Download App

अगर तुम न होते -भाग 2 : अपूर्व ने संध्या मैडम की तस्वीर को गले से क्यों लगाया?

जौन अपूर्व का दोस्त है, कहें तो बेस्ट फ्रैंड. जब अपूर्व यहां अमेरिका आया था तब जौन ही था जिस ने उसे पूरी तरह से सपोर्ट किया था और जब उस का ऐक्सिडैंट हुआ, तब जौन ही था जिस ने पूरी रात जागजाग कर उस की सेवा की थी.

“ओके ओके, सौरी. अब यह बताओ कि बात क्या है क्योंकि इतना हंसते तो मैं ने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा?” जौन बोला.

“वह इसलिए मेरे दोस्त, कि मैं हमेशा के लिए अपनी मां के पास इंडिया जा रहा हूं,” बोलते हुए अपूर्व के चेहरे पर अजीब सी खुशी झलक रही थी. लेकिन अपूर्व के इंडिया जाने की बात सुन कर जौन एकदम से उदास हो गया.

“अब इस में इतना उदास होने वाली क्या बात है? और इंडिया जा रहा हूं, दुनिया से तो नहीं,” अपूर्व बोला तो जौन ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया कि ‘प्लीज, ऐसी बातें वह अपने मुंह से न निकाले.’

“तो फिर खुश हो जाओ. और एक अच्छा सा हिंदी गाना सुना दो.” जौन भले ही हिंदी गाने में अटकता था पर उसे हिंदी गाना बहुत पसंद था, खासकर, किशोर कुमार और मुकेश दा के गानों का तो वह फैन था.

“अच्छा, एक बात बताओ, तुम्हें सिर्फ अपनी मां से मिलने की खुशी है या फिर कोई और भी है जिस से मिलने की गुदगुदी हो रही है दिल में?” उस की आंखों को पढ़ते हुए जौन हंसा, तो अपूर्व की मुसकराहट निकल पड़ी. “यानी, मैं सही हूं. कोई है न, कोई है न, बोलो? मुझ से मत छिपाओ,” जौन तो उस के पीछे ही पड़ गया.

“तुम भी न, जौन, कुछ भी बोलते हो. ऐसी कोई बात नहीं है.”

अपूर्व साफ झूठ बोल गया क्योंकि उस का दिल आज भी सुनिधि के लिए ही धड़कता है. सुनिधि के प्यार के एहसासों का समुद्र आज भी उस के दिल में वैसे ही बह रहा है. 2012 में 10+2 की परीक्षा के बाद मैडिकल की पढ़ाई के लिए जब वह अमेरिका जा रहा था तब सुनिधि से उस की आखिरी बार मुलाकात हुई थी. संध्या के साथ वह भी आई थी उसे एयरपोर्ट छोड़ने. भावपूर्ण नजरों से देखते हुए जब हौले से अपूर्व बोला था, ‘फोन तो करोगी न, मुझे?” तब सुनिधि के गाल आरक्त हो गए थे. उस के होंठों से मंदमंद झरती मुसकान का उजास आज भी अपूर्व को उत्साह से भर देता है. मन ही मन वह भी अपूर्व को चाहने लगी थी. तभी तो फोन पर कहा था कि वह उस के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है. अपूर्व के दिल में भले ही सुनिधि बसी है पर शादी तो वह वहीं करेगा जहां संध्या कहेगी. लेकिन उसे यह नहीं पता कि खुद संध्या भी सुनिधि को अपनी बहू बनाने के सपने देख रही है.

सुनिधि, संध्या की सहेली गीता की बेटी है और वकालत की पढ़ाई कर अभी प्रैक्टिस कर रही है. लेकिन संध्या को इस बात का डर है कि कहीं अपूर्व इस शादी के लिए मना न कर दे. यह सोच कर कभी उस ने अपूर्व के सामने शादी की बात नहीं छेड़ी. एक बार गीता ने कहा भी था कि क्यों न हम दोस्त से रिश्तेदार बन जाएं. पर उस की बात को संध्या ने हंसी में उड़ा दिया था. लेकिन आज अपूर्व ने यह बात कह कर कि शादी तो वह अपनी मां की पसंद की लड़की से ही करेगा, संध्या का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. अब जा कर वह अपनी सहेली गीता से कह सकती है कि चल, हम अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दें.

“बट आई कांट अंडरस्टैंड कि इतनी अच्छी जौब छोड़ कर तुम इंडिया क्यों जाना चाहते हो? इतने बड़े हौस्पिटल में जौब पाने के लिए लोग तरसते हैं और तुम हो कि…क्या तुम्हें नाम, फेम और पैसा नहीं चाहिए?” जौन बोला.

“नाम, फेम और पैसों की भूख नहीं है मुझे, जौन. मैं ने तो डाक्टरी की पढ़ाई ही इसलिए की है ताकि गरीबों की सेवा कर सकूं. मेरी मां का सपना है कि अपने गांव में एक अच्छा अस्पताल हो जहां गरीबों का मुफ्त इलाज हो सके. आज भी गांव के लोग अपने इलाज के लिए शहर भागते हैं क्योंकि हमारे गांव में ढंग का कोई अस्पताल नहीं है. जानते हो जौन, कोरोनाकाल में अच्छा अस्पताल और डाक्टर्स न होने की वजह से कितने लोग बिना दवाई और इलाज के मर गए. यह बात मुझे आज भी सालती है. लेकिन अब मैं अपने गांव के लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूं जो वहां जा कर ही संभव है.”

“वेल, जो तुम्हें ठीक लगे. लेकिन अपनी शादी में तो बुलाओगे न मुझे,” अपूर्व के कंधे को थपथपा कर जौन बोला.

“अरे, यह भी कोई पूछने वाली बात है. औफकोर्स, बुलाऊंगा ब्रो. और नहीं आए न, तो समझ लेना…” कह कर अपूर्व ने जौन के पेट में एक घूंसा मारा तो उस के मुंह से ‘आउच’ निकल गया. “जानते हो जौन, मेरी मां का सपना था कि एक दिन मैं बहुत बड़ा डाक्टर बनूं. और आज मैं ने अपनी मां का सपना पूरा कर दिखाया,” बोलते हुए खुशी से अपूर्व की आंखें चमक उठीं.

“यू लव योर मौम, वेरी मच न?” जौन की बात पर अपूर्व ने ‘हां’ में सिर हिलाया. “यू आर सो लकी ब्रो दैट यू हैव अ मौम,” बोलते हुए जौन की आंखें भर आईं.

जौन जब 8 साल का था, तभी एक ऐक्सिडैंट में उस की मां चल बसी थी. और यह बात अपूर्व जानता था. इसलिए उस ने उस का कंधा थपथपाते हुए कहा, “आर यू ओके?”

“इया, आई एम औलराइट,” एक लंबी सांस भरते हुए जौन बोला, “तुम ने ही बताया था कि तुम्हारी मौम ने गांव के बच्चों को शिक्षित करने के लिए बहुत स्ट्रगल किया. मुझे उन के बारे में और कुछ बताओ न. अच्छा लगता है सुनना.” गोद में कुशन रख आराम से बैठते हुए जौन ने यह कहा.

“क्या बताऊं उन के बारे में. क्योंकि, उन के बारे में जितना भी बताऊंगा, कम ही होगा,” ऊपर छत की तरफ देखते हुए अपूर्व कहने लगा, “उन्होंने भले ही मुझे अपनी कोख से जन्म नहीं दिया लेकिन वे मेरे लिए मेरी मां से भी बढ़ कर हैं.”

मां का जन्म-भाग 6: माधुरी किस घटना से ज्यादा दुखी थी?

माधुरी चुपचाप वहीं बैठी रही. वह सोचे जा रही थी. उस के दिमाग में वे सारे ताने, वे सारी लांछनें घूम रही थीं. वह दिन कभी नहीं भूलता है उसे जब मिसेज खन्ना ने अपने बच्चे की छट्ठी में माधुरी को बच्चा गोद में नहीं लेने दिया. मिसेज खन्ना का मानना था कि शुभ काम में बांझ औरतों को दूर रखना चाहिए. सब ने बच्चे को गोद में लिया. जब माधुरी की बारी आई तो मिसेज खन्ना ने बच्चा उस की गोद में नहीं डाला और आगे बढ़ गई. माधुरी बिना कुछ कहे अपमान का घूंट पी कर वहां से वापस आ गई. कई लोगों ने मिसेज खन्ना को इस बरताव के लिए टोका पर वह वैसी ही रही.

घर आ कर माधुरी बहुत रोई. सारी रात रोती रही. प्रभाष ने बहुत समझाया पर वह सिसकती रही. प्रभाष ने खन्ना जी को फोन कर के एहतराज जताया. उन्होंने मिसेज खन्ना के बरताव के लिए माफी मांगी. ऐसी अनगिनत घटनाओं को सोच रही थी माधुरी.

काफी समय बीतने के बाद प्रभाष ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “वह टैस्ट का बता रही थीं तुम?”

“हां, प्रेगाकिट वाला पौजिटिव आया है. कल लैबटैस्ट कराती हूं.”

“हां, करवा लो. वैसे, अंशुल-रोली तो हैं ही.”

“पता नहीं क्यों मुझे डर लग रहा है?” माधुरी ने अपनी हालत बयां करते हुए कहा.

“इस में डरना क्या है. कितनी बार ये टैस्ट हो चुके हैं. आधी स्त्रीरोग विशेषज्ञ तो तुम खुद ही हो चुकी हो. चिंता मत करो, सब अच्छा होगा.”

“मुझे लग रहा है इस बार मैं…” कहती हुई चुप हो गई माधुरी.

“ज्यादा सोचो मत. अभी लैबटैस्ट कराओ, फिर देखते हैं.”

अगले दिन माधुरी ने लैबटैस्ट कराया, वह भी पौजिटिव. इस के बाद उस ने सीटी स्कैन भी कराया. स्कैन में भी माधुरी गर्भवती पाई गई. जिस अवस्था को पाने के लिए उस ने क्याक्या जतन नहीं किए, क्याक्या नहीं सहा वह आज अपनेआप उसे मिलने जा रही है.

प्रभाष ने यह बात किसी को नहीं बताई सिवा मां के. और मां को भी हिदायत दी कि वे किसी से न बताएं. मां ने भी परिस्थिति को समझते हुए उसे माधुरी का ध्यान रखने को कहा. अब तो माधुरी को उलटियां भी आने लगीं. माधुरी लगातार उलटी करती थी.

प्रभाष माधुरी का विशेष ध्यान रखने लगा. मां भदोही से आ गईं. इन सब के बीच माधुरी चुपचुप सी रहने लगी. वह किसी से बहुत ज्यादा बात न करती. प्रभाष से भी कामभर की बात होती. प्रभाष ने कई बार कोशिश की माधुरी का मिजाज सही करने की, पर असफल रहा.

एक दिन मां ने सुबह खाने की टेबल पर कहा, “बहू, आजकल तू उदास क्यों रहती है? अरे, प्रकृति कितनी दयावान है हम पर. यह बच्चा सही से हो जाए तो ग्रैंड पार्टी आयोजित की जाएगी. खुश रहा करो. अब तेरी अपनी कोख का बच्चा तेरी गोद में खेलेगा. एक छोटी सी कमी रह गई थी वह भी पूरी होने वाली है.”

माधुरी ने कुछ नहीं कहा, प्रभाष की ओर देखा. वह नाश्ता करने में व्यस्त था. फिर माधुरी अपने कमरे में चली गई. दिन गुजरने के बाद रात को 1 बजे माधुरी ने प्रभाष को नींद से जगाया और कहा, “सुनिए, मैं बहुत परेशान हूं. आप से बात करनी है.”

“कहो, क्या बात है, क्यों परेशान हो, तुम?”

“जब से मैं गर्भवती हुई हूं, मुझे एक चिंता खाए जा रही है. मैं जानती हूं कि यह एक चमत्कार से कम नहीं है. डा. सुहासिनी ने भी कहा ही है कि अपनी मैडिकल लाइफ में उन्होंने ऐसा नहीं देखा, 4 आईवीएफ फेल के बाद सरोगेसी और फिर नौर्मल गर्भाधान.”

प्रभाष ने बीच में टोकते हुए कहा, “उस दिन हैरान तो थी डा. सुहासिनी. सही भी है.”

