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मेरी दोस्त की बहन की संगत गलत लड़कों के साथ है, क्या करूं?

सवाल

मेरा एक दोस्त है जिस की बहन मेरे ही कालेज में पढ़ती है. मेरे दोस्त ने मुझ से कहा था कि मैं उस की बहन पर नजर रखूं और उसे अपनी बहन जैसा ही मानूं. मैं ने ऐसा ही किया और मैं अपने दोस्त की बहन को अपनी छोटी बहन जैसा ही समझता हूं. कालेज का नया टर्म शुरू हुआ तो मैं ने जाना कि दोस्त की बहन कुछ बिगड़े हुए लड़कों से दोस्ती रखती है जो सही नहीं है, मैं ने उसे समझाया भी कि वे लड़के सही नहीं हैं लेकिन उस ने मेरी बात नहीं मानी. अब मैं सोच रहा हूं अपने दोस्त यानी उस के भाई को इस बारे में बता दूं पर ऐसा करना सही होगा या नहीं, यह समझ नहीं पा रहा.

जवाब

आप ने एक भाई होने के नाते दोस्त की बहन को समझा दिया, अच्छा किया. लेकिन आप की यह बात कि आप यह बात उस के भाई से भी कहेंगे, सही नहीं है. आप खुद सोचिए वह बालिग है और यह उस की जिंदगी और उस का फैसला है कि वह किस से बात करना चाहती है और किस से नहीं. आप किसी की लाइफ में इतना दखल तो नहीं दे सकते. कम से कम दोस्त चुनना तो हमारी खुद की मरजी होनी चाहिए. आप खुद को उस की जगह  रख कर देखिए तो शायद आप को समझ आए. एक दोस्त या भाई के तौर पर नजर रखने की कोई तुक नहीं बनती, और फिर आप तो जासूसों जैसी बातें कर रहे हैं. वे उस के दोस्त हैं और शायद वह इतना जानतीसमझती तो होगी कि दोस्त किसे बनाना चाहिए.

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क्षोभ: शादी के नाम पर क्यों हुआ नितिन का दिल तार-तार

यह कहना सही नहीं होगा कि नितिन की जिंदगी में खुशी कभी आई ही नहीं. खुशी आई तो जरूर, लेकिन बिलकुल बरसात की उस धूप की तरह, जो तुरंत बादलों से घिर जाती है. जहां धूप खिली वहीं बादलों ने आ कर चमक धुंधली कर दी, यानी जैसे ही मुसकराहट कहकहों में बदली वैसे ही आंखों ने बरसना शुरू कर दिया.

यों तो नितिन के पापा नामीगिरामी डाक्टर थे, पैसे की कोई कमी नहीं थी, फिर भी परिवार इतना बड़ा था कि सब के शौक पूरे करना या सब को हमेशा उन की मनचाही चीज दिलाना मुश्किल होता था. इस मामले में नितिन कुछ ज्यादा ही शौकीन था और अपने शौक पूरे करने का आसान तरीका उसे यह लगा कि फिलहाल पढ़ाई में दिल लगाए ताकि जल्दी से अच्छी नौकरी पा कर अपने सारे अरमान पूरे कर सके.

कुछ सालों में ही नितिन की यह तमन्ना पूरी हो गई. बढि़या नौकरी तो मिल गई, लेकिन नौकरी मिलने की खुशी में दी गई पार्टी में पापा का अचानक हृदयगति रुक जाने के कारण देहांत हो गया. खुशियां गम में बदल गईं.

7 भाईबहनों में नितिन तीसरे नंबर पर था. बस एक बड़ी बहन और भाई की शादी हुई थी बाकी सब अभी पढ़ रहे थे.

नितिन ने शोकाकुल मां को आश्वस्त किया कि अब छोटे भाईबहनों की पढ़ाई और शादी की जिम्मेदारी उस की है. सब को सेट करने के बाद ही वह अपने बारे में सोचेगा यानी अपनी गृहस्थी बसाएगा और उस ने यह जिम्मेदारी बखूबी निबाही भी. अपने शौक ही नहीं कैरिअर को भी दांव पर लगा दिया.

हालांकि दूसरे शहरों में ज्यादा वेतन की अच्छी नौकरियां मिल रही थीं, लेकिन नितिन ने हमेशा अपने शहर में रहना ही बेहतर समझा. कारण, एक तो रहने को अपनी कोठी थी, दूसरे मां और छोटे भाईबहन उस के साथ रहने से मानसिक रूप से सुरक्षित और सहज महसूस करते थे.

अत: वह मेहनत कर के वहीं तरक्की करता रहा. वैसे बड़े भाई ने भी हमेशा यथासंभव सहायता की, फिर दूसरे भाईबहनों ने भी नौकरी लगते ही घर का छोटामोटा खर्च उठाना शुरू कर दिया था.

कुछ सालों के बाद सब चाहते थे कि नितिन शादी कर ले, लेकिन उस का कहना था कि सब से पहले छोटे भाई निखिल को डाक्टर बनाने का पापा का सपना पूरा करने के बाद ही वह अपने बारे में सोचगा.

निखिल से बड़ी बहन विभा की शादी से पहले ही मां की मृत्यु हो गई. तब तक दूसरे भाइयों के बच्चे भी बड़े हो चले थे और उन सब के अपने खर्चे ही काफी बढ़ गए थे. नितिन से उन की परेशानी देखी नहीं गई. उस ने विभा की शादी और निखिल की पढ़ाई का पूरा खर्च अकेले उठाने का फैसला किया. भविष्य निधि से कर्ज ले कर उस ने विभा की शादी उस की पसंद के लड़के से धूमधाम से करा दी और निखिल को भी मैडिकल कालेज में दाखिल करा दिया.

निखिल की नौकरी लग जाने के बाद नितिन पुश्तैनी कोठी में बिलकुल अकेला रह गया था. 2 बहनें उसी शहर में रहती थीं, जो उसे अकेलापन महसूस नहीं होने देती थीं.

दूसरे भाईबहन भी बराबर उस से संपर्क बनाए रखते थे, सिवा निखिल के. वह कन्याकुमारी में अकेला रहता था और सब को तो फोन करता था, लेकिन नितिन से उस का कोई संपर्क नहीं था. चूंकि उस का हाल दूसरों से पता चल जाता था, इसलिए नितिन ने स्वयं कभी निखिल से बात करने की पहल नहीं की.

मझली बहन शोभा की बेटी की शादी की तारीख तय हो गई थी, लेकिन उस के पति को किसी जरूरी काम से विदेश जाना पड़ रहा था और वह शादी से 2 दिन पहले ही लौट सकता था. उधर लड़के वाले तारीख आगे बढ़ाने को तैयार नहीं थे. शोभा बहुत परेशान थी कि अकेले सारी तैयारी कैसे करेगी?

‘‘तू बेकार में परेशान हो रही है, मैं हूं न तेरी मदद करने को. हरि से बेहतर तैयारी करा दूंगा,’’ नितिन ने आश्वासन दिया, ‘‘तुम सब की शादियां कराने का तजरबा है मुझे.’’

एक दिन बाहर से आने वाले मेहमानों की सूची बनाते हुए नितिन ने शोभा से कहा, ‘‘निखिल से भी आग्रह कर न शादी में आने के लिए. इसी बहाने उस से भी मिलना हो जाएगा. बहुत दिन हो गए हैं उसे देखे हुए.’’

‘‘हम सब भी चाहते हैं भैया कि निखिल आए और वह आने को तैयार भी है, लेकिन उस की जो शर्त है वह हमें मंजूर नहीं है,’’ शोभा ने सकुचाते हुए कहा.

‘‘ऐसी क्या शर्त है?’’

‘‘शर्त यह है कि आप शादी में शरीक न हों. वह आप से मिलना नहीं चाहता.’’

‘‘मगर क्यों?’’ नितिन ने चौंक कर पूछा. उसे यकीन नहीं आ रहा था कि जिस निखिल की पढ़ाई का कर्ज वह अभी तक उतार रहा है, जिस निखिल ने रैचेल से उस का परिचय यह कह कर करा दिया था कि अगर मेरे यह भैया नहीं होते तो मैं कभी डाक्टर नहीं बन सकता था, वह उस की शक्ल देखना नहीं चाहता.

