आमतौर पर मातापिता अपने बच्चों के जन्मदिन पर अपनी तरफ से तोहफा देते हैं, जिसे पा कर वे बहुत खुश होते हैं, लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उन्हें भी चाह होती है अपने बच्चों से तोहफा पाने की. इसलिए हर बच्चे का फर्ज है कि अपने मातापिता के जन्मदिन पर उन्हें कोई न कोई तोहफा अवश्य भेंट करे. मातापिता की उम्र चाहे जो हो, उन्हें कुछ ऐसा क्रिएटिव उपहार दें जो उन्हें अच्छा लगे, उन के लिए उपयोगी हो और आप को मन की भी शांति मिले. मां और पिता दोनों के जन्मदिन पर भिन्नभिन्न तोहफे होने चाहिए, क्योंकि दोनों की जरूरतें अलगअलग होती हैं. अब परंपरागत स्वरूप वाले तोहफों का जमाना गया और इस के स्थान पर आ गए हैं आधुनिक गैजेट्स. इसलिए आप उन की जरूरत के मुताबिक गैजेट्स खरीद कर भेंट कर उन के जन्मदिन को खास बना सकते हैं.
मां के लिए तोहफा
आप की मां कामकाजी महिला हैं या गृहिणी? यदि वे कामकाजी हैं तो उन को तोहफा देने के लिए अनेक विकल्प हैं. उन्हें हैंडबैग दिया जा सकता है, जिस में वे कौस्मैटिक से ले कर गैजेट तक सुरक्षित रख सकती हैं. यदि आप की आर्थिक स्थिति मजबूत है तो आप विशेष सुविधायुक्त हैंडबैग औनलाइन खरीद सकते हैं, जो आप को 10 से 15 हजार रुपए तक में मिल सकता है. इस में लैपटौप, टैबलेट रखने की सुविधा होने के साथसाथ चार्जिंग के लिए तार भी लगा होता है. ब्रिटेन की एक कंपनी ने नैकलेस जैसा दिखने वाला हैडफोन बनाया है जो खासतौर पर महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया है. इस का इस्तेमाल वे स्मार्टफोन में हैडफोन्स के साथसाथ नैकलेस की तरह भी कर सकती हैं. इस की शुरुआत ढाई हजार रुपए से होती है.
आजकल किचन गैजेट्स की भरमार है जो आप की मां के लिए मददगार होते हैं और उन का काम आसान कर देते हैं. इन्हें आप औनलाइन भी खरीद सकते हैं. यदि आप चाहें तो उन्हें निजी उपयोग के लिए पर्स भी दे सकते हैं. आजकल आधुनिक किस्म के पर्स आने लगे हैं, जिन में औटोमैटिक सैंसर भी लगे होते हैं. जैसे ही वे अपने पर्स में कोई चीज ढूंढ़ने लगेंगी, अपनेआप लाइट जल जाएगी. आप वायरलैस हैडफोन्स भी तोहफे में दे सकते हैं. इस में बायोमीट्रिक सैंसर लगे होते हैं. आप चाहें तो अपनी मां को हेयर ड्रायर भी भेंट कर सकते हैं. आजकल आम हेयर ड्रायर से भिन्न हेयर ड्रायर आने लगे हैं, जो महंगे अवश्य हैं, लेकिन बिजली कम खर्च करते हैं.
पिता के लिए तोहफा
पिता को जन्मदिन पर देने के लिए तोहफों की सूची काफी लंबी हो सकती है. स्मार्टफोन या टैबलेट्स के अलावा ऐसे गैजेट्स आ गए हैं जिन्हें आप अपने पिता को जन्मदिन पर उपहार में दे सकते हैं. अब तो इन गैजेट्स को औनलाइन खरीदने की सुविधा भी है. पिता को जन्मदिन पर उन के निजी उपयोग की चीज देनी चाहिए. कुछ गैजेट्स पहनने वाले हो सकते हैं, जैसे स्मार्ट बैल्ट बकल. इस में वे अपने क्रैडिट या डैबिट कार्ड रख सकते हैं. चीन की एक कंपनी ने बाजार में यूएसबी कफलिंक्स प्रस्तुत किए हैं, जो आप के पिता की शर्ट पर हमेशा एक पैनड्राइव या मैमोरीकार्ड की तरह मौजूद रहेंगे. इस में वे अपने औफिस के प्रैजैंटेशन से ले कर सभी जरूरी डाटा स्टोर कर सकते हैं. आप जो भी गिफ्ट दें वह सब से अलग और शानदार होना चाहिए. इस के लिए बजट से थोड़ा बाहर भी जाना पड़े तो जाएं, हर साल एक जैसा गिफ्ट देने के बजाय उस में विविधता लाएं. हां, लिफाफे में नकद राशि रख कर उन्हें कभी भेंट न करें.
साधना ने निगाहें अपनी और पति की तसवीर, जो ड्राइंगरूम में लगी थी, पर टिका टीं और कहा, ‘‘रज्जू.’’
‘‘हां, मां.’’
‘‘उन को,’’ संभल कर बोली साधना, ‘‘मेरा मतलब, अपने पापा को फोन तो किया. इस बार तो वह इधर दशहरा, दीवाली की छुट्टियों में भी नहीं आए. गरमी की छुट्टियों में भी नहीं आए. गरमी की छुट्टियां भी अब होने वाली हैं और तेरे पापा ने कई दिनों से फोन नहीं किया है. रज्जू, कहीं उन की तबीयत खराब न हो. मेरा दिल आजकल बहुत घबराने लगा है, बहुत… तुम मैसेज ही कर दो अपने पापा को…’’
रज्जू के देखने की मुद्रा से साधना एकाएक सकपका गई. लगा भी, बोलने से कहीं कोई गलती तो नहीं हो गई, मैसेज भेजने भर की बात कहनी थी, फालतू बकवास की जरूरत क्या थी? मन की यह कमजोरी कब जाएगी? जाएगी कहां और जाएगी तो संभवत: मृत्यु के साथ. नारी के पास प्यार, स्नेह, ममता, त्यागनुमा कमजोरी के सिवा है भी क्या? इसी कमजोरी के बूते पर तो वह कठोर मानस के इनसान को मोम बनाती है और उस को भावनाओं के सांचे में ढालढाल कर संसार का निर्माण करती है.
मां के मन की व्यथा 20-21 वर्ष के रज्जू ने भांप ली थी. वह उस की सौतेली मां है तो क्या, प्यार, स्नेह, ममता तो सगी से भी बढ़ कर दिया है. उस के सारे दोस्त उस की मां से बहुत प्यार करते हैं, अपनी मांओं से भी ज्यादा. उस का हृदय पसीज उठा. बहुत ही व्यस्त था वह. उस का एमएससी फाइनल था, प्रोफैसर के यहां भी जाना था और…
रज्जू हंस कर बोला, ‘‘मां, आप पापा की चिंता में दिनरात घुलती रहती हैं. पापा कोई बच्चे हैं? मुझे तो लगता है मां, पापा हमें याद तक नहीं करते होंगे. कभी तो फोन कर सकते हैं. और आप क्यों नहीं मोबाइल लेती अपना. हमेशा मेरा या पापा का ही इस्तेमाल क्यों करती हैं.’’
साधना जबरन मुसकराते हुए बोली, ‘‘ऐसा नहीं है रज्जू, तेरे पापा किसी को नहीं भूलते. देखते नहीं, हर माह 5-6 तारीख को नियमित बैंक में पैसा ट्रांसफर हो जाता है. और हर मैसेज में नहीं लिखा होता कि ‘रज्जू, अपना, भाईबहन का खयाल रखना?’’
‘‘यह मन को समझाने के लिए ठीक है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है, मां,’’ रज्जू ने इस बार भावुकता से कहा, ‘‘और मैं आप का क्या खयाल रखूंगा, मां. आप ही तो हमें मरखप कर संभालती रहती हैं. सौतेली मां को गालियां देने वालों से, कभीकभार कहने का मन होता है, कि देखें यहां आ कर मेरी मां को, जो अपना सर्वस्व होम कर, मुझे यह अहसास तक नहीं होने दे रही हैं कि मेरी जन्म देने वाली मां बचपन में ही मर गई थी.’’
रज्जू का मार्मिक कथन साधना के अंतस्थल को छू गया. बेटे को श्रद्धा और उस के इतने ऊंचे विचार सुन कर उस की आंखें भीग गईं. संसार में उस सा सुखी कौन होगा, जिस का बेटा इतना समझदार है, श्रद्धालु है और युवा है.
साधना कब श्रीकृष्ण शर्मा की जिंदगी में आई थी, यह पूरी बात उस ने रज्जू को 2 साल पहले ही बताई थी. उस के बाद तो रज्जू का प्रेम और बढ़ गया था. पर पिता पर भी जान छिड़कने लगा था. रज्जू और उस के छोटे भाईबहन को छोड़ कर उस की मां वर्ष 2005 में चली गई थीं. रज्जू 4 साल का था, छाया 3 साल की और सुरेंद्र मात्र 6 माह का. गनीमत है कि साधना मौसी साथ रहती थीं, जिन्होंने मां की तरह पाला. उस के पिता कभी मौसी के साथ एक कमरे में नहीं सोए और बड़े होने के बाद उस ने पूछा भी था, पर उसे यही बताया गया कि उन की असली मां की बीमारी के दौरान मौसी बच्चों को संभालने आई थीं और तब से बच्चों के कमरे में ही सोती रहीं. मां के चले जाने के बाद एक दिन भी तीनों को मां के प्यार की कमी नहीं हुई. 2 साल पहले मौसी, जिसे वह वर्षों से मां ही कहता था, पूरी बात बताई थी.
साधना का असली नाम सादिया था. वे अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसायटी में रहते थे. वर्ष 2002 में दंगों के दौरान श्रीकृष्ण शर्मा एक नौकरी के इंटरव्यू के सिलसिले में अहमदाबाद गए थे. जब वे गुलबर्गा सोसायटी के सामने से गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक हिंदू भीड़ ने गुलबर्गा सोसायटी पर हमला कर दिया. घरों से आढ़तियों, औरतों को घसीट कर निकाला जा रहा था. घरों को आग लगा दी गई. पुलिस फोर्स खड़ी थी, पर कुछ करने का नाटक कर रही थी, कर नहीं रही थी, तभी छिपतेछिपाते एक लड़की उस मकान के पास आ खड़ी हुई, जहां श्रीकृष्ण शर्मा खड़े थे. वह कंपकंपा रही थी.
हिंदू भीड़ ने ललकार कर कहा था कि ‘किसी को बच कर जाने न देना.’ श्रीकृष्ण शर्मा को समझ आ गया कि क्या मामला है. उन्होंने उस लड़की का हाथ पकड़ लिया और कान में फुसफुसा दिया कि उस से सट कर खड़ी रहो. 4 घंटे तक वह लड़की उन के साथ खड़ी सामने जलते मकानों को देखती रही. लाशें अब निकाली जा रही थीं.
श्रीकृष्ण ने पूछा कि उस का मकान कौन सा है. वह खुद ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाते उस मकान तक पहुंचा और उस का हाथ पकड़े वह लड़की. वहां उस ने देखा कि 4-5 लाशें जली हुई थीं. वह लड़की रोने लगी, तो कुछ हिंदू दंगाइयों ने डांट कर श्रीकृष्ण को कहा, ‘अबे, अपनी माशूका को यहां क्या तमाशा दिखाने लाया है, भाग जा. बेकार में कमजोर लड़की लाशें देख कर रोने लगी है. ज्यादा देखेगी, ज्यादा रोएगी.’
