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पहला विद्रोही: भाग 1- अनुपम ने आश्रम से दूर क्या देखा?

आकाश काले मेघों से आच्छादित था. चौथे पहर तक अंधकार सा छाने लगा था, परंतु वर्षा नहीं हो रही थी. सूर्यदर्शन कई दिनों से नहीं हुआ था. वन हरियाली से लहलहा रहे थे. कई दिन से हो रही घनघोर वर्षा कुछ ही समय पहले थमी थी.

कुमार पृषघ्र अपने आश्रम से दूर एक पहाड़ी चट्टान पर बैठा प्रकृति के इस अनुपम रूप का आनंद ले रहा था. तभी कहीं से एक पुष्पगुच्छ आ कर कुमार के चरणों के पास गिरा. चकित भाव से उसे उठा कर उस ने चारों ओर दृष्टिपात किया, लेकिन कहीं कोई दिखाई नहीं दिया. ऐसा अकसर होता रहता था. जब भी वह संध्या समय एकांत में प्रकृति की गोद में बैठता, कहीं से पुष्पगुच्छ आ कर उस के शरीर का स्पर्श करता. कई प्रयास करने पर भी वह नहीं जान पाया कि पुष्पगुच्छ कहां से, कौन फेंकता है. किंतु आज यह रहस्य स्वत: ही खुल गया.

कुछ क्षणों के अंतराल से एक नारी कंठ की चीख सुनाई दी. कुमार उसी दिशा में तेजी से अग्रसर हुआ. कुछ ही दूरी पर एक नारी छाया धरती पर बैठी दिखाई दी. पीड़ा की छटपटाहट और रुदन स्पष्ट सुनाई दे रहा था.

‘‘कौन हो तुम? क्या हुआ?’’ निकट जा कर कुमार पृषघ्र ने कोमल स्वर में पूछा. अंधकार की वजह से चेहरा स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था.

प्रश्न सुन कर, अपना कष्ट भूल कर वह एकाएक खड़ी हो गई, करबद्ध, नतमस्तक.

‘‘कौन हो? यहां इस निपट अंधकार में क्या कर रही थीं?’’

लेकिन उत्तर देने की अपेक्षा स्त्री ने पीठ मोड़ कर चेहरा छिपा लिया, किंतु प्रस्थान का प्रयास नहीं किया.

‘‘यह तुम्हीं ने फेंका था?’’ कुमार ने अपने हाथ के पुष्पगुच्छ को उस की ओर बढ़ाते हुए पूछा.

उस ने अपना चेहरा कुमार की ओर मोड़ा और तभी भयंकर गड़गड़ाहट के साथ आकाश में बिजली चमकी, जिस से सारा वनप्रदेश क्षण भर के लिए प्रकाशित हो गया. कुमार पृषघ्र ने तरुणी को क्षण भर में ही पहचान लिया.

‘‘तुम…तुम ही मुझ पर पुष्पगुच्छ फेंकती रही हो, गुर्णवी?’’ कुमार के स्वर में आश्चर्य था.

‘‘जी हां…किंतु क्षमा करें, देव, अब से ऐसा नहीं होगा.’’

‘‘लेकिन क्यों? क्या सहज परिहास के लिए? इस का परिणाम जानती हो?’’

‘‘अपराध क्षमा करें, कुमार, अब ऐसा नहीं होगा,’’ उस ने पुन: करबद्ध, नतमस्तक हो उत्तर दिया.

तभी आकाश में पुन: बिजली चमकी. कुमार ने अब देखा, गुर्णवी पसीने से तर क्षीणलता सी कांप रही है. बालों की वेणी और हाथों के गजरे उन्हीं पुष्पों के थे जिन्हें उस ने पुष्पगुच्छ के रूप में कुमार पर फेंका था. भय और रुदन की हिचकियों से उस का संपूर्ण शरीर रहरह कर थरथरा रहा था. वन विचरण के समय अकसर दोनों की भेंट हो जाया करती थी, अत: अपरिचित नहीं थे.

‘‘वह तो ठीक है कि अब ऐसा नहीं होगा, पर अब तक क्यों होता रहा, यह तो बताओ?’’ पृषघ्र के गौरवर्णी चेहरे पर एक रहस्यमयी मुसकान दौड़ गई, जिसे अंधकार में गुर्णवी न देख सकी.

‘‘क्षमा करें, देव… मैं…’’

‘‘क्या तुम मुझे चाहने लगी हो? क्या यह सब अभिसार की अभिलाषा से कर रही थीं?’’ कोमल स्वर में कुमार ने पूछा.

‘‘हां…नहीं…नहीं,’’ वह हड़बड़ा कर बोली.

तभी भयंकर गर्जना के साथ फिर बिजली चमकी. कुमार ने देखा, गुर्णवी के दोनों हाथ रक्तरंजित हो रहे थे. करबद्ध होने से रक्त बह कर कुहनियों तक आ गया था.

‘‘तुम तो घायल हो,’’ कहते हुए पृषघ्र ने उस के दोनों हाथों को अलग कर हथेलियां देखने का प्रयास किया.

‘‘मुझे छुएं नहीं, कुमार, मैं…मैं शूद्र कन्या हूं,’’ कहते हुए उस ने पीछे हटने का प्रयास किया.

‘‘यह समय इन बातों का नहीं है, तुम्हें सहायता और औषधि की आवश्यकता है. चलो, तुम्हें तुम्हारे आवास तक पहुंचा दूं.’’

‘‘मैं धीरेधीरे चली जाऊंगी. पैर में बड़ा शूल लगा है और मोच भी है, धीरेधीरे जाना होगा. किसी ने आप को मुझे छूते हुए देख लिया तो संकट होगा. आप पर विपत्ति आ जाएगी. आप पधारें,’’ गुर्णवी ने निवेदन किया.

‘‘ओह,’’ पृषघ्र बोला, ‘‘वह सब छोड़ो, मेरे पास आओ,’’ कहते हुए पृषघ्र ने उसे उठा कर अपने बलिष्ठ कंधों पर डाल लिया और चल पड़ा.

गुर्णवी ने कोई विशेष विरोध भी नहीं किया.

उस के आवास तक पहुंचतेपहुंचते दोनों वर्षा की बौछारों में स्नान कर चुके थे. कुटिया काफी बड़ी थी. गुर्णवी दूसरी ओर वस्त्र बदलने चली गई. कुमार पृषघ्र पुन: बाहर आ कर खड़ा हो गया.

‘‘पधारें, कुमार,’’ गुर्णवी ने कुछ देर बाद भीतर से कहा. उस ने जैसेतैसे अग्नि प्रज्ज्वलित कर ली थी.

कुटिया में प्रवेश कर कुमार ने अग्नि के मंद प्रकाश में गुर्णवी के सौंदर्य को देखा और अभिभूत हो गया. भरी देहयष्टि, कटि प्रदेश को चूमती सघन केशराशि, बड़ेबड़े काले नेत्र और राजमहल के शिखर सा गर्वोन्मत्त वक्ष प्रदेश. कुमार पृषघ्र निर्निमेष उसे देखता ही रह गया.

गुर्णवी शूद्र जाति की यौवना थी. प्रकृति ने उसे सजानेसंवारने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी, प्रकृति की वह अनुपम कृति थी. उस दिन के बाद कुमार पृषघ्र उस से अकसर मिलने लगा.

‘‘इस प्रकार की भेंट का परिणाम जानते हैं, कुमार?’’ एक सांझ उस ने कुमार पृषघ्र से पूछा.

‘‘क्या तुम भयभीत हो?’’ कुमार ने गुर्णवी के झील से गहरे नेत्रों में झांकते हुए पूछा.

‘‘मुझे कोई भय नहीं है,’’ वह बोली, ‘‘अधिक से अधिक क्या होगा… मेरा वध न? आप को पा कर जितना जीवन मिलेगा वह मेरे कई जन्मों की थाती होगी. न मेरे मातापिता हैं, न भाईबंधु. सबकुछ अल्पायु में ही खो चुकी हूं. इन वनों ने ही मुझे पालपोस कर बड़ा किया है. मैं तो केवल आप के लिए चिंतित हूं,’’ उस के मुखमंडल पर गहन दुख और चिंता का भाव तैर गया.

‘‘ऐसा क्यों सोचती हो, गुर्णवी? जीवन के प्रति सदैव आशावान रहना सीखो.’’

‘‘हमारी व्यवस्था ही ऐसी है. यह जो वर्ण व्यवस्था है, हमारे ऋषियों ने कुछ सोच कर ही बनाई होगी. हमारे मिलन को कभी मान्यता नहीं मिलेगी. मैं…मैं…आप को पा कर भी नहीं पा सकूंगी,’’ कहते हुए गुर्णवी का स्वर भारी हो गया और बड़ेबड़े नेत्रों से 2 मोती टपक पड़े.

‘‘ऐसा नहीं होगा, तुम्हारे प्रेम के प्रतिदान में मैं तुम्हें अपने साथ प्रतिष्ठित करूंगा. तुम विश्वास रखो,’’ पृषघ्र ने दृढ़ स्वर में कहा.

‘‘मेरे लिए यही प्रतिदान पर्याप्त है कि आप ने मेरे प्रेम को स्वीकार किया. ऋषियों द्वारा स्थापित इन कठोर नियमों और परंपराओं को तोड़ना सरल नहीं है, कुमार. परंपराओं और नियमों की चट्टानों से हम सिर फोड़तेफोड़ते मृत्युपर्यंत विजयी नहीं हो सकेंगे. आप अपना शिक्षण पूर्ण कर राजगृह को लौट जाएंगे और यह गुर्णवी यथावत ‘गुर्णवी’ ही रह जाएगी.’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं होगा. मैं शक्ति के बल पर इस सनातनी व्यवस्था को बदल दूंगा.’’

‘‘मैं जानती हूं कुमार, आप जैसा क्षत्रिय वीर दूरदूर तक नहीं है. आप की तलवार की गति मैं ने देखी है. आप के धनुष की टंकार भी सुनी है और बाणों को आप की आज्ञा के प्रतिकूल जाते कभी नहीं पाया. आप केवल आप ही हैं परंतु केवल शस्त्रों से तो समाज नहीं बदल सकता. मुझे लगता है, हम दोनों को एकदूसरे तक पहुंचने में हजारों वर्ष लगेंगे.’’

