बंगलादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना का तख्ता वहां की जनता ने पलट दिया है. बताया जा रहा है कि शेख हसीना भारत में शरण ले चुकी हैं. मगर सवाल अब गहरा गया है कि बंगलादेश का अब क्या होगा?
https://www.instagram.com/reel/C-S8_Z8Rmcy/?utm_source=ig_web_copy_link&igsh=MzRlODBiNWFlZA==
कहते हैं न, बुरे का बुरा ही अंत होता है. बंगलादेश में तानाशाही का राज देखते ही देखते खत्म हो गया. बगावत का आगाज हुआ तो सैन्यशक्ति भी साथ छोड़ कर अलग हो गई औरप्रधानमंत्री को सिर्फ 45 मिनट का समय देश को छोड़ने के लिए दे दिया गया. यहां तक कि एक प्रधानमंत्री होने के बाद भी शेख हसीना देश को संबोधित नहीं कर पाईं.
शेख हसीना ने लोकतंत्र को जिस तरह खत्म कर के अपना वर्चस्व कायम किया था उस का हश्र यही होना था. हाल ही में बंगलादेश में आमचुनाव संपन्न हुए जिस में विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया और बिना विपक्ष, शेख हसीना प्रधानमंत्री बन गई थीं. दूसरी तरफ भारत ने जिस तरह शेख हसीना को मेहमान बनाया है वह नरेंद्र मोदी सरकार की कूटनीतिक विफलता की एक नजीर है. जिसे इतिहास कभी माफ नहीं करेगा क्योंकि शेख हसीना को लोकतंत्र की प्रहरी नहीं कहा जा सकता. उन का चरित्र एक तानाशाह का था.
आइए देखते हैं शेख हसीना के राजनीतिक उतारचढ़ाव को. बंगलादेश में लगातार चौथी बार और अब तक 5वीं बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुईं शेख हसीना को उन के समर्थक 'आयरन लेडी' के रूप में याद करते हैं. लेकिन अब उन के 17 साल के शासन व अंतिम कार्यकाल की तानाशाही का अंत हो गया है.
शेख हसीना ने एक समय सैन्यशासित बंगलादेश में स्थिरता प्रदान की थी. लेकिन आगे वे उसी रास्ते पर चल पड़ीं और एक 'निरंकुश’ नेता बन कर शासन चलाने लगीं. शेख हसीना (76 वर्ष) किसी देश में सब से लंबे समय तक शासन करने वाली दुनिया की कुछ महिलाओं में से एक हैं.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन