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मैं एक युवक से बहुत प्यार करती हूं, उस के घर वालों को कैसे मनाएं, मैं उसे खोना नहीं चाहती, क्या करूं?

सवाल

मैं एक युवक से बहुत प्यार करती हूं और इस बारे में मैं ने अपने परिवार में भी सब को बता दिया है, लेकिन उस के घर वालों को कैसे मनाएं? वे नहीं समझ रहे? उस के पापा को पता चला तो भी उन्होंने न कह दिया. मेरा दिल कहता है कि समय आने पर उस के घर वाले मान जाएंगे. पर मैं इस कारण परेशान हूं हमारे रिलेशन को 1 वर्ष हो गया है. यह मेरा दूसरा प्यार है. मैं इसे खोना नहीं चाहती. क्या करूं?

जवाब

आप दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं और आप के परिवारों को भी इस बारे में पता है तो इस से अच्छी बात क्या हो सकती है. रही बात उस के घर वालों की ओर से मना करने की, तो इस की वजह जानने की कोशिश कीजिए. अपने प्रेमी से ही पूछिए व मिल कर समाधान कीजिए. आप की बात कि समय आने पर पेरैंट्स मान जाएंगे, अच्छी है, पर अपना प्रयास छोड़ना ठीक नहीं. इस कारण परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि आप के घर वाले आप के साथ हैं और आप का प्रेमी भी. हां रिलेशन को एक वर्ष हो गया तो क्या, आप ने तो सारी जिंदगी गुजारनी है प्रेम में अपने प्रेमी संग. अत: निराश न होइए और ‘दिन, महीने, साल गुजरते जाएंगे…’ वाला फलसफा अपनाइए, आप का प्रेम अवश्य परवान चढ़ेगा.

ईद स्पेशल : फैमिली के लिए बनाएं अवधी गोश्त कोरमा

यह एक स्वादिष्ट मटन रेसिपी है. मटन को ढ़ेर सारे मसाले डालकर दम पर पकाया जाता है. इसे आप शीरमाल या परांठे के साथ सर्व कर सकती हैं.

सामग्री

मटन (1किग्रा)

रिफाइंड तेल (2 टेबल स्पून)

हल्दी पाउडर (1 टी स्पून)

पानी (1/4 कप)

अदरक-लहसुन का पेस्ट (1 टी स्पून)

धनिया पाउडर (1 टी स्पून)

लाल मिर्च पाउडर (1 टी स्पून)

लहसुन (कुटा हुआ 1 टी स्पून)

प्याज (तला हुआ 1 टी स्पून)

हरी इलाइची (3-4)

साबुत दालचीनी (1 टी स्पून)

इलाइची (2 बड़ी)

तेजपत्ता (2-3)

दही (3 टेबल स्पून)

गुलाब जल (2 टी स्पून)

गरम मसाला (2 टी स्पून)

जायफल-धनिया पाउडर (1/2 टी स्पून)

केसर (1/2 टी स्पून)

नमक (स्वादानुसार)

(गूंथा हुआ) आटा

गार्निशिंग के लिए हरा धनिया

गार्निशिंग के लिए अदरक , जूलियन

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 बनाने की वि​धि

एक पैन में तेल गर्म करें इसमें हरी इलाइची, दालचीनी, लौंग, बड़ी इलाइची और तेजपत्ता डालें.

जब यह हल्के फ्राई हो जाएं तो इसमें मीट डालें.

इसमें नमक और हल्दी डालकर अच्छे से मिलाएं.

इसमें पानी डालें, पैन को ढक दें और इसे पकाएं.

जब यह उबलने लगे तो इसमें अदरक लहसुप का पेस्ट, धनिया पाउडर, लाल मिर्च, गार्लिक पेस्ट और प्याज का पेस्ट डालें.

इसे अच्छे से मिलाएं, गुलाब जल, गरम मसाला, जायफल और दालचीनी पाउडर और केसर डालें.

इसे ढक दें और 2 से 3 मिनट के लिए पकाएं.

अब मीट को एक भारी तले के पैन में डालें और इसकी ग्रेवी को छान लें.

इस पर आटे लगाकर ढक्कन को सील कर दें और धीमी आंच पर पकाएं.

एक बार यह जब यह तैयार हो जाए तो इसे अदरक और हरा धनिए से गार्निश करने के बाद सर्व करें.

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Manohar Kahaniya: अल्हड़पन के दीवानों का हश्र- एक को जेल, दूसरे को मौत

20 साल की रूबी लखनऊ के आशियाना इलाके में नौकरी करती थी. देखने में वह बहुत
सुंदर भले ही नहीं थी, पर उस में चुलबुलापन जरूर था. यानी सांवले रंग में भी तीखापन, जो सहज ही किसी को भी अपनी ओर खींच लेता था. दिल खोल कर बात करने की उस की अदा से सब को लगता था कि रूबी उसे ही दिल दे बैठी है.रूबी अपने गांव से शहर आई थी. उसे अपने हुनर से ही गुजरबसर करने लायक जमीन तैयार करनी थी. वह बहुत सारे लोगों से मिलतीजुलती थी, जिन में से एक आनंद भी था. उम्र में वह रूबी से करीब 10 साल बड़ा था. इस के बाद भी रूबी और आनंद की आपस में गहरी दोस्ती हो गई.

रूबी काम पर जाती तो उसे लाने ले जाने का काम आनंद ही करता था. रूबी को भी इस से सहूलियत होती थी. उसे वक्तबेवक्त आनेजाने में कोई डर नहीं रहता था. एक तरह से रूबी को ड्राइवर और गार्ड दोनों मिल गए थे.

दोस्ती से शुरू हुई यह मुलाकात धीरेधीरे रंग लाने लगी. वक्त के साथ दोनों के संबंध गहराने लगे. आनंद चाहता था कि रूबी केवल उस के साथ ही रहे पर रूबी हर किसी से बातें करती थी. उस के खुलेपन से बातें करने से हर किसी को लगता था कि रूबी उस की खास हो गई है.