‘‘तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है या चुनौती दे रही हो?’’ गंभीर स्वर में पृषघ्र ने पूछा.

जहांगीरपुरी: उच्चतम न्यायालय की “आंख” देख रही हैं

देश की राजधानी के एक इलाके जहांगीरपुरी में जो कुछ हुआ और देश की उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लेने के बाद आदेश की जिस तरह जानबूझकर अवहेलना हुई है, वह यह संकेत दे रहा है कि देश मैं सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

ऐसा संभवतः भाजपा शासनकाल में पहली दफा हुआ है जब जनता के जुड़े मुद्दे पर राजधानी दिल्ली में नगर निगम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अनदेखा करके अपने अवैध काम को अंजाम दिया गया है. यह कार्यवाही कई सवाल खड़े करती है और सोचने पर मजबूर करती है कि यह सारे हालात बता रहे हैं कि देश किस दिशा में जा रहा है.

जहांगीरपुरी मसले पर सुप्रीम कोर्ट और घटनाक्रम पर सब  तथ्य देश के समक्ष रख रहे हैं जिसका जवाब केंद्र में बैठी हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार को देना चाहिए और उच्चतम न्यायालय को भी चिंतन करना चाहिए.

सवाल पहला-

नगर निगम प्रशासन दिल्ली अखिर ‘किसके दम’ पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी, बुलडोजर चलाता रहा.

सवाल दूसरा-

जहांगीरपुरी में बिना पूर्व सूचना के अवैध निर्माण हटाने की हिमाकत आखिर कौन कर रहा है.

सवाल तीसरा

क्या बुलडोजर जानबूझकर के नहीं चलाया गया? जबकि सारे देश में उच्चतम न्यायालय के तोड़ फोड़ रोकने के आदेश की जानकारी जंगल में आग की तरह फैल चुकी थी.

सवाल चौथा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जब वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा यह जानकारी दी गई की आदेश के बावजूद बुलडोजर नहीं रुके हैं उस समय क्या देश की न्याय व्यवस्था को गहरा आघात लगा .

सवाल पांचवां

और भी बहुतेरे सवाल और चिंतन आपके लिए छोड़ते हुए एक महत्वपूर्ण बात यह – आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जहांगीरपुरी मामले पर सुनवाई होनी है, देखना यह है कि क्या गुल खिलते हैं.

यह आपातकाल है क्या

कहते हैं,देश में जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था उस समय   संजय गांधी के नेतृत्व में जामा मस्जिद के आसपास का अवैध निर्माण हटवाया गया था जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है.

देश के हालात भी आज कुछ ऐसे ही विचित्र बनते जा रहे हैं जब संवैधानिक संस्थाओं की सत्ता में बैठी हुई हनक सुनना नहीं चाहती.

दरअसल,उत्तर-पश्चिम दिल्ली में शोभायात्रा के दौरान हिंसा के कुछ दिनों बाद भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत जहांगीरपुरी में 20 अप्रेल 2022 को बुलडोजरों के द्वारा अनेक निर्माणों को तोड़ दिया गया.

इस  तोड़फोड़़ के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक याचिका पर संज्ञान लेने के बाद उच्चतम न्यायालय को अभियान को रुकवाने के लिए दो दफा हस्तक्षेप करना पड़ा.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्वाह्न में मकानों को गिराए जाने के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल  थे.

पीठ ने उसी दिन  उस समय फिर हस्तक्षेप किया जब उसे बताया गया कि अधिकारी इस आधार पर कार्रवाई नहीं रोक रहे हैं कि उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. तब प्रधान न्यायाधीश रमण को अपनी अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिए  कि जहांगीरपुरी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तरफ से चलाए जा रहे अवैध निर्माण को तोड़ने के अभियान के बारे में अदालती आदेश की सूचना निगम के महापौर, आयुक्त और दिल्ली पुलिस के आयुक्त को तत्काल दी जाए.

उलझी हुई पहेली, जो सुलझ गई: भाग 3

‘‘बेटा, हम को माफ कर देना, हम ने आप पर शक किया.’’ नव्या की मां उस से बोली. मुकुल ने धीरे से मुसकरा के सिर हिलाया. तब तक उस की मां चायपानी ले आई थी. कुछ दिन बीत गए. राघव ने विमल से सच जानने के लिए पूरा जोर लगा रखा था लेकिन वह यही दोहराता रहता कि वो निर्दोष है. उस के वकील के आ जाने से अब उस पर सख्ती करना भी मुश्किल लग रहा था.

एक रोज राघव थाने में बैठे मोबाइल पर यों ही दोस्तों की पोस्ट्स देख रहे थे कि तभी उन की साली का फोन आया.

‘‘जीजू, मैं ने जिस लड़के के बारे में बताया था आप को, उस के साथ मेरी वीडियो सेल्फी देखी आप ने? आज ही अपलोड की मैं ने.’’

राघव झल्लाए, लेकिन उस से जान छुड़ाने के लिए उस का प्रोफाइल पेज खोला. जैसे ही उन्होंने उस की सेल्फी देखी. उस की बैकग्राउंड पर नजर जाते ही मानो वे उछल पड़े.

यहां मुकुल के घर नए रिश्ते वाले आए थे. लड़की का पिता बोल रहा था.

‘‘चलिए, जो हुआ सो हुआ आप के साथ. अब एक नई जिंदगी शुरू कीजिए.’’

तभी एक मजबूत आवाज गूंजी ‘जिंदगी भी क्याक्या दिखा देती है भाईसाहब.’ सब ने आवाज की दिशा में देखा. इंसपेक्टर राघव मुसकराते हुए खडे़ थे. अचानक उन्हें यहां पा कर सभी चौंक उठे. मुकुल ने पूछा.

‘‘विमल ने अपना जुर्म कबूल लिया क्या सर?’’

‘‘उसी सिलसिले में बात करने आया हूं.’’ राघव ने मुसकराते हुए कहा. मुकुल के पिता ने एक प्लेट उन की ओर बढ़ाई, ‘‘जी जरूर, लीजिए मुंह मीठा कीजिए आप भी.’’

‘‘धन्यवाद,’’ राघव ने विनम्रता से मना कर दिया और बोले.

‘‘देखिए मुकुलजी, मैं ने बहुत कोशिश की लेकिन विमल ने अपना जुर्म कबूल नहीं किया.’’

‘‘तो अब क्या होगा?’’ मुकुल के चेहरे पर दुविधा के भाव साफ दिखने लगे. राघव आगे बोले, ‘‘होगा वही जो होना है. मैं ने अभीअभी अपनी साली की भेजी हुई एक वीडियो सेल्फी देखी, संयोगवश ये उसी दिन की है, जिस दिन नव्या का खून हुआ था.’’

‘‘तो? उस से इस केस का क्या लेना?’’ इस बार मुकुल की मां बोल पड़ी.

‘‘जी वही बता रहा हूं.’’ राघव ने कहा, ‘‘वो सेल्फी उस ने अपने पुरुष दोस्त के साथ मल्लिका स्टोर के सामने खड़ी हो कर बनाई थी और मजे की बात ये कि पीछे का एक बेहद जरूरी दृश्य उस में अनायास ही कैद हो गया.’’

‘‘कैसा दृश्य?’’ मुकुल ने पूछा.

‘‘सुनिए तो…’’ राघव ने फिर कहा, ‘‘मेरी तब तक की पूरी जांच के अनुसार ये समय वही था जब नव्या औफिस से घर लौट रही थी और विमल उस की गाड़ी से उतर चुका था. एक आदमी ने मल्लिका स्टोर के सामने नव्या की कार रुकवाई और उस में बैठ गया. कहने की जरूरत नहीं कि उसी आदमी का संग नव्या के लिए कातिल साबित हुआ.’’

‘‘कौन था वो आदमी?’’ मुकुल को देखने आए लड़की के पिता ने उत्सुकता से पूछा.

मिल गया हत्यारा, जिस ने बलात्कार भी कराया ‘‘वो आदमी…’’ राघव के इतना कहतेकहते मुकुल बिजली की तेजी से उठा और दरवाजे की ओर भागा. राघव चिल्लाए, ‘‘पकड़ो इस को जल्दी.’’

सिपाहियों ने मुकुल को दबोच लिया. वो छटपटाने लगा. सब लोग हैरान थे. मुकुल खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था लेकिन राघव के जोरदार पुलिसिया थप्पड़ ने उसे दिन में तारे दिखा दिए. वह सोफे पर गिर पड़ा और सिसकते हुए कहने लगा, ‘‘हां, मैं ने उस शाम मोटरसाइकिल से नव्या का पीछा किया क्योंकि वो अगले दिन वकील को बुला कर मुझ पर तलाक के लिए दबाव डलवाने वाली थी. इसी कारण उस ने औफिस से भी छुट्टी ले ली थी.’’

सभी हैरानी से उस की बातें सुन रहे थे. वो कहता गया, ‘‘हालांकि मैं ने सोचा था कि एक बार फिर प्यार से उसे समझाऊंगा, लेकिन जब मैं ने उसे विमल के साथ संबंध बनाते देख लिया तो मेरा शक यकीन में बदल गया. मैं ने उस से पहले ही मल्लिका स्टोर के सामने पहुंच उस की कार रुकवाई और कहा कि मेरी बाइक खराब हो गई है. उस ने अनमने भाव से मुझे अंदर बिठाया. जब वो कुछ सामान लेने उतरी तो इसी बीच मैं ने अपने साथ लाई नींद की गोलियां उस की कोल्डड्रिंक की बोतल में मिला दीं, जो उस ने विमल के साथ आधी ही पी थी.’’

