देश की राजनीति में कांग्रेसी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जरूरत इस लिए नहीं है कि वह बड़े राजनीतिक घराने से आते हैं. कांग्रेस इसलिए जरूरी है क्योंकि आरएसएस के मुकाबले वह ही सब से बड़ा संगठन है. आरएसएस समाज के लोगों से नहीं मंदिरों के जरिए चलती है. कांग्रेस कभी भी लोगों के निजी जीवन में दखल नहीं देती है. आरएसएस का दखल मंदिरों के जरिए लोगों के निजी जीवन तक होता है. मंदिर में बैठा पुजारी तय करने लगा है कि लोग किस दिन कौन सा त्यौहार मनाएं. किस तरह का खाना किस दिन खाएं और कौन सा कपड़ा कब पहने? आरएसएस की सोच का मुकाबला कांग्रेस ही कर सकती है इसलिए कांग्रेस जरूरी है.
कांग्रेस के लिए जरूरी यह है कि वह अपने सहयोगी दलों का साथ दे. समाजवादी पार्टी, नैशनल कांफ्रेंस, आम आदमी पार्टी, टीएमसी और दूसरे सहयोगी दल तब इंडिया गठबंधन में अपने लिए अलग राज्यों में सीटें मांगते हैं तो उन का उद्देश्य यह होता है कि वह खुद को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल कर सके. दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने गुजरात के विधानसभा चुनाव में लड़ने से आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है. शरद पवार की नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कम्युनिस्ट पार्टी औफ इंडिया (सीपीआई) का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म हो गया.
कैसे मिलता है राष्ट्रीय दल का दर्जा
केंद्रीय चुनाव आयोग का नियम 1968 कहता है कि किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उस से ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है. इस के साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम 6 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं. इस के अलावा उस पार्टी के कम से कम 4 उम्मीदवार किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं. वह पार्टी कम से कम 4 राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर ले. इस के साथ ही साथ वह पार्टी लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटें जीत जाए. वह जीते हुए उम्मीदवार 3 राज्यों से होने चाहिए. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद राजनीतिक दलों को कई लाभ और अधिकार मिल जाते हैं.