फिर शोभा को चुप देख कर नितिन ने अपना सवाल दोहराया, ‘‘मगर निखिल मुझ से मिलना क्यों नहीं चाहता?’’

‘‘क्योंकि रैचेल की मौत के लिए वह आप को जिम्मेदार मानता है.’’

‘‘यह क्या कह रही है तू?’’ नितिन चीखा, ‘‘तुझे मालूम भी है कि रैचेल की

मौत कैसे हुई थी? मगर तुझे मालूम भी कैसे होगा, तू तो तब जरमनी में थी. सुनाऊं तुझे पूरी कहानी?’’

‘‘जी, भैया.’’

नितिन बेचैनी से कमरे में टहलने लगा, जैसे तय कर रहा हो कि कहां से शुरू करे, क्या और कितना बताए? फिर बताना शुरू किया, ‘‘उन दिनों अपनी कोठी में मैं अकेला ही रह गया था. पढ़ाई खत्म होते ही निखिल को शहर से दूर एक अस्पताल में रैजीडैंट डाक्टर की नौकरी मिल गई अत: उसे वहीं रहना पड़ा. एक दिन अचानक निखिल ने मुझे फोन किया कि मैं शाम को जल्दी घर आ जाऊं, वह मुझे किसी से मिलवाना चाहता है. उस दिन बहुत उमस थी, इसलिए मैं ने छत पर कुरसियां लगवा दीं. कुछ देर बाद निखिल रैचेल के साथ आया. उस ने बताया कि वह और रैचेल हाई स्कूल से एकदूसरे से प्यार करते हैं, अब डाक्टर बनने के बाद दोनों चाहते हैं कि अगर मेरी इजाजत हो तो वे शादी कर लें.

‘‘न जाने क्यों मुझे रैचेल बहुत ही प्यारी और अपनी सी लगी. ऐसा लगा जैसे मैं उसे बहुत दिनों से जानता हूं. उस के आते ही उस उमस भरी शाम में अचानक किसी बरसात की सुहानी शाम की सी खुशगवार नमी तैरने लगी थी. मैं ने कहा कि मैं तो खुशी से उन की शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन क्या रैचेल का परिवार इस विजातीय शादी के लिए इजाजत देगा? तब रैचेल बोली कि उस की मां कहती हैं कि अगर निखिल का परिवार एक विधर्मी बहू को सहर्ष स्वीकार लेता है तो उन्हें भी कोई एतराज नहीं होगा.

‘‘मैं ने उसे आश्वासन दिया कि सब से छोटा होने के कारण निखिल सब का लाड़ला है और उस की खुशी पूरे परिवार की खुशी होगी. रही विधर्मी होने की बात तो अभी तक तो अपने परिवार में कोई विजातीय शादी नहीं हुई है, मगर मैं भी शीघ्र ही एक विधर्मी और अकेली महिला से शादी करने वाला हूं, बस निखिल के सैटल होने का इंतजार कर रहा था. निखिल यह सुन कर बहुत खुश हुआ. उस के पूछने पर मैं ने बताया कि वह महिला एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के चेयरमैन की सेके्रटरी है, औफिस के काम के सिलसिले में उस से मुलाकात हुई थी. विधवा है या परित्यक्ता, यह मैं ने कभी नहीं पूछा, क्योंकि उस ने शुरू में ही बता दिया था कि उसे खुद के बारे में बात करना कतई पसंद नहीं है और न ही निजी जिंदगी को दोस्ती से जोड़ना. दोस्ती को भी वह सीमित समय ही दे सकती है, क्योंकि नौकरी के अलावा उस की अपनी निजी जिम्मेदारियां भी हैं. मैं ने उसे बताया कि जिम्मेदारियां तो मेरी भी कम नहीं हैं, समय और पैसे दोनों का ही अभाव है और किसी स्थाई रिश्ते यानी शादीब्याह के बारे में तो फिलहाल सोच भी नहीं सकता.

‘‘निखिल और रैचेल के कुरेदने पर मैं ने बताया कि यह सुन कर वह और ज्यादा आश्वस्त हो गई और उस ने मेरी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. फुरसत के गिनेचुने क्षण हम दोनों इकट्ठे गुजारने लगे, जिस से हमारी एक ही ढर्रे पर चलती वीरान जिंदगी में बहार आ गई.

‘‘खुद के बारे में कभी न सोचने वालों को भी अपने लिए जीने की वजह मिल गई थी. दूसरों के साथसाथ अब हम अपने लिए भी सोचने लगे थे. अकसर सोचते थे कि जब हमारी सारी जिम्मेदारियां खत्म हो जाएंगी, तब हम दोनों इकट्ठे सिर्फ एकदूसरे के लिए जीएंगे. सपने देखा करते थे कि क्याक्या करेंगे, कहांकहां जाएंगे.’’

‘‘निखिल यह सुन कर भावविह्वल हो गया और बोला कि भैया, कितने जुल्म किए आप ने खुद पर हमारे लिए, जब तक किसी से प्यार न हो, शायद अकेले रहना आसान हो, लेकिन किसी को चाहने के बाद उस से दूर रहना बहुत मुश्किल होता है.

‘‘मैं ने मजाक में पूछा कि उस की क्या मजबूरी थी, वह क्यों रैचेल से दूर रह रहा था? तब निखिल बोला कि एक तो शादी से पहले आत्मनिर्भर होना चाहता था, दूसरे रैचेल की भी कुछ मजबूरियां थीं. लेकिन अब जब मैं डाक्टर बन गया हूं और अलग भी रहने लगा हूं, तो आप अपनी शादी क्यों टाल रहे हैं?

‘‘तुम्हारी होने वाली भाभी का कहना है कि वह अभी कुछ दिन और शादी नहीं कर सकती. इस पर वह बोला कि यानी फिलहाल आप के ब्रह्मचर्य के खत्म होने के आसार नहीं हैं.

‘‘मैं ठहाका लगा कर हंस पड़ा कि ब्रह्मचर्य तो तुम्हारे यहां से जाते ही खत्म हो गया था निखिल. अकेला रहता हूं, इसलिए न तो कोई रोकटोक है और न ही समय की पाबंदी. जब भी उसे मौका मिलता है या उस का दिल करता है वह आ जाती है, फिर पूरे घर में हम दोनों स्वच्छंद विहार करते हैं.

‘‘रैचेल और निखिल को हैरान होते देख कर मैं चुप हो गया. फिर कुछ सोच कर बोला कि तुम दोनों तो डाक्टर हो, जीवविज्ञान के ज्ञाता, तुम क्यों जीवन के शाश्वत सत्य और परमसुख के बारे में सुन कर शरमा रहे हो? जल्दी से शादी करो और जीवन का अलौकिक आनंद लो. तुम दोनों को तो खैर सब कुछ मालूम ही होगा, मैं बालब्रह्मचारी तो उस से सट कर बैठने में ही खुश था, लेकिन उस की तो पहले शादी हो चुकी है न इसलिए उस ने मुझे बताया कि इस से आगे भी बहुत कुछ है. अभी भी कहती रहती है कि यह तो कुछ भी नहीं है, अपने रिश्ते पर समाज और कानून की मुहर लग जाने दो, फिर पता चलेगा कि चरमसुख क्या होता है.

‘‘तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी, उसी का फोन था यह बताने को कि वह आ रही है कुछ देर के लिए. मैं ने निखिल को उत्साह से बताया कि संयोग से वह आ रही है अत: वे लोग उस से मिल कर ही जाएं और फिर शरारत से कहा कि लेकिन मिलते ही चले जाना. हमारे सीमित समय के रंग में भंग करने रुके मत रहना.

‘‘निखिल ने कहा कि वे भी जल्दी में हैं, क्योंकि उन्हें रैचेल की मां के पास भी जाना है यह बताने कि आप ने इजाजत दे दी है और अब उन की इजाजत ले कर जल्दी से जल्दी शादी करना चाहते हैं.

‘‘मैं ने कहा कि तुम्हारी भाभी से पूछते हैं. अगर वह मान जाती हैं तो दोनों भाई एकसाथ ही शादी कर लेंगे. निखिल को बात बहुत पसंद आई और उस ने कहा कि मैं भी आज ही यह बात पूछ लेता हूं ताकि वह भी रैचेल की मां से उसी तारीख के आसपास शादी तय करने को कह सकें.

‘‘तभी नीचे से गाड़ी के हार्न की आवाज आई तो मैं ने उत्साह से कहा कि लो तुम्हारी भाभी आ गईं. रैचेल लपक कर मुंडेर के पास जा कर नीचे देखने लगी और फिर पलक झपकते ही वह मुंडेर पर चढ़ कर नीचे कूद गई.

‘‘जब मैं और निखिल नीचे पहुंचे तो सिल्विया रैचेल के क्षतविक्षत शव को संभाल रही थी. उस ने मुझ से एक चादर लाने को कहा. जब मैं चादर ले कर आया तो वह निखिल से बात कर रही थी. उस ने मुझे बताया कि वह निखिल के साथ रैचेल को उस के घर ले जा रही है. मैं ने कहा कि मैं भी साथ चलूंगा, मगर वे दोनों बोले कि मैं वहीं रुक कर पानी से खून साफ कर दूं ताकि किसी को कुछ पता न चले और पुलिस केस न बने. फिर वे दोनों तुरंत चले गए. मैं ने खून को अच्छी तरह साफ कर दिया.

‘‘उस रात सिल्वी ने अपना मोबाइल बंद रखा. अपने घर का फोन नंबर और पता तो उस ने मुझे कभी दिया ही नहीं था. निखिल का मोबाइल भी बंद था.

‘‘अगले दिन वह औफिस नहीं आई और निखिल भी अस्पताल नहीं गया. उस हादसे के बाद दोनों की मनोस्थिति काम पर जाने लायक नहीं होगी और क्या मालूम रात को कब घर आए हों और अभी सो रहे हों, यह सोच कर मैं ने उस दिन दोनों से ही संपर्क नहीं किया.

अगले दिन भी दोनों के मोबाइल बंद थे. शाम को मैं निखिल के अस्पताल में गया तो पता चला कि वह उसी सुबह अचानक नौकरी छोड़ने के एवज में 1 महीने का वेतन दे कर जाने कहां चला गया है.

‘‘मुझे निखिल के इस अनापेक्षित व्यवहार से धक्का तो लगा, लेकिन इस से पहले कि मैं उस की शिकायत दूसरे भाईबहनों से करता, कुदरत ने मुझे एक और जबरदस्त झटका दिया. घर लौटने पर मुझे कुरिअर द्वारा सिल्विया का पत्र मिला, जिस में उस ने लिखा था कि जब तक मुझे यह पत्र मिलेगा तब तक वह इस दुनिया से जा चुकी होगी और मेरे लिए उसे भूलना ही बेहतर होगा.

‘‘मैं ने उसे भूलने के बजाय और सब को भूल कर उस के साथ गुजारे लमहों की यादों के सहारे जीना बेहतर समझा. मैं भी लंबी छुट्टी ले कर हिमालय की घाटियों में चला गया. लेकिन उम्र भर कोल्हू के बैल की तरह काम करने वाला आदमी ज्यादा दिनों तक खाली नहीं रह सकता था. फिर चाहे कितनी ही सादगी से क्यों न रहो पैसा तो चाहिए ही और मेरे पास कोई जमापूंजी भी नहीं थी.

फिर अभी भविष्य निधि से लिया कर्ज भी चुकाना था.

‘‘अत: मैं फिर काम पर लौट आया. काम के अलावा और किसी भी चीज में अब मेरी दिलचस्पी नहीं रही थी. लेकिन खून के रिश्ते टूटते नहीं. तुझे निक्की की शादी के काम के लिए परेशान देख कर मैं उस की शादी की तैयारी करवाने के चक्कर में फिर से दुनियादारी में लौट आया. यह सोच कर कि जब और सब आ रहे हैं तो निखिल क्यों न आए, तुझे उसे बुलाने को कहा. अब तू ही बता, रैचेल की मृत्यु के लिए मैं जिम्मेदार क्यों और कैसे?’’

‘‘आप ने शायद सिल्विया के साथ अपने अंतरंग संबंधों का खुलासा कुछ ज्यादा खुल कर कर दिया था भैया,’’ शोभा धीरे से बोली.

नितिन चिढ़ गया, फिर बोला, ‘‘हो सकता है, लेकिन उस का रैचेल के छत से कूदने से क्या ताल्लुक?’’

‘‘क्षोभ, शर्म भैया, क्योंकि सिल्विया उस की मां थी.’’क्षोभ: शादी के नाम पर क्यों हुआ नितिन का दिल तार-तार

नया अध्याय – भाग 3: अडिग फैसला साक्षी का

साक्षी की बात मां सुषमा को जरा भी पसंद नहीं आई. वे बोलीं, “जब वह सामने से तुम्हें अपनाना चाहता हैतो जरा झुक जाने में क्या हर्ज हैकिस पतिपत्नी के बीच लड़ाईझगड़े नहीं होतेतो क्या सब तलाक लेने पर उतारू हो जाते हैंलोग तो ऐसे ही कुछ भी बातें बनाते हैं. किसी को अच्छे से खातेपीतेरहते देख जाने क्यों लोगों के पेट में दर्द होने लगता है. लेकिनतू क्यों उन की बातों में आ कर अपना घरबार छोड़छाड़ कर यहां आ बैठी हो. बोल…मैं तो कहती हूं कि सुलह कर ले दामादजी सेनहीं तो कहीं ऐसा न हो कि बाद में तुम्हें पछताना पड़े.

“पति है वो तुम्हाराअगर उन की दो बातें सुन ही लेगीतो क्या बिगड़ जाएगा तेराइतनी अच्छी नौकरी हैअपना घर है. तो और क्या चाहिए तुम्हें?” मां की बात पर साक्षी सुलग उठी कि कैसी मां हैं ये. जो अपनी ही बेटी को झुकने की सलाह दे रही हैंजबकि गलत वो इनसान है.

अच्छी नौकरी और घर… तो क्या आत्मसम्मान कोई मायने नहीं रखता इनसान के लिएसच तो यह है कि नरेश ने कभी मुझे अपनी पत्नी समझा ही नहींबल्कि वह तो मुझे अपने पैरों की जूती समझता रहा और मैं पत्नी धर्म निभाती रही. पता हैक्योंक्योंकि लड़कियों को बचपन से यही सिखायापढ़ाया जाता है कि उस का पति उस का देवता है और उस के चरणों में ही पत्नी का स्वर्ग है. आप ने भी तो मुझे यही सिखाया है न मांलेकिन वो देवता नहींदानव हैदानवजो सिर्फ मुझे नोचनोच कर खाता रहा आज तक. और आप कहती हैं कि जरा झुक जाने में क्या हर्ज है,” बोलतेबोलते साक्षी का गला भर्रा गया.

थोड़ा रुक कर साक्षी बोली, “आप सब ने मेरी शादी मुझ से 13 साल बड़े लड़के से करवा दी. खैरतभी आप सब की मजबूरी थी. समझती हूं मैं यह बात. पापा ज्यादा बीमार रहने लगे थे और वे चाहते थे कि उन की आंखों के सामने मेरी शादी हो जाए. लेकिन मैं ने कभी आप सब से इस बात की शिकायत कीबल्किजहां तक हुआरिश्ते निभाने की कोशिश करती रही. लेकिन कब तक मांखुद पर जुल्म होते देख तो सीधीबेजबान गाय भी अपने बचाव में सींग मारना नहीं छोड़ती. फिर मैं तो इनसान हूं. चलोइतना भी सहा मैं नेक्योंकि आप सब को कोई दुख नहीं देना चाहती थी. लेकिन जब एक औरत को यह पता चले कि उस के पति का किसी और औरत से नाजायज संबंध है और वह भी अपने ही रिश्ते में… तो क्या बीती होगी मुझ पर. सोचिए न जरा.

