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बर्फ में रोमांस करते नजर आएं प्रियंका निक, बेटी मालती भी आई नजर

ग्लोबल स्टार बन चुकी प्रियंका चोपड़ा को बॉलीवुड के साथ- साथ अब हॉलीवुड में भी लोग जानते हैं, प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं, वह अक्सर अपनी और बेटी मालती की तस्वीरें शेयर करती नजर आती हैं.

शेयर कि गई तस्वीर में प्रियंका और निक पहाड़ों के बीच रोमांस करते नजर आ रहे हैं, फोटो में प्रियंका निक के गले में हाथ डाली नजर आ रही हैं.साथ ही दूसरी तस्वीर में प्रियंका बेटी मालती को गोद में उठाए नजर आ रही हैं.

 

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इसके साथ ही प्रियंका और निक अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते नजर आ रहे हैं, प्रियंका चोपड़ा निक के साथ बर्फ में खेलती नजर आ रही हैं, जिसमें प्रियंका बहुत क्यूट लग रही है. निक और प्रियंका को देखकर लग रहा है कि दोनों काफी ज्यादा एंजॉय करने के मूड में हैं.

प्रियंका और निक की तस्वीर पर लोग खूब ज्यादा कमेंट करते नजर आ रहे हैं, प्रियंका ने बर्फीले पहाड़ पर बाइक राइडिंग भी किया जिसमें वह काफी ज्यादा कूल लग रही थी.

इससे पहले भी प्रियंका कई बार वेकेंशन पर जा चुकी हैं, अपने दोस्तों के साथ जिसकी तस्वीर आएं दिन सोशल मीडिया पर आती रहती है. प्रियंका के वर्कफ्रंट की बात करें तो वह इन दिनों किस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं इस बात का खुलासा उन्होंने नहीं किया है.

GHKKPM: पत्रलेखा विनायक को सई से दूर करना चाहती है, लेकिन क्या होगी कामयाब?

सीरियल गुम है किसी के प्यार में इन दिनों लगातार ट्विस्ट आ रहा है, यह सीरियल दिल जीतने में किसी का कसर नहीं छोड़ रहा है. हालांकि कई बार सितारे गुम है किसी के प्यार के सितारों को ट्रोल करते नजर आ रहे हैं.

इस सीरियल में दिखाया जाता है कि विराट का प्रमोशन होता है और उसे मुंबई में शिफ्ट कर दिया जाता है, इस बात से पत्रलेखा तो खुश हो जाती है लेकिन सई हार नहीं मानती है.वह चुपके से चव्हाण हाउस पहुंच जाती है.

लेकिन इसके बारे में विराट को कुछ पता नहीं होता है, उषा उसे समझाती है कि धीरे-धीरे वह आगे बढ़ें, लेकिन मोड़ यहीं खत्म नहीं होता है, पत्रलेखा विनायक को समझाती है कि उसे अपने पापा के साथ मुंबई जाना चाहिए.लेकिन विनायक उसे कहता है कि परिवार के बिना कोई खुशी नहीं है उसके लाइफ में.

पत्रलेखा कहती है कि सई के बारे में हटकर उसे आगे के बारे में सोचना चाहिए,  वह कहती है कि मैं हमेशा इस डर में नहीं जी सकती कि सई कभी भी आकर हमारे बेटे को हमसे छीनकर ले जाए. वहीं भवानी काकू भी इस बात के लिए तैयार नहीं होते कि विनायक उससे दूर जाए. लेकिन पत्रलेखा उनकी एक नहीं सुनती है.

उसे अपनी जिद्द पूरी करनी है बस, सोनाली भी कहती है कि यह पहली बार हुआ है जब आप दोनों एक साथ खड़े हो.

तेजाब : किस्टोफर को खोने का क्या डर था-भाग 1

पैरिस की क्रिस्टोफर से मेरी मुलाकात वाराणसी के अस्सी घाट पर हुई. उम्र यही कोई 25 के आसपास की होगी. वह वाराणसी में एक शोध कार्य के सिलसिले में बीचबीच में आती रहती थी. मैं अकसर शाम को स्कैचिंग के लिए जाता था. खुले विचारों की क्रिस्टोफर ने एक दिन मुझे स्कैचिंग करते देख लिया. दरअसल, मैं उसी की स्कैचिंग कर रहा था. इस दौरान बारबार मेरी नजरें उस पर जातीं. उस ने ताड़ लिया. उठ कर मेरे पास आई. स्कैचिंग करते देख कर मुसकराई. उस समय तो कुछ ज्यादा ही जब उस को पता चला कि यह उसी की तसवीर है,”ग्रेट, यू आर ए गुड आर्टिस्ट,’’ तसवीर देख कर वह बेहद खुश थी.

‘‘आप को पसंद आई?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हां…’’

यह जान कर मुझे खुशी हुई कि उसे थोड़ीबहुत हिंदी भी आती थी. भेंटस्वरूप मैं ने उसे वह स्कैचिंग दे दी. यहीं से हमारे बीच मिलनेजुलने का सिलसिला चला जो बाद में प्रगाढ़ प्रेम में तबदील हो गया. हम दोनों अकसर शाम को घाट की सीढ़ियों पर बैठ कर गुजारते. बातोंबातों में मैं ने क्रिस्टोफर को बताया, “हम लोग गंगा को मां मानते हैं,” यह सुन कर क्रिस्टोफर खुश हो गई. कुछ देर सोच कर बोली, ‘‘मगर गंगा इतनी गंदी क्यों है?’’

मेरे पास उस के इस सवाल का जवाब नहीं था. तभी एक बच्चा एक दोने में कुछ फूलमालाएं ले कर आया,”बाबूजी, इन्हें खरीद लीजिए. गंगामां को चढ़ाने के काम आएंगे.’’

‘‘मैं ने झट से जेब में हाथ डाल कर कुछ रुपए निकाले और 2 दोने खरीद लिए. एक क्रिस्टोफर को दिया दूसरा खुद रख लिया.

‘‘इस का क्या करेंगे?” क्रिस्टोफर को अचरज हुआ.

‘‘इसे गंगा में बहा देंगे. गंगामां खुश हो जाएंगी.’’

‘‘फूल से भला कैसे खुश होगी. इस से तो वह और भी मैली हो जाएगी,’’ अब मैं क्रिस्टोफर को कैसे समझाता कि यहां प्रश्न सिर्फ भावनाओं का है. अगर ऐसा न होता तो भिन्न संस्कृतियों के बावजूद हम एकदूसरे के करीब कैसे आते.

शाम ढल चुकी थी. अंधेरे के आगोश में हम दोनों आ चुके थे. तभी सामने की सीढ़ियों पर कुछ गतिविधियां शुरू हो गईं. कुछ युवा चमकदार वेषभूषा के साथ पहले से बनाए 5 मंचों पर खड़े हो गए. उन के ऊपर लगी छतरियां जगमगाने लगीं. करीब ही रखा डेक से भजन की आवाज आने लगी. उन युवाओं के एक हाथ में पीतल में बने खास तरीके के आरती के पात्र थे, जिस में एकसाथ सैकङों बत्तियां जल रही थीं. उन के दूसरे हाथों में सफेद घने बालों सदृश पंखा था जिस का मकसद संभवतया गंगा को हवा देना था. वे दोनों हाथों से गंगा की आरती करने लगे. उन के हाथ मानो नृत्य कर रहे थे. एकाएक माहौल पूरी तरह से धार्मिक हो गया. बीचबीच में मंत्रों के स्वर डेक से गूंज रहे थे. आयोजक इशारों से लोगों को सामने से हटने का संकेत देते रहते ताकि गंगा सामने से देख सकें कि उन की आरती हो रही है.

‘‘यह क्या हो रहा है?’’ क्रिस्टोफर ने पूछा.

‘‘गंगा आरती,’’ मैं ने जवाब दिया.

‘‘इस से क्या होगा?’’ यह सुन कर मुझे अच्छा न लगा. मगर मैं संयत रहा.

‘‘गंगा इतनी गंदी है. लोगों को इस के साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए,’’ क्रिस्टोफर बोली.

आरती खत्म हो चुकी थी. मैं ने क्रिस्टोफर को उठने के लिए कहा. जैसे ही मैंं आगे बढ़ा वह भी मेरे पीछेपीछे हो गई. मैं हाथ जोङे था. मैं ने देखा कि क्रिस्टोफर भी ऐसा ही कर रही थी. मुझे खुशी महसूस हुई. राह चलते उस ने पूछा,‘‘हाथ जोङने का क्या मतलब है?’’

मैं तनिक शरमाते हुए बोला, ‘‘ऐसा करने से मन की मुराद गंगामां पूरी करती हैं,’’ वह मुसकरा दी.

वह एक लौज में रहती थी. मैं ने उसे अपने घर में रहने के राजी कर लिया. हालांकि घर वालों ने ऐतराज जताया. पर मेरे जिद के आगे उन की एक न चली. वह किराया देना चाहती थी मगर मैं ने मना कर दिया. जिस से प्रेम हो उस से किराया लेना क्या उचित होता. मैं तो उस पर इस कदर आसक्त था कि उस से शादी तक का मन बना लिया था.

क्रिस्टोफर को इस शहर की सांस्कृतिक विरासत की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी. जो उस के शोधकार्य का हिस्सा था. मैं ने उस की मदद की. अपना क्लास छोड़ कर उस के साथ मैं मंदिरों, घाटों, गलियों तथा ऐतिहासिक स्थलों पर जाता. कई नामचीन संगीत कलाकारों से उसे मिलवाया.

रात 8 से पहले हम घर नहीं आते. उस के बाद मैं उस के कमरे में रात 11 बजे तक इधरउधर की बातें करता. जी करता क्रिस्टोफर को हर वक्त निहारता ही रहूं. बेमन से अपने कमरे में आता फिर अपने प्रेम के मीठे एहसास के साथ सो जाता.

आसाराम का ढहता साम्राज्य

आसाराम के संदर्भ में आज का समय हमेशा याद रखने लायक हो गया है. क्योंकि धर्म के नाम पर अगर कोई यह समझेगा कि वह देश की जनता और कानून को ठेंगा बताता रहेगा तो उसकी गति भी आसाराम बापू जैसे होनी तय है.

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद अहमदाबाद की अदालत ने सगी बहनों से रेप के आरोप में आशाराम को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है. यहां याद रखने लायक बात यह है कि एक समय पैसों का साम्राज्य और प्रसिद्धि के मामले में उच्च शिखर पर रहने वाला कथित संत “आसाराम” को कानून सजा दे चुका है. आसाराम की संपूर्ण जिंदगी का विहंगवलोकन करें तो आपको बताए सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़े आसाराम ने “धर्म गुरू” का आडंबर खड़ा कर देश में लाखों समर्थक पैदा कर लिए और अकूत दौलत प्राप्त की . ऐसे में आज समय है इस संपूर्ण घटनाक्रम के परिदृश्य में सामाजिक और कानूनी नियम कायदे बनाने की ताकि फिर कोई दूसरा आसाराम देश में पैदा ना हो.

दरअसल,आयकर विभाग के अनुसार वर्ष 2016 में प्रॉपर्टी की जांच की गई तो 2300 करोड़ रुपये का बड़ा साम्राज्य, 400 आश्रम, लाखों अनुयायी और उसके नाम पर बिक रहे कई ब्रांड के उत्पाद मिले एक समय ऐसा भी था जब देश के बड़े-बड़े राजनेता आसाराम के पैर छूते दिखाई देते थे ऐसे में कोई भी आसाराम पर हाथ डालने वाला नहीं था. मगर समय एक सा नहीं होता और आखिर बुराई का अंत होता ही है और आसाराम के साथ भी यही हुआ.

आसाराम का जन्म वर्ष 1941 में अविभाजित भारत के पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक सामान्य सिंधी हिंदू परिवार में हुआ था. उसके बचपन का नाम असुमल हरपलानी था. जब देश का 1947 मे बंटवारा हुआ तब बालक आसाराम अपने परिवार के साथ गुजरात आ गया. यहां पर आकर उसने गुजारा करने के लिए प्रारंभिक जीवन में तांगा चलाया. यही नहीं अपने चार दोस्तों के साथ शराब की स्मगलिंग की.और साइकल की दुकान में काम किया, चाय की दुकान खोली. चाय की दुकान चलाने के दौरान ही आसाराम ने दाढ़ी बढ़ा ली. और धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर आगे बढ़ने लगा .

सबसे पहले असुमल हरपलानी ने कच्छ के एक संत लीला शाह बाबा के आश्रम में आना जाना शुरू किया. कुछ समय बाद असुमल ने अपने आपको उनका एक मात्र शिष्य घोषित कर अपना नाम भी आसाराम बापू कर लिया. इसके साथ ही उसने लोगों को अपने धार्मिक आडंबर में फंसाने का चक्रव्यूह बुनना शुरू कर दिया.पहले पहल गुजरात के अहमदाबाद के मोटेरा में अपना आश्रम स्थापित किया. लोगों की अंधी भक्ति की वजह से जल्द ही उनके काफी अनुयायी बन गए.

यह आश्रम सफलतापूर्वक स्थापित होने के बाद आसाराम ने अपने धार्मिक मायाजाल फैलाना प्रारंभ किया . और देखते ही देखते देशभर में 400 से ज्यादा आश्रम बना लिए. इन आश्रमों को बनाने के लिए जमीन आसाराम ने अपने अनुयायियों को बहला-फुसलाकर हासिल की. इसके साथ अनेक जगहों पर बेशकीमती जगह अतिक्रमण करके भी जमीनों पर कब्जा किया और आसाराम ने अपने आश्रम बना लिए.
जब टेलीविजन का जमाना आया तो आसाराम ने सोनी टेलीविजन पर धार्मिक प्रवचन का प्रसारण सबसे पहले करवाया जिससे उनके प्रति आस्था रखने वालों की तादाद बढ़ती चली गई. यही नहीं इन कथाओं को शहर शहर में करवाने के नाम पर आयोजकों से भारी-भरकम फीस ली जाती थी.

इसके साथ ही अनुयायियों से हर महीने आश्रमों को चलाने के नाम पर नियमित रूप से चंदा भी लिया जाता था. बड़े त्योहारों पर आश्रम में कई प्रकार के कार्यक्रम किए जाते थे, जिसमें आसाराम की कमाई कई गुना बढ़ जाती थी. यह अकूत पैसा आसाराम के ट्रस्टों में आता था. आज जब रामदेव पतंजलि की स्थापना करके अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं उससे पहले आसाराम ने यह प्रयोग किया था और सफल भी हुए थे.

आसाराम ने अपने नाम से कई उत्पादों की सीरीज भी उतारी, जिसे उन्हें अनुयायी बड़े धार्मिक भावनाओं के साथ से खरीदते थे. ऐसा करके धीरे-धीरे उसके पास रुपये-पैसों का अंबार लगता चला गया. आसाराम ने अपने इस पैसे को कई विदेशी कंपनियों में लगाकर वहां से मोटा मुनाफा कमाया. इनकम टैक्स की जांच में सामने आया कि धर्मगुरु का चोला ओढ़कर आसाराम ने हर वो काला काम किया, जिसकी कोई उम्मीद नहीं कर सकता था. लेकिन आखिरकार उसका भी भांडा फूट गया और वे लंबे वक्त के लिए अब जेल के सींखचों के पीछे पहुंच गया है . इस संपूर्ण घटनाक्रम के बाद देश की आवाम को यह समझना होगा कि कहां धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ होता है और कहां धर्म के आडंबर को खड़ा करके उसका दोहन किया जाता है यह सब कुछ लंबे समय से हमारे देश में चल रहा है जिसे शिक्षा और जागरूकता के साथ रोकने की आवश्यकता है.

कोई अपना: मधु ने शालीनी से मुंह क्यों मोड़ा

हकीकत : लक्ष्मी की हकीकत ने क्यों सोचने पर मजबूर कर दिया

‘‘बाबूजी, हमारे भाई की शादी में जरूर आना,’’ खुशी से चहकती लक्ष्मी शादी का कार्ड मुझे देते हुए कह रही थी.

‘‘जरूर आऊंगा लक्ष्मी. तुम्हारे यहां न आऊं, ऐसा कैसे हो सकता है…’’ मैं उसे दिलासा देते हुए बोला था.

लक्ष्मी के मांबाप उसी समय गुजर गए थे, जब वह मुश्किल से 15 साल की रही होगी. उस की गोद में डेढ़ साल का छोटा भाई और साथ में 5 साल की बहन रानी थी.

आज इस बात को कई साल हो गए हैं. डेढ़ साल का वह छोटा भाई आज खूबसूरत नौजवान है, जिस की शादी लक्ष्मी करा रही है.

मैं लक्ष्मी के जाते ही पुरानी यादों में खो गया. उस के पिता आंध्र प्रदेश से यहां मजदूरी करने आए थे, जो साइकिल मरम्मत की दुकान द्वारा अपना परिवार चलाते थे. वे किराए की झुग्गी में पत्नी व बच्चों के साथ रहते थे. उसी महल्ले में जग्गा बदमाश भी रहता था, जिस की निगाह 14 साल की लक्ष्मी पर जा टिकी थी.

सांवले रंग की लक्ष्मी तब भी भरे बदन वाली दिखती थी. एक दिन जग्गा ने मौका पा कर लक्ष्मी को रौंद डाला. कली फूल बनने से पहले ही मसल दी गई थी.