“आप समझ नहीं रहे. मेरी चिंता अंशुल-रोली को ले कर है,” कह कर माधुरी चुप हो गई और प्रभाष की ओर देखने लगी.

“उन को ले कर क्यों चिंतित हो? उन की जितनी देखभाल तुम करती हो उतना कोई और नहीं कर सकता. अगर सब अच्छा रहा तो हमारे 3 बच्चे होंगे. कहां कभी हम एक के लिए क्याक्या नहीं सहे और आज तीसरे का तोहफा मिलने जा रहा है. प्रकृति की कृपा बनी रहे.”

“आप को नहीं लगता कि मेरी कोख से जन्मे इस बच्चे के कारण अंशुल-रोली का हक मारा जाएगा?”

माधुरी के इस सवाल पर प्रभाष अचंभित हो गया. उस ने कहा, “इस से अंशुल-रोली का हक क्यों मारा जाएगा. वे भी हमारे बच्चे हैं और यह तो हमारा है ही. तुम्हें नाहक ऐसा लग रहा है. यह तुम्हारे दिमाग का फितूर है, बस, और कुछ नहीं.”

“आप ने अभी क्या कहा, वे भी हमारे बच्चे हैं और यह तो हमारा है ही. यह ‘भी’ का क्या मतलब है. और फिर क्या कहा, ‘यह तो हमारा है ही’. आप अभी से भेद कर रहे हो. यही सब मेरी चिंता है.”

प्रभाष बचाव की मुद्रा में आते हुए तुरंत बोला, “अरे, भी का मतलब इतना गहरा मत निकालो. ऐसे ही कहा है.”

“भेदभाव भी ऐसे ही होता है. मम्मी जी जब से आई हैं तब से कितनी बार कह चुकी हैं कि तुम्हारी कोख का यह जो होगा, देखना कितना तेज होगा. अपना जना अपना ही होता है. अंशुल-रोली मेरा जीवन हैं. इन्होंने मुझे पहली बार अपने स्त्री होने का एहसास कराया है. मेरा सारा जीवन इन पर न्योछावर है. मेरे कलेजे का टुकड़ा हैं. मुझे लगता है कि तीसरे बच्चे के आने पर आप का, समाज का सब का नजरिया अंशुल-रोली के लिए बदल जाएगा. ये दोयम दर्जे की संतानें मानी जाएंगी,” कहतेकहते माधुरी की आंखें नम हो गईं.

“मैं फिर कह रहा हूं, तुम्हारा वहम है ये सब. जहां तक मेरा सवाल है, मैं तीनों बच्चों को एकसमान मानूंगा. और मम्मी से मैं कल ही बात करता हूं. उन्होंने भी ऐसे ही कहा होगा. कितना प्यार करती हैं वे अंशुल-रोली से. कहांकहां की मन्नतें इन के होने के बाद उन्होंने पूरी की हैं. सब भूल गईं. कोई भेदभाव नहीं होगा. हम सब पढ़ेलिखे, समझदार लोग हैं. ऐसा मत सोचो.”

“आप फिर वही भेद कर रहे हैं. आप ने फिर कहा, ‘मैं तीनों बच्चों को एकसमान मानूंगा’. मतलब, आप एक एहसान करेंगे. तीनों एकसमान नहीं हैं, पर आप मानेंगे. और रही बात पढ़ेलिखे होने की, तो उस का भेदभाव से कोई नाता नहीं होता. इतनी शिक्षा के बाद भी आज समाज में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कितना भेदभाव है. आप बुरा मत मानिए मेरी बात का, लेकिन सोचिए, इन दोनों मासूमों की क्या गलती है. जब हम अपने बच्चे पैदा नहीं कर पाए तब हम ने सरोगेसी का सहारा लिया. अब जब हमारे पास अंशुल-रोली हैं तो क्या जरूरत है एक और बच्चे की? नए बच्चे के जन्म लेते ही एक पल में सब का प्यार बंट जाएगा. आप का कोई कुसूर नहीं है. और आप को मैं क्या कहूं, अपने बारे में मैं खुद नहीं जानती. आज जिस बेबाकी से मैं आप से बोल रही हूं, मुझे नहीं पता कि 9 महीने अपनी कोख में रखने के बाद बोल पाऊंगी या नहीं. 9 महीने यह मेरे शरीर में पलेगा. मेरा खाया उसे मिलेगा, मेरी हर हरकत से जुड़ा रहेगा. ऐसे में मैं खुद उस से जुड़ जाऊंगी. क्या आप, मैं भेदभाव नहीं करूंगी, इस की गारंटी ले सकते हैं? ले सकते हैं आप मेरी गारंटी?”

प्रभाष गंभीर हो गया और सोचने लगा. थोड़ी देर बाद उस ने कहा, “तुम्हारी यह बात सही है. 9 महीने गर्भ में रखने के बाद जाहिर है तुम्हें उस से ज्यादा प्यार हो सकता है. मैं ने इस दृष्टिकोण से सोचा ही नहीं था. लेकिन जब तुम अभी इतना प्यार करती हो तो तब भी करोगी, ऐसा मेरा विश्वास है.”

“आप का मुझ पर विश्वास है, पर मेरा खुद पर नहीं है. बच्चा गर्भ में मातापिता दोनों के अंश ले कर आता है, विकसित होता है, फिर मां को अपने अनुसार ढालता है. अकसर आप ने सुना होगा गर्भावस्था में स्त्री अपने व्यवहार से उलटा खानपान करने लगती है. जिसे मीठा नहीं पसंद वह मीठा खाने लगती है, जो फल या सब्जी कभी नहीं छूती वे फलसब्जियां पसंदीदा हो जाते हैं. ये सब पेट में पल रहे बच्चे की पसंद के हिसाब से होता है.

“कहते हैं, एक स्त्री का 3 जन्म होता है. पहला, जब वह एक शिशु के रूप में पैदा हुई. दूसरा, जब वह ब्याह कर के ससुराल आई और तीसरा तब जब उस ने एक बच्चे को जन्म दिया. इन तीनों में उसे नए लोग, नया माहौल, नई परिस्थितियों में जीना होता है. खुद को उस के अनुरूप ढालना होता है. अंशुल-रोली में मैं ने वह तीसरा जन्म जिया है.

“यह आने वाला मेरे में क्या बदलाव लाएगा, मैं नहीं जानती. हो सकता है, मैं अंशुल-रोली को पहले जैसे ही प्यार करूं. पर यह भी हो सकता है कि मैं होने वाले बच्चे को ज्यादा प्यार दूं और इन से सौतेला व्यवहार करूं. उस दशा में इन का क्या होगा? यह सोचसोच कर मेरा सिर फटा जा रहा है. आप को इतनी रात जगाया, इस के लिए क्षमा. पर दिन में सब लोग होते हैं, कब बात करूं.”

प्रभाष को माधुरी की चिंता का कारण अब समझ में आया. वह भी सोच में पड़ गया कि वाकई में ऐसा हुआ तो अंशुल-रोली के साथ अन्याय होगा.

“तुम्हारा सोचना सही है, माधुरी. अच्छा किया तुम ने अपने दिल की बात कही. मैं भी सोचता हूं इस पर. मैं ने कह तो दिया है कि मेरे लिए तीनों बच्चे बराबर होंगे पर तुम्हारी पूरी बात सुनने के बाद मेरा भी आत्मविश्वास डगमगा गया है. तुम इस समय चिंता मत करो, अपने स्वास्थ्य का ध्यान दो. इस पर फिर बात करते हैं.”

“फिर कब बात करेंगे, आने वाले 5-7 हफ्तों में ही निर्णय लेना है. उस के बाद तो यह बच्चा पैदा ही करना पड़ेगा.”

“मैं समझा नहीं, तुम क्या कहना चाहती हो कि आने वाले हफ्तों में ही निर्णय लेना है?” झुंझला कर प्रभाष ने कहा.

“20 हफ्तों के अंदर हम गर्भपात करा सकते हैं. अभी 11 हफ्ते ही हुए हैं. इसलिए मैं कह…”

“पागल हो गई हो क्या? क्या बक रही हो? होश है?” प्रभाष ने चिल्लाते हुए कहा.

“चिल्लाइए मत, पूरे होशोहवास में कह रही हूं. एक मां बनने की तड़प मैं ने जी है. मैं ने सुने हैं बांझ होने के ताने. और आने वाले 9 महीने मुझे ही सहना है सबकुछ. गर्भधारण में पुरुष सिर्फ सहारा दे सकता है, साथ नहीं. जब आप खुद मान रहे हो कि अंशुल-रोली से भेदभाव हो सकता है तो क्या आप उन के जीवन के साथ यह जोखिम लेने को तैयार हो?” माधुरी ने भी चिल्ला कर कहा और फूटफूट कर रोने लगी.

“इस का मतलब यह तो नहीं कि हम अपना बच्चा गिरा दें. हम कोशिश करेंगे तीनों को समान प्यार देने की. तीनों हमारे लिए बराबर होंगे,” प्रभाष ने माधुरी का चेहरा हाथों में ले कर ऊपर उठाया और उसे अपनी बांहों में समेट लिया.

“आप समझ नहीं रहे हैं. यह एक जुआ है उन की जिंदगी के साथ. एक तरफ अंशुल-रोली के प्रति मेरी ममता है और दूसरी तरफ मेरी कोख है. इस जुए में चाहे जो जीते, हारेगी एक मां ही. अगर मैं नए बच्चे को कम प्यार दूंगी तो उस का हक भी मारूंगी. आप पुरुष हैं, आप नहीं समझ सकते. एक नन्हे के आंगन में आने से ले कर उस के बड़े होने तक, अनवरत रहती है मां.

“आज से 2 साल पहले हमें सिर्फ अपना एक बच्चा चाहिए था चाहे जैसे. प्रकृति ने हमें जुड़वां दिए, वे कम हैं क्या? अंशुल-रोली के मेरी गोद में आने के बाद मेरी कोख को तृप्ति मिल गई. इस बार शुरू में मैं बहुत खुश हुई पर जब इन का चेहरा देखती हूं तो रुलाई छूटती है क्योंकि आने वाले कुछ महीनों में मैं खुद इन के लिए कितना बदल जाऊंगी, नहीं जानती. जिस माधुरी सक्सेना ने praignaintप्रैग्नैंट होने के लिए इतना सहा है वही आप से हाथ जोड़ कर विनती कर रही है कि यह बच्चा गिरवा दीजिए,” कहती हुई माधुरी ने हाथ जोड़े और रोने लगी. रोतेरोते उस ने अपना सिर प्रभाष की गोद में रख दिया.

प्रभाष की आंखें भर आईं. वह माधुरी के सिर पर हाथ फेरने लगा. दोनों उसी तरह पड़े रहे, माधुरी सिसकती रही और प्रभाष खामोश. कुछ समय बाद प्रभाष ने कहा, “तुम ठीक कह रही हो, माधुरी. हम कुछ ज्यादा ही स्वार्थी हो गए हैं. हम इस बारे में अब किसी और से चर्चा नहीं करेंगे. मैं समझ ही नहीं पा रहा था तुम जो समझाना चाह रही थीं. मम्मी से कल मैं बात करूंगा. बच्चा गिराने के इस निर्णय में मैं तुम्हारे साथ हूं.” इसी के साथ प्रभाष की आंखों से दो बूंदे माधुरी के गालों पर पड़ीं, जो इस बात की गवाह हैं कि मां ‘यशोदा’ का आज जन्म हुआ है.

नायिका-भाग 1: जाटपुर की सुंदरी की क्या कहानी थी?

जटपुर गांव की सुंदरी का बचपन तेजी से सिमट रहा था और जवानी दिनबदिन निखर और उभर रही थी. सुंदरी जब खुद को आईने में देखती तो अपने उभारों को देख कर लजा जाती. अब वह अपने सजनेसंवरने पर ज्यादा ध्यान देने लगी थी. गांव के लड़के उस से छेड़छाड़ करते तो वह उन्हें धमकाती, पागल कहती, लेकिन मन ही मन खुश होती कि लड़के उस की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इस से उसे अजीब तरह की सुख और आनंद की प्राप्ति होती.