श्रीकृष्ण उसे ले कर होटल तक चले आए. उन्होंने उसे बाहर खड़ा किया और सामान ले कर स्टेशन जाने के लिए आटो पकड़ लिया. वह लड़की अब भी उन का हाथ पकड़े हुए थी. स्टेशन पर उन्होंने इंदौर का टिकट लिया, जबकि उन का घर भोपाल में था. प्लेटफार्म सूना था, शहर में कर्फ्यू लग चुका था.
अहमदाबाद से इंदौर के रास्ते में उस लड़की ने बताया कि उस का नाम सादिया है और वह अब्बा, अम्मी और 3 बड़े भाइयों और 1 छोटी बहन के साथ रहती है. दंगाइयों ने उसे ही सब से पहले घसीटा था.
श्रीकृष्ण ने उस का मुंह बंद करते हुए कहा, ‘आगे की बात कभी किसी को न बताना. तुम मेरे साथ चलो और जो भी पूछे साधना नाम बताना. मैं कभी सद्दू कह दिया तो नाराज न होना,’ सादिया समझ गई थी कि अब इस के अलावा उस के पास चारा नहीं है. वह पढ़ीलिखी थी, पर अब बेसहारा थी.
इंदौर में 2 रोज होटल में दोनों रहे, ताकि सादिया साधना नाम से पहचान बना सके. श्रीकृष्ण शर्मा ने अपने एक दोस्त से उसी उम्र की एक लड़की का बर्थ सर्टिफिकेट कंप्यूटर पर बनवाया और उस में फर्जी हिंदू पिता और माता के नाम डलवाए और फिर आईकार्ड भी बनवाया. मां ने बताया कि पिता के अलावा केवल प्रभात अंकल इस बारे में जानते हैं, तो उस दिन के बाद से कभी घर नहीं आए कि कहीं कोई पोल न खुल जाए.
भोपाल वाले घर ला कर श्रीकृष्ण ने साधना को प्रभात की चचेरी बहन बताया, जो भोपाल में बीए में दाखिला लेने आई है. सुषमा उन दिनों बेहद बीमार थी, कैंसर की शिकार थी और अंतिम दिन थे. उस में ज्यादा पूछताछ की हिम्मत भी नहीं थी. उसे लगा कि चलो कुछ दिन तो बच्चों को सहारा मिल जाएगा. साधना के आने के 2 माह बाद ही सुषमा चल बसी और बच्चे साधना की गोदी में पलने लगे. जब राजेंद्र यानी रज्जू को यह बात पता चली तो वह पिता के प्रति भी नतमस्तक हो चला था और साधना के प्रति भी. दोनों ने कैसे एकदूसरे के लिए त्याग किया था और उन तीनों बच्चों को बोनस में असली मां से बढ़ कर मां मिली.
‘‘मैं सब समझता हूं, मां,’’ रज्जू ही बोला, ‘‘पापा चाहें तो हमें अपने साथ दिल्ली आराम से रख सकते हैं. क्या वहां परिवार सहित और लोग नहीं रहते, लेकिन मैं उन को बचपन से जानता हूं कि…’’
सवाल
मैं 32 वर्षीय कामकाजी भारतीय स्त्री हूं और विदेश में रह रही हूं. पिछले महीने से पीठ में दर्द होता है. हर बार पेशाब का रंग अलगअलग होता है. कभी गहरा पीला, कभी हलका पीला, ज्यादातर गहरे लाल रंग का पेशाब निकलता है. डाक्टर ने गौल ब्लैडर में स्टोन होने की आशंका जाहिर की है. मैं ने ऐक्स रे करवाया और बाद में मुझे बताया गया कि स्टोन निकल गया है. अब पिछले कुछ दिनों से मुझे हलका दर्द रह रहा है और पीले रंग का पेशाब आता है. मैं दुविधा में हूं कि पता नहीं स्टोन अभी है या निकल गया है. बताएं क्या करूं?