जग्गा की इस करनी से लक्ष्मी का सीधासादा बाप इतना गुस्साया कि उस ने सो रहे जग्गा की कुदाल से काट कर हत्या कर दी.

खून के केस में लक्ष्मी का बाप जेल चला गया और मां दाई का काम कर के अपने बच्चे पालने लगी.

इधर लक्ष्मी पेट से हो गई, तो उस की मां लोकलाज के डर से महल्ला बदल कर इधर आ गई. फिर तो सरकारी अस्पताल में बच्चे का जन्म और उस की जल्दी मौत. लक्ष्मी की मां द्वारा इस तनाव को झेल न पाना और अचानक मर जाना, सब एकसाथ हुआ. एक चैरिटेबल स्कूल में दाई की जरूरत थी, सो लक्ष्मी को रख लिया गया. सुबह नियमित समय पर आना, अपना काम मन से करना, सब से मीठा बोलना, लक्ष्मी के ऐसे गुण थे कि वह सभी का सम्मान पाने लगी.

आज इस बात को तकरीबन 25 साल से ज्यादा हो गए हैं. अब लक्ष्मी एक अधेड़ औरत दिखती है.

‘‘क्यों लक्ष्मी, इन सब झमेलों के बीच तुम अपनी शादी भूल गई?’’ मैं ने मजाक में पूछा था.

‘‘भूली कहां सर. शादी के बाद भी तो बच्चे ही होते न, सो 2 बच्चे मेरी गोद में हैं. मैं ने जन्म नहीं दिया है, तो क्या हुआ, अपना दूध पिला कर पाला तो है,’’ लक्ष्मी का यह जवाब मुझे अंदर तक हिला गया.

‘‘तुम ने दूध पिलाया है?’’ मेरे मुंह से निकल गया.

‘‘हां साहब, मैं उस जग्गा बदमाश के चलते बदनाम हो गई थी. कौन शादी करता मुझ से? बच्चा पैदा करने के चलते मैं ने एक बार अपने रोते भाई को मजाक में दूध पिलाया था. वह चुप हो गया और मुझे मजा आया, फिर तो मैं ने 2-3 साल तक उसे दूध पिलाया.’’ यह सुन कर मैं चुप हो गया.

‘‘क्या सोचने लगे बाबूजी?’’

‘‘यही कि तुम्हारी जितनी तारीफ करूं, कम है,’’ मेरे मुंह से निकला.

लक्ष्मी के दोनों भाईबहनों का स्कूल में दाखिला मैं ने ही कराया था. वहीं वे दोनों 12वीं जमात में फर्स्ट डिवीजन में पास कर चुके थे. बहन जहां नर्स की ट्रेनिंग ले कर सरकारी अस्पताल में नर्स थी, वहीं भाई ने बीकौम किया और बैंक में क्लर्क हो गया था. उसी की शादी का कार्ड ले कर लक्ष्मी मेरे पास आई थी.

‘‘लक्ष्मी, तुम ने इतना कुछ कैसे कर लिया?’’ मैं ने एक दिन उस से पूछा था.

‘‘यह सोचने का समय कहां था साहब. बाप जेल में, मां मर गई. रिश्तेदारों में से कोई झांकने तक नहीं आया, इसलिए जैसेतैसे कर के जो काम मिला करती गई.

‘‘स्कूल का काम करते हुए 1-2 घर का काम करतेकरते जैसेतैसे कर के पैसा कमा कर भाईबहन और खुद का पेट भरना था. फीस के अलावा सारे खर्च थे, जो पूरा करतेकरते जिंदगी निकल गई. आज सब अपने पैरों पर खड़े हैं, तो उन की शादी करनी है.’’

लक्ष्मी ने ईडब्लूएस मकान के लिए जब कहा, तो मैं चौंक गया था. मैं ने उसे बैंक से लोन दिलवाया था. गारंटी भी मैं ने ही दी थी. मजे की बात यह कि उस ने पूरी किस्त समय से भर कर मकान अपना कर लिया. इसी तरह दूसरी सारी समस्याओं का सामना भी वह मजे में करती गई.

एक दिन एक अखबार में किसी के खुदकुशी करने की खबर को सुन कर लक्ष्मी परेशान हो गई और पूछ बैठी, ‘‘साहब, लोग खुदकुशी क्यों करते हैं?’’

‘‘जो जिंदगी से नाराज होते हैं या जिन्हें मनचाहा नहीं मिलता, वे खुदकुशी कर लेते हैं,’’ मेरा जवाब था.

