60 वर्षीय प्यार, 60 वर्षीय विवाह अकसर गौसिप का विषय बनते हैं. 55 से 60 तक की उम्र होतेहोते लगभग हर स्त्रीपुरुष पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके होते हैं. उन के बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो चुके होते हैं. उन की शादियां हो चुकी होती हैं और वे अपनी गृहस्थी में मस्त रहने लग जाते हैं.
दूषित खानपान और प्रदूषित वातावरण से उत्पन्न बीमारियों की वजह से आज व्यक्ति समय से पहले ही न केवल शारीरिक क्षीणता का शिकार हो जाता है बल्कि औसत आयु घट जाने के कारण कई बार इस उम्र में पतिपत्नी में से कोई एक अकेला ही रह जाता है और यहीं से शुरू हो जाता है कभी पूरे परिवार की धुरी रह चुके इंसान का एकाकीपन से सामना.
काश, इन को भी कोई हमउम्र साथी मिल जाता जो इस उम्र में इन की भावनाओं को समझता, इन के साथ समय गुजारता और इन होंठों को मुसकान देता ताकि जिंदगी बोझिल न बनती.
आज वृद्धावस्था की ओर बढ़ता हर व्यक्ति एकाकीपन के एहसास मात्र से घबराने लग गया है. मातापिता अगर स्वस्थ हैं और दोनों ही जीवित हैं तब तो वे चाहे अकेले रह रहे हों या बेटेबहू उन के पास हों, उन का जीवन सामान्य ढंग से गुजरता रहता है. किंतु स्थिति शोचनीय और दयनीय तब हो जाती है जब पति या पत्नी में से कोई एक अकेला रह जाता है दुनिया में.
और तब होता यह है कि कई बार अपना अकेलापन दूर करने के लिए
60-65 वर्षीय स्त्री या पुरुष घर से बाहर निकल कर अपना मन बहलाने के लिए नएनए मित्र बनाना शुरू कर देते हैं. क्योंकि घर के सदस्यों के पास उन की भावनाओं को समझने व उन के साथ वक्त गुजारने के लिए समय नहीं होता.