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पहला विद्रोही: अनुपम ने आश्रम से दूर क्या देखा?
कुमार उसी दिशा में तेजी से अग्रसर हुआ. कुछ ही दूरी पर एक नारी छाया धरती पर बैठी दिखाई दी. पीड़ा की छटपटाहट और रुदन स्पष्ट सुनाई दे रहा था.
भाग - 1
गुर्णवी को अपने प्रेम में पागल देख पृषघ्र भी उस का दीवाना हो गया. उस ने उस को शूद्रता से मुक्त कर गुणमाला बना दिया. हालांकि वह स्वयं अपनी क्षत्रियता की रक्षा न कर सका और उसे शूद्र होना पड़ा.
भाग - 2
आकाश में बादलों की भयंकर गर्जना के साथ वर्षा वेगवती हो रही थी. ऋषि वसिष्ठ ने उसी दिन से पृषघ्र को गोशाला का कार्य सौंप दिया था.
भाग - 3
ऋषि वसिष्ठ तेज कदमों से गोशाला में पहुंचे. पृषघ्र द्वार पर सिर झुकाए बैठा था. सामने ही मृत गाय कटी पड़ी थी.
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