‘‘लेकिन उस के साथ सामूहिक बलात्कार किन से कराया तुम ने?’’ राघव को अभी तक इस सवाल का उत्तर नहीं मिल सका था. मुकुल बोला, ‘‘मैं अपने घरेलू तनाव में डूबा एक दिन उसी जंगल में बैठा था. मैं ने देखा कि कुछ नशेड़ी वहां गप्पें मारते हैं, वे रोज वहां उसी जगह आते. मैं ने उस शाम नव्या के बेहोश जिस्म को वहीं रख दिया और उन का इंतजार करने लगा. जब वे वहां आए तो मैं ने पत्थर मार के उन का ध्यान नव्या की ओर दिला दिया, वे नशे की हालत में उस पर टूट पडे़…’’

‘‘और तुम ने सोचा कि ये मामला बलात्कार और हत्या का मान लिया जाएगा.’’ राघव ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, ‘‘तभी मैं कहूं कि ऐसा हत्या का केस मैं ने पहले कभी कैसे नहीं देखा. वे नशेड़ी बलात्कार कर वहां से भाग गए और दुबारा नहीं लौटे. वैसे हम उन को भी ढूंढ निकालेंगे. मानता हूं कि नव्या ने तुम्हारे साथ गलत किया लेकिन हत्या तो हत्या है. तुम्हें सजा मिलेगी ही.’’

राघव के चेहरे पर विश्वास साफ झलक रहा था. वे मुकुल को गिरफ्तार कर वहां से चल पड़े.

झटका- भाग 1: उस औरत से विवेक का क्या संबंध था

संगीता का हाथ पकड़ कर अजीब से अंदाज में मुसकरा रही अंजलि बहुमंजिली इमारत में प्रवेश कर गई. अपने फ्लैट का दरवाजा निशा ने खोला था. उस के बेहद सुंदर, मुसकराते चेहरे पर दृष्टि डालते ही संगीता के मन को तेज धक्का लगा.

विवेक को औफिस के लिए निकले 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि मोबाइल की घंटी बज उठी. उस की पत्नी संगीता ने बड़े थकेहारे अंदाज में फोन उठाया.

उस की हैलो के जवाब में किसी स्त्री ने तेजतर्रार आवाज में कहा, ‘‘विवेक है क्या? फोन नहीं उठा रहा.’’

‘‘आप कौन बोल रही हैं?’’ उस स्त्री की चुभती आवाज ने संगीता की उदासी को चीर कर उस की आवाज में नापसंदगी के भाव पैदा कर दिए.

‘‘तुम संगीता हो न?’’

‘‘हां, और आप?’’

‘‘मोटी भैंस, ज्यादा पूछताछ करने की आदत बंद कर,’’ उस स्त्री ने उसे डांट दिया.

‘‘इस तरह बदतमीजी से मेरे साथ बात करने का तुम्हें क्या अधिकार है?’’ मारे गुस्से के संगीता की आवाज कांप उठी.

‘‘मु?ो अधिकार प्राप्त हैं क्योंकि मैं विवेक के दिल की रानी हूं,’’ वह किलसाने वाले अंदाज में हंसी.

‘‘शटअप,’’ संगीता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.

‘‘यू शटअप, मोटो,’’ एक बार वह फिर दिल जलाती हंसी हंसी और फिर फोन काट दिया.

‘‘बेवकूफ, पागल औरत,’’ बहुत परेशान और गुस्से में नजर आ रही संगीता ने जोर की आवाज के साथ फोन साइड में रखा.

‘‘भाभी, किस से ?ागड़ा कर रही हो?’’ संगीता की ननद अंजलि ने पीछे से सवाल पूछा तो संगीता की आंखों में एकाएक आंसू उमड़ आए.

अंजलि ने संगीता को कंधों से पकड़ा तो वह अपने ऊपर से पूरा नियंत्रण खो रोने लगी.

उसे सोफे पर बिठाने के बाद अंजलि उस के लिए पानी लाई. संगीता का रोना सुन कर उस के सासससुर भी बैठक में आ पहुंचे.

वे सब बड़ी मुश्किल से संगीता को चुप करा पाए. बारबार अटकते हुए फिर संगीता ने उन्हें फोन पर उस बददिमाग स्त्री से हुए वार्त्तालाप का ब्योरा दिया.

‘‘अगर विवेक ने इस औरत के साथ कोई गलत चक्कर चला रखा होगा तो मैं अपनी जान दे दूंगी,’’ संगीता फिर से रोंआसी हो उठी.

‘‘मेरा बेटा ऐसी गलत हरकत नहीं कर सकता,’’ विवेक की मां आरती ने अपने बेटे के प्रति विश्वास व्यक्त किया.

‘‘भाभी, बिना सुबूत ऐसी बातों पर विश्वास कर अपने को परेशान मत करो,’’ अंजलि ने कोमल स्वर में उसे सलाह दी.

‘‘उस गधे ने अगर कोई ऐसी गलत हरकत करने की मूर्खता की तो मैं लूंगा उस की खबर,’’ उस के ससुर कैलाशजी फौरन अपनी बहू के पक्ष में हो गए.

‘‘पापा, बिना आग के धुआं नहीं होता. वह लड़की बड़े कौन्फिडैंस से खुद को उन की प्रेमिका बता रही थी.’’

‘‘संगीता बेटा, तुम रोओ मत. हम जांच करेंगे पूरे मामले की.’’

‘‘मैं समय की मारी औरत हूं. पहले मैं ने अपना बच्चा खो दिया और अब उन्हें भी किसी ने मु?ा से छीन लिया है,’’ इस बार संगीता अपनी सास की छाती से लग कर सुबकने लगी.

काफी समय लगा उन तीनों को उसे सम?ानेबु?ाने में. फिर संगीता की कुछ देर को आंख लग गई और वे तीनों धीमी आवाज में इस नई समस्या पर विचारविमर्श करने लगे.

पिछले 2 महीनों से संगीता की बिगड़ी मानसिक स्थिति उन सभी के लिए चिंता का कारण बनी हुई थी.

करीब 6 महीने तक गर्भवती रहने के बाद संगीता ने अपने बच्चे को खो दिया था. काफी कोशिशों के बावजूद डाक्टर गर्भपात होने को रोक नहीं पाए थे. कोविड की वजह से डाक्टर के पास न जाने के कारण उस ने कुछ लापरवाही भी बरती थी. 2 महीने भी पूरे नहीं हुए थे, उस ने तब ही विवाहित जीवन के आरंभिक समय को मौजमस्ती का हवाला दे कर गर्भपात कराने की इच्छा जताई थी. वह इतनी जल्दी मां नहीं बनना चाहती थी.

विवेक ने फौरन उस की इच्छा का जबरदस्त विरोध किया. दोनों के बीच इस विषय पर काफी तकरार भी हुई.

विवेक और उस के मातापिता दकियानूसी किस्म के थे और अभी भी गंडों व धागों में भरोसा रखते थे. वे बाबा की कृपा मानते थे उस बच्चे को. बड़े अनमने से अंदाज में संगीता बच्चे को अपनी कोख में रखने को तैयार हुई. शायद ज्यादा खुश न होने से उस की तबीयत कुछ ज्यादा ही ढीली रहती. उस की एक्सपोर्ट कंपनी की नौकरी भी छूट गई इस वजह से.

डाक्टर की देखभाल के बावजूद जब गर्भपात हो गया तो संगीता जबरदस्त अपराधबोध और गहरी उदासी का शिकार हो गई.

‘मैं ने अपने बच्चे को जन्म देने से पहले ही अस्वीकार कर दिया, पहाड़ी वाले बाबा ने मु?ो इसी बात की सजा दी है. अच्छी औरत नहीं हूं…’ ऐसी बातें मुंह से बारबार निकाल कर संगीता गहरे डिप्रैशन का शिकार हो गई. उन का परिवार हमेशा से गांव में रहा था और वहीं का रहनसहन अब भी अपनाए हुए था.

किसी के सम?ाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. रोने या मौन आंसू बहाने के अलावा वह कुछ न करती. दोबारा से नौकरी शुरू करने में उस ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाईर् थी. घर में पैसे की थोड़ी दिक्कत भी हो गई थी.

वह खाना तो बेमन से खाती पर उस की खुराक बढ़ गई. इस कारण उस का वजन तेजी से बढ़ा.

फोन पर उस स्त्री ने उसे मोटी भैंस कहा तो ये शब्द संगीता के दिल को तेज धक्का लगा गए.

नींद टूटने के बाद वह यंत्रचालित सी उठी और रसोई के पास लगे शीशे के सामने जा खड़ी हुई.

काफी लंबे समय के बाद उस दिन संगीता ने खुद को ध्यान से देखा. सचमुच ही उस का शरीर फूल कर बेडौल हो गया था. चेहरे का नूर पूरी तरह गायब था. आंखों के नीचे काले निशान भयानक से लग रहे थे. वह जानती थी कि उस की मां व दादियां इसी तरह की लगती थीं क्योंकि वे धूप में रहती थीं और गांव की गप्पों में समय काटा करती थीं.

अपनी बदहाली देख कर एक बार उसे धक्का लगा पर फिर उदासी के बादलों में घिर कर वह आंसू बहाने लगी.

‘‘मु?ो जीना नहीं चाहिए… जिंदगी बहुत भारी बो?ा बन गई है मेरे लिए,’’ ऐसा निराशाजनक, खतरनाक विचार पहली बार उस के मन में उठा और वह अपनी बेबसी पर रो पड़ी.

उस शाम विवेक की फैक्ट्री से लौटते ही शामत आ गई. अपने मातापिता व बहन के हाथों उसे गहन पूछताछ का शिकार बनना पड़ा. वे तीनों गुस्से में थे और बिना किसी ठोस सुबूत के ही उसे अवैध प्रेमसंबंध स्थापित करने का दोषी मान रहे थे.

आखिरकार वह बुरी तरह से चिढ़ कर चिल्ला उठा, ‘‘बेकार में मेरे पीछे मत पड़ो. मेरा किसी औरत से कोई गलत संबंध नहीं  है. मेरी चिंता किसी को नहीं है पर इस कारण मैं अपने चरित्र पर धब्बा नहीं लगा रहा हूं.’’ आखिरी वाक्य बोलते हुए विवेक ने संगीता को गुस्से से घूरा और फिर पैर पटकता शयनकक्ष में चला गया.

उस के यों फट पड़ने के कारण संगीता अचानक अपने को समय की मारी सम?ाने लगी. उसे एहसास हुआ कि सचमुच वह अपने मर्द का खयाल न रखने की दोषी थी. अपना मोटा शरीर इस पल उसे खुद को बड़ा खराब और शर्मिंदगी पैदा करने वाला लगा.

आरती और कैलाशजी ने अपने बेटे को निर्दोष मान लिया और कुछ देर संगीता को सम?ा कर अपने कमरे में चले गए.