‘‘साहब, मेरी पूरी जिंदगी में संघर्ष ही रहा. मांबाप को खोया, बच्चा खोया, मगर लड़ती रही. अगर नहीं लड़ती, तो आज ये दोनों अनाथ होते. भटकभटक कर जान दे चुके होते, इसलिए इन की खातिर जीना पड़ा. अब तो आदत हो चुकी है. लेकिन मेरे मन में एक बार भी  खुदकुशी करने का विचार नहीं आया.’’

लक्ष्मी की इस बात ने मुझे बिलकुल चुप करा दिया.

मैं अपने प्रेमी को समझने में कन्फ्यूज हो जाती हूं, क्या ऐसे व्यक्ति से शादी करना सही होगा?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. 5 साल से जिस युवक से प्रेम करती हूं उस के व्यवहार को समझने में कन्फ्यूज हो जाती हूं. कभी तो लगता है कि वह सरल हृदय व भावुक है तो कभी ऐसे व्यवहार करता है जैसे कोई राक्षस हो. जब मैं ने उस के व्यवहार संबंधी परिवर्तन की वजह जाननी चाही तो वह बोला कि ऐसा कुछ भी नहीं है. क्या हो जाता है, कुछ नहीं मालूम. उस के व्यवहार का कौन सा पहलू वास्तविक है, यही नहीं समझ पा रही हूं. ऐसे व्यक्ति से शादी करना क्या सही होगा?

जवाब

आमतौर पर जब युवक युवती मिलते हैं तो उन का व्यवहार डीसैंट रहता है. इस दौरान युवती को यह ध्यान से परखना होता है कि उस के व्यवहार का शानदार पहलू कब रहता है और कब आचार व्यवहार में परिवर्तन होता है. युवक युवती का यदि वास्तव में अच्छा व्यवहार है तो वह हर किसी के साथ, हर स्थिति में अच्छे व्यवहार का ही परिचय देंगे, लेकिन जो अच्छा बनने का नाटक करते हैं, उन की असलियत जल्दी दिख जाती है. आप अपने मित्र के परिवर्तित व्यवहार की तुलना राक्षस से कर रही हैं, तो इस से साफ समझ में आता है कि उस समय बरदाश्त करना असहनीय होता होगा. आप एक फैसले पर पहुंचने से पहले उस युवक के फ्रैंड सर्कल से तफतीश करें. कोशिश करें कि अगर युवक के बहन या भाई हैं, तो उन से कुछ पूछताछ करें और यदि सब एक जैसा ही फीडबैक देते हैं तो अपनी समझ से उचित फैसला लें.

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

Holi Special: सोने का पिंजरा- भाग 3

“यही कि आयुषी शादी के बाद जौब करने का नाम भी नहीं लेगी. और उसे उन के हिसाब से चलना पड़ेगा. अब बता, जहां इंसान को अपनी एक छोटी सी छोटी बात के लिए ससुराल वालों का मुंह ताकना पड़े, वहां कोई खुल कर सांस भी कैसे ले सकता है, भला? आयुषी के मांपापा ने तो यही सोच कर बेटी को उन के घर ब्याह दिया कि इतने बड़े घर में बेटी की शादी हो रही है तो उसे नौकरी करने की जरूरत ही क्या है. सही बात है, लेकिन इंसान की अपनी भी कोई ज़िंदगी होती है कि नहीं? शादी के बाद न तो वह अपनी ससुराल वालों से पूछे बिना अपने किसी दोस्त से मिल सकती है, न ही अपने मन का कुछ कर सकती है. यहां तक कि अपने मांपापा से मिलने के लिए भी उसे पति और सासससुर की इजाजत लेनी पड़ती है.”

“ओह, बाप रे,” दीप्ति भौचक्की सी बोली, “वैसे, सुना है बहुत बड़ा परिवार है उस का.”

“हां, सही सुना है तुम ने. आयुषी के ससुर के दोनों छोटे भाई, उन के परिवार, एक विधवा बूआ सास और 85 साल की दादी सास, सब एकसाथ एक ही घर में रहते हैं. उन का अपना कपड़े का बिजनैस है जिसे सब साथ मिल कर चलाते हैं.”

“इस का मतलब भरापूरा परिवार मिला है उसे,” दीप्ति हंसी.