लेकिन इन छिछोरे लड़कों के अतिरिक्त कुछ ऐसे मर्द भी थे जो शादीशुदा तो थे लेकिन उन का लफंगापन अभी उन के मन से गया नहीं था. वे सुंदरी जैसी कम उम्र की लड़कियों को भी छेड़ने से बाज नहीं आते थे.

एक दिन ऐसे ही 2 लफंगों नकटू और शाकिब ने राह चलती सुंदरी को न केवल छेड़ा बल्कि उस के कोमल अंगों की चिकोटी भी काट ली. सुंदरी ने न केवल बुराभला कहा बल्कि उन की चप्पलों से खबर ली. होहल्ला होने पर गांव वालों ने भी नकटू और शाकिब को आड़े हाथों लिया.

सुंदरी का पिता जगप्रसाद तो उन्हें थाने तक खींच कर ले जाना चाहता था लेकिन गांव वालों ने उसे समझाबुझा कर रोक लिया. नकटू और शाकिब ने इस अपमान को दिल पर ले लिया और वे सुंदरी को खतरनाक सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए. उन्होंने अपने 2 साथी लफंगों कलवा और टिपलू को भी अपने साथ ले लिया.

रोजाना की तरह एक दिन सुंदरी अपने पिता को खेत पर खाना खिला कर घर वापस लौट रही थी. जैसे ही सुंदरी ईख के खेत की पगडंडी से हो कर गुजरी तो वहां घात लगाए बैठे नकटू, शाकिब, कलवा और टिपलू ने उस का मुंह भींच कर उसे खेत के अंदर खींच लिया. उस के मुंह के अंदर उस के लाल दुपट्टे को ठूंस कर सुंदरी के साथ हैवानियत का खेल शुरू कर दिया.

चारों गिद्ध उस बेचारी और असहाय चिड़िया को बुरी तरह नोंच कर, उसे मरणासन्न स्थिति में छोड़ कर भाग गए.

जब काफी देर तक सुंदरी घर नहीं पहुंची तो उस की तलाश शुरू हुई. जगप्रसाद और गांव वालों को सुंदरी को तलाशने में ज्यादा देर न लगी. ईख के खेत में वह नग्नावस्था व मरणासन्न स्थिति में मिल गई. उस के मुंह में लाल दुपट्टा ठुंसा हुआ था, हाथपैर बंधे हुए थे और वह खून से लथपथ थी. स्पष्ट था, सुंदरी के साथ जोरजबरदस्ती की गई थी.

 

GMKKH: ऐश्वर्या शर्मा की तस्वीर हैं चर्चा में , फैंस ने किया ये कमेंट

सीरियल गुम है किसी के प्यार में की अदाकारा पत्रलेखा को लोग संस्कारी बहू के तौर पर देखते हैं लेकिन लोगों के सामने जैसे ही पत्रलेखी की लेटेस्ट तस्वीर आई है उसे देखकर सभी हैरान रह गए हैं, इस तस्वीर में पत्रलेखा काफी ज्यादा बोल्ड नजर आ रही हैं.

सोशल मीडिया पर पोस्ट हो रहे तस्वीर में पत्रलेखा अपनी किरदार से बिल्कुल अलग नजर आ रही है, बता दें कि एश्वर्या शर्मा ने एक्टिंग से पहले मॉडलिंग में हाथ आजमाया था, कई बार अदाकारा अपना डांस वीडियो भी शेयर करती दिखाई देती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha Singh (@ayesha.singh19)

व्हाइट कलर की आउटफिट में एश्वर्या शर्मा एक से बढ़कर एक पोज देती नजर आईं, जिसमें वह काफी ज्यादा कूल नजर आ रही हैं, इस तस्वीर को अभी तक 83 हजार से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं.

वायरल हो रही तस्वीर में एश्वर्या शर्मा व्हाइट कलर की स्लिम गाउन में नजर आ रही हैं, जिसमें वह काफी ज्यादा खूबसूरत लग रही हैं. इस फोटो में एश्वर्या ने कहर ढ़ाहने की कोई भी कमी नहीं कि हैं. एश्वर्या शर्मा की इन तस्वीरों को लेकर फैंस जमकर एश्वर्या पर प्यार लुटाते नजर आ रहे हैं. एक यूजर ने उन्हें कमेंट करते हुए लिखा है कि आप तो एकदम परि लग रही हैं, तो वहीं दूसरे ने लिखा है कि इतनी ज्यादा खूबसूरती.

वहीं एश्वर्या शर्मा अपनी इन तस्वीर को लेकर ट्रोलर्स के निशाने पर भी आती हुई दिखाई दे रही हैं.

Bigg Boss 16: रोहित शेट्टी की एंट्री से घबराए दर्शक, कंटेस्टेंट को मिला ऑफर

टीवी का विवादित शो बिग बॉस फिनाले के तरफ बढ़ गया है, हर दिन कुछ नया ट्विस्ट देखने को मिल रहा है, दो दिन बाद फिनाले हैं इससे पहले ही रोहित शेट्टी की धमाकेदार एंट्री हो चुकी है. उनकी एंट्री से जहां शिव ठाकरे और प्रियंका चहल चौधरी का खतरा मंडरा रहा है.

बिग बॉस ने अपना नया प्रोमो शेयर कर दिया है जिसमें रोहित सिंह की शानदार एंट्री दिखाई जा रही है,  बिग बॉस में कहते हैं नजर आ रहे हैं कि किसी भी चीज में गलत होेने से अच्छा है कि काम में थोड़ी देरी हो.  इसके साथ ही कह रहे हैं कि हमारे साथ खतरा अब आ गया है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Rohit Shetty (@itsrohitshetty)

इसके बाद सभी कंटेस्टेंट गार्डन एरिया में आकर खड़े हो जाते हैं, आगे दिखाया जा रहा है कि जैसे ही रोहित शेट्टी एंट्री करते हैं वैसे ही कांच टूट जाता है.

बता दें कि इससे पहले भी रोहित शेट्टी एंट्री कर चुके हैं और उन्होंने प्रियंका और शिव ठाकरे को खतरों के खिलाड़ी के लिए ऑफऱ दे दिया था.