रात में सोने के समय तक विवेक का मूड खराब बना रहा. अपने को असुरक्षित व परेशान महसूस कर रही संगीता उस से लिपट कर लेटी पर उस ने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त न की.

‘‘आप मु?ा से नाराज हो?’’ अपनी उपेक्षा से दुखी हो कर संगीता ने सवाल पूछा.

विवेक ने कोई जवाब नहीं दिया तो संगीता ने फिर से अपना सवाल दोहराया.

‘‘मैं नाराज क्यों नहीं होऊंगा?’’ विवेक एकदम से चिढ़ उठा, ‘‘सब घरवालों को मेरे पीछे डाल कर तुम्हें क्या मिला?’’

‘‘उस औरत की बातें सुन कर मैं बहुत परेशान हो गई थी,’’ संगीता ने सफाई दी.

‘‘कोई औरत तुम से फोन पर क्या कहती है, उस के लिए मैं जिम्मेदार नहीं.’’

‘‘मु?ा से गलती हो गई,’’ संगीता रोंआसी हो गई.

‘‘तुम अपनेआप को संभालो, संगीता. बड़े ढीलेढाले अंदाज में जिंदगी जी रही हो तुम. अगर जल्दी अपने में बदलाव नहीं लाईं तो बीमार पड़ जाओगी एक दिन.’’

विवेक की आंखों में अपने लिए गहरी चिंता के भाव देख कर संगीता के मन ने अजीब सी शांति महसूस की.

‘‘आप गुस्सा थूक दो, प्लीज,’’ संगीता उस की आंखों में ?ांकते हुए सहमे से अंदाज में मुसकराई.

विवेक ने उसे प्यार के साथ अपनी छाती से लगा लिया. मन ही मन अपनी जिंदगी को फिर से सही राह पर लाने का संकल्प ले कर संगीता जल्दी ही गहरी नींद में खो गई.

सचमुच अगले दिन से ही संगीता अपनी दिनचर्या में बदलाव लाई. वह जल्दी उठी. विवेक के लिए नाश्ता भी उसी ने तैयार किया. जल्दी नहा कर तैयार भी हुई. आदत न होने के कारण थक गई पर फिर भी उस ने कुछ देर व्यायाम किया.

उस के इन प्रयासों को उस के सास, ससुर व अंजलि ने नोट भी किया.

संगीता खुद को काफी एनर्जी से भरा व खुश महसूस कर रही थी. लेकिन फिर उसी औरत का फोन दोपहर को आया और वह फिर से तनावग्रस्त हो गई.

‘‘तुम विवेक को आजाद कर दो, संगीता,’’ उसी स्त्री ने बिना भूमिका बांधे अपनी मांग उसे बता दी.

‘‘क्यों?’’ अपने गुस्से को काबू में रखते हुए संगीता ने एक शब्द का सवाल पूछा.

‘‘क्योंकि वह मेरे साथ खुश रहेगा.’’

‘‘तुम्हें यह गलतफहमी क्यों है कि वह मेरे साथ खुश नहीं है?’’

‘‘यह विवेक ही मु?ा से रोज कहता है, मैडम. तुम उस की जिंदगी में ऐसा बो?ा बन गई हो जिसे वह आगे बिलकुल नहीं ढोना चाहता.’’

‘‘कहां मिलती हो तुम उस से? कौन हो तुम?’’

पहले वह स्त्री खुल कर हंसी और फिर व्यंग्यभरे लहजे में बोली, ‘‘मोटो, मेरे बारे में पूछताछ न ही करो तो बेहतर होगा. जिस दिन मैं तुम्हारे सामने आ गई, उस दिन शर्म के मारे जमीन में गड़ जाओगी तुम मेरी शानदार पर्सनैलिटी देख कर.’’

‘‘पर्सनैलिटी का तो मु?ो पता नहीं पर तुम्हारे घटियापन के बारे में अंदाजा लगाना मेरे लिए मुश्किल नहीं है.’’

संगीता का चुभता स्वर उस स्त्री को क्रोधित कर गया, ‘‘मेरे चालचलन पर उंगली मत उठाओ क्योंकि विवेक मु?ो तुम से हजार गुणा ज्यादा चाहता है.’’

‘‘पागल औरत, ऐसे बेकार के सपने देखना बंद कर दो.’’

‘‘मोटी भैंस, सचाई का सामना करो और मेरे विवेक को आजाद कर दो.’’

‘‘विवेक का तुम से कोई संबंध नहीं है.’’

‘‘अच्छा,’’ वह गुस्से से भरी आवाज में बोली, ‘‘उस का मु?ा से क्या संबंध है, इस की खबर आज शाम उस के कपड़ों से आ रही मेरे बदन की महक तुम्हें देगी.’’

Summer Special: गर्मी में पौधों का विशेष ध्यान रखेंगे ये गैजेट्स

गर्मियों में घर में लगे पेड़-पौधों का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है. अब कुछ ऐसे स्मार्ट प्लांटर (गमले) ऑनलाइन उपलब्ध हो गए हैं, जो तय समय पर खुद ही पौधों को पानी दे सकेंगे.

इतना ही नहीं, इनमें ऐसे डिजाइन भी उपलब्ध हुए हैं, जिससे आप इनका घर की सजावट के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

कुछ ऐसे स्मार्ट गैजेट्स जो गर्मी में आपके पेड़-पौधों का विशेष ध्यान रखेंगे.

1. प्लांटी

यह एक इंटरनेट से जुड़ा पॉट (गमले) है. स्मार्टफोन ऐप से आप गमले में पानी की स्थिति, तापमान, रोशनी आदि का स्तर जान सकेंगे. अगर आपने ज्यादा धूप में पौधों को रखा है तो आपको प्लांटी की ऐप पर सूचना मिल जाएगी. इसमें आप पानी भी स्टोर कर सकते हैं. केवल ऐप के विकल्प से पौधों को कभी भी पानी दे सकते हैं.

कीमत- 5,123 रुपए

2. रेनी पॉट

कोरिया की एक कंपनी ने घरों में सजावट के लिए “रेनी पॉट” बनाया है. इसमें ऊपर की ओर एक बादल बना है, जिसके जरिए आपको पौधों में पानी डालना होता है. इसमें आप पानी भरकर रख सकते हैं. इसके बाद इसमें से धीरे-धीरे पौधों पर पानी गिरता रहेगा. पानी खत्म होने पर ऐप पर सूचना भी मिल सकती है. इसे दीवारों पर भी लगाया जा सकता है. यह कई रंगों में उपलब्ध है.

कीमत- 1,037 रुपए

3. प्लांट सेंसर

चीन की एक कंपनी कोबाची ने पौधों के लिए खास वाई-फाई सेंसर बनाया है. यह केवल वाई-फाई पर काम करता है. आपको केवल इसे गमलों से जोड़कर रखना होगा. इसके बाद यह अपने आप पौधे की स्थिति का विश्लेषण कर पानी, पौधे की स्थिति और मिट्टी तक की जानकारी दे देगा.

कीमत- 6,420 रुपए

4. स्मार्ट पॉट और एयर प्यूरीफायर

क्लैरी कंपनी ने एक ऐसा स्मार्ट पॉट बनाया है, जो न केवल गमले का बल्कि घर में एयर प्यूरीफायर का भी काम करेगा. इसके स्मार्टफोन ऐप से आप घर में प्रदूषण व वायु गुणवत्ता की भी जांच कर सकते हैं. इसके ऊपरी हिस्से में गमला है जिसमें आप घर की सुंदरता बढ़ाने के लिए कोई भी पौधा लगा सकते हैं.

कीमत- करीब 9 हजार रुपए

5. आईग्रो हर्बल किट

आईग्रो कंपनी ने घरों के अंदर पौधों को लगाने के लिए एक “एलईडी हर्बल किट” बनाई है. इसमें लाल, नीले और सफेद रंग की एलईडी लाइट्स हैं जो तय समय के लिए पौधों को रोशनी देती है. इस किट के साथ में छह अलग प्रकार के पौधे भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप लगा सकते हैं.

कीमत- 20 हजार रुपए से शुरू

अनुपमा के अमेरिका जाने पर लोगों ने उठाई उंगली तो मोटी बा ने दिया ये जवाब

‘अनुपमा’ (Anupamaa) के प्रीक्वल यानी ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa Namaste America) जल्द ही हॉट स्टार पर रिलीज होने वाला है. अनुपमा के जीवन में 17 साल पहले क्या हुआ था, अब आप इस कहानी को 25 अप्रैल से डिज्नी प्लस हॉट स्टार पर देख सकते हैं. ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ का प्रोमो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. हाल ही में एक प्रोमो सामने आया है, जिसमें मोटी बा लोगों को करारा जवाब देती नजर आ रही है.

हाल ही में ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa Namaste America) का एक प्रोमो भी रिलीज हुआ है, जिसने आते ही धमाल मचाकर रख दिया है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि बा, अनुपमा के साथ सब्जी लेने जाती हैं. तभी एक आदमी वहां आकर मोटी बा से कहता है कि अनुपमा को ऐसे डांस सिखाने के लिए बाहर भेजना सही नहीं है.

 

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इस बात पर मोटी बा उन्हें जवाब देती हैं कि उनकी सोच गिरी हुई है. प्रोमो से साफ पता चलता है कि मोटी बा अपनी बहू के सपने को पूरा करने के किसी से भी लड़ जाएंगी.

 

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‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa Namaste America) का एक प्रोमो सामने आया था.जिसमें दिखाया गया था कि  अनुपमा’ को अमेरिका जाने को लेकर तरह-तरह बात करती दिख रही है. एक महिला कहती नजर आ रही है कि अनुपमा अमेरिका चली जाएगी तो बच्चों को कौन संभालेगा.

 

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ऐसे में मोटी बा ने रिएक्ट किया और कहा कि मां के साथ-साथ बाप को भी बच्चों को देखने की जिम्मेदारी होती है. वह आगे कहती है कि अनुपमा के साथ साथ वनराज की भी कुछ जिम्मेदारियां है. अनुपमा के प्रीक्वल में सरिता जोशी का मोटी बा का किरदार निभा रही है.  ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ के प्रोमो ने आते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है.

