देश की महाअदालत यानि उच्चतम न्यायालय ने मोदी उपनाम को ले कर की गई टिप्पणी को ले कर आपराधिक मानहानि मामले में काग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर 4 अगस्त, 2023 को रोक लगा दी. 2019 में उन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

सूरत की मजिस्ट्रैट कोर्ट ने राहुल गांधी को इस मामले में 2 साल कैद की सजा सुनाई थी. इस फैसले के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद राहुल गांधी ने महाअदालत की ओर रुख किया था.

विषाक्त माहौल

दरअसल, आज देश में भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद राजनीति और समाज में जो माहौल विषाक्त हुआ है उस की नजीर शायद आजाद हिंदुस्तान में किसी भी शोधकर्ता को नहीं मिल सकती. राहुल गांधी से भयभीत भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की सरकार किस कांग्रेस को कमजोर करना चाहती है इस का सब से बड़ा उदाहरण है राहुल गांधी का मोदी उपनाम मानहानि मामला. जिस पर देश के आवाम की ही नहीं दुनिया की निगाहें लगी हुई थीं.

सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि मानहानि के मामले में देशभर में लाखों मामले आज भी चल रहे हैं और पहले भी चले होंगे मगर कभी भी किसी को इतनी कठोर सजा नहीं मिली होगी. सब से बड़ी बात यह है कि इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं के चेहरे जहां पहले खिले हुए थे, अब मुरझाए दिखाई दिए.

गलत सोच

उच्चतम न्यायालय के फैसले का किसी भी बड़े नेता ने स्वागत नहीं किया है. आमतौर पर राजनीति को खेल भावना से लिया जाना चाहिए, देशसेवा की भावना से लिया जाना चाहिए. अगर आज भाजपा देश की सत्ता चला रही है और देश का विकास करने का प्रयास कर रही है तो कल कांग्रेस थी और उस ने ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाई है। मगर इस भावना से हट कर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं को नेस्तनाबूद कर दिया जाए और उन की कमर ही तोड़ दी जाए ताकि कोई भी चुनाव जीत ही न पाए और हमारी सत्ता अबाध गति से चलती रहे. यह सोच लोकतंत्र के लिए बेहद नुकसानप्रद है.

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