“भरापूरा परिवार नहीं, बड़ा बुरा परिवार मिला है उस बेचारी को. आजाद पंछी की तरह उड़ने वाली लड़की पिंजरे में कैद हो कर रह गई है,” अफसोस जताती कनक बोली, तो हंसती हुई दीप्ति बोली कि हां, मगर सोने के पिंजरे में.

“अब पिंजरा सोने का हो या लोहे का, बना तो है कैद होने के लिए ही,” एक सांस खींचती हुई कनक बोली, “चल अब चलती हूं. कई बार मां का फोन आ चुका है. वैसे, आ कभी घर आ.”

“हां, जरूर आऊंगी. आंटीअंकल को मेरा नमस्ते कहना और चिंटू को मेरा प्यार देना,” मुसकराती हुई बोल दीप्ति भी अपने घर की ओर चल पड़ी.

कनक, आयुषी और दीप्ति, तीनों ने एक ही कालेज से ग्रेजुएशन किया था. तीनों की आपस में अच्छी ट्यूनिग थी. साथ कालेज आनाजाना, मूवी देखना, घूमने जाना उन का होता रहता था. कालेज के बाद, एमबीए कर जहां दीप्ति को एक अच्छी कंपनी में जौब मिल गई, वहीं आयुषी एक स्कूल में टीचर बन गई थी और कनक की शादी हो गई. लेकिन शादी के सालभर के अंदर ही उस का अपने पति से तलाक हो गया और अब वह अपने बेटे चिंटू के साथ अपने मांपापा के साथ रहती है.

इधर शादी के बाद आयुषी ने टीचर की जौब छोड़ दी. छोड़ क्या दी, छुड़वा दी गई. और वैसे भी, उसे जौब करने की जरूरत ही क्या थी अब. कहीं न कहीं आयुषी का वैभव देख कर कर दीप्ति को जलन होती थी कि उस के साथ पढ़ने वाली आयुषी आज ठाठ से जीवन जी रही है और वह चार पैसे कमाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही है. काश, उसे भी कोई ऐसा पैसे वाला ससुराल मिल जाए, तो कितना अच्छा होगा.

दीप्ति के भाई के दोस्त का साला वहीं अहमदाबाद में ही एक सरकारी औफिसर था. अपने घर से भी वह काफी मजबूत था. उस के पिता राजनीति से ताल्लुकात रखते थे. सो, बड़ेबड़े नेताओं के साथ उन का उठनाबैठना था. गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणि के घर उन का आनाजाना था. सब कहते हैं, बड़े ही रुतबे वाले इंसान हैं वे. इसलिए दीप्ति का भाई चाहता था कि कैसे भी कर के उस की बहन की शादी उस के दोस्त के साले से हो जाए. लेकिन यहां समस्या यह थी कि लड़का विधुर था. शादी के 7 महीने बाद ही उस की पत्नी एक एक्सिडैंट में चल बसी थी. वैसे दीप्ति को उस के विधुर होने से कोई समस्या नहीं थी लेकिन पहले वह लड़के से मिल कर उसे अच्छे से जानसमझ लेना चाहती थी.

लेकिन दीपेश से मिलने के बाद दीप्ति को लगा कि यही है जो उस का लाइफपार्टनर बन सकता है. दीपेश का सरल व्यवहार, उस के बात करने का ढंग दीप्ति को इतना पसंद आया कि उस ने तुरंत शादी के लिए हां बोल दिया. सब से बड़ी बात इतना पैसे वाला और इतनी बड़ी पोस्ट पर होने के बावजूद दीपेश को नाममात्र भी घमंड नहीं था. एक रोज उस की दिवगंत पत्नी के बारे में पूछने पर दीपेश ने बताया कि वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था. लेकिन वह उसे ऐसे छोड़ कर चली जाएगी, नहीं पता था उसे.

एकदूसरे को अच्छे से समझ-जान लेने के बाद सगाई और फिर अगले महीने ही दोनों की शादी हो गई. शादी के बाद दोनों 10 दिनों के लिए हनीमून मनाने सिंगापुर चले गए. वे 10 दिन कैसे हवा की तरह निकल गए, पता ही नहीं चला दीप्ति को.

ससुराल में सास, ससुर ननद, देवर सब से दीप्ति को बहुत प्यार मिल रहा था. लेकिन अचानक से दीपेश का बदलाबदला व्यवहार उस की समझ से बाहर था. सुबह वह जल्दी घर से निकल जाता और देररात ही वापस आता था. उस के घर आनेजाने का कोई फिक्स टाइम नहीं था. कभीकभी तो वह कईकई दिनों तक घर नहीं आता और दीप्ति के कुछ पूछने पर उलटे जवाब देता कि वह उस की तरह कोई मामूली सा प्राइवेट जौब नहीं करता. हर हर वक़्त वह दीप्ति को नीचा गिराने की कोशिश करता रहता था. जताता कि उस ने सिर्फ उस के पैसों की खातिर उस से शादी की है.