जवाब
स्टोन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी और सीटी केयूबी बेहतर विकल्प हैं. अगर स्टोन पाया गया तो स्थिति के अनुसार इलाज कराना ठीक रहेगा. ऐक्स रे से किडनी में मौजूद सभी स्टोन का पता नहीं चल पाता है.
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राधा की योनि से लगातार 6 महीनों से स्राव होने के साथसाथ उस में खुजली होती रही. पति के साथ संबंध बनाते वक्त उसे दर्द होता. पेशाब करने के वक्त उसे परेशानी होती. उस ने डाक्टर से संपर्क किया. जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि उसे ट्राइकोमोनियासिस बीमारी हो गई है. पढ़ेलिखे होने के बावजूद अधिकांश महिलाएं अपने प्रजनन अंगों की देखभाल के प्रति गंभीर नहीं होतीं.
स्त्रीपुरुषों में स्पष्ट शारीरिक भिन्नता होती है. स्त्रियों में प्रजनन अंगों का योनि, गर्भाशय व गर्भनली के माध्यम से सीधा संबंध होता है. पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध दोनों के जीवन का सुखकारी समय होता है. किंतु कई बार महिलाओं में प्रसव, मासिक धर्म व गर्भपात के समय भी संक्रमण होने का डर होता है.
ट्राइकोमोनियासिस का इलाज मैट्रोनीडाजोल नामक दवा से होता है जो खाई जाती है और जैल के रूप में लगाई भी जाती है लेकिन डाक्टर की सलाह पर ही दवा लें.
अशिक्षा, गरीबी, शर्म के कारणों से अकसर महिलाएं प्रजनन अंगों के रोगों का उपचार कराने में आनाकानी करती हैं. प्रजनन अंगों के संक्रमण से एड्स जैसा खतरनाक रोग भी हो सकता है.
कौपर टी लगवाने से भी प्रजनन अंगों में रोग के पनपने की आशंका रहती है. ‘क्लामाइडिया’ रोग ट्राइकोमेटिस नामक जीवाणु से हो जाता है. यह रोग ‘मुख मैथुन’ और ‘गुदामैथुन’ से जल्दी फैलता है. कई बार इस बीमारी से संक्रमण गर्भाशय से होते हुए फेलोपियन ट्यूब तक फैल जाता है. इस में जलन होती है. समय पर उपचार नहीं होने पर एचआईवी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
गोनोरिया : यह रोग महिलाओं में सूजाक, नीसेरिया नामक जीवाणु से होता है. यह स्त्री के प्रजनन मार्ग के गीले क्षेत्र में आसानी से बढ़ी तेजी से बढ़ता है. इस के जीवाणु मुंह, गले, आंख में भी फैल जाते हैं. इस बीमारी में यौनस्राव में बदलाव होता है. पीले रंग का बदबूदार स्राव निकलता है. कई बार योनि से खून भी निकलता है.
गर्भवती महिला के लिए यह बहुत घातक रोग होता है. प्रसव के दौरान बच्चा जन्मनली से गुजरता है, ऐसे में मां के इस बीमारी से ग्रस्त होने पर बच्चा अंधा भी हो सकता है.
हर्पीज : यह रोग ‘हर्पीज सिंपलैक्स’ से ग्रसित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से होता है. इस में 2 प्रकार के वायरस होते हैं. कई बार इस रोग से ग्रसित स्त्रीपुरुष को मालूम ही नहीं पड़ता कि उन्हें यह रोग है भी. यौन अंगों व गुदाक्षेत्र में खुजली, पानी भरे छोटेछोटे दाने, सिरदर्द, पीठदर्द, बारबार फ्लू होना आदि इस के लक्षण होते हैं.
सैप्सिस : यह रोग ‘टे्रपोनेमा पल्लिडम’ नामक जीवाणु से पैदा होता है. योनिमुख, योनि, गुदाद्वार में बिना खुजली के खरोंचें हो जाती हैं. महिलाओं को तो पता ही नहीं चलता है. पुरुषों में भी पेशाब करते वक्त जलन, खुजली, लिंग पर घाव, आदि समस्याएं हो जाती हैं.
हनीमून सिस्टाइटिस
नवविवाहिताओं में यूटीआई अति सामान्य है, इस को हनीमून सिस्टाइटिस भी कहते हैं. महिलाओं में मूत्र छिद्र योनिद्वार और मलद्वार के पास स्थित होता है. यहां से जीवाणु आसानी से मूत्र मार्ग में पहुंच कर संक्रमण कर सकते हैं. करीब 75 प्रतिशत महिलाओं में यूटीआई आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है. इस के अतिरिक्त अनेक अन्य प्रजाति के जीवाणु भी यूटीआई उत्पन्न कर सकते हैं.
मूत्रमार्ग का संक्रमण जिस को यूरीनरी ट्रैक्क इन्फैक्शन या यूटीआई कहते हैं, महिलाओं में मूत्र मार्ग की विशिष्ट संरचना के कारण अति सामान्य समस्या है. करीब 40 प्रतिशत महिलाएं इस से जीवन में कभी न कभी ग्रसित हो जाती हैं.
मूत्रद्वार में होने वाली जलन, खुजली अनेक कारणों से हो सकती है लेकिन लगभग 80 प्रतिशत में यह यौन संसर्ग के कारण होती है. अकसर संक्रमण होने पर यौन संबंध बनाने के करीब 24 घंटे बाद लक्षण शुरू हो जाते हैं. विवाह के तुरंत बाद अज्ञानता, हड़बड़ी इत्यादि कारणों से यूटीआई होने की संभावना ज्यादा रहती है.
अगर बात लक्षणों की करें तो यूटीआई होने पर बारबार पेशाब आता है, पर पेशाब कुछ बूंद ही होता है. मूत्र त्याग के समय जलन और कभीकभी दर्द होता है, मूत्र से दुर्गंध आती है, मूत्र का रंग धुंधला हो सकता है. कभीकभी खून मिलने के कारण पेशाब का रंग गुलाबी, लाल, भूरा हो सकता है.
यदि संक्रमण होने पर यौन संबंध बनाए जाते हैं तो जलन बढ़ सकती है. यदि उपचार नहीं किया जाता तो पीठ के निचले हिस्से में पीठदर्द हो सकता है, ज्वर हो सकता है. कुछ स्थितियों में संक्रमण मूत्राशय से ऊपर गुर्दों में पहुंच कर इन में संक्रमण कर सकता है.
बहरहाल, आप पूरी तरह से स्वस्थ तभी हैं जब अपने पार्टनर के संग सुरक्षित सैक्स करें और आप के प्रजनन अंग साफ व सुरक्षित रहें. इस के लिए जरूरी है कि आप अपने प्रजनन अंगों के बारे में जागरूक हों. उन में कोई भी तकलीफ हो तो तुरंत डाक्टर से सलाह लें.
भयानक महामारी कोरोना वायरस के चलते उचित पोषण और जल महत्त्वपूर्ण हैं. ऐसे समय में मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है. संतुलित आहार प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और पुरानी बीमारियों और संक्रामक रोगों के जोखिम को कम करता है, इसलिए अपने भोजन में आवश्यक विटामिन, खनिज आहार, फाइबर, प्रोटीन और एंटीऔक्सिडैंट की भरपूर मात्रा सुनिश्चित करें. इस के लिए प्रतिदिन कई तरह के ताजे और असंसाधित खाद्य पदार्थों का सेवन करें. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं. अधिक वजन, मोटापा, हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने के लिए चीनी, वसा और नमक से बचें. अदरक का उपयोग ताजा सूखे पाउडर या तेल या रस के रूप में किया जा सकता है. कभीकभी इसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और सौंदर्य प्रसाधन में जोड़ा जाता है. यह व्यंजनों में एक बहुत ही सामान्य घटक है. अदरक की अनोखी खुशबू और स्वाद इस के प्राकृतिक तेलों से आता है.
अदरक में मुख्य जैव सक्रिय यौगिक है जो इस के औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार है. यह शक्तिशाली विरोधी एंटीऔक्सिडैंट है. अदरक में बायोऐक्टिव पदार्थ संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है. वास्तव में अदरक का अर्क कई अलगअलग प्रकार के बैक्टीरिया के विकास को रोक सकता है. ताजा अदरक भी वायरस के खिलाफ प्रभावी हो सकता है. यह श्वसन संक्रमण को रोक सकता है. नीबू विटामिन सी से भरपूर नीबू स्फूर्तिदायक और रोग निवारक फल है. इस के रस में साइट्रिक एसिड सब से प्रमुख स्रोत था. आमतौर पर नीबू में विटामिन ए, बी और सी की भरपूर मात्रा है. विटामिन ए अगर एक भाग है, तो विटामिन बी 2 भाग और विटामिन सी 3 भाग. इस में पोटैशियम, लोहा, सोडियम मैगनीशियम, तांबा, फास्फोरस और क्लोरीन तत्त्व तो हैं ही, प्रोटीन, वसा और कार्बोज भी पर्याप्त मात्रा में हैं. विटामिन सी से भरपूर नीबू शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही एंटीऔक्सीडैंट का काम भी करता है.
नीबू में मौजूद विटामिन सी और पोटैशियम घुलनशील होते हैं, जिस के कारण ज्यादा मात्रा में इस का सेवन भी नुकसानदायक नहीं होता. नीबू का सेवन करने से जुकाम भी दूर सकता है. एक नीबू दिनभर की विटामिन सी की जरूरत पूरी कर देता है. नीबू का रस ठंड से बचाता है नीबू का रस बुखार को कम करने और सर्दी और फ्लू को नियंत्रित करने के लिए राहत देता है. बुखार के रोगियों के मामले में नीबू पसीने को बढ़ा कर शरीर के तापमान को कम करता है. बुखार को बढ़ावा देने के लिए नीबू बहुत मददगार है. प्रत्येक 2 घंटे के बाद कुनकुना नीबू पानी (एक गिलास पानी में 1 चम्मच नीबू) पीने का सुझाव दिया गया है. जब नीबू को गरम पानी के साथ शहद के साथ मिलाया जाता है, तो खांसी और सर्दी को ठीक करने में एक उपयोगी घरेलू उपाय है. खराश के लिए नीबू पानी गले में खराश की समस्या के लिए नीबू के पानी से गरारा करना चाहिए. नीबू पानी से गरारा करने के लिए आधे नीबू को एक गिलास पानी में लेने का सुझाव दिया जाता है. हालांकि नियमित रूप से गरारे करने से बचना चाहिए नीबू इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है नीबू विटामिन सी से भरपूर होता है और सर्दी और खांसी से लड़ने में बेहद मददगार होता है.
