागमन करते हैं, अनेक ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों पर वे कब्जा जमाये बैठे हैं, उनका खुफिया तन्त्र सरकार के खुफिया तन्त्र से ज्यादा मजबूत है, यही वजह है कि किसी भी वारदात के पहले और बाद में उनका कोई सुराग नहीं मिलता है. सच कहें तो नक्सलियों के मामले में हमारी पूरी इंटेलिजेंस फेल हो चुकी है. गढ़चिरौली की घटना देखिए. एक क्षेत्र में सैकड़ों नक्सली अत्याधुनिक हथियारों और खतरनाक विस्फोटकों के साथ इकट्ठा हो जाते हैं, वह पुलिस और सेना की रेकी कर लेते हैं, उनके आवागमन के रास्तों पर बकायदा बारूदी सुरंगे बिछा देते हैं, पुलिस के वाहन को ब्लास्ट करके उड़ा देते हैं, 15 जवानों को मौत की नींद सुला कर आसानी से निकल जाते हैं और लोकल इंटेलिजेंस और पुलिस लकीर पीटती रह जाती है. हमारी एजेंसियां उनकी सरल साजिशों तक को नहीं भेद पाती हैं और हर आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री सहित सरकार के तमाम नुमांइदे एक सुर में बयान जारी करते हैं - ‘घटना के जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.’ इतिश्री.

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