दीप्ति को समझ नहीं आ रहा था कि शादी के पहले इतना सरल दिखने वाला इंसान एकदम से इतना सख्त कैसे बन गया और वह क्या कोई गईगुजरी है जो दीपेश उस से ऐसे बात करता है? उस की बात पर दीपेश उस से लड़ने लगता. कई बार तो उस ने दीप्ति पर हाथ भी उठा दिया था. लेकिन पति पत्नी के बीच ऐसा तो होता ही रहता है, सोच कर दीप्ति की चुप हो जाया करती थी. लेकिन दीपेश जब उस पर अपने पैसे और पोस्ट का रोब झाड़ता तो उसे बुरा लगता था.

 

राखी सावंत के पति गए हिरासत में, जानें पूरा मामला

बॉलीवुड ड्रामा क्वीन राखी सावंत की मां का निधन बीते दिनों हो गया था, जिसके बाद से राखी सावंत काफी ज्यादा परेशान थी, अब राखी के जीवन में एक और मोड़ आ गया है.

दरअसल, राखी सावंत और आदिल दुर्रानी की शादी टूटने की कगार पर है,राखी ने आदिल के खिलाफ पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई है, अब पुलिस ने आदिल को हिरासत में ले लिया है,राखी ने ये भी कहा था कि आदिल दुर्रानी की वजह से उनकी मां का निधन हुआ था.

 

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राखी ने कहा है कि आदिल ने मुझे मारा है मेरा पैसा लूट लिया है, इस इंसान ने मेरी जिंदगी खराब कर दी है,मेरे साथ चीटिंग किया है,राखी ने आदिल की गर्लफ्रेंड का नाम भी बताया है, जिसे जानकर फैंस भी काफी ज्यादा परेशान हैं, राखी के साथ एक के बाद ऐसी घटना होती जा रही है जिससे वह परेशान हैं.

बता दें कि यह पहली बार ऐसा नहीं है कि ऐसा राखी सावंत के साथ हुआ है इससे पहले भी राखी सावंत के साथ इस तरह का हुआ है इससे पहले भी राखी के कई सारे बॉयफ्रेंड है जिन्होंने उन्हें धोखा दिया है. राखी इन दिन रो रोककर हर किसी को इंटरव्यू दे रही हैं.

परितोष को मारेगा लकवा , बा लगाएगी अनु पर इल्जाम

अनुपमा में इन दिनों दिल जीतने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है, लगातार आ रहे इस सीरियल में ट्विस्ट लोगों को हैरान करके रख दिया है. अनुपमा में जहां तक छोटी अनु की कहानी दिखाई जा रही थी वहीं अब अनुपमा में शाह परिवार पर ज्यादा फोक्स किया जा रहा है.

दरअसल बीते दिनों इस सीरियल में दिखाया गया है कि अनुपमा सहित पूरा परिवार माया से मांफी मांगता है, वहीं वनराज और बाबू जी को पता चलता है कि परितोष कारखाने के कागज को वकील को दे दिया है.जैसे ही इस बात का पता चलता है वनराज परितोष को घर से निकाल देता है जिसके बाद परितोष बेहोश हो जाता है.

 

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इतना ही नहीं वह बात करते करते नीचे गिर जाता है, बेहोश हो जाता है, लेकिन रूपाली गांगुली के अनुपमा में आने वाले ट्विस्ट यहीं खत्म नहीं होता है इसमें दिखाया जाएगा कि परितोष को डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं जहां पता चलता है कि परितोष को लकवा मार दिया है.

 

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इस खबर को मिलते ही पूरे परिवार में मातम छा जाता है, यह बात सुनते ही अनुपमा बेहोश हो जाती है, अनुपमा  परितोष के इस हालत का जिम्मेदार बा को बताती है.वहीं बा अनुपमा को ताना मारेगी कि पहले ही किंजल औऱ परितोष की जिंदगी में आग लगाने के बाद अब जो परितोष कि हालत है उसकी जिम्मेदार सिर्फ तुम हो अनुपमा इस बात को सुनकर अनुपमा को गहरा सदमा लगेगा.

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