जम्मू कश्मीर में धारा 144 लागू करके और महबूबा मुफ्ती व उमर अब्दुल्ला समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं को नजरबंद करने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने आखिरकार कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म करने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश कर दिया है, जिस पर सदन में भारी हंगामा व्याप्त है. कई नेता अपने कुर्ते फाड़ कर धरने पर बैठ गए हैं.

धारा 370 के खात्मे पर विपक्ष के नेता सरकार पर पिले पड़े हैं. कांग्रेस, टीएमसी और पीडीपी राज्यससभा में इसका जम कर  विरोध कर रही हैं. प्रदेश को विशेषाधिकार देने वाले इस अनुच्छेद के विभिन्न खंडों को खत्म करने का प्रस्ताव संसद में पेश होने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला दिन बताया है. महबूबा मुफ्ती ने अमित शाह द्वारा संसद में प्रस्ताव पेश करने के तुरंत बाद ट्वीट करते हुए कहा, 'आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन है. आज 1947 की तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा 'टू नेशन थ्योरी' को रिजेक्ट करने का फैसला गलत साबित हुआ है. सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है.'

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वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि जिस आर्टिकल 370 के द्वारा हमने हिंदुस्तान को जम्मू-कश्मीर दिया, आज उसी संविधान की मोदी सरकार ने धज्जियां उड़ा दीं. उन्होंने कहा कि धारा 370 ऐतिहासिक है. महाराजा हरि सिंह द्वारा 27 अक्टूबर, 1947 को इंस्ट्रूमेंट औफ एक्सेशन औफ जम्मू एंड कश्मीर साइन किया गया जबकि धारा 370 सन 1949 में आई. जम्मू-कश्मीर के भारत से जुड़ने के दो साल बाद. यह सत्य नहीं है कि जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ धारा 370 ने जोड़ा है. जिस आर्टिकल 370 के द्वारा हमने हिंदुस्तान को जम्मू-कश्मीर दिया, आज उसी संविधान की मोदी सरकार ने धज्जियां उड़ा दीं.

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