दूसरे बच्चों का मजाक उड़ाने की बात सपने में भी न सोचे: शरद केलकर

टीवी से फिल्मों तक शरद केलकर की यात्रा काफी रोचक रही है. लोग उनके अभिनय की तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं मगर लोगों को पता नहीं होगा कि उन्हे पहले टीवी सीरियल से शूटिंग के पहले ही दिन हकलाने का आरोप लगाकर निकाल दिया गया था मगर शरद केलकर ने अपने हकलाने की बीमारी से छुटकारा पाया. फिर कई यादगार किरदार निभाए. वक्त वह भी आया जब फिल्म बाहुबली में प्रभास के किरदार को आवाज देने के लिए शरद केलकर को बुलाया गया. 22 अप्रैल को मोरल पुलिसिंग पर आधारित फिल्म ऑपरेशन रोमियो में वह एक बार फिर खलनायक के किरदार में हैं.

प्रस्तुत है शरद केलकर से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश

Sharad_Kelkar

आपके सत्रह वर्ष के कैरियर के टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?

पहला टर्निंग प्वाइंट्स तो यही था कि मुझे एक सीरियल से महज इसलिए निकाल दिया गया था कि मैं हकलाता था तो इस टर्निंग प्वाइंट्स के चलते मेरी समझ में आया था कि जब मैं हकलाना बंद करुंगा. तभी काम कर पाउंगा. कहीं न कहीं वह रिजेक्शन मेरे लिए बहुत बड़ा टर्निंगं प्वाइंट और सीख थी कि मुझे इस कैरियर को गंभीरता से लेना होगा. यह कोई फन नही है. इसके बाद मैंने एक सीरियल सात फेरे किया था. इस सीरियल के किरदार नाहर सिंह से मुझे काफी शोहरत मिली थी. इसके बाद जब मैंने संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म रामलीला गोलियों की रास लीला में कांजी का किरदार निभाकर बतौर कलाकार एक बहुत बड़ी पहचान मिली. लोगों ने माना कि शरद केलकर बेहतरीन कलाकार हैं. फिर एक टर्निंग प्वाइंट ऐसा आया जब सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष के लोगों ने मेरे काम की तारीफ की. मैं एस. राजामौली निर्देशित फिल्म बाहुबली की बात कर रहा हूं जिसमें मैंने प्रभास के लिए डबिंग की थी. उसके बाद मुझे फिल्म तान्हाजी में छत्रपती शिवाजी महाराज का किरदार निभाने को मिला. मेरे लिए यह गर्व की बात है सिर्फ महाराष्ट्यिन या मराठी ही नहीं बल्कि किसी भी भारतीय के लिए छत्रपती शिवाजी महाराज का किरदार निभाना गर्व की ही बात होगी. ऐसा मौका जिंदगी में बहुत कम लोगो को मिलता है. मुझे यह अवसर मिला जिसके लिए मैं बहुत खुश हूं. इससे भी बड़ी बात यह है कि लोगों ने स्वीकार किया. कैरियर के अलावा कीर्ति गायकवाड़ के साथ मेरी शादी और मेरी बेटी का जन्मण्कीर्ति गायकवाड़ से बेहतर जीवन संगिनी मिल नहीं सकती थी. बेटी ने जन्म लेते ही मुझे बहुत बदला. उसके बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी. यह वह घटनाएं हैं,जिन्होंने एक इंसान व एक कलाकार के तौर पर मुझे काफी बदला.

लोग कहते हैं कि कलाकार जिस किरदार को निभाता है. उसका उसकी जिंदगी पर असर पड़ता है. क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है?

बिलकुल यह बात सही है, हर किरदार से हर इंसान की जिंदगी पर असर पड़ता है. वह कुछ न कुछ उससे सीखता है. अब वह क्या सीखता है अथवा अपने अंदर क्या समेटता है. वह बहुत मायने रखता है. कई बार हम नगेटिव शेड वाले किरदार निभाते हैं पर जरुरी नहीं कि हम नगेटीविटी को अपनाएं. उससे हम यह सीखते हैं कि हमें जीवन में क्या नहीं करना चाहिए. यदि हम नगेटीविटी की बात सोच रहे हैं. तो हमें याद आता है कि फलां फिल्म में हमने फलां किरदार निभाया था. वह किरदार इस तरह से सोचता था, जो कि गलत है तो हम सावधान हो जाते हैं. और हम गलत राह पर जाने से खुद को रोक लेते हैं. देखिए किसी भी सोच या विचार को कितना बढ़ावा देना है. यह आपके हाथ में होता है तो बिलकुल हम हर किरदार से कुछ सीखते हैंण्मुझे लगता है और मेरी पत्नी भी कहती हैं कि मैं अभिनय करते हुए एक इंसान व एक कलाकार के तौर पर ग्रो हुआ हूं तो कहीं न कहीं कलाकार व किरदार एक साथ चलते हैं. जब दोंनो एक साथ यात्रा करते हैं तो एक दूसरे से सीखते रहते हैं. कई बार हम अपने निजी जीवन की कुछ बातें किरदार में पिरोते हैं तो किरदार की कुछ बातें अपनी निजी जिंदगी में डालते हैं विकास के लिए यह एक मिला जुला प्रयास होता है. इन दिनों सभी लोग मुझे शांत देखते हैं पर कभी मैं बहुत ही ज्यादा गुस्सैल हुआ करता था कभी मैं एंग्रीयंग मैन था.

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आपने बताया कि हकलाने के चलते आपको एक सीरियल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था पर इससे छुटकारा पाने के लिए आपने ऐसा क्या किया कि फिर आपको दूसरे कलाकार को अपनी आवाज देने के लिए बुलाया गया.

इसके कई पहलू हैं. सबसे पहले तो मैं हर इंसान से बार बार निवेदन करता हूं कि जो लोग हकलाते हैं या तुतलाते हैं उनका मजाक न बनाएं मेरा बहुत मजाक उड़ा था. मैं नहीं चाहता कि किसी अन्य का मजाक उड़ाया जाए. दूसरी चीज यह भी एक ऐसी बीमारी है. जिसका इलाज संभव है. अगर आप खुद उस पर ध्यान दे. मुझे कई लोगों ने कई तरह के उपाय बताएं. किसी ने कहा कि मुंह में पेंसिल डालकर बोलेए वगैरह वगैरह. मैं यह नहीं कहता कि मैं पूरी तरह से ठीक हो गया हूं. मैं अभी भी 95 प्रतिशत ही ठीक हुआ हूं. अभी भी पांच प्रतिशत हकलाता हूं. लेकिन इतना ठीक होने में समय लगा. बहुत सोचा लोगों को आब्जर्व किया. फिर मेरी समझ में आया कि हकलाहट की वजह मनोवैज्ञानिक नहीं बल्कि शारीरिक है. मेरे हकलाने की वजह सांस लेने का तरीका बहुत गलत था. उदाहरण के लिए आप दो सौ मीटर की दौड़ तेजी से लगाकर आओ. फिर एक वाक्य सही ढंग से बोल कर दिखाएं. आप नही बोल पाएंगे या आपकी सांस नहीं आएगी. यही हकलाहट में होता है. सांस नहीं आती है यीनी कि सांस एक रिदम में नहीं है मैंने फिल्में देखकर ही खुद को ठीक किया. अमिताभ बच्चन से ज्यादा अच्छा सांस लेने का तरीका किसी भी कलाकार का नहीं है. शत्रुघ्न सिंहा जी है तो मैंने ब्रीदिंग तकनीक पर काम किया. योगा किया. प्राणायाम किया. अगर आप यह सब करते है तो सांस लेने के तरीके की वजह से हकलाहट है तो वह दूर हो जाएगी.

जब आपको प्रभास को आपकी आवाज देने के लिए बुलाया गया तो कैसा महसूस हुआ?

बहुत अच्छा लगा. जिस चीज के लिए आपको रिजेक्ट किया गया हो जिस वजह से आपको कई बार अपमानित होना पड़ा हो, ताने पड़े हों फिर वही लोग जब आपको उसी आवाज के लिए बुलाते हैं तो एक अलग तरह की खुशी होती हैं पर मेरी सोच यह है कि मैंने जो सोचा वह मैने किया. मैंने लोगों को साबित किया कि वह गलत थे. पर मैं इसमें उनकी गलती भी नहीं मानता पर मैं यही चाहता हूं कि जो लोग मेरा मजाक उड़ाते थे. वह अब मुझे देखकर दूसरे बच्चों का मजाक उड़ाने की बात सपने में भी न सोचे जब मैंने प्रभास के लिए डबिंग की और उसकी फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की तो मुझे बहुत खुशी मिली. देखिए नब्बे प्रतिशत काम तो उसका है कि उसने उस किरदार को निभाया मगर दस प्रतिशत योगदान मेरा है लोग मुझे जानने लगे दर्शक मेरी प्रशंसा करें. इससे अधिक मुझे कुछ नही चाहिए. दर्शकों के बिना हम कलाकार शून्य हैं.

Sharad_Kelkar

आप एक बार फिर फिल्म ऑपरेशन रोमियो में खलनायक की भूमिका में नजर आएंगे?

जी हां! यह है तो खलनायक मगर मेरा दावा है कि मैंने इस तरह का किरदार अब तक नहीं निभाया है मेरे लिए इसका किरदार मंगेष जाधव अब तक के सबसे असहज लेकिन यथार्थवादी किरदारों में से एक रहा. इससे अधिक बताना संभव नहीं.

वैसे आप मुझे पिछले कुछ वर्षों से एकदम अलग तरह के किरदार में देख चुके हैं पर ऑपरेशन रोमियो का किरदार अनूठा है फिल्म में मेरा किरदार मगेश जाधव वास्तविक जीवन में मेरे जैसा नहीं है और मुझमें इस तरह के कोई रंग नहीं हैं. मैं एक बेटी का पिता हूं. मैं एक भावुक इंसान हूं. यह फिल्म एक सत्य घटनाक्रम पर आधारित है. इसकी जानकारी होते हुए भी इसकी शूटिंग के दौरान मेरे मन में बार बार सवाल उठ रहा था कि क्या ऐसा इंसान हो सकता है? फिल्म की कहानी के केंद्र में नैतिक पुलिसिंग है.   इसे देखते हुए लोग अहसास करेंगे कि कभी उनके साथ या उनके किसी जानने वाले के साथ ऐसा हो चुका है.

नैतिक पुलिसिंग की घटनाओं के बढ़ने की वजहें क्या हो सकती है?