नीबू में कई फाइटोकैमिकल्स होते हैं, जैसे हेस्पेरेटिन और नारिंगिनिन. ये एंटीऔक्सीडैंट होते हैं और शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. नीबू का रस इम्यून सिस्टम को मजबूत कर के कैंसर से भी लड़ता है. नीबू एंटीबैक्टीरियल एंटीवायरल की तरह काम करता है. नीबू के तत्त्व जैसे साइट्रिक एसिड, मैगनीशियम, कैल्शियम, लिमोनेन, पैक्टिन, विटामिन सी, बायोफ्लेवोनाइड्स और फाइटोकैमिकल्स प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं. नीबूअदरक शरबत आवश्यक सामग्री : ताजा नींबू का रस 500 मिलीलिटर, अदरक का रस 100 मिलीलिटर, चीनी स्वादानुसार, पानी 500 मिलीलिटर. विधि : ताजा नीबू को धो कर साफ कर लें. स्टील के बरतन में नीबू का रस निकाल कर छान लें. एक भगोने में पानी डाल कर थोड़ाथोड़ा कर के चीनी डालते जाएं. चीनी को एक तार की चाशनी बनाने पर ठंडा करें. ठंडा होने पर मलमल के कपड़े से छान कर रख दें. वहीं दूसरी ओर चाशनी में नीबू का रस और अदरक का रस डालें और अच्छी तरह से मिलाएं. अब साफसुथरी बोतल में भर कर ढक्कन ढंग से बंद कर के रखें. इस ड्रिंक को रोजाना पीने से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.
लेखक- रूपेंद्र कौर, सुनील कुमार, सुशील कुमार शर्मा और पीके राय
सुष्मिता सेन इन दिनों लगातार सोशल मीडिया पर चर्चा में बनी हुई हैं, हाल ही में सुष्मिता सेन अपने इंस्टा पोस्ट को लेकर सुर्खियों में थीं, इसके बाद से सुष्मिता सेन के फैंस को बहुत बड़ा झटका लगा था.
बता दें कि सुष्मिता सेन हार्ट अटैक के बाद से अपने डॉक्टर को खुद ही फोन करके बुलाया था, इस बात की जानकारी चारु ओसापा ने सोशल मीडिया पर दिया है. बता दें कि चारु ने बताया कि सुष्मिता एक स्टॉंग लेडी है. उन्होंने ये साबित कर दिया है कि वह हर कंडिशन को अच्छे से फेस कर सकती हैं.
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बता दें कि हार्ट अटैक के दौरान सुष्मिता सेन आर्या 3 की शूटिंग में व्यस्त थीं, चारू ने बोला कि दीदी ने इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताया , जब बाद में मुझे पता चला तो मैंने अपनी सास को कॉल करके बताया उन्हें.
खैर अगर बात करें चारु असोपा की तो वह इन दिनों अपने पति राजीव सेन से अलग रह रही हैं, चारू और राजीव का इस महीने तलाक होने वाला है. इन दोनों की एक छोटी सी बेटी है.
कृति सेनन इन दिनों अपनी फिल्म को लेकर सुर्खियों में छाई हुई हैं, कृति ने हाल ही में अपने डॉयरेक्टर के साथ तिरुपति बाला जी दर्शन के लिए पहुंची थीं, जहां पर उन्होंने अपने फिल्म के डॉयरेक्टर के साथ जाकर दर्शन किया. इस दौरान फिल्म के डॉयरेक्टर ने विदाई करते हुए उनके गालों पर किस किया जिसके बाद से लगातार विवाद बढ़ गया है.
कृति सेनन ने विवाद के बाद से इंस्टा पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है ग्रेटिट्यूड, जिस पोस्ट को देखते हुए फैंस उनकी लगातार तारीफ कर रहे हैं. बता दें कि यह फिल्म सिनेमा घर में आने से पहले चर्चा में बना हुआ है, इस फिल्म को देखने के लिए फैंस काफी ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे हैं. फैंस का कहना है कि यह फिल्म जल्द से जल्द सिनेमा घर में आए.
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इस फिल्म में प्रभास और कृति की जोड़ी को खूब पसंद किया जा रहा है, प्रभास और कृति को लेकर यह भी बात हो रहा है कि जल्द दोनों शादी करने वाले हैं. हालांकि इन दोनों ने इस विषय पर कुछ नहीं बोला है. प्रभास और कृति की जोड़ी लोगों को खूब पसंद आ रही हैं.
खैर कुछ वक्त में पता चल जाएगा कि दोनों शादी करने वाले है या नहीं.