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Dipika Kakar Baby : शोएब इब्राहिम ने डिलीवरी के बाद शेयर की दीपिका कक्कड़ की फोटो, बताया कैसे है पत्नी और बेटा

Dipika Kakar Baby : टीवी इंडस्ट्री के सबसे चहेती जोड़ी शोएब इब्राहिम और दीपिका कक्कड़ के घर नन्हा मेहमान आ चुका हैं। जिस पल का कपल को बेसब्री से इंतजार था, जो उनके जीवन में आ चुका है। 21 जून को दीपिका (Dipika Kakar Baby) ने बेटे को जन्म दिया। हालांकि उनका बच्चा अभी प्रीमैच्योर है, जिसकी वजह से उसे कोई गोद में नहीं उठा सकता है।

वहीं दीपिका भी अभी अस्पताल में ही हैं, लेकिन शोएब (Shoaib Ibrahim) अपने काम पर वापस लौट गए हैं। हाल ही में शोएब ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने बताया कि दीपिका की तबीयत कैसी है।

कैसी है दीपिका कक्कड़ की तबीयत ?

बता दें कि, अपने फैंस के साथ शोएब ने दीपिका (Dipika Kakar Baby) की एक फोटो शेयर की है। उन्होंने जो तस्वीर शेयर की है। उसमें देखा जा सकता हैं कि दीपिका अस्पताल के बिस्तर पर बैठी है। उनके आगे खाने की ट्रे रखी हुई है और वह कैमरे के लिए तस्वीर क्लिक कराते हुए स्माइल कर रही हैं। इसके अलावा फोटो के साथ एक्टर ने दीपिका का हेल्थ अपडेट भी दिया है। उन्होंने लिखा, ‘शी इस फाइन’ यानी वह ठीक है।

https://instagram.com/stories/shoaib2087/3131630014306723032?igshid=MTc4MmM1YmI2Ng==

शोएब ने फैंस से दुआ करने के लिए कहा

वहीं इससे पहले एक इंटरव्यू में शोएब (Shoaib Ibrahim) ने दीपिका और अपने बच्चे के बारे में भी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था, ‘आप लोग जानते हैं दीपिका और मैं एक बेबी के पेरेंट्स बन गए हैं, लेकिन मैं इसके बारे में इससे ज्यादा बात नहीं कर पाऊंगा। यह एक प्रीमैच्योर बेबी है, जो अभी इनक्यूबेटर में है। इसलिए मैं चाहता हूं कि आप सभी मेरे बच्चे के लिए दुआ करें।’

आईएएस : परीक्षा में बिना आरक्षण अपने बलबूते हासिल किया प्रथम स्थान

इस बार आईएएस की परीक्षाओं में जिन 4 लड़कियों ने पहले 4 रैंक पाए हैं उन में से 2 ओबीसी हैं. यानी, उन्होंने बिना आरक्षण के अपने बलबूते पर जाति व औरत होने की पौराणिक धार्मिक बाधा पार की है. पहला स्थान जिस लडक़ी ने पाया है वह भी बहुत साधारण घर की व बिन बाप की लडक़ी है.

रैंकिंग में अब आईएएस की परीक्षाओं में जनरल कैटेगरी और आरक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों के नंबरों में अंतर बहुत कम रह गया है और साधारण पृष्ठभूमि की होने के बावजूद लडक़ेलड़कियां जाति की जंजीरें तोड़ रहे हैं. यह आरक्षण की वजह नहीं है कि कम योग्य लोग ऊंचे स्थानों पर बैठने लगे हैं, बल्कि यह उस स्वतंत्रता की देन है जो आधुनिक शिक्षा, तकनीक, विज्ञान, तर्क व भेदभाव के वातावरण ने दिया है.

जहां गांवोंकसबों में आज भी दलित पिट रहे हैं, ओबीसी के साथ लोग कट कर रहते हैं, मुसलमानों को संदेह की दृष्टि से देखते हैं, वहीं देश का एक हिस्सा बराबरी और शिक्षा का पूरा लाभ उठा रहा है. लड़कियां पहल कर पा रही हैं क्योंकि चाहे वे जनरल कैटेगरी की हों या आरक्षित वर्ग की, उन्हें घरों में रहना होता है जहां उन्हें पढऩे का समय, स्थान व अवसर मिल रहा है.

आरक्षित वर्ग में दलित अभी भी काफी पीछे हैं क्योंकि उस समाज का शोषण आज भी जारी है. अब जब से धर्म का व्यापार जम कर चलने लगा है, जाति में निचले लोग कुछ ज्यादा ही भाग्यवादी होने लगे हैं और वे अपना समय इस पूजापाठ व धार्मिक जुलूसों में लगाने लगे हैं जो किसी काम का नहीं हैं बल्कि खाइयों को गहरा करता है. 20-25 वर्ष की आयु में आईएएस जैसी कठिन परीक्षा पास कर लेना एक बड़ी सफलता है और उम्मीद की जानी चाहिए कि ये चुने लडक़ेलड़कियां सिविल सर्विसेज को सिर्फ वैरियर नहीं मानेंगे बल्कि देश को बदलने की रणभूमि भी मानेंगे. अब कई सालों से सब से सशक्त पोस्टों पर सिर्फ ऊंची जातियों के लोग नहीं, लड़कियां व निचली जातियों के इतने अफसर हैं कि वे देश व समाज दोनों को बदल सकते हैं.

डेटिंग ऐप पर मेरी एक लड़के से दोस्ती हुई, मैं उसे पसंद भी करती हूं, पर अब वो मुझसे एक होटल रूम में मिलना चाहता हैं, अब मैं क्या करूं?

सवाल

डेटिंग ऐप पर मेरी एक लड़के से जान पहचान हुई. चैट करते करते हम कौलिंग पर आ गए और हम एक दूसरे से रोज ही बात करने लगे. वह लड़का लखनऊ का है और मैं दिल्ली की. वह बोला कि डेटिंग ऐप पर बहुत फ्रौड लड़कियां होती हैं लेकिन उसे खुशी है मैं ऐसी लड़की नहीं हूं. उस ने मोबाइल से मुझे अपने घरमम्मी पापाबहनऔफिस की फोटोज भी भेजीं और कहा कि वह मुझ पर विश्वास करता हैइसलिए फोटोज भेजी हैं. अब मुझे भी उस पर ट्रस्ट करना चाहिए. उस के अगले दिन ही उस का फोन आयाकहने लगा कि वह कुछ दिनों के लिए औफिशियल काम के लिए दिल्ली आ रहा है और इस दौरान वह मुझ से मिलना चाहता है. कहने लगा कि वह जिस होटल में ठहरेगा मैं उसी होटल रूम में उस से मिलने आ जाऊं. मैं ने एतराज जताया कि मैं होटल रूम में कैसे आ सकती हूं मिलने के लिएकिसी पब्लिक प्लेस में मिलते हैं तो नाराज हो गया कि मैं उस पर विश्वास नहीं करती. ट्रस्ट नहीं है तो रिलेशन रखने का फायदा ही क्या.

आखिर में यह कहते हुए उस ने फोन काट दिया कि अगर मुझ पर विश्वास नहीं है तो अब कभी मुझे फोन मत करना. यदि है तो मुझ से मिलने को हां बोलो. वरना हमारे बीच जो कुछ भी है सब खत्म.

अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं. मैं उसे बहुत पसंद करती हूं. विश्वास करने का मन भी कर रहा है लेकिन दिमाग ऐसा करने से रोक रहा है. आप ही मुझे इस प्रौब्लम का सौल्यूशन दीजिए.

जवाब

वह लड़का कुछ ठीक नहीं लग रहा. सब से पहली बात यदि वह लड़का शरीफ हैआप को पसंद करता हैआप से पहली बार मिलना चाहता है तो मीटिंग प्लेस ऐसी होनी चाहिए जहां आप दोनों कम्फर्टेबल हों. वह तो आप पर जबरदस्ती अपनी बात थोपने की कोशिश कर रहा है कि होटल रूम में मिलो.

दूसरी बातकोई भी समझदार लड़का समझता है कि कोई भी लड़की (वो भी जिस से अभी तक फोन पर बात हुई है) मिलने के लिए होटल रूम में नहीं आएगीफिर वह ऐसी बेतुकी शर्त आप के सामने क्यों रख रहा है.

तीसरी बात रही ट्रस्ट की तो वह तो तभी बनेगा न जब आप दोनों आपस में मिलेंगेआमनेसामने बातें होंगी. लेकिन वह तो मिलने से पहले ही शर्तें रख रहा है.

हमारी तो यह राय है कि आप इस लड़के के झांसे में न आएं. अगर पब्लिक प्लेस में मिलने को राजी है तो ठीक है वरना सीधासीधा न कह दें. जिसे शुरुआत में ही आप की इच्छा कीबात की कद्र नहींवह आगे क्या करेगा. ऐसे लड़के से सावधान ही रहिए. पूरी छानबीन के बाद ही कदम आगे बढ़ाइएगा.    

बच्चों के बेहतर विकास के लिए जरूरी हैं दादा-दादी का साथ

कहा जाता है हर बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है क्योंकि वो वही सीखता है जो उसे घर में सिखाया जाता है. जैसा वो अपने घर में देखता है वो ही बातें उसके जहन में शुरू से ही बस जाती है. अच्छी परवरिश उनको बेहतर इंसान बनाती हैं. दादा दादी का साथ रहना एक अनोखा एहसास होता हैं और उससे बहुत  कुछ सीखने को मिलता है क्योंकि दादा दादी और बच्चों के बीच में एक रिश्ता और होता है और वो है दोस्ती का…

जहां हर छोटी से छोटी और बड़ी बातें जिन्हे हम माता पिता से कहने में संकोच करते हैं, उन्ही बातों को हम बड़ी सहजता से अपने दादा दादी से कह देते हैं तो हुआ न दोस्ती का रिश्ता. हर बचपन को इनकी जरूरत होती है. तो चलिए जानते हैं इस प्यारे से रिश्ते की गहरी और इस से मिलने वाले ज्ञान के बारे में.

संस्कारों का पिटारा है इनके पास

सभी अच्छी बातें हम किताबों से नहीं सीखते इसमें सबसे अहम हाथ होता है घर परिवार के सदस्यों का .ऐसी ही कुछ बातें हैं जैसे भगवान के आगे हाथ जोडना, बड़ों का सम्मान, छोटो से प्यार सब बातें, उनके बड़े ही उनको सीखाते हैं. इतना ही नहीं अपने रीति-रिवाजों और संस्कृति का ज्ञान और जिंदगी में मिलने वाले हर सबक को  दादा दादी व नाना नानी  हमें अपने तजुर्बे के साथ अच्छे से समझा देते हैं.

सुरक्षित हाथों में होता है आपके बच्चे का हाथ

जौब पर जाने वाले मां-बाप या वर्किंग पैरेंट्स के लिए उनके मां-बाप का साथ रहना, उनके बच्चों की परवरिश के लिए पर्याप्त होता है. क्योंकि आपके पैरेंट्स आपके बच्चों की आपसे अच्छी देखभाल कर सकते हैं.  इसके अलावा आज के वक्त में जब आप अपने बच्चों को किसी के साथ अकेला नहीं छोड़ सकते, ऐसे में अपने मां-बाप पर आप आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं.

अपनों से जुड़ते हैं बच्चे

जब बच्चे अपने परिवार के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और अपने दादा दादी की भावनात्मक बातें समझा करते हैं, तो इस तरह बच्चों में किसी से भी जुड़ाव रखने की भावना को प्रबलता मिलती है. बच्चे कई बार उन रिश्तेदारों के बारे में भी जान जाते हैं जो कभी घर पर भी नहीं ए होते बल्कि कभी पेरेंट्स उनके बारे में जिक्र भी नहीं करते ऐसे में वो दादा दादी से बातों ही बातों में उनके बारे में भी जान जाते हैं बल्कि उनमें स्नेह, आदर और सेवा जैसे मानवीय गुण विकसित होते हैं. जिससे, बच्चे काफी लचीले और परिस्थिति अनुसार रहना सीख जाते हैं. साथ ही ऐसे बच्चों का दिमाग भी तेज होता है. वे दूसरों की तुलना में अधिक स्मार्ट और परिपक्व दिखाई देते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब वे अपने परिवार के इतिहास और कठिनाई के बारे में जानते हैं, तो वे उससे सीखते हैं कि कैसे मुश्किलों में भी आगे बढ़कर, अपनी लड़ाई लड़ी जाती है.

कहानियों का पिटारा होता है उनके पास

भले ही आज इंटरनेट पर दादी-नानी की कहानियां उपलब्ध हैं, लेकिन असली मजा दादा दादी की गोद में बैठकर ही सुनने से आता है. आज के मौर्डन समय में बच्चों की सोच और उनका बड़ो के प्रति प्यार कहीं खोता जा रहा है लेकिन इसके पीछे के जिम्मेदार हम लोग ही है. अगर आप बच्चों के सिर पर संस्कारों और विचारों की गठरी बांध कर रख देंगे तो जाहिर है बच्चे इनको सहन नहीं कर पाएंगे. इसलिए थोड़ा सा बदलते हुए आज की लाइफस्टाइल को दादा दादी को भी अपना कर अपने पोते पोती को अपने संस्कार सिखाएं तो वो आसानी से आपके साथ जुड़े रहेंगे.

माता पिता भी रहते हैं खुश

ग्रैंड पेरेंट्स का बच्चो के साथ रहना न सिर्फ बच्चों को ही खुश रखता है बल्कि आपके माता पिता भी खुश रहते हैं और सेहतमंद भी उनके साथ खेलना हसंना ये सब उनको अच्छा महसूस करता है और मानसिक तनाव भी दूर करता है इस बात को मैंने अपने घर में देखा और जाना है जब हमारे घर में मेरा बेटा आया तब से मेरे ससुर जी की तबियत ठीक रहने लगी उसके साथ खेलना और हंसना उनकी  सेहत के लिये अच्छा साबित हुआ और आज वो मेरे दोनों बच्चों के साथ खुशी से रहते हैं और उनका वक्त भी आराम से कट जाता है.

नादान दिल- भाग 2 : क्या ईशा को मिल पाएगा उसका प्यार?

विरेन और परेश की दोस्ती पुरानी थी. विरेन को दोस्त का हाल खूब पता था. विरेन ने एक दिन परेश को सुझाव दिया कि ईशा के साथ कुछ वक्त अकेले में बिताने के लिए दोनों को घर से कहीं दूर घूम आना चाहिए.

ईशा जानती थी कि विरेन भाई उन के हितैषी हैं, मगर परेशानी यह थी कि परेश के मन की थाह ईशा अभी तक नहीं लगा पाई थी. परेश उस से कितना तटस्थ रहता पर ईशा कोई कदम नहीं उठाती उस दूरी को मिटाने के लिए. अपने घर वालों की मनमरजी का बदला एक तरह से वह अपनी शादी से ले रही थी.

यह बात उस के मन में घर कर गई थी कि कहीं न कहीं परेश भी उतना ही दोषी है जितने ईशा के मांबाप. वह सब को दिखा देना चाहती थी कि वह इस जबरदस्ती थोपे गए रिश्ते से खुश नहीं है.

शादी के बाद कुछ कारोबारी जिम्मेदारियों के चलते दोनों कहीं नहीं जा पाए थे और ईशा ने भी कभी कहीं जाने की उत्सुकता नहीं दिखाई. इस तरह से उन का हनीमून कभी हुआ ही नहीं. अब जब अकेले घूम आने की चर्चा हुई तो ईशा को लग रहा था कि परेश और वह एकदूसरे के साथ से जल्दी ऊब जाएंगे. अत: उस ने विरेन और उस की पत्नी शर्मीला को साथ चलने को कहा. सब ने मिल कर जगह का चुनाव किया और कश्मीर आ गए.

रात के अंधेरे में हाउस बोटों की रोशनी जब पानी पर पड़ती तो किसी नगीने सी झिलमिलाती झील और भी खूबसूरत लगती. ईशा पानी में बनतीमिटती रंगीन रोशनी को घंटों निहारती रही. कदमकदम पर अपना हुस्न बिछाए बैठी कुदरत ने उस के दिल के तार झनझना दिए. उस का मन किया कि परेश उस के करीब आए, उस से अपने दिल की बात करे. अपने अंह को कुचल कर वह खुद पहल नहीं करना चाहती थी. उन के पास बेशुमार मौके थे इन खूबसूरत नजारों में एकदूसरे के करीब आने के बशर्ते परेश भी यही महसूस करता.

शर्मीला और ईशा दोस्त जरूर थीं, मगर दोस्ती उतनी गहरी भी नहीं थी कि ईशा उस से अपना दुखड़ा रोती. ऐसे में वह खुद को और भी तनहा महसूस करती.

बहुत देर तक यों ही अकेले बैठी ईशा का मन ऊब गया तो वह कमरे में आ गई. परेश वहां नहीं था. शायद जाम का दौर अभी और चलेगा. उस ने उकता कर एक किताब खोली, पर फिर झल्ला कर उसे भी बंद कर दिया.

‘चलो शर्मीला से गप्पें लड़ाई जाएं’ उस ने सोचा. शर्मीला और विरेन का कमरा बगल में ही था. कमरे के पास पहुंच कर उस ने दरवाजे पर दस्तक दी. कुछ देर इंतजार के बाद कोई जवाब न पा कर उलटे पैर लौट आई अपने कमरे में और बत्ती बुझा कर उस तनहाई के अंधेरे में बिस्तर पर निढाल हो गई. आंसुओं की गरम बूंदें तकिया भिगोने लगीं. नींद आज भी खफा थी.

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठ कर सब घूमने निकल गए. रशीद हमेशा की तरह समय पर आ गया था. रास्ता पैदल चढ़ाई का था. पहाड़ी रास्तों को तेज कदमों से लांघतीफांदती ईशा जब ऊपर चोटी पर पहुंच कर किसी उत्साही बच्चे की तरह विजयी भाव से खिलखिलाने लगी तो रशीद ने उसे पानी की बोतल थमाई. ईशा ने ढलान की ओर देखा सब कछुए की चाल से आ रहे थे. घने जंगल से घिरी छोटी सी यह घाटी बहुत लुभावनी लग रही थी.

‘‘आप तो बहुत तेज चलती हैं मैडमजी,’’ रशीद हैरान था उसे देख कर कि शहर की यह कमसिन लड़की कैसे इन पहाड़ी रास्तों पर इतनी तेजी से चल रही है.

ईशा ने अपनी दोनों बांहें हवा में लहरा दीं और फिर आंखें बंद कर के एक गहरी सांस ली. ताजा हवा में देवदार और चीड़ के पेड़ों की खुशबू बसी थी.

‘‘रशीद तुम कितनी खूबसूरत जगह रहते हो,’’ ईशा मुग्ध स्वर में बोली.

रशीद ने उस पर एक मुसकराहट भरी नजर फेंकी. आज से पहले किसी टूरिस्ट ने उस से इतनी घुलमिल कर बातें नहीं की थीं. ईशा के सवाल कभी थमते नहीं थे और रशीद को भी उस से बातें करना अच्छा लगता था.

अब तक बाकी लोग भी ऊपर आ चुके थे. उस सीधी चढ़ाई से परेश, विरेन और शर्मीला बुरी तरह हांफने लगे थे. थका सा परेश एक बड़े पत्थर पर बैठ गया तो ईशा को न जाने क्यों हंसी आ गई. काम में उलझा परेश खुद को चुस्त रखने के लिए कुछ नहीं करता था.

विरेन कैमरा संभाल सब के फोटो खींचने लगा. वे लोग अभी मौसम का लुत्फ ले ही रहे थे कि एकाएक आसमान में बादल घिर आए और देखते ही देखते चमकती धूप में भी झमाझम बारिश शुरू हो गई. जिसे जहां जगह दिखी वहीं दौड़ पड़ा बारिश से बचने के लिए. बारीश ने बहुत देर तक रुकने का नाम नहीं लिया तो उन लोगों ने घोड़े

किराए पर ले लिए होटल लौटने के लिए. पहली बार घोड़े पर बैठी ईशा बहुत घबरा रही थी. बारिश के कारण रास्ता बेहद फिसलन भरा हो गया था. बाकी घोड़े न जाने कब उस बारिश में आंखों से ओझल हो गए. रशीद ईशा के घोड़े की लगाम पकड़े साथ चल रहा था. ईशा का डर दूर करने के लिए वह घोड़े को धीमी रफ्तार से ले जा रहा था.

‘‘और धीरे चलो रशीद वरना मैं गिर जाऊंगी,’’ ईशा को डर था कि जरूर उस का घोड़ा इस पतली पगडंडी में फिसल पड़ेगा और वह गिर जाएगी.

‘‘आप फिक्र न करो मैडमजी. आप को कुछ नहीं होगा. धीरे चले तो बहुत देर हो जाएगी,’’ रशीद दिनरात इन रास्तों का अभ्यस्त था. उस ने घोड़े की लगाम खींच कर थोड़ा तेज किया ही था कि वही हुआ जिस का ईशा को डर था. घोड़ा जरा सा लड़खड़ा गया और ईशा संतुलन खो कर उस की पीठ से फिसल गई. एक चीख उस के मुंह से निकल पड़ी.

रशीद ने लपक कर उसे थाम लिया और दोनों ही गीली जमीन पर गिर पड़े. ईशा के घने बालों ने रशीद का चेहरा ढांप लिया. दोनों इतने पास थे कि उन की सांसें आपस में टकराने लगीं. रशीद का स्पर्श उसे ऐसा लगा जैसे बिजली का तार छू गया हो. रशीद की बांहों ने उसे घेरा था.

जब टूटी मर्यादा : कौन आया सतीश-मधु के बीच?

सौजन्या-सत्यकथा

पति-पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. कोई आदमी किसी पर सब से अधिक विश्वास करता है तो अपनी पत्नी पर. पत्नी ही तो उस की सब से अच्छी दोस्त और जीवनसाथी होती है. ऐसे में पति उस पर अगाध विश्वास न करे तो भला किस पर करे.

सतीश को भी अपनी पत्नी मधु पर अंधविश्वास की सीमा तक विश्वास था. उस का यह यकीन तब दरका, जब एक दिन अचानक तबीयत खराब होने से शाम को वह जल्दी घर लौट आया. दरअसल सतीश मैडिकल रिप्रजेंटेटिव था. वह सुबह 10 बजे घर से निकलता था, फिर रात 9 बजे के आसपास ही उस की वापसी होती थी. लेकिन उस दिन वह जल्दी घर आ गया था.

सतीश कुमार श्रीवास्तव जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा, अंदर से मधु की खिलखिलाहट सुनाई दी. सतीश के पांव जहां के तहां ठहर गए. सोचने लगा, ‘जब मैं घर में रहता हूं, तब मधु की त्यौरियां चढ़ी होती हैं. कुछ कहता हूं तो चिढ़ जाती है, बोलो मत, मूड खराब है. लेकिन अब वह किस के साथ खिलखिला रही है.’

सतीश ने दिमाग पर जोर दिया, पर उसे याद नहीं आया कि मधु कब उस के सामने इस तरह दिल से खिलखिलाई थी. सतीश के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा, ‘आखिर इस समय घर के अंदर कौन है जिस के साथ वह इस तरह खिलखिला कर बातें कर रही है.’

सतीश ने कदम आगे बढ़ाया, लेकिन फिर खींच लिया. मधु कह रही थी, ‘‘तुम्हारे जोश की तो मैं दीवानी हूं. अरे छोड़ो यार, तुम किस माटी के माधव की बात कर रहे हो. अगर वही रसीला होता तो भला मैं तुम से क्यों दिल लगाती. मैं तो तुम्हारे जोश और तुम्हारी रसीली बातों की दीवानी हूं.’’

एकतरफा संवादों से सतीश ने अनुमान लगा लिया कि कमरे में मधु के अलावा कोई नहीं है. वह फोन पर किसी से रसीली बातें कर रही है. मधु जोश में थी. इसलिए उस की आवाज बुलंद थी.कमरे में की जाने वाली बातें बाहर तक साफ सुनाई दे रही थीं. बातें सुन कर सतीश की खोपड़ी घूम गई, ‘मधु बीवी मेरी और जोश का गुणगान कर रही है किसी दूसरे का.’

सतीश ने गुस्से में दरवाजे पर लात मारी. भीतर से बंद न होने के कारण वह फटाक से खुल गया. सामने ही मधु मोबाइल फोन कान से लगाए टहलटहल कर बातें कर रही थी. पति को देखते ही उस ने हड़बड़ा कर फोन पर चल रही बात डिसकनेक्ट कर दी. इस के बाद वह चेहरे पर मुसकान सजाने की जबरन कोशिश करते हुए बोली, ‘‘अरे तुम, आज इतनी जल्दी घर कैसे आ गए?’’

सतीश ने मधु को खा जाने वाली नजरों से देखा फिर बोला, ‘‘तू किस के जोश की दीवानी है?’’ गुस्से में की पत्नी की पिटाई  सतीश ने लपक कर मधु का हाथ पकड़ लिया और उस का मोबाइल छीनने लगा. लपटा झपटी के बीच मधु ने उस नंबर को डिलीट कर दिया, जिस नंबर पर वह रसीली बातें कर रही थी.

सतीश का दिमाग पहले से गरम था, नंबर डिलीट करने से और गरम हो गया. उस ने मधु को लातघूंसों और थप्पड़ों पर रख लिया. हर प्रहार के साथ उस का प्रश्न होता था, ‘‘बता, तू किस के जोश की दीवानी है और यह सब कब से चल रहा है?’’

लेकिन पिटाई के बावजूद मधु ने जुबान बंद रखी. मधु को पीटतेपीटते जब सतीश पस्त पड़ गया तो घर के बाहर चला गया. मधु कमरे में सिसकती रही और अपने भाग्य को कोसती रही. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बर्रा थाना अंतर्गत एक मोहल्ला जरौली पड़ता है. इसी मोहल्ले के फेस-2 में सतीश कुमार श्रीवास्तव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी मधु के अलावा 2 बेटे आयुष व पीयूष थे. वह मूलरूप से औरैया जिले के दिबियापुर कस्बे का रहने वाला था.

सालों पहले वह रोजीरोटी की तलाश में कानपुर शहर आया था. वह पढ़ालिखा था. हिंदी और अंगरेजी भाषा पर उस की पकड़ थी. अत: उसे बिरहाना रोड स्थित एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी में नौकरी मिल गई थी. बाद में वह मैडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) बन गया और उसी कंपनी की दवा आयुर्वेदिक डाक्टरों के यहां सप्लाई करने लगा था.

मधु सतीश की दूसरी पत्नी थी. उस की पहली पत्नी श्वेता की मौत हो गई थी. उस की एक बेटी शिवांगी थी, जो अपनी ननिहाल में पलबढ़ रही थी. पहली पत्नी की मौत के बाद सतीश ने मधु से शादी कर ली थी. मधु पढ़ीलिखी व तेजतर्रार थी. सुंदर भी थी, अत: सतीश उसे बहुत चाहता था और उस पर भरोसा करता था. वह उस की हर खुशी का खयाल रखता था.

समय बीतता रहा. समय के साथ मधु के बच्चे आयुष व पीयूष बड़े हुए तो उस का खर्च बढ़ गया. इस खर्चे को पूरा करने के लिए उस ने पति के साथ काम करने का निश्चय किया. मधु ने इस बाबत सतीश से बात की. पहले तो सतीश ने साफ मना कर दिया. लेकिन पत्नी के समझाने पर बाद में मान गया.

सतीश अब विजिट के लिए घर से निकलता तो मधु को भी साथ ले जाता. उस ने कानपुर शहर तथा आसपास के कस्बे के दरजनों वैद्यों व डाक्टरों से मधु का परिचय कराया और दवा बेचने के सारे गुर बताए. उस के बाद मधु सतीश के दवा कारोबार में हाथ बटाने लगी. पत्नी के सहयोग से सतीश अच्छी कमाई करने लगा.

मधु का बड़ा बेटा आयुष पढ़ने में कमजोर था. उस का मन पढ़ाई में नहीं लगा तो मधु ने उसे गोविंदनगर स्थित फार्मा मैडिकल स्टोर में काम पर लगा दिया. लेकिन छोटा बेटा पीयूष तेज दिमाग का था. मधु उसे पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाना चाहती थी. अत: वह उस की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती थी. पढ़ाई के साथ वह कोचिंग भी जाता था.

मधु ने कुछ समय तक ही पति के साथ काम किया. उस के बाद वह डाक्टरों के यहां अलग विजिट पर जाने लगी. मधु का मानना था कि अलगअलग जाने से दवा का और्डर ज्यादा मिलता है. यद्यपि मधु का अलग जाना सतीश को पसंद न था. लेकिन मधु के आगे उस की एक न चली.

2 डाक्टरों को फंसा लिया मधु 2 बेटों की मां जरूर थी. लेकिन उस के बनावशृंगार से कोई भांप नहीं पाता था कि वह 2 जवान बेटों की मां है. सतीश का मन भोगविलास से उचट चुका था. वह दिन भर की भाग दौड़ से इतना थक जाता था कि खाना खाने के बाद चादर तान कर सो जाता था. इस के विपरीत मधु हर रात पति का साथ चाहती थी. लेकिन वह वंचित रहती थी.

मधु को जब पति का साथ नहीं मिला तो उस ने घर के बाहर ताकझांक शुरू की. उस के संपर्क में कई डाक्टर ऐसे थे, जो मनचले थे और जिन्हें औरत सुख की चाहत थी. मधु ने ऐसे ही शहर के 2 डाक्टरों को अपने हुस्न के जाल में फंसाया और उन के साथ मौजमस्ती करने लगी. ये दोनों डाक्टर निजी प्रैक्टिस करते थे. मधु को जब भी मौका मिलता था, वह उन से खूब रसीली बातें करती थी.

सतीश पत्नी पर भरोसा करता था. उस ने कभी किसी तरह का उस पर शक नहीं किया. लेकिन उस दिन तबीयत खराब होने पर जब वह समय से पहले घर आया और मधु को मोबाइल फोन पर अश्लील और रसीली बातें करते पाया तो उस का विश्वास डगमगा गया. शक होने पर उस ने मधु की जम कर धुनाई भी की लेकिन उस ने आशिक का नाम नहीं बताया. बल्कि आशिक का मोबाइल नंबर भी डिलीट कर दिया.