मुझे लगता है कि कहीं न कहीं वीडियो रिकॉर्डिंग, अर्धसत्य का प्रक्षेपण और सोशल मीडिया पर सब कुछ डालने से लोगों की छवि खतरे में पड़ जाती है. मसलन, गले लगाना भी अभिवादन का एक तरीका है और यह एक सामाजिक इशारा है लेकिन हमने देखा है कि जब एक लड़का और लड़की एक.दूसरे को सामाजिक रूप से गले लगाते हैं, और उस तस्वीर को संदर्भ से हटकर सोशल मीडिया पर डालते हुए हैं. आसानी से इसकी एक कहानी बनाते हैं. मगर इस तसवीर से यह पता नहीं चलता कि यह शादी के पहले की है या शादी के बाद की.

देवयानी का धक्का मार प्यार

सौजन्य: मनोहर कहानियां

लेखक- शाहनवाज

भाजपा नेत्री सुधारानी की बेटी देवयानी पति को छोड़ कर अपने प्रेमी शिबू के साथ लिवइन रिलेशन में रह रही थी. फिर वह शिबू के दोस्त कार्तिक चौहान के संपर्क में आ गई.

19फरवरी, 2022 की रात के करीब 10 बज रहे थे. दक्षिणपूर्वी दिल्ली के अंबेडकर नगर थाने में हर दिन की तरह सभी पुलिसकर्मी अपनेअपने काम में व्यस्त थे. कुछ पुलिसकर्मी डेली रुटीन की तरह इलाके में गश्त पर निकले थे, कुछ थाने में अपनी पहले की पेंडिंग रिपोर्ट को पूरा कर रहे थे, कुछ रात का डिनर कर के आराम कर रहे थे. लेकिन उसी समय थाने में फोन की घंटी बजी. वेलकम डेस्क पर बैठी महिला पुलिसकर्मी ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘हैलो, अंबेडकर नगर थाना. बताइए.’’

फोन पर दूसरी तरफ से एक लड़की ने हांफते हुए स्वर में कहा, ‘‘मैडम, जल्दी मेरे घर पर आ जाइए. मेरी मदद कीजिए. 2 बदमाश मेरे घर में घुस आए. उन्होंने मेरी मां का गला ब्लेड से चीर मार दिया है. मैडम जल्दी मदद कीजिए.’’

उस लड़की की आवाज में डर और घबराहट को साफ महसूस किया जा सकता था. यह सब बताते हुए वह लगातार रोए जा रही थी. यह सुन कर महिला पुलिसकर्मी ने तुरंत हरकत करते हुए लड़की से जरूरी डिटेल्स मांगी.

वह बोली, ‘‘मुझे अपना नाम और घर का पता बताओ. हम जल्दी से टीम को आप के घर पर भेजते हैं. हौसला रखो. हम जल्द ही आप के घर पर पहुंचेंगे.’’

दूसरी तरफ से लड़की ने फफकफफक कर रोते हुए महिला पुलिसकर्मी को जवाब दिया, ‘‘मेरा नाम देवयानी है. घर का पता, बीएच 82, मदनगीर है. आप जल्दी से घर पर आ जाइए. मुझे बहुत डर लग रहा है.’’

फोन पर देवयानी का हौसला बंधा कर महिला पुलिसकर्मी ने काल डिसकनेक्ट की और तुरंत मामले की जानकारी थानाप्रभारी मुकेश कुमार को दी.

थानाप्रभारी मुकेश कुमार ने तुरंत ही थाने में मौजूद एक टीम जिस में इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) बहादुर सिंह गुलिया, एसआई अवधेश दीक्षित और अन्य पुलिसकर्मियों को तुरंत मदनगीर में देवयानी के घर भेज दिया.

पुलिस टीम जब देवयानी के घर के पास पहुंची तो देखा कि मकान के बाहर कुछ लोग इकट्ठे हो गए थे. वे शायद अड़ोसपड़ोस के लोग ही रहे होंगे. भीड़ को छांटते हुए पुलिस टीम देवयानी के घर में पहुंची.

खून से लथपथ मिली लाश

अंदर जाते ही सब से पहले पुलिस ने देखा कि कमरे में मौजूद डबल बैड पर एक महिला की लाश पड़ी थी. उस का गला कटा हुआ था, जिस से चादर खून से सनी हुई थी. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह थी कि खून की एक बूंद भी जमीन पर नहीं थी. यहां तक कि जिस बैड पर महिला पड़ी थी, उस की चादर पर भी सिलवटों के बहुत ही कम निशान थे.

कमरे में मौजूद हर सामान अपनी जगह पर था. पुलिस ने देखा कि एक तरफ बैड पर महिला की लाश थी तो दूसरी ओर देवयानी बैड के सहारे जमीन पर बैठ कर लगातार रो रही थी. उसी समय थानाप्रभारी भी वहां पहुंच गए.

पुलिस को कमरे में आते देख देवयानी रोते हुए अपनी जगह से खड़ी हुई और पुलिस के सामने जा कर बोली, ‘‘सर, 2 बदमाश चोरी करने के लिए आए और देखिए उन्होंने मेरी मां के साथ क्या किया. उन्होंने मेरी मां को क्यों मारा. मेरी मां का भला क्या कुसूर था.’’

थानाप्रभारी मुकेश कुमार ने देवयानी की बात सुन कर उसे हौसला रखने को कहा. वह बोले, ‘‘चिंता मत करो, जिस किसी ने भी यह काम किया है, उस तक हम जल्द ही पहुंच जाएंगे और उसे सजा दिलाएंगे. हौसला मत हारो.’’

यह कहते हुए थानाप्रभारी ने अपने साथ मौजूद महिला पुलिसकर्मी को देवयानी को संभालने का इशारा किया और देवयानी का बयान दर्ज करने को कहा. उस के कमरे से बाहर जाते ही थानाप्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों ने मौकाएवारदात पर सबूत और सुराग ढूंढने शुरू कर दिए.

देवयानी ने दर्ज कराए अपने बयान में बताया कि जब बदमाश चोरी के उद्देश्य से कमरे में घुसे थे, तब उन के हाथों में पिस्तौल थी. उस ने यह भी बताया कि जब वे चोरी कर रहे थे, उस समय उस की मां सुधारानी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. जब वह नहीं मानीं तो उन्होंने मां का गला ब्लेड से चीर दिया और घर से जेवरात और जमा कैश ले कर फरार हो गए.

कमरे को देख एक बात तो साफ हो गई थी कि कमरे में किसी तरह के कोई संघर्ष के सुराग नहीं मिले. बैड से अलमारी तक करीब 10 कदमों की दूरी थी. अलमारी के पट खुले हुए थे, जिस में जाहिर है जेवरात और पैसे होंगे.

ऐसे में पुलिस को सब से पहला शक इसी बात पर था कि जब अलमारी और बैड के बीच 10 कदमों की दूरी थी तो सुधारानी की लाश बैड पर क्यों थी? अगर सुधारानी ने चोरी का विरोध किया और उन से संघर्ष किया था तो कमरे में हाथापाई के बिलकुल भी निशान क्यों नहीं मिले?

खून की एक बूंद भी जमीन पर क्यों नहीं मिली और इन सब में सब से बड़ा शक इस बात पर कि जब चोर चोरी के उद्देश्य से आए और उन्होंने अलमारी से जेवरात और कैश चुरा लिया, उस के बाद जब उन्होंने सुधारानी को अपना शिकार बनाया तो सुधारानी के पहने हुए जेवर क्यों नहीं निकाले?

जी हां, बैड पर खून में लथपथ सुधारानी का शव तो पड़ा था लेकिन उन के शरीर पर मौजूद जेवर पुलिस के शक को और भी गहरा बना रहे थे. ऐसे में पुलिस टीम ने देवयानी से फिर से पूछताछ की. पुलिस ने अपने शक को ध्यान में रखते हुए देवयानी से सवालों को घुमाफिरा कर पूछा तो देवयानी का बयान बदल गया.

देवयानी के बयानों से पुलिस को हुआ शक

देवयानी द्वारा पहले दिए गए बयान से जब पुलिस ने दूसरे बयान का मेलमिलाप करने की कोशिश की तो और भी कई सवाल पुलिस के सामने उठ खड़े हुए और देवयानी पुलिस के शक के काले बादलों के बीच घिरी नजर आई.

ऐसे में अगले दिन 20 फरवरी को जब पुलिस ने देवयानी से सख्ती से पूछताछ की तो वह पुलिस पूछताछ के आगे टिक नहीं पाई. उस ने यह कुबूल कर लिया कि उस की मां, सुधारानी की हत्या के पीछे उसी का हाथ है.

यह जान कर पुलिस टीम ने अपना सिर पकड़ लिया. आखिर कोई इंसान अपनी ही मां की हत्या को भला क्यों अंजाम देगा? यह मामला इसलिए भी संगीन हो चला था क्योंकि सुधारानी इलाके में सब से रसूखदार और सम्मानित महिला थी.

सुधारानी दिल्ली में इसी साल नगर निगम चुनावों में अपने इलाके मदनगीर से निगम पार्षद के लिए भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी की दावेदार थी.

सुधारानी का पौलिटिक्स से रिश्ता बहुत पुराना था. उन्होंने साल 2007 में दिल्ली में इसी इलाके से नगर निगम चुनाव के लिए निगम पार्षद के रूप में भाजपा से टिकट हासिल कर चुनाव लड़ा था. हालांकि 2007 के चुनावों में उन्हें कांग्रेस की प्रत्याशी बीना ठाकुरिया के हाथों हार मिली थी, लेकिन उन की अपने क्षेत्र में लोगों के बीच काफी गहरी पैठ थी.

सुधारानी का परिवार भाजपा का हमेशा से समर्थक रहा है. सुधा के पति रामजी लाल भी भाजपा के कट्टर समर्थक और कार्यकर्ता थे. साल 2003 में रामजी लाल को राजनीतिक विरोध के चलते उन्हें उन्हीं के घर के सामने गोलियां मार कर उन की हत्या कर दी गई थी. उस समय सुधारानी के बच्चे, बेटी देवयानी और बेटा विक्रांत उम्र में बहुत छोटे थे.