अब देखना है कि इस साल बिग बॉस 16 का विनर कौन बनता है, ऐसे में कंटेस्टेंट भी काफी ज्यादा परेशान हैं अपनी टॉस्क को लेकर. दर्शक भी काफी ज्यादा उत्साहित हैं बिग बॉस 16 के विनर का नाम जानने के लिए.

अक्लमंदी-भाग 1: नीलिमा मनीष को शादी के लिए परेशान क्यों कर रही थी?

विश्वविद्यालय का हिंदी पत्रकारिता विभाग इस साल मुंशी प्रेमचंद की जयंती धूमधाम से मना रहा था। 31 जुलाई को प्रेमचंद की जयंती थी, लेकिन 1 जुलाई से ही प्रेमचंद के रचना संसार पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने लगा था।

उन की कहानियों पर आधारित एक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन शहर के राजभवन मार्ग में स्थित रवींद्र भवन में किया जाना था, क्योंकि वहां के औडिटोरियम में 250 लोगों के बैठने की क्षमता थी। चूंकि इस प्रतियोगिता के विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी इसलिए लगभग 225 से 250 प्रतियोगियों के इस प्रतियोगिता में शामिल होने की संभावना थी।

भाषण प्रतियोगिता की तैयारी जोरशोर से की जा रही थी। अखबारों में रोज विज्ञापन दिए जा रहे थे। महाराणा प्रताप नगर (एमपी नगर), न्यू मार्केट, ऐयरपोर्ट, रेलवे व बस स्टैंड जैसे प्रमुख जगहों पर कार्यक्रम के होर्डिंग्स लगाए गए थे। औटो और बस के पीछे भी बड़ी संख्या में पोस्टर चिपकाए गए थे। स्थानीय टीवी चैनलों में भी इस प्रतियोगिता के विज्ञापन दिए जा रहे थे।

मनीष को इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। मनीष भोपाल के कवि सम्मेलनों, मुशायरों और सम्मेलनों की धड़कन था। उस के बिना कोई भी कार्यक्रम अधूरा माना जाता था। चूंकि मनीष ने इसी विश्वविद्यालय से ही पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की थी, इसलिए विश्वविद्यालय के कुलपति ने बड़े अधिकार से मनीष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था।

मनीष भी बहुत खुश था, क्योंकि जिस विश्वविद्यालय से उस ने पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की थी, वहां वह मुख्य अतिथि बन कर जाने वाला था। मनीष भोपाल में सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक में उपमहाप्रबंधक (डीजीएम) के पद पर कार्यरत था, लेकिन साथ में वह 12 वर्षों से स्वतंत्र लेखन भी कर रहा था।

वह लेख के अलावा गीत, गजल, दोहा, कहानियां आदि लिखा करता था। देशभर में उस की पहचान स्तंभकार, कथाकार, शायर और गीतकार के रूप में थी। हर सप्ताह उस के 3 से 4 लेख और 1 से 2 गजल या गीत देश के प्रमुख दैनिकों व पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थीं।

मनीष बैंकिंग और आर्थिक विषयों पर लेखन करता था। लेखन की वजह से देश के कई नामचीन हस्तियों के साथ मनीष का उठनाबैठना था। दर्जनों पुरस्कार मनीष को मिल चुका था। कई फिल्मों के गीत और स्क्रिप्ट वह लिख चुका था। बौलीवुड के बड़े कलाकारों के साथ भी उस की मित्रता थी।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोहरी नीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी एक मौन रहने वाले प्रधानमंत्री नहीं माने जाते, हम सभी जानते हैं कि नरेंद्र मोदी एक बातें करने वाले प्रधानमंत्री हैं. वह नित्य किसी न किसी से बातें करते हैं उनकी छवि एक अच्छा बोलने वाले राजनेता की है प्रधानमंत्री के रूप में भी वे बड़ी अच्छी अच्छी बातें करते हैं चाहे वह मन की बात हो या फिर अन्य कोई मंच कहने से नहीं चूकते यह अच्छी बातें हैं. मगर इन्हें व्यक्तिगत जीवन में उतारना भी उतना ही जरूरी है जितना आम जनता अर्थात देशवासियों के लिए प्रेरक वक्तव्य.

मगर पता नहीं क्यों नरेंद्र मोदी की बातें तो कुछ और होती हैं और आचरण कुछ और होता है यह जहां देश के लिए कठिन स्थिति पैदा करता है वही नरेंद्र मोदी की विराट छवि पर एक दाग जैसा है. हम बात करें प्रधानमंत्री कार्यालय में बनाया गए केयर्स फंड की तो इस पर अनेक सवाल उठते रहे हैं और यह अपेक्षा की गई थी कि जो कुछ भी होगा वह देश के सामने होगा यानी पारदर्शी होगा. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी इस फंड की जानकारी देश की जनता को देने के इच्छुक नहीं है.इस आलेख के माध्यम से हम आपसे भी जानना चाहते हैं कि क्या प्रधानमंत्री का यह कदम उचित है. हमारा सीधा सा सवाल यह है कि जब प्रधानमंत्री देश के हैं, पैसे देश के हैं तो फिर आप जिन्हें देंगे उसे बताने में गुरेज क्यों है ? जब आप दुनिया भर से पारदर्शिता चाहते हैं जब आप देश की जनता के हर दस्तावेज को खुली किताब रखना चाहते हैं तो फिर आपकी छोटी सी छोटी बात या निर्णय देश के सामने क्यों नहीं आना चाहिए.

कृपया इस सवाल का जवाब आपको देना चाहिए.

दरअसल, यह विवाद लंबे समय से चल रहा है और अब अंततः देश की सुप्रीम अदालत में पहुंच चुका है जहां से नोटिस के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बार फिर दोहराया है कि यह सब नियम कायदों से बाहर है .

कहा जा रहा है ‘ पीएम केयर्स फंड’ एक सरकारी कोष नहीं है.इसमें दिया गया दान भारत की संचित निधि है और संविधान तथा सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के तहत इसकी जो स्थिति हो, तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है. 31 जनवरी 2023 को को न्यायालय को यह जानकारी दी गई. कार्यालय (पीएमओ) में एक अवर सचिव ने एक हलफनामे में कहा है कि यह एक परमार्थ ट्रस्ट की तरह काम करता है और इसकी लेखा परीक्षण एक लेखा परीक्षक से किया जाता है। यह आडिटर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ‘ होता है, जिसे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा तैयार पैनल से चुना जाता है. हलफनामे में तर्क दिया गया है कि संविधान और आरटीआई अधिनियम के तहत आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष’ यानी ‘पीएम केयर्स फंड’ की जो भी स्थिति हो, लेकिन तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं है.