क का बीज बहुत जल्दी पनपता है. सतीश के मन में भी शक था. अत: वह पत्नी पर नजर रखता था. जिस दिन वह मधु को एकांत में बात करते देख लेता, उस दिन पहले तो तूतू मैंमैं होती फिर नौबत मारपीट तक आ जाती. अब एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों को एकदूसरे से ज्यादा मतलब नहीं रहता था. बड़ा बेटा आयुष पिता के पक्ष में रहता था, जबकि छोटा बेटा पीयूष मां के पक्ष में बोलता था.

युवक से अश्लील बातें करते देखा

19 मार्च, 2021 को आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी की दिल्ली में मीटिंग थी, जिस में कानपुर शहर के डीलर व एमआर को मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया गया था. सतीश कुमार श्रीवास्तव भी अपनी पत्नी मधु श्रीवास्तव के साथ शामिल होने दिल्ली गया था. मीटिंग समाप्त होने के बाद मधु ने कुछ खरीदारी की फिर शताब्दी बस से दोनों कानपुर को रवाना हो लिए.

21 मार्च, 2021 की सुबह 8 बजे मधु और सतीश अपने जरौली स्थित घर पहुंचे. उस समय घर पर कोई अन्य न था. दोनों बेटे आयुष और पीयूष गीता मौसी के घर पर थे, जो जरौली में ही रहती थी.

सतीश को किसी जरूरी काम से अपने पिता के घर दिबियापुर जाना था. उस ने मधु से जल्दी खाना बनाने को कहा. लेकिन मधु ने उस की बात को अनसुना कर दिया और मोबाइल फोन पर वीडियो काल कर बतियाने लगी. वह किसी युवक से अश्लील बातें कर रही थी.

सतीश ने उसे बातें करने से मना किया तो मधु झगड़ने लगी और उसे गाली बकने लगी. इस पर सतीश को गुस्सा आ गया. उस ने फोन छीन कर फेंक दिया और उसे धक्का दे दिया. धक्का लगने से उस का सिर दीवार से टकरा गया. जिस से सिर फट गया और खून बहने लगा.

अपने हाथों से घोंटा गला

खून देख कर मधु को गुस्सा आ गया और उस ने सतीश के मुंह पर जूता फेंक कर मारा. मुंह पर जूता लगा तो सतीश आपा खो बैठा. उस ने मधु को फर्श पर पटक दिया और बोला, ‘‘हरामजादी, बदचलन, आज तुझे किसी कीमत पर नहीं छोड़ूंगा. तुझे तेरे पापों की सजा दे कर ही दम लूंगा.’’ कहते हुए सतीश ने मधु की साड़ी से उस का गला घोंट दिया.

मधु की हत्या करने के बाद उस ने शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. दिन का वक्त था. सो वह लाश को बाहर कैसे ले जाता. उस ने बड़े बक्से को खाली किया और मधु के शव को बक्से में बंद कर दिया. मोबाइल फोन को भी उस ने बंद कर दिया.

शाम को दोनों बेटे घर आए तो सतीश ने बताया कि मधु किसी का फोन आने पर घर से निकली थी. तब से नहीं आई. इस के बाद वह आयुष और पीयूष के साथ मधु की खोज करता रहा.अगली सुबह सतीश ने बड़े बेटे आयुष को गुमशुदगी दर्ज कराने थाना बर्रा भेजा. वहां पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर मधु की तलाश शुरू कर दी. पुलिस को गुमराह करने के लिए सतीश ने मधु का मोबाइल चालू कर सड़क से गुजर रहे एक लोडर में फेंक दिया.

रात में सतीश ने शव को बक्से से निकाला. लेकिन गरमी की वजह से शव फूल चुका था और उस से दुर्गंध आने लगी थी. पीयूष ने बदबू की बात की तो भेद खुलने के भय से सतीश ने उसे गीता मौसी के घर भेज दिया.आधी रात के बाद सतीश ने एक बार फिर शव को ठिकाने लगाने की सोची. वह शव कमरे से घसीट कर गेट तक लाया. लेकिन उस की हिम्मत दगा दे गई. शव उठाते समय बाल व खाल उस के हाथ में आ गए. शव सड़ने लगा था. सवेरा होने से पहले सतीश ने गेट पर ताला लगाया और फरार हो गया.

पड़ोसियों ने की पुलिस से शिकायत

23 मार्च, 2021 की सुबह सतीश के पड़ोसियों ने सतीश के घर से भीषण दुर्गंध महसूस की तो उन्होंने थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह टीम के साथ सतीश के घर पहुंचे. ताला तोड़ कर वह घर के अंदर घुसे तो गेट के पास ही उन्हें सड़ीगली महिला की लाश मिली. पड़ोसियों ने तुरंत लाश को पहचाना, उन्होंने बताया कि लाश सतीश की पत्नी मधु श्रीवास्तव की है.

थानाप्रभारी की सूचना पर एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय भी आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतका की उम्र 40 वर्ष के आसपास थी. संभवत: उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया.

इसी बीच पता चला कि सतीश अपने दोनों बेटों और स्थानीय नेताओं के साथ थाना बर्रा पहुंचा है और पुलिस की नाकामी को ले कर हंगामा कर रहा है. यह सूचना प्राप्त होते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह थाने पहुंचे और सतीश को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने सख्ती से उस से पूछताछ की तो उस ने पत्नी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि मधु बदचलन थी. वह आशिक से मोबाइल पर बात कर रही थी. मना किया तो जूता फेंक कर मुंह पर मारा. गुस्से में मैं ने उस का गला घोंट दिया. उस के बेटे निर्दोष हैं. उन्हें हत्या की जानकारी नहीं थी.