“मैं ने… मैं ने अपनी इन आंखों से नरेश को उन की भाभी के साथ… छिःमुझे तो बोलते हुए भी शर्म आती है. वैसेआप को तो सब पता ही था न मांफिर भी आप ने मुझे उस नर्क में धकेल दिया. क्यों ऐसा किया आप नेबोलिए…अपने दोनों बेटों की तो आप ने खूब देखपरख कर शादी की. लेकिनमेरे साथ ही ऐसा सौतेलापन क्यों मां?” मां चुपक्योंकि उस के पास साक्षी के एक भी सवाल का जवाब नहीं था. क्या जवाब देती कि बेटी को बोझ  समझने वाली मां जल्द से जल्द उसे विदा कर देना चाहती थी.

और अब जब मैं उस नर्क से निकलना चाहती हूंतो आप फिर मुझे उस नर्क में जाने की सलाह दे रही हैं?मर जाऊंगी मैंपर अब दोबारा उस नर्क में नहीं जाऊंगी. कहे देती हूं,” बोलते हुए साक्षी की आंखों से आंसू गिर पड़े कि जब एक मां ही उस का दुख नहीं समझ पा रही हैतो भाईभाभी क्या समझेंगे. सारे बच्चे आ चुके थेइसलिए वह बच्चों को ले कर टेरेस पर पढ़ाने चली गई. पहले वह यहीं हाल में ही बच्चों का ट्यूशन लेती थीमगर दोनों भाभियों की किचकिच से तंग आ कर छत पर पढ़ाने लगी. दरअसलदोनों भाभियों को टीवी देखने में कष्ट होता था.

आज साक्षी को बच्चों को पढ़ाने में जरा भी आनंद नहीं आ रहा थाक्योंकि मां की बातों ने उस के सूखे जख्मों पर नमक रगड़ दिया था. उसे तो बेटी का सपोर्ट करना चाहिए. लेकिन उलटे वह बेटी को झुक जाने की सलाह दे रही थी. यह हमारे समाज की विडंबना ही है. लड़की सही हो तो भी उसे ही झुकना सिखाया जाता है और बेटों को सिर उठा कर चलनाभले ही वह कितना भी गलत क्यों न हो. इनसान की खाल में भेड़िया नरेश ने हमेशा उस के परिवार के सामने खुद को अच्छा दिखाया,

ताकि वह सब के सामने शरीफ बना रहे और साक्षी बुरीबल्कि यह शादी भी उस ने  समाज के सामने अच्छा बने रहने के लिए ही की थीताकि लोगों को उस के और उस की भाभी के संबंध के बारे में पता न चल सके. नरेश के हाथों मार खा कर जब भी वह अपना सूजा हुआ चेहरा ले कर मायके आईउस की बात सुनने के बजायउलटे उसे ही पत्नी धर्म का ज्ञान दे कर मां उसे उस के ससुराल भेज दिया करती थीजिस का नतीजा यह होता कि नरेश के हौसले और बुलंद होते चले गए.

 

मेरी पत्नी की सैक्स में रुचि कम हो गई है, क्या करूं?

सवाल

हमारी शादी को 13 साल हो गए हैं. अभी तक तो हमारी सैक्स लाइफ अच्छी थी लेकिन तनाव और कुछ हार्मोनल असंतुलन के कारण पत्नी की सैक्स में रुचि कम हो गई है. वैसे वह दवाई ले रही है, क्या मैं उस की कुछ मदद कर सकता हूं?

जवाब

पति होने के नाते आप उन्हें एहसास कराएं कि आप उन्हें प्यार करते हैं. वे अभी भी आकर्षक हैं, सैक्सी हैं. जताएं कि आप उन से प्यार करते हैं, केवल उन के शरीर से नहीं. अपने दोनों के बीच के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कुछ न कुछ नया करते रहें. साथ घूमेंफिरें, छुट्टियां मनाने जाएं जैसी गतिविधियां करते रहें.

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GHKKPM: विनायक को लेकर सई के पास जाएगा विराट, पाखी को लगेगा झटका

‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी का ट्रैक दर्शकों का कॉफी पसंद आ रहा है. यह शो टीआरपी लिस्ट में भी टॉप पर बना हुआ है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि विराट और सई का आमना-सामना होता है. वो दोनों एक-दूसरे को देखते ही हैरान हो जाते हैं. शो के आने वाले एपिसोड में बड़ा ट्विस्ट आने वाला है.

विराट के मन में सई के लिए गुस्सा बढ़ता ही जाता है. वह बार-बार सोचता है कि सई के पास वो विनायक नहीं है जो उसका अपना बेटा था. उसे लगता है कि सई की वजह से ही विराट ने अपना बेटा खो दिया.

 

विनायक, विराट का अपना बेटा नहीं होता है बल्कि वह उसे गोद लेता है जो उसे मिशन पर मिलता है. लेकिन विराट अपने मन में सोचता है कि विनायक उसके लिए सगे बेटे से भी बढ़कर है और वह उसे उसके पैरों पर खड़ा करने के लिए कुछ भी करेगा.

 

सई विनायक के इलाज के लिए विराट के पास फोन करती है और कहती है कि आज जो कुछ हुआ, उससे विनायक पर बुरा असर पड़ेगा. लेकिन उनके अतीत का विनायक के इलाज से कोई लेना-देना नहीं है. वह आगे कहती है कि  मैं हमारे अतीत को अपने काम के बीच नहीं आने दूंगी. तो वहीं विराट भी अपने बेटे को लेकर सई के पास जाने के लिए तैयार हो जाता है.

 

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शो में आप ये भी देखेंगे कि पाखी को विराट के कबर्ड में सई के साथ पुरानी तस्वीर मिलेगी. जिसे देखते ही पाखी इमोशनल हो जाएगी. तभी अश्विनी वहां आएगी और  उसे समझाएगी कि उसे अपने अतीत को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए.

हनी सिंह और शालिनी तलवार का हुआ तलाक, शादी के 11 साल बाद हुए अलग

पंजाबी सिंगर हनी सिंह और शालिनी तलवार का 8 सितंबर को दिल्ली के साकेत की फैमिली कोर्ट में तलाक हुआ.दोनों की 11 साल की शादी टूट गई. पिछले साल ही हनी सिंह की पत्नी ने सिंगर पर कई गंभिर आरोप लगाते हुए तलाक की अर्जी दी थी.

एक रिपोर्ट के अनुसार, शालिनी तलवार ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक हिंसा का मामला भी दर्ज कराया था. बताया जा रहा है कि हनी सिंह 1 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता दिया है.

 

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हनी सिंह और शालिनी तलवार के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद मामला अदालत में सुलझा. उसके बाद दोनों के बीच 1 करोड़ रुपये के गुजारे भत्ता पर समझौता हुआ. मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च 2023 को होगी.

 

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बता दें कि हनी सिंह और शालिनी तलवार बचपन के दोस्त हैं. उन दोनों ने एक-दूसरे को कॉफी समय तक डेट किया.  23 जनवरी 2011 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए थे. बता दें कि साल 2014 में हनी सिंह ने रियलिटी शो इंडियाज रॉकस्टार के एक एपिसोड में अपनी पत्नी को दर्शकों से मिलवाया था.

 

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बता दें कि 23 जनवरी 2011 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए थे. 2021 में इस जोड़े ने अपने वैवाहिक जीवन के दस साल पूरे कर लिए थे  लेकिन किसी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे अपनी शादी में  समस्याओं का सामना कर रहे हैं. और अब वो दोनों अलग हो रहे हैं.

 

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यो यो हनी सिंह फिल्म कॉकटेल के गाने अंग्रेजी बीट के सुपरहिट होने के बाद घर घर में मशहूर हुए. हनी ने पानी पानी, लुंगी डांस, चार बोतल वोडका जैसे कई सुपरहिट गाने गाए हैं.

उड़द की खेती कैसे करें

उड़द खरीफ के मौसम में ली जाने वाली दलहनी फसलों में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. उड़द को मुख्य रूप से दाल और बड़ा के रूप में खाया जाता है, जो कि शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. उड़द में प्रोटीन 25-26 फीसदी तक पाया जाता है.

उड़द की फसल का प्रयोग पशु आहार हरी खाद और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए  भी किया जाता है. उड़द फसल की जड़ों से 30-35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन स्थापित होती है.

भूमि का चयन

उड़द फसल के लिए अच्छी जल निकास वाली मटासी दोमट या डोरसा भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. पहाड़ी क्षेत्रों में उड़द की खेती बलुई डोरसा व मैदानी क्षेत्रों में मटासी भूमि का उपयोग किया जाता है.

भूमि की तैयारी

इस फसल का अच्छा उत्पादन लेने के लिए 2-3 बार खेत की हलकी जुताई कर घासफूस और कचरा साफ करना चाहिए. दीमक के बचाव के लिए क्लोरोपायरीफास 1.5 फीसदी चूर्ण 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए. अंतिम जुताई के बाद पाटा चला कर खेत को समतल कर लेना चाहिए.

बीज दर

उड़द को छिटकवां विधि से बोने के लिए 20-25 किलोग्राम/हेक्टेयर व कतार विधि से बोने के लिए 15-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता?है. मिश्रित फसल के लिए 5-7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.

उड़द की उन्नत किस्में

मोजक रोग निरोधक-शेखर 1, टीयू-94-2 मोजक एवं भभूतिया रोग निरोधक-इंदिरा उड़द प्रथम.

बीज उपचार

बोआई करने के पहले बीज को सर्वप्रथम फफूंदनाशक थायरम या कार्बंडाजिम 2.5 ग्राम दवा/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए. फिर उस के बाद राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से 5-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें.

बोआई की विधि

उड़द फसल को पौधे से पौधे 8-10 सैंटीमीटर रखना चाहिए व कतार की दूरी 30 सैंटीमीटर में बोना अच्छा रहता है.

खाद एवं उर्वरक की मात्रा

खेत की अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद या कंपोस्ट 4-5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह मिलाएं. इस के बाद बीज की बोआई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन,

40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम, पोटाश और 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए. उर्वरक की सही मात्रा का निर्धारण मृदा परीक्षण के बाद अधिक लाभदायक है.

नींदा नियंत्रण

फसल व खरपतवार की प्रतिस्पर्धा की क्रांतिक अवधि बोआई के 25-30 दिनों तक रहती है. इस अवधि में खरपतवार को निराईगुड़ाई कर नियंत्रण कर लेना चाहिए.

सिंचाई

खरीफ के सीजन में उड़द फसल में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि अधिक वर्षा की स्थिति में जल निकास की उचित व्यवस्था करें.

कीट प्रबंधन

सफेद मक्खी-121, चित्तीदार फलीभेदक कीट.

* ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें व फसल के अवशेष को नष्ट करें.

* समय पर बोआई का काम करें, जिस से कीटों द्वारा नुमसान कम हो.

* प्रकाश प्रपंच या फैरोमौन ट्रैप का उपयोग करें. क्लोरोपायरीफास 50 फीसदी, साइपर मेथ्रिन 5 फीसदी का 1.0 लिटर प्रति हेक्टेयर का स्प्रे करना चाहिए.

रोग प्रबंधन

पीला मोजक : रोगवाहक सफेद

मक्खी के नियंत्रण के लिए मैटासिस्टौक्स रोगर 1 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी के हिसाब से डालें.

भभूतिया : इस रोग के कारण पत्तियों में सफेद पाउडर जमा हो जाता है. इस के निदान के लिए सल्फेक्स 3 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें.

कटाई

सही समय पर कटाई करें. उड़द की फसल में 80-90 फीसदी फलियां पकने पर ही कटाई करनी चाहिए. फसल अधिक सूख जाने पर खेत में ही चटकने लगती है. कटाई के पश्चात दानों को अच्छी तरह सुखा कर भंडारित करें.

उपज

12-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज उचित काश्त क्रिया अपना कर ले सकते हैं. साथ ही, 15-20 क्विंटल पौष्टिक भूसा भी मिलता है. भंडारण के समय दानों में नमी की मात्रा 10-12 फीसदी रखते हैं.

नया अध्याय – भाग 4: अडिग फैसला साक्षी का

पति से अलग होने के बाद साक्षी ने यह सोच कर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दियाताकि भाईभाभी और मां के सामने उसे हाथ न फैलाना पड़े और अपनी अधूरी पढ़ाई अपने बल पर पूरी कर सके. अब बस जितनी जल्दी हो सकेनरेश से उसे तलाक मिल जाएतो वह अपने आगे के लिए कुछ सोच पाएगी. जानती है दोनों भाभियों को वह जरा भी नहीं सुहाती. और मां भी बहुओं को कुछ कहने के बजाय उसे ही ज्ञान देती रहती है. लेकिन वह भी क्या करे. बेचारी की मजबूरी है. दरअसलमां सुषमा गठिया की मरीज थीउस से घरबाहर का कोई भी काम नहीं हो पाता है. इसलिए वह अपनी दोनों बहुओं की चापलूसी करती रहती है और बेटी को झिड़कती रहती हैताकि बेटेबहू खुश रहें.

खैरजो भी होपर साक्षी इस बात से उत्साहित थी कि अब बस कुछ ही दिन बचे हैं और नरेश हमेशा के लिए उस की जिंदगी से आउट हो जाएगा.तलाक के बाद जहां साक्षी के परिवार में मातम पसरा थावहीं उस का मन हो रहा था कि वह झूमेनाचे और गाए, ‘मेरे सैयांजी से आज मैं ने ब्रेकप कर लिया…’ अपनी सहेली रेणु की मदद से उस की एक स्कूल में टीचर की नौकरी लग गई. रेणु भी उसी स्कूल में चार साल से पढ़ा रही थी तो उस की काफी जानपहचान बन गई थी और साक्षी ने बीएड तो कर ही लिया था. सोउसे नौकरी मिलने में ज्यादा मुश्किल नहीं आई.

इसी आदर्श शिक्षा निकेतन’ स्कूल में विपुल सर मैथ के टीचर थे. साक्षी से उन की अच्छ बनती थी. उन की  उम्र यही कोई 46-47 होगी. विपुल सर का सरल स्वभाव साक्षी को बहुत अच्छा लगता था और उस से भी अच्छा उन का किसी भी बात पर खुल कर हंस देना लगता है. उन्हें देख कर तो लगता हैजैसे उन के जीवन में कोई टेंशनफिक्र ही नहीं है.

एक रोज साक्षी के पूछने पर विपुल सर बोले कि वर्ष 2020 में कोरोना के चलते उन की पत्नी की मृत्यु हो गई और अब एक बेटा हैजिस के लिए वो जी रहे हैं. साक्षी ने भी अपनी रामकहानी सुनाईतो विपुल सर को उस से थोड़ी  हमदर्दी हो आई और इसी हमदर्दी में उन्होंने बोल दिया, ‘कोई बात नहींमैं हूं. किसी भी चीज की जरूरत होबोलने से हिचकिचाना मत.

अब साक्षी का विपुल सर के साथ दोस्ती से ज्यादा अपनापन का रिश्ता बन चुका था. वह अपनी हर बात विपुल सर के साथ शेयर करती और वे सुनते भी. अब दोनों साथ ही लंच करते. छुट्टियों में कभीकभार फिल्म देखने चले जातेनहीं तो कहीं घूमने निकल पड़ते थे.

सच कहेंतो साक्षी विपुल सर को पसंद करने लगी थी. तलाक के बाद बड़ी भाभी उस के लिए एक विधुर का रिश्ता ले कर आई थीं. लेकिन लड़का… लड़का क्यादो बच्चे का बाप था वह. और उस पर भी उसे साक्षी से ज्यादा उस के कमाए पैसों में ज्यादा दिलचस्पी थी. इसलिए उस ने भाभी के लाए रिश्ते से इनकार कर दिया.

एक बार वह अपने परिवार के कहे पर शादी कर के देख चुकी थी. लेकिन अब वह अपने लिए देखपरख कर जीवनसाथी ढूंढेगीसोच लिया था उस ने. वह तो विपुल सर जैसा कोई सुलझा हुआ इनसान चाहती थी अपने जीवन में. मगर ऐसा कोई मिल नहीं रहा था.

लेकिन विपुल सर ही क्यों नहींउन की पत्नी है नहींएक बेटा है. वह भी अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने वाला हैतो हांविपुल सर ही मेरे लिए एकदम परफेक्ट इनसान हैं,’ अपने मन में सोच साक्षी उछल पड़ी. भले ही उन्होंने अपने मुंह से कुछ नहीं कहापर इनसान के हावभाव से पता नहीं चलता क्या कि मैं भी उन्हें अच्छी लगती हूंमैं और विपुल सरवाहक्या जोड़ी लगेगी न हमारी,’ ख्वाबों में खोई साक्षी मुसकरा ही रही थी कि तभी टन’ से दरवाजे की घंटी बज उठी. देखा तो स्कूल का प्युन खड़ा है.

क्या है?” खीजते हुए वह बोलीतो प्युन घबराते हुए बोला, “वोविपुल सरजी ने आप को औफिस में बुलाया है. कह रहे थे कि कोई जरूरी काम है.“जरूरी काम,” साक्षी की आंखें चमक उठीं. वह बोली, “ठीक हैतुम जाओ. मैं आती हूं.” कहीं मेरा ख्वाब सच तो नहीं होने वाला ?’ पैन को गोलगोल घुमाते हुए साक्षी मन में ही बोली. मगर विपुल सर ने तो बस इतना ही कहा कि वे कुछ दिनों की छुट्टी पर जा रहे हैंतो प्लीज वह उन की क्लास देख ले जरा.

अरेहां सरक्यों नही. लेकिनआप अचानक छुट्टी पर क्यों जा… मेरा मतलब है कि आप कहीं जा रहे हैं क्या सर?““हांमतलब… मेरे कहने का मतलब हैमेरा बेटा अमेरिका जा रहा हैतो कुछ दिन उस के साथ बिताना चाहता हूं.जहां साक्षी विपुल सर से शादी के सपने देख रही थीवहीं विपुल सर ने बिना किसी को बताए अपनी एक महिला मित्रएश्वर्या से चट मंगनी पट ब्याह कर लिया.

और जब यह बात साक्षी को पता चलीतो उस के सिर पर घड़ों पानी पड़ गया. बेचारी का तो दिल ही टूट गयाअब जी के क्या करेंगेवाला हाल हो गया. औफिस में सब के पूछने पर की यों अचानक से शादी कैसे कर ली उन्होंनेतो वे सफाई देते हुए बोले कि उन का बेटा चाहता था कि उस के अमेरिका जाने से पहले उस के पापा की शादी हो जाएतो बेटे की खुशी के लिए शादी करनी पड़ी.

करनी पड़ी. अरेतो मुझ में क्या कमी थीमैं क्या उस एश्वर्या से देखने में कम सुंदर हूं,”साक्षी मन ही मन भुनभुनाई. ये सारे मर्द एकजैसेएकदम मतलबी.एश्वर्या से शादी के बाद महीनेभर के लिए विपुल सर हनीमून पर निकल गए और इधर साक्षी अपने लिए कोई दूसरा साथी ढूंढने में लग गईताकि वह उस से शादी कर फिर से अपना घर बसा सके. अब जीवन इतना छोटा भी नहीं होता कि अकेले काटा जा सके. एक साथी तो चाहिए ही जीवन में सुखदुख बांटने के लिए. और अभी उस की उम्र ही क्या हुई हैसिर्फ 31 की तो थी वो.

अरेपता चला कि विपुल सर का कहीं और तबादला हो गया है?” लंच ब्रेक में सब के साथ बैठी रेणु बोली.तबादला हो नहीं गयाबल्कि जानबूझ कर उन्होंने करवाया है रेणु मैडम,” रोटी का कौर मुंह में डालते हुए विवेक सर बोले,  “वैसेसाक्षी मैडमआप को तो पता ही होगा कि उन्होंने ऐसा क्यों कियामेरा मतलब है कि बताया तो होगा न आप को ?“

अब मुझे क्या पता कि क्यों करवाया उन्होंने अपना तबादला,” रूखा सा जवाब दे कर साक्षी अपना लंच का डब्बा समेटते हुए उठ खड़ी हुई और पीछे से विवेक सर खींखीं कर हंसने लगे. विपुल सर की जगह जो नए मैथ के टीचर आए थेवे समय के एकदम पाबंद थे. लेकिन लोगों से बोलते बहुत कम ही थे. बस अपने काम से काम रखते थे.

 

मे आई कम इन सर,” अंदर झांकते हुए साक्षी बोली.अरेप्लीज मैडमआइए न,” आकाश सर अपनी कुरसी से उठते हुए बोले.सरवो दरअसलबच्चों के एक्जाम्स आने वाले हैंतो उसी विषय में आप से कुछ बात करनी थी,” साक्षी बोली. मगर उस का मकसद तो आकाश सर के करीब आना था. जब से रेणु ने उसे बताया था कि आकाश सर का अपनी पत्नी से तलाक का केस चल रहा हैतभी से साक्षी के मन में उन्हें ले कर खिचड़ी पकने लगी थी.

सुंदरस्मार्ट आकाश सर पर साक्षी का दिल आ गया था. लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपने मन की बात आकाश सर तक पहुंचाए. कहीं ऐसा न हो कि अकेले ही से उसे अपनी पूरी जिंदगी काटनी पड़ जाए या हमेशा के लिए वह भाईभाभियों की दासी बन कर उन के बच्चे पालने में उम्र खपा दे.क्या बात हैकिस सोच में डूबी हो मैडम,” स्टाफरूम में साक्षी को एकटक फाइल निहारते देख रेणु ने पूछा.सुन नतू मेरा एक काम करेगी?” रेणु का हाथ पकड़ उसे अपनी पास वाली कुरसी पर बैठाते हुए साक्षी बोलीतो उस ने आंखों के इशारे से पूछा, ‘कैसा काम…?’

तू मेरी शादी की बात आकाश सर से चला न.““शादी… तू फिर से शादी करना चाहती हैपर क्योंपागल है क्या?”साक्षी को शादी के लिए उतावला देख रेणु अजीब तरह से हंसी. इतनी अच्छी तो लाइफ चल रही है तेरीफिर क्यों इसे हेल बनाना चाहती है. सच कहती हूं कि अगर मैं तुम्हारी जगह होती नतो कभी दोबारा शादी नहीं करती. आराम से अपने मनमुताबिक जीती. मजे करतीघूमतीफिरतीजो मन होता सो करती और कोई बोलनेटोकने वाला न होतातो कितना अच्छा होता न.

“लेकिन तू पागलफिर से इन झंझटों में क्यों फंसना चाहती है?”“वो सब छोड़ये बता कि तू उन से मेरी शादी की बात करेगी या नहींदेखमुझे पता है आकाश सर और तुम एक ही कालेज में पढ़ते थे और दोनों दोस्त हो,” साक्षी बोलीवो सब तो ठीक हैपर मुझे नहीं लगता कि वह दोबारा से फिर शादी के बारे में सोचेगा. और वैसे भी अभी  पूरी तरह से उन का तलाक हुआ नहीं है.

वो तो आज न सहीकल को हो ही जाएगा. परतू शादी की बात तो चला,” तभी स्कूल की घंटी बजी और दोनों अपने क्लास में चली गईं.लंच ब्रेक में भी साक्षी ने वही बात फिर दोहराईतो रेणु ने कहा कि अच्छाठीक हैवह समय देख कर आकाश से बात करेगी. लेकिन पता चला कि आकाश का अपनी पत्नी से तलाक होतेहोते रह गया. दोनों ने कोर्ट में सुलह कर ली और फिर से एक हो गए.

साक्षी का इस बार दिल ही नहींभरोसा भी टूट चुका था. थक चुकी थी अब वह अपने जीवन से. उस पर से घर में भी सब उसे कुछ न कुछ सुनाते ही रहते थेजिस से उस का मन खिन्न रहने लगा था. उस की मनःस्थिति ऐसी हो चुकी थी कि अब वह इस घर में सब के साथ रहना ही नहीं चाहती थी. इसलिए उस ने स्कूल के पास ही दो कमरे का घर ले लिया. इस तीन माले के घर में दो और भाड़ेदार रहते थे. साक्षी दूसरे माले पर रहती थी. सीढ़ियां चढ़तेउतरते समय अकसर उस की मुलाकत सुकेश से हो जाती तो दोनों मुसकरा पड़ते थे. सुकेश इसी मकान की तीसरी मंजिल पर रहता था.

वैसे तो वह केरल का रहने वाला थामगर वह यहां एक आईटी कंपनी में नौकरी करता है. रोज मिलते रहने से दोनों के बीच बातचीत होने लगीतो एक दिन साक्षी ने पूछ लिया, “और आप के घर वाले…?मेरा मतलब हैआपके बीवीबच्चेवे कहां रहते हैं?”

तो सुकेश मुसकराते हुए बोला कि अभी उस की शादी नहीं हुई है.ओह,’ बोल कर साक्षी मुसकराईतो सुकेश कहने लगा कि उस के मांपापा और एक छोटा भाई वहीं केरल में ही रहते हैं. अपने घरपरिवार के बारे में सुकेश ने और भी बहुतकुछ बताया और यह भी कि उस का छोटा भाई मैडिकल की तैयारी कर रहा है और उस के पापा की अपनी गरम मसाले की दुकान है.

साक्षी ने भी अपने तलाक के बारे में सुकेश को बता दिया. एकदूसरे के बारे में जान लेने के बाद अब दोनों अजनबी नहीं रह गए थे.अकसर सुकेश औफिस से लौट कर साक्षी के घर आ जाता या साक्षी उस के घर चली जाती थी और दोनों घंटों यहांवहां की बातें करते.

सुकेश उसे केरिलियन व्यंजन बना कर खिलातातो साक्षी उसे अपने हाथों से मटन ग्रेवी बना कर खिलाती. साथ में घूमनाफिरनाशापिंग करना होता रहता था इन का. दोनों एकदूसरे के साथ काफी खुश नजर आते थेक्योंकि दोनों के विचार एक से थे. और सब से बड़ी बात यह कि दोनों ही अकेले थे अपने जीवन में. सुकेश भी कोई ऐसी लड़की की तलाश में थाजो उसे समझ सकेउस के कदम से कदम मिला कर चल सके.

कहते हैंजब जिसे जो मिलना होता है मिल ही जाता है. साक्षी ने कितने हाथपैर मारेपर उस के मन के मुताबिक कोई न मिला और आज जब सामने से सुकेश शादी का प्रपोजल ले कर आयातो उस ने झट से हां‘ कर दिया. क्योंकि गरजमंद तो यहां दोनों ही थे. दरअसलसुकेश के मातापिता जिस लड़की से उस की शादी करना चाहते थेवह सुकेश को जरा भी पसंद नहीं थी. सिर्फ मोटे दहेज के लिए वह अपने बेटे को एक ऐसी लड़की के पल्ले बांध देना चाहते थेजो अनपढ़ थी. इसलिए सुकेश केरल की नौकरी छोड़ कर दिल्ली आ गया और चार साल से यहीं पर है.

सुकेश की बात सुन कर साक्षी इस सोच में पड़ गई कि जिंदगी हमारी हैफिर मांबाप अपनी ही क्यों चलाते हैं हमेशाऔर उस के साथ भी तो यही हुआ न. बिना उस की मर्जी के उस की शादी उस से 13 साल बड़े लड़के से करा दी गई. और नतीजा क्या हुआकिसी से छिपा नहीं है.

खैरजो हुआ अच्छा ही हुआ,’ अपने मन में सोच साक्षी मुसकरा उठी और सुकेश को फोन लगा दिया. कई दिनों से दोनों कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे थे. लेकिन छुट्टी न मिल पाने के कारण कहीं जा नहीं पा रहे थे. इन 10 दिनों की छुट्टी पर दोनों ने दार्जिलिंग घूमने का प्लान बना लिया. रास्ते की थकान के कारण होटल के कमरे में आते ही साक्षी बेड पर पसर गईतो सुकेश उस के ऊपर झुक गया और उस के गालों को चूम लिया. चंद मिनटों में ही उन के बीच की सारी दूरियां मिट गई. दार्जिलिंग में उन्होंने रोपवेहिमालयन पर्वतारोहणनाइटेंगल पार्कराक गार्डन आदि का खूब मजा लिया. यहां उन्हें अपार शांति और सुकून का अनुभव हो रहा था. आराम से दोनों प्रकृति की गोद में बैठ कर तारों की छांव में आने वाले दिनों के सपने बुने और फिर वापस दिल्ली आ गए.

आज भी वह सुकेश के ही सपनों में खोई थी. लेकिन जब सुकेश ने उसे यह बताया कि वह ईसाई हैतो साक्षी के पैरों तले जमीन खिसक गईक्योंकि कहां वह राजपूत परिवार से है और कहां सुकेश दलित. हमारे यहां ईसाई को दलित समझा जाता है. नहींसाक्षी को सुकेश के ईसाई होने से कोई समस्या नहीं थी. लेकिन क्या उस के परिवार वाले यह सब जानने के बाद इस रिश्ते को स्वीकारेंगे?

कहीं वे लोग इस शादी के खिलाफ हो गए तो…कहीं उसे रिश्ते से बेदखल कर दिया तो…क्या करेगी वह…?’ सोच कर ही साक्षी का माथा फटने लगा.ओहअब मैं क्या करूंरेणु बता न?” लेकिन रेणु क्या जवाब देती. बोली, “तू तो जानती है नमैं जातपांत में विश्वास नहीं रखती. मेरे लिए तो बस इनसान का बातविचार अच्छा होना चाहिए. और सुकेश तो सर्वगुण संपन्न है. लेकिनयह बात मैं अपने परिवार वालों को कैसे समझाऊंगी?”

अगर तुझे सुकेश पसंद है और लगता है कि तू उस के साथ खुश रहेगी तो बताने से डर क्यों रही हैबता दे न,” रेणु ने कहातो साक्षी को एक बल मिला. लेकिन यह सुनते ही कि साक्षी एक दलित लड़के से शादी करना चाहती हैघर में कोहराम मच गया. दोनों भाइयों ने तो तलवार ही निकाल ली और मां रोनाधोना मचाने लगी कि हायपैदा होते मर क्यों न गई ये. दोनों भाभियां भी मुंह बिचका कर कहने लगीं कि कल को जब लोगों को पता चलेगा कि इस घर की बेटी ने एक दलित से ब्याह कर लियातो उन के बच्चों पर क्या असर पड़ेगालोग तो हमारे घर से रिश्ता जोड़ना भी नहीं चाहेंगे. समाज में उन का उठनाबैठना तक बंद करवा दिया जाएगा.

अरेक्या हो गया है आप लोगों कोये जातपांतऊंचनीच कुछ नहीं होता मां. यह बस हमारी सोच है और कुछ नहीं. देखिएदेखिएक्या हमारे माथे पर लिखा है कि हम राजपूत हैंनहीं न. इनसान अपने कर्म से पहचाना जाता हैजाति से नहीं. क्यों नहीं समझ रहे हैं आप लोग यह बातवो नरेश तो हमारी जाति का था नकितना शरीफ थादेख लिया न आप लोगों नेअरेवह इनसान तो सुकेश के पैरों की धूलमात्र भी नहीं है. फिर भी आप लोग ऐसा बोल रहे हैंसुकेश अच्छा लड़का है मां. अच्छी कंपनी में नौकरी करता है. घरपरिवार से भी मजबूत है. तो और क्या चाहिए आप लोगों को?“ साक्षी के इतना समझाने पर भी उस के परिवार वाले टस से मस नहीं हुएबल्कि अपने फैसले पर कायम रहे.

तो ठीक हैअड़े रहिए आप अपने फैसले परलेकिन मैं तो शादी सुकेश से ही करूंगी. और आप मानें या न मानेंलेकिन मेरी नजरों में तो जाति दो ही हैंस्त्री और पुरुष और धर्म सिर्फ एक है इनसानियत.  बाकी सब पाखंड और धंधा है. और यह भी पता है मुझे कि सुकेश से शादी करने के बाद आप सब की नजरों में मैं भी दलित हो जाऊंगीतो कोई बात नहीं,” बोल कर साक्षी घर से निकल गई एक नया अध्याय लिखने.

