एक शूर्पनखा थी लेकिन वैसी कुरूप और वीभत्स नहीं थी जैसी कि भक्तों के दिलोदिमाग में बैठा दी गई है बल्कि वह एक निहायत ही खूबसूरत स्त्री थी. शूर्पनखा की नाक कटने का प्रसंग हर कोई जानता है कि उसे लक्ष्मण ने काटा था. शूर्पनखा एक स्वतंत्र माहौल में पली बढ़ी युवती थी. राक्षस कुल में आर्यों जैसी बन्दिशें औरतों पर नहीं थीं और न ही वे ब्राह्मणों और ऋषि मुनियों के इशारे पर नाचने वाली जाति के थे. उनमें व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का बड़ा महत्व था ठीक वैसा ही जैसा आज यूरोप के लोगों में दिखता है. बहरहाल शूर्पनखा वनवासी भाइयों राम और लक्ष्मण पर रीझ गई और उसने बेहद विनम्रता से उनसे प्रणय निवेदन कर डाला.

इन दोनों को पूरा हक था कि वे उसका प्रस्ताव ठुकरा देते लेकिन इन शूरवीर क्षत्रियों ने उसकी नाक ही काट डाली. सुनसान जंगल में एक अबला की नाक काट डालना दो पुरुषों के लिए कोई बहादुरी बाला या मुश्किल काम नहीं था और इन आर्य पुत्रों ने ऐसा ही किया. इसके बाद की रामायण भी हर कोई जानता है.

राम और लक्ष्मण को जो पर पीड़ा सुख मिला था वही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित करोड़ों हिन्दुओ को मिल रहा है कि देखो पिछले श्रावण सोमवार तीन तलाक कानून बनाया था और इस सोमवार तो कश्मीर समस्या हमेशा के लिए सुल्टा या सुलझा दी. इसमें देश का और हिंदुओं का कोई भला नहीं है. हां कश्मीर के मुसलमान जरूर अब तमाम दुश्वारियों से घिरने वाले हैं ठीक वैसे ही जैसे बस्तर के आदिवासी सालों से घिरे हुये हैं उनके एक तरफ सेना है तो दूसरी तरफ नक्सली हैं, जो उन्हें न तो उन्हें सुकून से जीने देते हैं और न ही चैन से मरने देते हैं.

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