सुधारानी ने अकेले अपने दोनों बच्चों को खुद के बूते पर पालपोस कर बड़ा किया और उन की शादी करवाई. बेटा विक्रांत शादी के बाद अपने परिवार के साथ मुंबई में रह रहा था. घर में सुधा और देवयानी के साथ सुधा का भाई संजय भी रहता था. जो कभीकभार कुछ दिनों के लिए सुधा के घर रुकने के लिए आ जाया करता था.

देवयानी से पूछताछ में हत्या की वजह आई सामने

देवयानी ने पूछताछ के दौरान मां की हत्या की जो वजह बताई, उसे जान कर हर किसी की आंखें खुली की खुली रह गईं. दरअसल, देवयानी की शादी 5 साल पहले ग्रेटर नोएडा के रहने वाले चेतन से हुई थी. चेतन नोएडा में एक ला फर्म में काम करता है और बहुत ही सम्मानित व्यक्ति है.

चेतन और देवयानी दोनों का 4 साल का एक बेटा भी है. लेकिन करीब 4 साल पहले देवयानी अपने पति चेतन को छोड़ कर शादी से पहले के अपने प्रेमी दक्षिणपुरी निवासी शिबू के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी थी. वह भी बिना तलाक दिए.

देवयानी और शिबू दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे, इसी वजह से देवयानी अपने पति को छोड़ कर शिबू के साथ रहने लगी थी. देवयानी की शादी उस की मरजी के खिलाफ हुई थी. लेकिन उस समय परिवार की स्थिति को देखते हुए उसे इस शादी का विरोध करना उचित नहीं लगा.

चेतन को छोड़ आने की वजह से सुधा देवयानी से बहुत नाराज थी. सुधा उसे पति के पास लौट जाने के लिए समझाया करती, लेकिन सुधा की हर बात देवयानी एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती.

चेतन को छोड़ कुछ समय तक देवयानी अपने प्रेमी शिबू के साथ रही तो सुधारानी से देखा नहीं गया. रसूखदार होने की वजह से सुधारानी की घरगृहस्थी की बातें अड़ोसपड़ोस में फैलने में देर नहीं लगी.

लोगों की नजरों में सुधा के लिए इज्जत देवयानी की वजह से घटने लगी थी. गलीमोहल्ले में हर कोई जो भी सुधा को जानता, वह उस की बेटी के किस्से को भी जान गया था.

सुधारानी मोहल्ले में अपनी साख खोने लगी थी, उसे लगने लगा था कि जैसे उस की बेटी की वजह से उस की इज्जत मिट्टी में मिलती जा रही है.

ऐसे में सुधा ने देवयानी और उस के 4 साल के बच्चे को अपने घर पर बुला लिया. उसे लगा कि अगर उस की बेटी इस तरह से बाहर रहेगी तो उस की नाक इसी तरह से कटती रहेगी. देवयानी को भी अपनी मां के पास रहने में कोई समस्या नहीं लगी.

प्रेमी शिबू के दोस्त कार्तिक से हो गए देवयानी के संबंध

वक्त बीतता गया और देवयानी व शिबू के रिश्तों में गहराइयां बढ़ती गईं. देवयानी मदनगीर में अपनी मां के घर पर कम रुकती और दक्षिणपुरी में शिबू के घर पर ज्यादा. यहां तक कि उस का 4 साल का बेटा भी ज्यादातर शिबू के साथ ही रहता था. शिबू के दोस्तों से भी देवयानी की दोस्ती हो गई.

लेकिन इस कहानी में मोड़ तब आया, जब शिबू का एक दोस्त कार्तिक चौहान की दोस्ती देवयानी से बहुत ज्यादा बढ़ गई. शिबू काम पर जाता तो अकसर कार्तिक देवयानी से मिलने शिबू के घर आताजाता रहता.

कार्तिक अपने मन में देवयानी के लिए भावनाएं पैदा कर चुका था. सिर्फ कार्तिक ही नहीं देवयानी का भी कार्तिक के प्रति झुकाव बढ़ने लगा था. इस बात से शिबू बेखबर था, लेकिन यह बात किसी तरह से सुधा को पता लग गई थी.

सुधारानी को जब पता चला कि देवयानी के रिश्ते अब शिबू के दोस्त कार्तिक से बनने लगे हैं तो उस के मन को गहरा झटका लगा.

उस ने सोचा कि एक तो पहले से ही देवयानी ने अपने पति को छोड़ कर अपने प्रेमी के साथ रह कर उस की इज्जत खाक में मिला रखी है तो वहीं अब कार्तिक से रिश्ते की बात जानने के बाद लोगों के मन में उस के प्रति जो इज्जत बची है, वह भी खत्म हो जाएगी.

सुधा को देवयानी के नए रिश्ते के बारे में पता लगने के बाद उस ने यह तय किया कि वह अपनी बेटी को जल्द से जल्द चेतन के पास लौट जाने के लिए दबाव बनाएगी. सुधा को सिर्फ अपनी इज्जत की ही नहीं पड़ी थी, बल्कि वह अपनी बेटी के भविष्य को सुरक्षित हाथों में सौंपना चाहती थी.

क्योंकि शिबू और उस के सभी दोस्त अंबेडकर नगर इलाके में बदमाशी, चोरीचकारी, लूटपाट जैसे कामों में संलिप्त थे. यह सोचते हुए सुधा ने पहले कुछ समय तक देवयानी को लगभग हर दिन ताने मारने शुरू किए.

जब उसे यह महसूस हुआ कि उस की बेटी उस की बातों को अनसुना कर रही है तो उस ने दबाव बनाने के लिए उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर देने की धमकियां दीं.

संपत्ति से बेदखली की बात से देवयानी के मन में मां के प्रति गुस्सा पैदा हो गया. सिर्फ यही नहीं, सुधा ने देवयानी के खर्चों पर भी रोक लगा दी. सुधा ने उसे पैसे देने बंद कर दिए.

कुछ समय तक देवयानी ने अपने खर्चों के लिए शिबू से पैसे मांगे, लेकिन इस से उस को दिक्कत महसूस होने लगी. देवयानी अपनी मां के तानों से परेशान हो गई थी, जिस के ऊपर संपत्ति से बेदखल करने की धमकी उस की दुखती नब्ज पर हाथ रखने जैसी हो गई.

इस तरह से हत्या को दिया अंजाम

देवयानी अपना जीवन अपने तरीके से जीना चाहती थी और इस में उसे किसी की दखलंदाजी बरदाश्त नहीं थी. देवयानी के मन में शिबू के लिए लगाव समय के साथसाथ कम होता जा रहा था और कार्तिक के लिए बढ़ता जा रहा था. ऐसे में इन सब से परेशान हो कर छुटकारा पाने के लिए देवयानी ने अपनी मां की हत्या का प्लान बनाया.

देवयानी ने अपनी मुसीबतों की जड़ यानी अपनी मां को अपने रास्ते से हटाने के लिए शिबू का नहीं बल्कि कार्तिक का इस्तेमाल किया. उस ने अपने इस प्लान की शिबू को भनक तक नहीं लगने दी. क्योंकि वह अब शिबू के साथ नहीं बल्कि कार्तिक के साथ अपना जीवन बिताना चाहती थी. इसलिए उस ने इस हत्या को अंजाम देने के लिए कार्तिक को तैयार कर लिया था.

15 फरवरी, 2022 के दिन जब कार्तिक देवयानी से मिलने के लिए आया तो देवयानी ने उस से कहा, ‘‘कार्तिक, देखो मैं ने हमारे लिए कुछ प्लान किया है. मैं चाहती हूं कि इस प्लान में तुम मेरा साथ दो. मैं ने शिबू को इस बारे में कानोंकान खबर तक नहीं होने दी है.’’

क्योंकि कार्तिक देवयानी को पसंद करने लगा था इसलिए उस ने उस के प्लान को सुनने से पहले ही उसे हामी भर दी.

हालांकि देवयानी का प्लान सुनने के बाद उसे थोड़ा आश्चर्य जरूर हुआ, लेकिन वह अपने वादे का पक्का था और देवयानी ने उसे भरोसा दिया था कि उस की मां की हत्या के बाद वह शिबू के साथ नहीं, बल्कि उस के साथ अपना जीवन बिताएगी.

देवयानी के प्लान के मुताबिक, कार्तिक ने 19 फरवरी, 2022 की शाम को देवयानी को चाय में नींद की गोलियां दीं. रात को खाना खाने के बाद करीब 9 बजे देवयानी ने अपनी मां सुधा से चाय बनाने के लिए पूछा.

सुधा हर रात खाना खाने के बाद चाय पीती थी तो देवयानी ने अपनी मां और मामा संजय के लिए चाय बनाई, जिस में उस ने नींद की गोलियां मिला दीं.

चाय पीने के बाद सुधा और संजय को नींद आ गई. सुधा अपने कमरे में सो गई तो उस के मामा संजय पहली मंजिल पर सोने के लिए चले गए. उन के सोते ही देवयानी ने फोन कर कार्तिक को हत्या के लिए बुला लिया.

कार्तिक सुधा की हत्या के लिए अपने साथ केमिस्ट की दुकान से सर्जिकल ब्लेड ले कर आया था. कार्तिक के कमरे में घुसते ही देवयानी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और कार्तिक ने बैड पर गहरी नींद में सोई सुधारानी का गला उसी सर्जिकल ब्लेड से रेत दिया, जो वह अपने साथ ले कर आया था. सुधा का गला ब्लेड से काटने के बाद कार्तिक ने वह ब्लेड कमरे की खिड़की से बाहर फेंक दिया.

गहरी नींद में होने की वजह से सुधा की आंखें खुलने से पहले ही अत्यधिक खून बह जाने की वजह से उस के दिल की धड़कनें बंद हो गईं.

ज्यादा वक्त न बरबाद करते हुए देवयानी ने अलमारी से जेवरात और कैश निकाल कर कार्तिक के हाथों थमा दिए, जिसे ले कर वह तुरंत फरार हो गया. इस के बाद मामले को लूटपाट में हुई हत्या दर्शाने के लिए देवयानी ने खुद ही पुलिस को फोन कर यह सब कहानी बनाई. लेकिन वह अंत में खुद ही पकड़ी गई.