यह हलफनामा एक याचिका के जवाब में दायर किया गया था, जिसमें संविधान के तहत ‘पीएम केयर्स फंड’ को ‘राज्य’ (स्टेट) घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, ताकि इसके कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके.

याचिकाकर्ता ने आरटीआई अधिनियम के तहत ‘पीएम केयर्स फंड’ को ‘सार्वजनिक प्राधिकार’ घोषित करने के लिए एक अन्य याचिका भी दायर की है, जिसकी सुनवाई इस याचिका के साथ हो रही है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल की दलीलों को सुना और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के कार्यालय से कहा कि वह मामले में बहस करने के लिए उनकी उपलब्धता के बारे में अदालत को सूचित करें.
________
यह एक गलत नजीर होगी ____

अब यह तो समझने वाली बात है कि यह सब जो घटनाक्रम सामने आ रहा है वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में है और सब उनके व्यक्तिगत निर्देश पर हो रहा है प्रधानमंत्री मोदी यह नहीं कह सकते कि पीएमओ यह सब अपने मन से करेगा, वह तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा और भावना के अनुरूप प्रदर्शन कर रहा है. ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि अगर न्यायालय में प्रधानमंत्री कार्यालय की बात को न्यायालय में मुहर भी लग जाती है तो यह आगे नासूर बन जाएगा क्योंकि आने वाले समय में यह गतिविधि चलती रहेगी और इससे जहां देश के सूचना अधिकार, पारदर्शिता जैसे प्रश्न दरकिनार हो जाएंगे वहीं एक गलत परिपाटी भी शुरू हो जाएगी. यहां यह भी हम पाठकों को बताते चलें कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूर्व के प्रधानमंत्री फंड को खत्म करके नए नाम से इसे बना दिया गया और नये नियम कायदे लाए गए हैं अब कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह भी पूछे कि जब पहले प्रधानमंत्री फंड की रिकार्ड देश के समक्ष उपलब्ध किए जाते थे तो अब ऐसा क्या नया कुछ हो गया है कि आप पारदर्शिता से मुंह छुपा रहें हैं.

बर्फ में रोमांस करते नजर आएं प्रियंका निक, बेटी मालती भी आई नजर

ग्लोबल स्टार बन चुकी प्रियंका चोपड़ा को बॉलीवुड के साथ- साथ अब हॉलीवुड में भी लोग जानते हैं, प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं, वह अक्सर अपनी और बेटी मालती की तस्वीरें शेयर करती नजर आती हैं.

शेयर कि गई तस्वीर में प्रियंका और निक पहाड़ों के बीच रोमांस करते नजर आ रहे हैं, फोटो में प्रियंका निक के गले में हाथ डाली नजर आ रही हैं.साथ ही दूसरी तस्वीर में प्रियंका बेटी मालती को गोद में उठाए नजर आ रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Priyanka (@priyankachopra)

इसके साथ ही प्रियंका और निक अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते नजर आ रहे हैं, प्रियंका चोपड़ा निक के साथ बर्फ में खेलती नजर आ रही हैं, जिसमें प्रियंका बहुत क्यूट लग रही है. निक और प्रियंका को देखकर लग रहा है कि दोनों काफी ज्यादा एंजॉय करने के मूड में हैं.

प्रियंका और निक की तस्वीर पर लोग खूब ज्यादा कमेंट करते नजर आ रहे हैं, प्रियंका ने बर्फीले पहाड़ पर बाइक राइडिंग भी किया जिसमें वह काफी ज्यादा कूल लग रही थी.

इससे पहले भी प्रियंका कई बार वेकेंशन पर जा चुकी हैं, अपने दोस्तों के साथ जिसकी तस्वीर आएं दिन सोशल मीडिया पर आती रहती है. प्रियंका के वर्कफ्रंट की बात करें तो वह इन दिनों किस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं इस बात का खुलासा उन्होंने नहीं किया है.

GHKKPM: पत्रलेखा विनायक को सई से दूर करना चाहती है, लेकिन क्या होगी कामयाब?

सीरियल गुम है किसी के प्यार में इन दिनों लगातार ट्विस्ट आ रहा है, यह सीरियल दिल जीतने में किसी का कसर नहीं छोड़ रहा है. हालांकि कई बार सितारे गुम है किसी के प्यार के सितारों को ट्रोल करते नजर आ रहे हैं.

इस सीरियल में दिखाया जाता है कि विराट का प्रमोशन होता है और उसे मुंबई में शिफ्ट कर दिया जाता है, इस बात से पत्रलेखा तो खुश हो जाती है लेकिन सई हार नहीं मानती है.वह चुपके से चव्हाण हाउस पहुंच जाती है.

लेकिन इसके बारे में विराट को कुछ पता नहीं होता है, उषा उसे समझाती है कि धीरे-धीरे वह आगे बढ़ें, लेकिन मोड़ यहीं खत्म नहीं होता है, पत्रलेखा विनायक को समझाती है कि उसे अपने पापा के साथ मुंबई जाना चाहिए.लेकिन विनायक उसे कहता है कि परिवार के बिना कोई खुशी नहीं है उसके लाइफ में.

पत्रलेखा कहती है कि सई के बारे में हटकर उसे आगे के बारे में सोचना चाहिए,  वह कहती है कि मैं हमेशा इस डर में नहीं जी सकती कि सई कभी भी आकर हमारे बेटे को हमसे छीनकर ले जाए. वहीं भवानी काकू भी इस बात के लिए तैयार नहीं होते कि विनायक उससे दूर जाए. लेकिन पत्रलेखा उनकी एक नहीं सुनती है.

उसे अपनी जिद्द पूरी करनी है बस, सोनाली भी कहती है कि यह पहली बार हुआ है जब आप दोनों एक साथ खड़े हो.