मेरी गर्लफ्रेंड ने ब्रेकअप कर लिया है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 24 वर्ष है. मैं आजकल डिप्रैशन के दौर से गुजर रहा हूं. मैंने अपनी गर्लफ्रैंड को सच्चे दिल से चाहा था लेकिन उस ने मेरी फीलिंग्स की बिलकुल कद्र नहीं की. उस की जौब दूसरे शहर बेंगलुरु में लगी तो मेरी परवाह न करते हुए वहां चली गई. मैं ने यह भी सह लिया लेकिन एक महीने के अंदर वहां नया बौयफ्रैंड बना लिया और मु?ा से ब्रेकअप कर लिया. मु?ो लगता है उस ने मुझ से कभी प्यार किया ही नहीं था. अपनेआप पर गुस्सा आता है कि ऐसी लड़की को मैं ने क्यों चाहा, जिस के लिए मेरी हैसियत जीरो थी.

रातदिन उस के बारे में सोच कर दुखी रहता हूं. जानता हूं यह सब ठीक नहीं लेकिन क्या करूं. अपने को सम?ा नहीं पा रहा. बहुत डिप्रैस हो गया हूं. आप ही बताएं क्या करूं?

जवाब

माई डियर फ्रैंड, सब से पहले तो आप को यकीन करना होगा कि उस ने आप से कभी प्यार किया ही नहीं. वह बेवफा थी. वह आप के बारे में सोचती तक नहीं, फिर आप क्यों उस के पीछे अपनी जिंदगी बरबाद कर रहे हैं. एक खूबसूरत जिंदगी आप के सामने है और आप हैं कि अपने कदम थाम कर बैठ गए हैं और दुख के सागर में गोते लगाने में लगे हैं.

हम अच्छी तरह सम?ा रहे हैं कि दुनिया आप को नीरस लगने लगी है, जिंदगी का उत्साह खत्म हो गया है लेकिन दर्द में ही रहेंगे तो खुद को ही प्रौब्लम देंगे. इस में उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा इसलिए आप को कुछ ऐसा करना है कि आप अपनी जिंदगी दोबारा से हंसी-खुशी जी सकें.

सब से पहले तो सच को स्वीकार करते हुए एक नई एनर्जी के साथ अपने सपनों को पूरा करने में अपना वक्त बिताएं, जिस से आप का जीवन बेहतर बन सके और जिसे जान कर उस लड़की को ईर्ष्या हो कि आप को छोड़ कर उस ने बड़ी गलती की है.

हम इस बात से वाकिफ हैं कि आप का मन किसी से बात करने का नहीं करता होगा लेकिन अंदर ही अंदर न घुलें. कोई तो आप का ऐसा दोस्त होगा जिस से आप अपने दिल की बात शेयर कर सकते होंगे तो उस से अपने ब्रेकअप की बात करें, खुल कर उसे अपने ब्रेकअप के बारे में बताएं, आप को सुकून मिलेगा. किसी के सामने अपना गुबार निकालने से दिल हलका हो जाता है और दूसरे के सहानुभूति के शब्द आहत मन पर मरहम का काम करते हैं.

आप फ्री हैं और दोस्त लोग भी यदि फ्री हैं तो उन के साथ घूमेंफिरें. दोस्तों से मिलनेजुलने पर अच्छा लगेगा. जितना भी हो सके उस लड़की से जुड़ी बातों को जल्दी भूलने की कोशिश करें. इसलिए उस से जुड़ी हर चीज जैसे फोटो, ग्रीटिंग्स को फाड़ कर नष्ट कर दें. इस के अलावा उस के कौंटैक्ट नंबर, ईमेल, मैसेज सबकुछ डिलीट कर दीजिए. सोशल मीडिया पर अनफौलो कर दें और किसी भी तरह के संपर्क में रहने से बचें.

अपने शरीर और दिमाग को कहीं व्यस्त रखें. इसलिए आप किसी नए काम करने में, दोस्तों के साथ डांस करना, मूवी देखना, पढ़ाई करना, घूमना आदि कार्य कर के अपनेआप को व्यस्त रखें. जितना कम आप सोचेंगे उतना ही उसे भूलना आसान होगा.

दुख में गलत आदतों का शिकार होने की गलती बिलकुल मत कीजिए. इस से उस धोखेबाज लड़की को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बल्कि आप ही अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करेंगे. इसलिए अपने दिमाग से नकारात्मक विचार निकाल दें और हमेशा सकारात्मक सोच रखें. पौजिटिव थिंकिंग रखने वाले कभी हारते नहीं हैं.

वैसे बहुत लोग हैं जिन्हें प्यार में धोखा मिला है. आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं, इसलिए यह बहुत सामान्य बात है. वक्त के साथसाथ धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा. बस खुद पर भरोसा बनाए रखिए. जीवन के सफर में बहुत लोग मिलेंगे और यकीनन आप को कोई न कोई अपना लाइफ पार्टनर जल्दी ही मिल जाएगा, बस अपनी खोज जारी रखिए. हिम्मत न हारें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

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त्यौहार 2022: ऐसे बनाएं मेथी मटर मलाई रेसिपी

मटर की सब्जा सभी को पसंद आता है लेकिन अगर मटर में मेथी को एड करके बनाया जाए तो उसका स्वाद दोगुना बढ़ जाता है. तो आइए जानते हैं मेथी मटर मलाई बनाने का तरीका.

– हरी मेथी- 250 ग्राम (बारीक कटी हुई)

– हरे मटर के दाने (1/2 कप)

– टमाटर (3 मीडियम साइज के)

– क्रीम ( 1/2 कप)

– तेल (02 बड़े चम्मच)

– काजू (12 नग)

– धनिया पाउडर (01 छोटा चम्मच)

– हरी मिर्च (1-2 नग)

– लाल मिर्च पाउडर (01 छोटा चम्मच)

– अदरक (01 इंच का टुकड़ा)

– दाल चीनी (1/2 इंच का टुकड़ा)

– शक्कर (1/2 छोटा चम्मच)

– जीरा (1/2 छोटा चम्मच)

– काली मिर्च ( 6-7 नग)

– लौंग (2-3 नग)

– बड़ी इलाइची ( 02 नग)

– हींग (01 चुटकी)

– नमक (स्वादानुसार)

मेथी मटर मलाई बनाने की विधि

– सबसे पहले मेथी से पत्तियां तोड़ कर पानी से धो लें.

– इसके बाद एक बड़ी छन्नी में इन्हें रख दें, जिससे इनका पानी निथर जाये.

– पानी निथरने के बाद मेथी की पत्तियों को बारीक कतर लें.

– साथ ही मटर के दानों को धों लें.

– टमाटर को धो कर छोटा-छोटा काट लें.

– हरी हरी मिर्च के डंठल तोड़ लें.

– साथ ही अदरक को छील कर धो लें और छोटे-छोटे टुकड़े कर लें.

– इसके बाद टमाटर, हरी मिर्च, अदरक और काजू को मिक्सर मे डाल कर बारीक पीस लें.

– अब इलाइची को छील लें, फिर इलायची सहित सभी खड़े मसालों को इमामदस्ता में डाल कर कूट लें.

– इसके बाद एक पैन में 1/2 कप पानी, मटर के दाने और मेथी डालें और पकायें.

– पैन में उबाल आने पर आंच धीमी कर दें और मटर के दाने नरम होने तक इन्हें पकने दें.

– अब एक कढ़ाई में तेल डाल कर गरम करें.

– तेल गर्म होने पर हींग और जीरा डाल कर तड़का लगायें.

– इसके बाद लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, पिसा हुआ मसाला डालें और अच्छी तरह से भून लें.

मसाले भुन जाने पर कढ़ाई में क्रीम डालें और 02 मिनट तक भून लें.

– इसके बाद कढ़ाई में गरम मसाला डाल कर मिला दें.

– साथ ही उबली हुई मेथी और मटर के दाने, शक्कर और ज़रूरत के मुताबिक पानी मिला दें और उबाल आने तक पका लें.

– इसके बाद गैस बंद कर दें.

– अब आपकी स्वादिष्ट मेथी मटर मलाई तैयार है, इसे गर्मा-गरम निकालें और  रोटी या पराठे के साथ आनंद लें.

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