पुलिस के सामने अपना जुर्म कुबूल करने के बाद देवयानी की निशानदेही पर पुलिस की टीम ने हत्या में इस्तेमाल हुई सर्जिकल ब्लेड को घर के बाहर गली से बरामद कर लिया. यही नहीं मात्र 24 घंटों के भीतर ही पुलिस ने मामले में दूसरे आरोपी कार्तिक चौहान को गिरफ्तार कर लिया.

हत्यारोपी कार्तिक चौहान और देवयानी को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

सुधारानी हत्याकांड में दोनों मुख्य आरोपी जेल में बंद थे और मामले की तफ्तीश चल रही है. इस मामले में किसी और के शामिल होने के तथ्य पुलिस तलाश रही थी,ताकि कोई और अन्य आरोपी इस मामले में बच न पाए.

उन का प्यार बर्फ में जम गया : भाग 1

जिंदगी में कभीकभी ऐसा घट जाता है, जिस के बारे में  सोचा भी नहीं होता. डेनियल की पत्नी 3 साल पहले ही मर गई थी और वह अकेले ही हैरिस काउंटी में रहते हैं. उन के एक बेटा मेसन अलस्का में जा बसा है. डेनियल की मुलाकात डिवोर्सी लोयला से ग्रोसरी का सामान खरीदते वक्त होती है. वह डेनियल के सामान की डिलीवरी करने उस के घर भी जा चुकी है. लोयला की एक बेटी मार्था है. दोनों बच्चे तो चाहते हैं कि वे दोनों शादी कर लें, पर शादी से पहले ही उन की जिंदगी में भूचाल आ गया.

टेक्सास अमेरिका का एक प्रांत है जो लैंड मास क्षेत्रफल में पहले स्थान पर और आबादी में दूसरे

स्थान पर है. यों तो टेक्सास अमेरिका में अपने गरम मौसम और तेल और गैस के लिए मशहूर है, पर

हाल में कुछ दिनों पहले आई त्रासदी ने इस राज्य की तसवीर ही बदल कर रख दी है. फरवरी के मध्य

में आए भयंकर विंटर स्टार्म, बरसात और बर्फबारी ने लाखों टेक्सासवासियों की जिंदगी तबाह कर दी. उन दिनों टेक्सास मौसम और कोरोना महामारी दोनों की कहर झेलने को मजबूर था.

कोरोना से सब से ज्यादा प्रभावित राज्यों में टेक्सास एक था.

60 वर्षीय डेनियल ह्यूस्टन के पास हैरिस काउंटी में रहता था. उस की पत्नी का देहांत 3 साल पहले हो चुका था. उस का इकलौता बेटा मेसन सुदूर उत्तरपश्चिम प्रांत अलास्का में जा बसा था.

पत्नी के निधन के बाद डेनियल अकेला ही घर में रहता था. उसे दिल की बीमारी थी और साथ में उस के घुटनों में काफी दर्द रहता था, इसलिए वह बाहर बहुत कम जाता था. वैसे भी वह एकांतप्रिय था. वीकेंड में ग्रोसरी स्टोर में काफी भीड़ रहती है, इसलिए सप्ताह के मध्य में ही वह अपनी ग्रोसरी खरीदा करता.

डेनियल जिस स्टोर से अकसर ग्रोसरी खरीदा करता, वहां लोयला नाम की एक औरत काम करती थी, जिसे वह जानता था.

लोयला एक अधेड़ डिवोर्सी थी. लोयला का पति और डेनियल दोनों कुछ वर्ष एक ही कंपनी में काम करते थे. कभी आनाजाना भी होता था. उस का पति डिवोर्स के बाद दूसरे राज्य में चल गया

था. कोरोना महामारी के बाद पिछले कुछ महीनों से उस ने ग्रोसरी स्टोर जाना बंद कर दिया था और अपनी जरूरत की सारी चीजों की होम डिलीवरी करवा रहा था.

अकसर प्रति सप्ताह लोयला ही डेनियल की ग्रोसरी की होम डिलीवरी करती. डेनियल का घर

लोयला के घर के रास्ते में पड़ता था, इसलिए लोयला उस का सामान ड्राप कर अपने घर चली जाती, कभी डेनियल के कहने पर रुक कर कुछ बातें भी कर लेती. इधर पिछले 10 महीनों से दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह जानने लगे थे. दोनों कभी अकेलेपन का दर्द भी बांट लेते. दोनों एकदूसरे को कहते कि जीवन में एक साथी होना चाहिए, पर खुल कर एकदूसरे के साथी बनने की बात नहीं करते. लोयला की बेटी मार्था शादी के बाद एरिजोना प्रांत में सैटल कर गई थी.

अमेरिका में बुजुर्गों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए डेनियल के बेटे मेसन ने भी उसे बाहर जाने से मना कर दिया था.

एक दिन उस ने पिता को कोरोना वायरस के टीके के बारे में फोन कर कहा, “टेक्सास में टीका दिया जा रहा है और आप भी जल्द जा कर टीका ले लें.“

डेनियल ने फोन पर कोविड 19 के टीके के लिए काउंटी हेल्थ में अपना रजिस्ट्रेशन कराया. जनवरी के तीसरे सप्ताह में डेनियल को काउंटी हेल्थ डिपार्टमेंट से कोरोना वायरस का टीका लेने की सूचना मिली. उसे 24 तारीख को वहां जाना था. उस के एक दिन पहले से ही मौसम खराब होने लगा. बारिश और ठंड दोनों बढ़ गई थीं. फिर भी डेनियल ने यथासमय पर जा कर टीके का पहला डोज लिया. उसे तीन सप्ताह बाद आ कर दूसरा डोज लेने को कहा गया.

फरवरी के पहले सप्ताह के अंत में डेनियल अपना वीकली ग्रोसरी खरीदने खुद स्टोर गया. उसे देख कर लोयला बोली, “हाय मिस्टर डेनियल. इस बार आप का होम डिलीवरी का आर्डर नहीं देखा, तो मुझे लगा कि शायद आप शहर से बाहर गए हैं. एनी वे , इट्स नाइस टू सी यू हियर.”

“तुम जानती हो, मैं घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलता हूं. आज मूड आया कि स्टोर रैक से अपनी पसंद की चीजें लूं. तुम लोग दूध, दही, ब्रेड, हनी आदि के जो ब्रांड तुम्हारे जी में आता है भेज देती हो.”

“नो डेनियल. हम लोग हमेशा ग्राहकों की पसंद का खयाल रखते हैं. जब आप लोगों की पहली पसंद स्टाक में नहीं होती तो हम दूसरा निकटतम ब्रांड देते हैं, ताकि आप का काम चल जाए.”

“तुम्हारा कहना भी सही है लोयला, पर कभी हमें भी बाहर निकलने का मन करता है. आज मूड आया तो चला आया, तुम से दो बातें भी हो गईं. आमतौर पर तुम ग्रोसरी कार्टन्स बाहर रख कर डोर बेल बजा कर चली जाती हो. आज तुम्हें देखने को जी चाहा, इसलिए भी आया हूं,” बोल कर डेनियल हंस पड़ा.

लोयला ने भी पलट कर हंसते हुए कहा, “मजाक अच्छा कर लेते हैं डेनियल. वैसे, आप जब भी मुझे याद करें, मैं ग्रोसरी आवर्स के बाद हाजिर हूं आप की सेवा में.”

“अच्छा, अब ये रही मेरी लिस्ट. मुझे हेल्प करो और जल्दी से ये चीजें मेरे कार्ट में रखती जाओ.”

ग्रोसरी पिक कर डेनियल अपने कार्ट के साथ पेमेंट काउंटर पर लाइन में खड़ा हो गया. आम दिनों की अपेक्षा लाइन कुछ लंबी थी. आने वाले दिनों में खराब मौसम का अनुमान था, इसलिए लोग भी ज्यादा थे और सामान भी ज्यादा खरीद रहे थे. तभी अचानक बिजली चली गई. करीब आधे घंटे तक बिजली नहीं आई, तो स्टोर ने अनाउंस किया, “फिलहाल जब तक बिजली नहीं आती, स्टोर

रैक से आप लोग कुछ भी न पिक करें, सेल इज क्लोज्ड. जो अपने सामान के साथ पेमेंट लाइन में लगे हैं, वे बिना पेमेंट किए अपने सामान के साथ जा सकते हैं. स्टोर की तरफ से इन्हें गिफ्ट समझें.“

सभी ग्राहक अपने कार्ट ले कर जल्दीजल्दी पार्किंग की ओर भाग चले. गेट पर लोयला खड़ी थी. डेनियल को देख कर कहा, “गुड लक. आज का आना अच्छा रहा. ग्रोसरी फ्री औफ कोस्ट.”

डेनियल मुसकरा कर अपनी कार की तरफ चल पड़ा.

क्या असल जिंदगी में एक-दूसरे से नफरत करते हैं अनुपमा-वनराज!

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में अनुपमा-अनुज की शादी की तैयारियां चल रही है. तो वहीं वनराज को जलन हो रही है. शो में अनुपमा और वनराज को एक-दूसरे को ताना मारते हुए दिखाया जाता है. अक्सर दोनों को लेकर यह भी खबरे आती है कि वे ऑफस्क्रीन भी एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला.

रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे को लेकर कहा गया था कि दोनों के बीच कोल्ड वॉर जारी है. वनराज ने इन सभी बातों पर चुप्पी तोड़ी है और अनुपमा संग अपनी बॉन्डिंग का भी खुलासा किया है.

 

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रिपोर्ट के अनुसार, सुधांशु पांडे ने एक इंटरव्यू में अनुपमा संग अपनी बॉन्डिंग पर बताया कि मुझे लगता था कि रुपाली के जन्मदिन पार्टी की तस्वीरें वायरल होने के बाद ये सभी अटकलें खत्म हो जाएंगी. सुधांशु पांडे ने आगे कहा कि  मुझे लगा था कि कोल्ड वॉर से जुड़ी ये सभी अफवाहें खत्म हो जाएंगी, क्योंकि हमने पार्टी में साथ में काफी एंजॉय किया था. लोगों ने इंटरनेट पर हमारी तस्वीरें देखी भी थी.

 

सुधांशु पांडे ने इस बारे में बात करते हुए आगे कहा कि  मैं उम्मीद करता हूं कि ये सभी अफवाहें खत्म होगी. क्योंकि इनमें कोई सच्चाई नहीं है.

 

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