तेजाब : किस्टोफर को खोने का क्या डर था-भाग 1

पैरिस की क्रिस्टोफर से मेरी मुलाकात वाराणसी के अस्सी घाट पर हुई. उम्र यही कोई 25 के आसपास की होगी. वह वाराणसी में एक शोध कार्य के सिलसिले में बीचबीच में आती रहती थी. मैं अकसर शाम को स्कैचिंग के लिए जाता था. खुले विचारों की क्रिस्टोफर ने एक दिन मुझे स्कैचिंग करते देख लिया. दरअसल, मैं उसी की स्कैचिंग कर रहा था. इस दौरान बारबार मेरी नजरें उस पर जातीं. उस ने ताड़ लिया. उठ कर मेरे पास आई. स्कैचिंग करते देख कर मुसकराई. उस समय तो कुछ ज्यादा ही जब उस को पता चला कि यह उसी की तसवीर है,”ग्रेट, यू आर ए गुड आर्टिस्ट,’’ तसवीर देख कर वह बेहद खुश थी.

‘‘आप को पसंद आई?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हां…’’

यह जान कर मुझे खुशी हुई कि उसे थोड़ीबहुत हिंदी भी आती थी. भेंटस्वरूप मैं ने उसे वह स्कैचिंग दे दी. यहीं से हमारे बीच मिलनेजुलने का सिलसिला चला जो बाद में प्रगाढ़ प्रेम में तबदील हो गया. हम दोनों अकसर शाम को घाट की सीढ़ियों पर बैठ कर गुजारते. बातोंबातों में मैं ने क्रिस्टोफर को बताया, “हम लोग गंगा को मां मानते हैं,” यह सुन कर क्रिस्टोफर खुश हो गई. कुछ देर सोच कर बोली, ‘‘मगर गंगा इतनी गंदी क्यों है?’’

मेरे पास उस के इस सवाल का जवाब नहीं था. तभी एक बच्चा एक दोने में कुछ फूलमालाएं ले कर आया,”बाबूजी, इन्हें खरीद लीजिए. गंगामां को चढ़ाने के काम आएंगे.’’

‘‘मैं ने झट से जेब में हाथ डाल कर कुछ रुपए निकाले और 2 दोने खरीद लिए. एक क्रिस्टोफर को दिया दूसरा खुद रख लिया.

‘‘इस का क्या करेंगे?” क्रिस्टोफर को अचरज हुआ.

‘‘इसे गंगा में बहा देंगे. गंगामां खुश हो जाएंगी.’’

‘‘फूल से भला कैसे खुश होगी. इस से तो वह और भी मैली हो जाएगी,’’ अब मैं क्रिस्टोफर को कैसे समझाता कि यहां प्रश्न सिर्फ भावनाओं का है. अगर ऐसा न होता तो भिन्न संस्कृतियों के बावजूद हम एकदूसरे के करीब कैसे आते.

शाम ढल चुकी थी. अंधेरे के आगोश में हम दोनों आ चुके थे. तभी सामने की सीढ़ियों पर कुछ गतिविधियां शुरू हो गईं. कुछ युवा चमकदार वेषभूषा के साथ पहले से बनाए 5 मंचों पर खड़े हो गए. उन के ऊपर लगी छतरियां जगमगाने लगीं. करीब ही रखा डेक से भजन की आवाज आने लगी. उन युवाओं के एक हाथ में पीतल में बने खास तरीके के आरती के पात्र थे, जिस में एकसाथ सैकङों बत्तियां जल रही थीं. उन के दूसरे हाथों में सफेद घने बालों सदृश पंखा था जिस का मकसद संभवतया गंगा को हवा देना था. वे दोनों हाथों से गंगा की आरती करने लगे. उन के हाथ मानो नृत्य कर रहे थे. एकाएक माहौल पूरी तरह से धार्मिक हो गया. बीचबीच में मंत्रों के स्वर डेक से गूंज रहे थे. आयोजक इशारों से लोगों को सामने से हटने का संकेत देते रहते ताकि गंगा सामने से देख सकें कि उन की आरती हो रही है.

‘‘यह क्या हो रहा है?’’ क्रिस्टोफर ने पूछा.

‘‘गंगा आरती,’’ मैं ने जवाब दिया.

‘‘इस से क्या होगा?’’ यह सुन कर मुझे अच्छा न लगा. मगर मैं संयत रहा.

‘‘गंगा इतनी गंदी है. लोगों को इस के साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए,’’ क्रिस्टोफर बोली.

आरती खत्म हो चुकी थी. मैं ने क्रिस्टोफर को उठने के लिए कहा. जैसे ही मैंं आगे बढ़ा वह भी मेरे पीछेपीछे हो गई. मैं हाथ जोङे था. मैं ने देखा कि क्रिस्टोफर भी ऐसा ही कर रही थी. मुझे खुशी महसूस हुई. राह चलते उस ने पूछा,‘‘हाथ जोङने का क्या मतलब है?’’

मैं तनिक शरमाते हुए बोला, ‘‘ऐसा करने से मन की मुराद गंगामां पूरी करती हैं,’’ वह मुसकरा दी.

वह एक लौज में रहती थी. मैं ने उसे अपने घर में रहने के राजी कर लिया. हालांकि घर वालों ने ऐतराज जताया. पर मेरे जिद के आगे उन की एक न चली. वह किराया देना चाहती थी मगर मैं ने मना कर दिया. जिस से प्रेम हो उस से किराया लेना क्या उचित होता. मैं तो उस पर इस कदर आसक्त था कि उस से शादी तक का मन बना लिया था.

क्रिस्टोफर को इस शहर की सांस्कृतिक विरासत की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी. जो उस के शोधकार्य का हिस्सा था. मैं ने उस की मदद की. अपना क्लास छोड़ कर उस के साथ मैं मंदिरों, घाटों, गलियों तथा ऐतिहासिक स्थलों पर जाता. कई नामचीन संगीत कलाकारों से उसे मिलवाया.

रात 8 से पहले हम घर नहीं आते. उस के बाद मैं उस के कमरे में रात 11 बजे तक इधरउधर की बातें करता. जी करता क्रिस्टोफर को हर वक्त निहारता ही रहूं. बेमन से अपने कमरे में आता फिर अपने प्रेम के मीठे एहसास के साथ सो जाता.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें