लोकसभा चुनाव की पूरी प्रक्रिया बेहद लंबी है. लगभग 2 महीने तक चुनाव का कामकाज चल रहा है. बहुत सारे सरकारी विभागों में कामकाज ठप्प है. सरकारी कर्मचारी चुनावी ड्यूटी पर है. यहा तक की पुलिस विभाग में भी बहुत सारे केस पेडिंग है. पुलिस चुनावी ड्यूटी में लगी है. सबसे खराब हालत पोलिंग बूथ पर ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों की होती है. इनको अपने घर से दूर गांव-गांव ऐसी जगहों पर जाना होता है जहां रहने खाने तक की कोई व्यवस्था नहीं होती है. किसी जानपहचान वाले के घर रूकना या फिर मतदान स्थल पर रात गुजारनी पड़ती है.इस दौरान वह अपने घर परिवार के संपर्क से भी दूर रहते है. ड्यूटी के समय उनको अपने फोन तक के प्रयोग की अनुमति नही होती है. सबसे अधिक परेशानी शिक्षा विभाग में काम करने वाली शिक्षिकाओं की है. इनमें से तमाम के छोटे बच्चे है. एकल परिवार में रहने के कारण वह बच्चों को छोड़ नहीं सकती और ड्यूटी के समय साथ भी नहीं रख सकती.

सांसत में छोटे भाजपा नेता

इनकी ड्यूटी जब गांव देहात के एरिया में लग जाती है तो उसको संभालना मुश्किल हो जाता है. मतदान वाले दिन की ड्यूटी ज्यादा कठिन होती है. सुबह 5 बजे मतदान स्थल पर पहुंचना पड़ता है. इसके लिये रात भर का सफर करना पड़ता है. मतदान खत्म होने के बाद भी उनको छुटटी तब मिलती है जब मतपेटी जमा हो जाती है और सारे कागजात का मिलान हो जाता है. बहुत सारे मतदान स्थल गांव के सरकारी स्कूलों में होते है. जहां आज भी महिलाओं के लिये साफ सुथरे शौचालय नहीं है. स्कूल में एक ही शौचालय होता भी है तो उसका प्रयोग करने वालों की संख्या बढ जाती है. शौचालय को साफ करने वाले नहीं होते है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...