चूंकि सतीश ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने भादंवि की धारा 302/201 के तहत सतीश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

24 मार्च, 2021 को बर्रा पुलिस ने अभियुक्त सतीश कुमार श्रीवास्तव को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

Tanvi Thakkar : ‘गुम है किसी के प्यार में’ की एक्ट्रेस तन्वी ठक्कर बनी मां, बेटे को दिया जन्म

Tanvi Thakkar : ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Main) फेम एक्ट्रेस तन्वी ठक्कर और उनके पति आदित्य कपाड़िया पेरेंट्स बन गए हैं। तन्वी ने बेटे को जन्म दिया है, जिसकी खुशी से ये कपल फूले नहीं समा रहे हैं। मॉम एंड डैड बनने की खुशी कपल ने अपने फैंस के साथ शेयर की है।

19 जून को हुआ बेटे का जन्म

बता दें कि, तन्वी ठक्कर (Tanvi Thakkar) ने 19 जून को बेटे को जन्म दिया। एक्ट्रेस ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर न्यू बॉर्न बेबी बॉय के साथ अपनी एक प्यारी सी तस्वीर भी साझा की हैं। साथ ही इस फोटो के कैप्शन में लिखा, “सब कुछ यहीं से शुरू होता है।”

कपल को तमाम सेलेब्स ने दी बधाई

एक्ट्रेस (Tanvi Thakkar) के मां बनने की खबर मिलते ही उनके फैंस के साथ-साथ कई सेलेब्स भी उनको बधाई दे रहे हैं। अभिनेत्री किश्वर मर्चेंट ने तनवी और आदित्य कपाड़िया को बधाई देते हुए लिखा, “आप लोगों को बधाई।” वहीं मानसी श्रीवास्तव ने लिखा, “ओह, बधाई हो, बधाई हो।” इसके अलावा अपर्णा दीक्षित ने कामना करते हुए लिखा, “हे भगवान, आप दोनों को बधाई हो! आशीर्वाद और प्यार।” वहीं  तारक मेहता का उल्टा चश्मा की फेम एक्ट्रेस पलक सिधवानी ने भी कपल को बधाई दी हैं। उन्होंने लिखा, ”वाह, बधाई हो दोस्तों।”

काफी लंबे समय तक जुड़ी रही थी शो से 

शो ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Main) में तन्वी कामिनी मल्होत्रा ​​की जगह शामिल हुई थी, जिसमें उन्होंने शिवानी बुआ का किरदार निभाया था। वैसे तो एक्ट्रेस (Tanvi Thakkar) शो से काफी समय तक जुड़ी रही थी लेकिन सीरियल में लीप आने के बाद उन्होंने शो को छोड़ने का फैसला किया था।

Suhana Khan : शाहरुख खान की बेटी सुहाना बनी इस आलीशान प्रॉपर्टी की मालकिन, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

Suhana Khan Property Deal : बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान और इंटीरियर डिजाइनर गौरी खान की बेटी सुहाना खान लंबे समय से सुर्खियों में बनी हुई हैं। सुहाना जल्द ही ‘द आर्चीज’ फिल्म के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली हैं। जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। जोया अख्तर के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म का टीजर जारी किया जा चुका हैं, जिसे दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। हालांकि अब खबर आ रही है अपनी पहली फिल्म के रिलीज होने से पहले ही सुहाना (Suhana Khan Property Deal) ने करोड़ों की प्रॉपर्टी अपने नाम कर ली है।

सुहाना ने खरीदी 1.5 एकड़ की जमीन

बता दें कि, शाहरुख खान की लाडली (Suhana Khan Property Deal) ने अलीबाग में तीन घरों के साथ-साथ 1.5 एकड़ की प्रॉपर्टी भी खरीदी है, जिसकी कीमत 12.91 करोड़ रुपये के आसपास है। पुराने समय में थाल गांव की यह प्रॉपर्टी एक्टर दुर्गा खोटे के वंशजों की थी, जिसको मुंबई के कंक्रीट क्लॉस्ट्रोफोबिया से दूर एक ऑप्शन के तौर पर बनावाया गया था। हालांकि इसके पास वाली प्रॉपटी भी शाहरुख खान की ही हैं। खबरों के मुताबिक, सुहाना ने इस प्रॉपर्टी का पंजीकृत 1 जून 2023 को करवाया था। साथ ही 77.46 लाख रुपये का स्टांप शुल्क भी जमा करवाया गया था।

रणवीर-दीपिका की पड़ोसी बनेगी सुहाना

सुहाना ने जहां ये आलीशान प्रॉपर्टी खरीदी है, वहां पहले से ही सिनेमा और क्रिकेट जगत के कई मशहूर हस्तियां रहते हैं। इस इलाके में सचिन तेंदुलकर, रणवीर सिंह-दीपिका पादुकोण और रोहित शर्मा जैसे कई बड़े स्टार्स के घर हैं।

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