आनंद और रूबी का चक्कर चल ही रहा था कि वह इंद्रपाल के संपर्क में आ गई. इंद्रपाल उस के साथ काम करता था. अब रूबी कभीकभी आनंद के बजाय इंद्रपाल के साथ आनेजाने लगी. आनंद और इंद्रपाल में अंतर यह था कि इंद्रपाल रूबी की उम्र का ही था.

सीतापुर जिले का रहने वाला इंद्रपाल नौकरी करने के लिए लखनऊ आया था. आनंद को रूबी और इंद्रपाल का आपस में घुलनामिलना पसंद नहीं आ रहा था. वह सोच रहा था कि किसी दिन रूबी को समझाएगा.

एक दिन रूबी और इंद्रपाल शाम को आशियाना के किला चौराहे पर चाट के ठेले पर खड़े पानीपूरी खा रहे थे. रूबी को पानीपूरी बहुत पसंद थी. इत्तफाक से आनंद ने दोनों को देख लिया तो उसे गुस्सा आ गया.
जब रूबी आनंद से मिली तो उस ने कहा, ‘‘तुम आजकल अपने नए दोस्त से कुछ ज्यादा ही घुलमिल रही हो. यह मुझे पसंद नहीं है. अगर मुझ में कोई कमी हो तो बताओ, लेकिन तुम्हारा इस तरह से किसी और के साथ समय गुजारना मुझे अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘तुम भी क्याक्या सोचते रहते हो, हम दोनों केवल साथी हैं. कभीकभी उस के साथ घूमने चली जाती हूं, इस से तुम्हारेमेरे संबंधों में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. तुम परेशान मत हो.’’

‘‘देखो, तुम्हें फर्क भले न पड़ता हो पर मुझे पड़ता है. मैं इसे सहन नहीं कर सकता. मेरे जानने वाले कहते हैं कि देखो तुम्हारे साथ रहने वाली रूबी अब किसी और के साथ घूम रही है.’’

‘‘लोगों का क्या है, वे तो केवल बातें बनाना जानते हैं. तुम उन की बातों पर ध्यान ही मत दो. तुम मुझ पर यकीन नहीं कर रहे, इसलिए लोगों की बातें सुन रहे हो.’’

‘‘रूबी, मैं ये सब नहीं जानता. बस मुझे तुम्हारा उस लड़के के साथ रहना पसंद नहीं है. जिस तरह से तुम उस के साथ घूमने जाती हो, उस से साफ लगता है कि तुम मुझ से कुछ छिपा रही हो.’’

रूबी ने आनंद से बहस करना उचित नहीं समझा. वह चुपचाप वहां से चली गई. उसे आनंद का इस तरह से बात करना पसंद नहीं आया. वह मन ही मन सोचने लगी कि आनंद से कैसे पीछा छुड़ाया जाए.

यही बात आनंद भी सोच रहा था. आनंद रूबी के चाचा से मिला और उसे रूबी और इंद्रपाल के बारे में बताया. यह बात उस ने कुछ इस तरह से बताई कि रूबी के चाचा उस पर बहुत नाराज हुए.

जब रूबी ने उन की एक नहीं सुनी तो वह बोले, ‘‘रूबी, अगर तुम्हें मेरी बात नहीं माननी तो नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाओ. इस तरह से बदनामी कराने से कोई फायदा नहीं है.’’

रूबी समझ गई थी कि उस के चाचा भी आनंद की बातों में आ गए हैं. कुछ कहनेसुनने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा, इसलिए वह चुप रही. अगले दिन रूबी ने यह बात इंद्रपाल को बताई. इंद्रपाल ने कहा कि रूबी हम यह दोस्ती नहीं तोड़ सकते. मुझे कोई डर नहीं है, जब तक तुम नहीं चाहोगी, हमें कोई अलग नहीं कर सकता.

रूबी को पता था कि आनंद अपनी बात का पक्का है. वह अपनी जिद को पूरा करने के लिए कोई भी काम कर सकता है. उसे चिंता इस बात की थी कि इंद्रपाल और आनंद के बीच कोई झगड़ा न हो जाए. वह दोनों के बीच कोई गलतफहमी पैदा नहीं करना चाहती थी.

रूबी ने इंद्रपाल से दूरी बनानी शुरू कर दी. यह बात इंद्रपाल को हजम नहीं हो रही थी. एक दिन उस ने रूबी से न मिलने का सबब पूछा तो रूबी ने ठीक से कोई जवाब नहीं दिया.

इस के बाद इंद्रपाल अकसर रूबी से बात करने की कोशिश में जुटा रहा. कई बार उस ने बात करने के लिए जोरजबरदस्ती भी करनी चाही. इस पर रूबी ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं चाहती कि मेरी वजह से तुम्हें कोई परेशानी हो. बेहतर है, तुम मुझ से दूर ही रहो.’’

रूबी पर निगाह रख रहे आनंद को लगा कि इंद्रपाल उस की राह का कांटा बन गया है. यह बात उस ने रूबी को भी नहीं बताई. आखिर आनंद के मन में इंद्रपाल को रास्ते से हटाने की एक खतरनाक योजना बन गई.

इस योजना के लिए उसे रूबी की मदद की जरूरत थी ताकि वह इंद्रपाल को एकांत में बुला सके. लेकिन रूबी इस के लिए तैयार नहीं थी. इस पर आनंद ने उसे समझाया कि इंद्रपाल को केवल समझाना चाहता है. इस पर रूबी इंद्रपाल को बुलाने के लिए तैयार हो गई.

15 जून, 2018 की बात है. रूबी ने फोन कर के इंद्रपाल को किला चौराहे पर मिलने के लिए बुलाया. इंद्रपाल के लिए रूबी का बुलाना बहुत बड़ी खुशी की बात थी. वह बिना कुछ सोचेसमझे किला चौराहे पर पहुंच गया. इस के बाद रूबी बातचीत करने के बहाने उसे बिजली पासी किला के जंगल ले गई, वहां पहले से ही आनंद, आलोक, अविनाश, गौरव, विकास और सुधीर घात लगाए बैठे थे.

इंद्रपाल को अकेला देख कर सब के सब उस पर टूट पड़े. जब मारपीट में इंद्रपाल बेसुध हो गया तो उसे गला दबा कर मार डाला. बाद में शव की पहचान छिपाने के लिए पैट्रोल डाल कर उसे जला भी दिया गया.

अगले दिन उस की लाश थाना आशियाना पुलिस को मिली. पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के मामले की छानबीन शुरू की. लाश की शिनाख्त होने के बाद इंद्रपाल के घर सीतापुर जानकारी दी गई.

उस के पिता राजाराम यादव लखनऊ आए और अपने बेटे का दाहसंस्कार करने के बाद वह पुलिस के साथ अपराधियों की खोज में लग गए. थानाप्रभारी आशियाना जितेंद्र प्रताप सिंह ने मामले की छानबीन शुरू की. सीओ (कैंट) तनु उपाध्याय और एसपी (नौर्थ लखनऊ) अनुराग वत्स इस मामले की छानबीन में मदद कर रहे थे.

पुलिस ने इंद्रपाल के मोबाइल फोन की छानबीन की तो फोन में रूबी का नंबर मिला. नंबर की डिटेल्स से पता चला कि दोनों के बीच बहुत ज्यादा बातचीत होती थी. घटना के दिन भी रूबी के फोन से इंद्रपाल के फोन पर बात की गई थी. इस से पुलिस को मामले का सुराग मिलता दिखा.

पुलिस को अपनी छानबीन में यह भी पता चला कि रूबी के चाचा ने उसे इंद्रपाल से मिलने के लिए मना किया था और नौकरी छुड़वा दी थी. एसपी नौर्थ अनुराग वत्स ने बताया कि इंद्रपाल को धोखे से बुलाया गया था. पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे को जलाने की कोशिश की गई थी.

सीओ (कैंट) तनु उपाध्याय ने बताया कि जब पुलिस ने पूरी छानबीन कर ली तो रूबी से घटना के बारे में पूछा गया. रूबी ने शुरुआत में तो बहानेबाजी की पर पुलिस ने जब उसे सबूत दिखाए तो उस ने अपना अपराध कबूल कर लिया.

24 जून, 2018 को कथा लिखे जाने तक आनंद पकड़ से बाहर था. बाकी सभी आरोपी जेल भेजे जा चुके थे. रूबी का अल्हड़पन दोनों पर भारी पड़ा. एक की जान गई और दूसरा फरार है. थानाप्रभारी आशियाना जितेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि उसे जल्द ही पकड़ लिया जाएगा.

लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने इस ब्लाइंड मर्डर स्टोरी का परदाफाश करने के लिए सभी पुलिस कर्मचारियों को बधाई दी. पुलिस ने रूबी के साथ आनंद के साथियों आलोक, अविनाश, गौरव, विकास और सुधीर को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दिल को बचाएं गरमी के दबाव से

गरमी का मौसम शुरू हो गया है. तापमान चरम पर है. जरूरी है कि स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सभी जागरूक हों क्योंकि अत्यधिक गरमी आप सभी खासकर दिल के रोगियों के लिए समस्या खड़ी कर सकती है.

मानव दिल मुट्ठीभर मांसपेशियों का एक ढांचा है जो रक्तधमनियों के जरिए शरीर के बाकी अंगों व तंतुओं को रक्त पहुंचाता है. बाहर के तापमान में वृद्धि होने से शरीर को ठंडा रखने के लिए आम दिनों से गरमी के दिनों में ज्यादा पानी खर्च हो जाता है. दिल को ज्यादा तेजी से काम करना पड़ता है ताकि त्वचा की सतह तक रक्त पहुंचा कर पसीने के जरिए शरीर को ठंडा रख सके.

सेहतमंद लोग तो इस बदलाव को सह लेते हैं लेकिन जिन के दिल कमजोर हों, उन में स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन, अरीदिमिया, एन्जाइना और दिल का दौरा पड़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

दिल के रोगियों में हीट स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा होता है क्योंकि ब्लौकेज से तंग हो चुकी धमनियों से त्वचा तक खून का बहाव सीमित हो सकता है. पसीना, जुकाम, त्वचा में तनाव, चक्कर आना, बेहोशी, मांसपेशियों में तनाव, एडि़यों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, जी मिचलाना, उलटी आदि हीट स्ट्रोक के लक्षण हैं. हीट स्ट्रोक होने पर दिल के रोगी को तुरंत नजदीकी अस्पताल में ले जाना चाहिए.

गरमी में होने वाला डीहाइड्रेशन दिल के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है. यह धमनियों में रिसाव और स्ट्रोक का कारण बनता है. अरीदिमिया से बचने के लिए पानी पीते रहना जरूरी है, तब भी जब आप को प्यास न लगे. 50 से ज्यादा उम्र के लोग अकसर अपनी प्यास का अंदाजा नहीं लगा पाते और डीहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं. घर से बाहर होने के दौरान उन्हें बारबार पानी पीते रहने का ध्यान रखना चाहिए. दिल के रोगियों को अकसर पानी की गोलियां डाइयुरेटिक्स दी जाती हैं, जिस से ज्यादा पेशाब आने से डीहाइड्रेशन की समस्या और गंभीर हो जाती है. कुछ तनाव की दवाएं और एंटीहिस्टामाइंस भी पसीने को रोक सकती हैं. अगर गरमी में चक्कर आएं और सिर हलका लगे तो डाक्टर से दवा की खुराक तय करने के बारे में सलाह लें.

जिन लोगों की एंजियोप्लास्टी हो चुकी है, स्टेंट डला है या कृत्रिम वौल्व लगे हैं उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए. डीहाइड्रेशन से रक्त गाढ़ा हो जाता है जो दिल की नसों में चिपक कर स्टेंट को बंद कर देता है. यह जानलेवा हो सकता है. स्टेंट के सही काम करते रहने के लिए शरीर में पानी की मात्रा संतुलित बनी रहनी चाहिए.

जिन्हें कौरोनरी हार्ट डिजीज है उन्हें गरमी के दिनों में एन्जाइना हो सकता है. उन्हें धमनियों में रिसाव और कौन्जैस्टिव हार्ट फेल्योर भी हो सकता है. उन्हें ठंडे तापमान में अंदर रहना चाहिए. थोड़ीथोड़ी देर बाद पानी पीते रहना और हलका व सेहतमंद आहार लेते रहना चाहिए.

दिल के रोगियों में बढ़ा हुआ तापमान ज्यादा जलन का कारण बन सकता है. जितना तापमान ज्यादा होगा, हार्ट फेल्योर वाले मरीजों के रक्त में बायोमार्कर्स उतने ज्यादा होंगे. दिल पर बढ़ा हुआ तनाव सूजन या जलन व सैल की क्षति से होने वाली अंदरूनी प्रतिक्रियाओं में बदलाव ला देता है. यह दिल के तंतुओं और जलन में वृद्धि कर के हार्ट फेल्योर का कारण बन सकता है.

दिल के रोगियों के लिए सुझाव

तापमान बढ़ने के साथ दिल के रोगियों के लिए सेहतमंद रहना मुश्किल हो जाता है. इस के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

व्यायाम करने से बचें : कुछ लोगों के लिए व्यायाम से ही दिल की समस्या बढ़ जाती है. गरमी में व्यायाम करने से शरीर थक जाता है, थकान से धमनियों में रिसाव हो सकता है. गरमी के मौसम में बाहर जा कर सैर करना, दौड़ना या बागबानी करना सिर्फ ठंडक के समय में यानी सुबह व शाम ही होना चाहिए.

सही जूते पहनें : हम सब को पैरों में सब से ज्यादा पसीना आता है, इसलिए जरूरी है कि हवादार जूते और पसीने के अनुकूल जुराबें चुनें. पैरों के पाउडर और पसीनारोधक भी मददगार साबित हो सकते हैं.

सही कपड़े चुनें : हलके वजन और रंगों वाले कपड़े, जिन में सांस लेना आसान हो जैसे कौटन और लिनेन पहनें. ये पसीना रोकते हैं और हमारे शरीर को ठंडा रखते हैं. धूप का चश्मा और हैट पहनना और भी ज्यादा मददगार होता है.

इन से दूर रहें : कैफीन और शराब से दूर रहें क्योंकि ये डीहाइड्रेटिंग करते हैं. थोड़ीथोड़ी देर बाद पानी पीते रहना अच्छा होता है.

सही खाएं : हलका और सेहतमंद आहार लें. नमक कम खाएं क्योंकि ज्यादा नमक खाने से रक्तधारा में तरल ज्यादा जमा होता है.

पानी पीते रहें : पूरे दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीना बेहद जरूरी है.

आराम करें : गरमी में दिल पर दबाव कम करने और शरीर को स्फूर्ति देने के लिए अच्छी नींद लेना आवश्यक है.

(लेखक फोर्टिस एस्कोर्ट अस्पतालफरीदाबाद के कार्डियोलौजी विभाग के प्रमुख हैं.)

मार से नहीं सुधरते बच्चे

कभी खिलौने तोड़ने, कभी होमवर्क न करने, कभी टीवी ज्यादा देर तक देखने, कभी सुबह जल्दी न उठने को लेकर हर बच्चे को कभी न कभी बचपन में अवश्य मार पड़ी होगी. जब बच्चे पेरेंट्स के अनुसार काम नहीं करते तो पेरेंट्स को गुस्सा आता है और गुस्से में वे पहले वे बच्चों को डराते धमकाते हैं और जब ऐसा करने से बात बनती नहीं दिखती तो वे बच्चों पर हाथ उठा देते हैं. पेरेंट्स ऐसा करते समय सोचते हैं कि वे ऐसा बच्चों की भलाई के लिये कर रहे हैं, उन्हें  सुधारने के लिए कर रहे हैं. पर क्या बच्चों पर हाथ उठाना सच में बच्चों की भलाई के लिए होता है  आइये जानते हैं –

हाथ उठाने के पीछे कारण

साइकोलॉजिस्ट प्रांजलि मल्होत्रा के अनुसार “पैरेंट्स को लगता है कि बच्चों को मारना बच्चों को सिखाने समझाने का तरीका है, मारने से वे समझ जाएंगे और दोबारा वही गलती नहीं करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. कई बार तो बच्चे ये भी नहीं समझ पाते कि उन्हें मार क्यों पड़ी   कई बार बच्चे अकारण भी मार खा जाते हैं. कई जानकारों और मनोचिकित्सकों का कहना है कि बच्चों पर हाथ उठाने से ना सिर्फ उन्हें शारीरिक रूप से चोट पहुंचती है बल्कि वे मानसिक रूप से भी कमजोर पड़ जाते हैं. कई मामलों में बच्चों पर हाथ ना उठाकर यदि प्यार से समझाया जाए तो उन पर सकारात्मक प्रभाव होता है. शारीरिक हिंसा बच्चों को गलत रास्ता दिखाती है. साथ ही बच्चे यह समझ बैठते हैं कि सभी समस्याओं का हल केवल एक हाथ उठाने से हो सकता है. वे अपने आस पास दोस्तों के साथ भी मार पीट का रवैया अपनाने लगते हैं.”

हाउसवाइफ ज्यादा उठाती हैं हाथ

मुंबई के एक एजूकेशन ग्रुप पोद्दार इंस्टिट्यूट ऑफ एज्युकेशन द्वारा देश के 10 शहरों में किये गए एक सर्वे के अनुसार घर में रहनेवाली मांएं बच्चों बच्चों पर अधिक हाथ उठाती हैं. हैरानी की बात ये है कि 77 प्रतिशत मामलों में मां ही बच्चों को पीटती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी महिलाओं के पास बच्चों के लिए बहुत कम समय होता है इसलिए वे कम हाथ उठाती हैं जबकि  हाउसवाइफ बच्चों के साथ ज़्यादा समय बिताती हैं इसलिए उनकी गलतियों को लेकर वे ज्यादा सख़्त होती हैं.

रिश्ते में आ सकती हैं दूरियां

बच्चों को मार खाना न केवल अपमानित लगता है बल्कि मार उन्हें अशांत या डरपोक बना सकती  है. बात-बात पर हाथ उठाने से जहां कुछ बच्चे अग्रेसिव हो जाते हैं वहीं  कुछ बच्चे  हर समय डरे सहमे रहने लगते हैं. वे किसी से बात करने से भी कतराने लगते हैं. बड़े होने पर ये सारी समस्याएं उनके विकास में बाधक बन सकती हैं. बार-बार मारने से बच्चों में पैरेंट्स का डर खत्म हो जाता है और कई बार ऐसा करने से बच्चे अपने पेरेंट्स से नफरत भी करने लगते हैं और हो सकता है आपका यह व्यवहार आपके और उनके रिश्ते में दूरियां भी ला दे.

‘कुंडली भाग्य’ के सेट पर पैर में प्लास्टर बांधे मस्ती करती दिखी Shradha Arya

टीवी की खूबसूरत एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं, इन दिनों श्रद्धा अपनी लेटेस्ट फोटो को लेकर काफी ज्यादा सुर्खियों में छाई हुईं हैं. तो चलिए जानते हैं कि श्रद्धा आर्या इन दिनों किस वजह से चर्चा में हैं.

एक्ट्रेस की फैन फलोविंग हर घर में है लेकिन इन दिनों श्रद्धा को देखा जा सकता है कि वह अपने पैरों पर प्लास्ट लगातार सीरियल की शूटिंग कर रही है, जिसे देखकर फैंस काफी तारीफ करते नजर आ रहे हैं. वह पैरों पर प्लास्ट बांधकर शूटिंग करने आईं हैं, जो काफी ज्यादा मस्ती करती नजर आ रही हैं.

 

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श्रद्धा के पैर में चोट लगने से वह चल नहीं पा रही हैं इसलिए वह ज्यादातर फोटो बैठकर ले रही हैं, तस्वीर में उनका प्लास्टर नजर आ रहा है. हालांकि इन फोटोज में श्रद्धा अपनी अदाएं खूब दिखा रही हैं. कभी अपने दुपट्टे लहरा रही हैं तो कभी अपनी जुल्फे को लहराते हुए फोटो खींचवा रही हैं.

श्रद्धा आर्या अपने ट्रेडिशनल अवतार से एकबार फिर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है, फैंस लगातार श्रद्धा की तारीफ करते थक नहीं रहे हैं. एक्ट्रेस ने लाल रंग का सूट पहना है और नेट का दुपट्टा लिया है. श्रद्धा ने अपने लुक से लोगों का ध्यान खींच लिया है.

Anupmaa: अनुज को भड़काएगी बरखा, देविका करेगी समझाने की कोशिश

रूपाली गांगुली और गौरव खन्ना सीरियल अनुपमा में इन दिनों काफी ज्यादा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है, अनुपमा की जिंदगी को खराब करने के लिए वनराज और माया अपनी हर कोशिश करते नजर आ रहे हैं. दोनों मिलकर अनुज के कान भर रहे हैं अनुपमा के खिलाफ.

बीते एपिसोड में आपको देखने को मिला है कि डिंपी की बातों को सुनकर अनुपमा डांस एकेडमी छोड़ देती है और खुद का डांस एकेडमी खोलने का फैसला कर लेती है, जिसके बाद से आपको देखने को मिलेगा कि अनुपमा अपना डांस एकेडमी खोलने की तैयारी कर रही होती है.

 

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वहीं वनराज अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है वह कहता है कि अनुपमा उसके जानें से काफी ज्यादा खुश है, अनुज वनराज की बातों से इतना ज्यादा भड़क जाता और एक बार फिर से गलत समझ लेता है. और गुस्से में कहता है कि उसे जो करना है करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है उससे.

अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अनुपमा अपनी डांस एकेडमी खोलने की तैयारी में है, वह डांस एकेडमी अपने घर में खोलेगी. जिसकी तैयारी के लिए वह अपनी हर कोशिश कर रही है.

वहीं अनुपमा सीरियल को देखने वाले फैंस काफी ज्यादा दुखी है अनुज और अनुपमा को एक साथ ना देखकर.

घरेलू जिम्मेदारियां : पुरुष कितने सजग

वसुधा ने औफिस से आते ही पति रमेश से पूछा कि अतुल अब कैसा है? फिर वह अतुल के कमरे में चली गई. सिर पर हाथ रखा तो महसूस हुआ कि वह बुखार से तप रहा है.

वह घबरा कर चिल्लाई, ‘‘रमेश, इसे तो बहुत तेज बुखार है. डाक्टर के पास ले जाना पड़ेगा.’’

जब तक रमेश कमरे में आते तब तक वसुधा की निगाह अतुल के बिस्तर की बगल में रखी उस दवा पर पड़ गई जो दोपहर में उसे खानी थी. बुखार तेज होने का कारण वसुधा की समझ में आ गया था. उस ने रमेश से पूछा, ‘‘तुम ने अतुल को समय पर दवा तो खिला दी थी न?’’

‘‘मैं समय पर दवा ले कर तो आया था पर यह सो रहा था. मैं ने 1-2 आवाजें लगाईं. जब नहीं सुना तो दवा रख कर चला गया कि जब उठेगा खुद खा लेगा. मुझे क्या पता कि उस ने दवा नहीं खाई होगी.’’

परेशान वसुधा ने गुस्से से कहा, ‘‘रमेश, दवा लेने और दवा खिलाने में फर्क होता है. तुम क्या समझोगे इस बात को. कभी बच्चे की देखभाल की हो तब न,’’ और फिर उस ने अतुल को जल्दी से 2-3 बिस्कुट खिला कर दवा दी और सिर पर ठंडी पट्टी रखने लगी. आधे घंटे बाद बुखार थोड़ा कम हो गया, जिस से डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ी. असल में वसुधा के 10 साल के बेटे अतुल को बुखार था. उस की छुट्टियां समाप्त हो गई थीं, इसलिए रमेश को बेटे की देखभाल के लिए छुट्टी लेनी पड़ी. औफिस निकलने से पहले वसुधा ने रमेश को कई बार समझाया था कि अतुल को समय से दवा खिला देना, पर जिस बात का डर था, वही हो गया.

75 वर्षीय विमला गुप्ता हंसते हुए कहती हैं, ‘‘यह कहानी तो घरघर की है. पिछले सप्ताह मैं अपनी बहू के साथ शौपिंग करने गई थी. 2 साल की पोती को संभालने की जिम्मेदारी उस के दादाजी की थी. पोती को संभालने के चक्कर में दादाजी ने न तो समय देखा न जरूरी बात याद रखी, घर में ताला लगा पोती को साथ ले कर निकल पड़े पार्क की तरफ. इसी बीच नौकरानी आ कर लौट गई. घर आते ही देखा, ढेर सारे बरतनों के साथ किचन हमारा इंतजार कर रही है. एक काम किया पर दूसरा बिगाड़ कर रख दिया.’’

इन बातों को पढ़ते हुए कहीं आप यह तो नहीं सोच रहीं कि अरे यहां तो अपना ही दर्द बयां किया जा रहा है. जी हां, अधिकांश महिलाओं को यह शिकायत रहती है कि पति या घर के किसी पुरुष सदस्य को कोई काम कहो तो तो वह करता तो है पर या तो अनमने ढंग से या ऐसे कि कहने वाले की परेशानी बढ़ जाती है. आखिर ऐसा क्यों होता है कि पुरुषों द्वारा किए जाने वाले घरेलू कार्य ज्यादातर स्त्रियों को पसंद नहीं आते? उन के काम में सुघड़ता की कमी रहती है अथवा वे जानबूझ कर तो आधेअधूरे काम तो नहीं करते हैं?

पुरुषों की प्रकृति एवं प्रवृत्ति में भिन्नता

इस संबंध में अनुभवी विमला गुप्ता का कहना है कि असल में स्त्रीपुरुषों के काम करने की प्रवृत्ति और प्रकृति में फर्क होता है. ज्यादातर पुरुषों को बचपन से ही घर के कामों से अलग रखा जाता है, जबकि लड़कियों को घर के कार्य सिखाने पर जोर दिया जाता है. ऐसे में पुरुषों के पास इन कार्यों के लिए धैर्य की कमी होती है और वे औफिस की तरह ही हर जगह अपना काम निबटाना चाहते हैं. खासकर घरगृहस्थी के कामों में, जो कहा जाता है उसे वे ड्यूटी समझ कर पूरा करने की कोशिश करते हैं, उन्हें उन कामों से कोई विशेष लगाव या जुड़ाव महसूस नहीं होता.

इस के विपरीत स्त्रियां स्वभाव से ही काम करने के मामले में अपेक्षाकृत ज्यादा ईमानदार होती हैं. वे सिर्फ काम ही नहीं करतीं, बल्कि उस काम विशेष के अलावा उस से संबंधित अन्य कई बातों को ले कर भी ज्यादा संजीदा रहती हैं.

बेफिक्र एवं आलसी

दूध चूल्हे पर चढ़ा कर भूल जाना, दरवाजा खुला छोड़ देना, टीवी देखतेदखते सो जाना, पानी पी कर फ्रिज में खाली बोतल रख देना, सामान इधरउधर फैला कर रखना और भी न जाने कितनी ऐसी छोटीबड़ी बातें हैं, जिन्हें देख कर यह माना जाता है कि पुरुष स्वभाव से ही बेफिक्र, स्वतंत्र और लापरवाह होते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है कि वे घरेलू काम सही ढंग से नहीं कर सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार वास्तविकता यह है कि ज्यादातर उन के किए बिना ही सब कुछ मैनेज हो जाता है तो वे आलसी बन जाते हैं और घरेलू काम करने से कतराने लगते हैं. एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि कुछ पुरुष घरेलू कामों को करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं. वे घंटों बैठ कर टीवी के बेमतलब कार्यक्रम देख सकते हैं पर घरेलू काम नहीं कर सकते.

दोहरी जिम्मेदारी निभाना टेढ़ी खीर

इस बात को कई पुरुष भी स्वीकार कर चुके हैं कि घर और औफिस दोनों मैनेज करना अपने वश की बात नहीं है. पर महिला चाहे कामकाजी हो या हाउसवाइफ, आज के जमाने में उस का एक पैर रसोई में तो दूसरा घर के बाहर रहता है. घरेलू महिला को भी घर के कामों के अलावा बैंक, स्कूल, बिजलीपानी के बिल जमा करना, शौपिंग जैसे बाहरी काम खुद करने पड़ते हैं जबकि इस की तुलना में पति शायद ही घर के कामों में उतनी मदद करता हो. अगर महिला कामकाजी हो तो कार्य का भार कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है. उसे अपने औफिस के काम के साथसाथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाना पड़ता है. महिलाएं अपनी घरेलू जिम्मेदारियों से कभी मुक्त नहीं हो पातीं. दोहरी जिम्मेदारी को निभाते रहने के कारण कामकाजी होते हुए भी वे सदा घरगृहस्थी के कामों से भी जुड़ी होती हैं. अत. उन में काम निबटाने की सजगता और निपुणता स्वत: ही आ जाती है.

अनुभव एवं परिपक्वता

मीनल एक उच्च अधिकारी हैं, जिन का खुद का रूटीन बहुत व्यस्त रहता है, फिर भी वे कहती हैं, ‘‘सुबह का समय तो पूछो मत कैसे भागता है. आप कितने भी ऊंचे ओहदे पर हों, घर के सदस्य आप से बेटी, पत्नी, बहू, मां के रूप में अपेक्षाएं तो रखते ही हैं, जबकि पुरुषों से ऐसी अपेक्षाएं कम ही रखी जाती हैं. ऐसे में चाहे मजबूरी हो या जरूरत, महिलाओं को मल्टीटास्कर बनना ही पड़ता है अर्थात एकसाथ कई काम करना जैसे एक तरफ दूध उबला जा रहा है, तो दूसरी तरफ वाशिंग मशीन में कपड़े धोए जा रहे हैं, बच्चे का होमवर्क कराया जा रहा है तो उसी समय पति की चाय की फरमाइश पूरी की जा रही है. इन कामों को करतेकरते स्त्रियां पुरुष की अपेक्षा घरेलू कामों में अधिक कार्यकुशल, अनुभवी और परिपक्व हो जाती हैं.’’ एक शोध के मुताबिक स्त्रियों का मस्तिष्क पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सक्रिय रहता है जिस के कारण वे एकसाथ कई कामों को अंजाम दे पाती हैं.

जार्जिया और कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं ज्यादा अलर्ट, फ्लैक्सिबल और और्गेनाइज्ड होती हैं. वे अच्छी लर्नर होती हैं, इस तरह की कई दलीलें दे कर इस बात को साबित किया जा सकता है कि पुरुषों में घरेलू जिम्मेदारियां निभाने की क्षमता स्त्रियों की अपेक्षा कम होती है. अब सोचने वाली बात यह है कि आधुनिक जमाने में जब पत्नी कामकाजी हो कर पति के बराबर आर्थिक सहयोग कर रही है तो पुरुष का भी दायित्व बनता है कि वह भी घरेलू जिम्मेदारियों को निभाने में खुद को स्त्री के बराबर ही सजग और निपुण साबित करे.

इसराइल से बदलाव की उम्मीद का सबक

दुनिया के कई देशों में शासकों ने अपनी मनमरजी लोगों पर थोपी हैं. धर्म या नस्ल के गौरव, रूढ़िवादी विचारोंया राष्ट्रवाद के नाम पर कई ऐसे कानून बनाए हैंजिन से जनता के अधिकारों का हनन होता है या अदालतों की शक्तियां कम होती हैं.

ये अतिवादी फैसले दुनिया को तबाह कर सकते थेलेकिन दुनिया अब तक इसलिए ही बची हुई हैक्योंकि लोग समयसमय पर इन अविचारित फैसलों व निरंकुशता के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाते रहे हैं. पिछले कुछ समय में ईरान,ब्राजील, फ्रांस से ले कर अभी इसराईल तक में दुनिया ने जनता की ताकत को देखा है.

गौरतलब है कि कोई भी देश सच्चे अर्थों में तभी लोकतांत्रिक रह सकता हैजब वहां सत्ता पर अंकुश लगाने की व्यवस्था हो. इस व्यवस्था को स्वतंत्र न्यायपालिका, मजबूत विपक्ष और जनतांत्रिक अधिकारों से ही बनाया जा सकता है. इन में से कोई भी पक्ष कमजोर हो तो लोकतंत्र पर आंच आने लगती है व सत्ता के निरंकुश होने का खतरा बढ़ने लगता है.

इसराईलमें नेतन्याहू ने इसी तरह निरंकुश होने का रास्ता बनाने की तैयारी की थीलेकिन जनता, विपक्ष और सत्ता के साथ खड़े कुछ लोगों ने ही मिल कर इस रास्ते को बनने से रोक दियाक्योंकि वे इस के बाद भविष्य के खतरों को भांप रहे हैं.

रक्षा, अनुसंधान, खुफिया तंत्र आदि तमाम लिहाज से दुनिया में अग्रणी और मजबूत माने जाना वाला देश इसराईलइस वक्त असुरक्षा के खतरे से जूझ रहा है. दरअसल,इसराईलकी सड़कों पर वहां की जनता सरकार के खिलाफ उतर आई है और इस विरोध प्रदर्शन में जनता के साथ रिजर्व सेना के लोग भी उतर आए हैं. वे काम पर नहीं जा रहे हैं. इस से इसराईलकी सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. यह सब न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हो रहा है.

इसराईलके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हुए हैं. वे सत्ता में किसी तरह आ गए. उन की सरकार न्यायपालिका में बदलाव लाने वाले न्यायिक सुधार कानूनों को लाने की तैयारी में थी. इस का विरोध करने वालों को आशंका है कि इन के लागू होते ही न्यायपालिका के अधिकार कम हो जाते.

इसराईलकी संसद के पास साधारण बहुमत से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को रद्द करने की शक्ति होती तो मौजूदा सरकार को बिना किसी डर के कानून पारित करने की ताकत मिल सकती थी और सब से बड़ी बात यह कि इस कानून का उपयोग प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर चल रहे मुकदमों को खत्म करने के लिए भी किया जा सकता था.

बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले साल नवंबर में बड़ी मुश्किल से सत्ता में वापसी की है. इस से पहले 2021 के जून में उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों के कारण पद छोड़ना पड़ा था.

नेतन्याहू सरकार ने जैसे ही न्यायिक सुधार कानून लाने की तैयारी तेज की,इसराईलकी जनता सड़कों पर उतर आई. बेंजामिन नेतन्याहू के लिए ‘बीबी घर जाओ’ के नारे लगने लगे.‘बीबी’ नेतन्याहू का प्रचलित नाम है. नेतन्याहू के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी इन विरोध प्रदर्शनों की अगुआई कर रहे हैं. इस में उन के साथ नेतन्याहू के कई समर्थक, श्रम संगठन और रिजर्व सेना के लोग भी आ गए हैं.

विरोधियों का कहना है कि सरकार ने न्यायपालिका से जुड़े कानून में जो बदलाव की कोशिश की है उन से देश के लोकतंत्र को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. सरकार न्यायिक व्यवस्था को कमजोर करना चाहती है. जबकि, देश में इस का इतिहास सरकारों पर अंकुश लगाए रखने का रहा है.

इसराईलके कई बड़े शहरों में विरोध का दायरा बढ़ता गया और आखिरकार बेंजामिन नेतन्याहू को कहना पड़ा कि वे विवादास्पद बन चुके इन न्यायिक सुधार कानूनों पर अस्थाई रूप से रोक लगा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जब बातचीत के माध्यम से गृहयुद्ध से बचने का विकल्प होता हैतो मैं बातचीत के लिए समय निकाल लेता हूं. यह राष्ट्रीय जिम्मेदारी है. इस ऐलान के बाद अब सड़कों से विरोधी लौटने लगे हैं और इसे लोकतंत्र की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है.

लोकतंत्र में जब एक बार मनमाने आचरण की छूट मिल जाएतो फिर तानाशाही को रोकना कठिन हो जाता है. जरमनी जैसे देशों ने तानाशाही का क्या खमियाजा भुगता है, यह दुनिया ने देखा है.

अभी उत्तर कोरिया में सत्ता की यही सनक लोगों पर भारी पड़ रही है, जहां शासक किम जोंग उन ने 2 लाख से अधिक आबादी वाले शहर हेसन में सिर्फ इस बात के लिए कड़ा लौकडाउन लगा दिया ताकि सैनिकों ने असाल्ट राइफल की जो 653 गोलियों हाल ही में खोई हैं, उन की तलाश की जा सके.

कुछ सौ गोलियों के लिए 2 लाख लोगों को बंधक बनाने का यह फैसला अगर एक देश का तानाशाह कर सकता हैतो निरंकुशता की ओर बढ़ रहे बाकी देश कब तक ऐसे किसी सनक वाले फैसले से बच पाएंगे, यहखयाल ही डराता है.

सत्ता की नजर में मामूली हैसियत रखने वाले ये आम लोग ही लोकतंत्र को बचाने का इतिहास लिख रहे हैं. इन लोगों को कभी राष्ट्रविरोधी कहा जाता है, कभी गद्दार कहा जाता है. इन्हें कुचलने के लिए कानून का जोर दिखाया जाता हैलेकिन फिर भी लोकतंत्र बचाने की उम्मीद लिए कोई न कोई विरोध की किरण अपनी चमक दिखला ही जाती है.

इस वक्त इसराईलसे ऐसी ही चमकती किरण दुनिया ने देखी है.वक्त आ गया है कि सत्ता को अपनी जागीर समझने वाले नेता भी इसे देख लें और बात ज्यादा बिगड़े, इस से पहले संभल जाएं.

मेरी पत्नी व मां के बीच रोज झगड़ा होता है, नतीजन, मेरी पत्नी सेक्स करने से मना कर देती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं विवाहित पुरुष हूं. मेरे साथ मेरी मां भी रहती हैं. आए दिन किसी न किसी बात पर मेरी पत्नी व मेरी मां के बीच बहस होती रहती है जिस से मेरी पत्नी मुझ से नाराज हो जाती है. वह बहस या झगड़े के लिए मुझे जिम्मेदार मानती है. नतीजतन, मेरे और पत्नी के संबंधों में कड़वाहट बढ़ रही है. सब से बड़ी बात, मैं अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाता. मैं ऐसा क्या करूं कि मेरी पत्नी और मां के बीच के झगड़े कम हो जाएं और हम पति पत्नी के बीच दूरियां भी खत्म हो जाएं, सलाह दें.

जवाब

विवाह के बाद जब एक लड़की ससुराल में आती है तो वह उम्मीद रखती है कि घर के सदस्य उसे इस नए माहौल में ऐडजस्ट करने में मदद करेंगे. वहीं, सास के मन में बहू के आने से असुरक्षा की भावना पनपने लगती है. उसे अपना राजपाट छिनता नजर आता है. इसलिए वह बातबेबात पर बहू पर अपना रोब झाड़ती है जिस के चलते सासबहू में झगड़े व विवाद शुरू हो जाते हैं. ऐसे में बेटे की जिम्मेदारी होती है कि वह पत्नी और मां के रिश्ते के बीच संतुलन बना कर रखे. मां को मां की जगह दे और पत्नी को पत्नी के अधिकार. आप के मामले में हो सकता है कि आप दोनों रिश्तों के बीच संतुलन न बना पा रहे हों जिस के कारण आप की पत्नी आप से नाराज रहती हो.

आप दोनों रिश्तों के बीच सामंजस्य बना कर रखें तभी आप पतिपत्नी की सैक्सुअल लाइफ खुशनुमा रह पाएगी. वरना आप की पत्नी, आप की मां का गुस्सा आप पर निकालेगी और संबंधों में मधुरता की जगह कड़वाहट बनी रहेगी जैसा कि अभी हो रहा है.

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