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ऑस्कर में जाएगी शाहरुख-नयनतारा की फिल्म Jawan! निर्देशक एटली ने जाहिर की इच्छा

Jawan Director Atlee : बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान, एक्ट्रेस नयनतारा और अभिनेता विजय सेतुपति की एक्शन-थ्रिलर फिल्म ‘जवान’ बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई कर रही है. फिल्म को रिलीज हुए 12 दिन से भी ज्यादा हो गए है, लेकिन जवान की कमाई में कोई कमी नहीं आ रही हैं. वहीं इस बीच ‘जवान’ के  निर्देशक एटली ने फिल्म को ऑस्कर में भेजे जाने की अपनी इच्छा व्यक्त कर दी है.

एटली- मैं जवान को ऑस्कर में ले जाना पसंद करूंगा

दरअसल जब एक इंटरव्यू में निर्देशक एटली (Jawan Director Atlee) से पूछा गया कि, ‘क्या आप चाहते हैं कि शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ अकादमी पुरस्कार की दौड़ में भी आगे जाए.’ तो इसका जवाब देते हुए एटली ने कहा, ‘बेशक, ‘जवान’ को भी जाना चाहिए, अगर सब कुछ ठीक हो जाए. मुझे लगता है कि हर प्रयास, हर कोई, हर निर्देशक, हर तकनीशियन जो सिनेमा में काम कर रहे हैं. उनकी नजर गोल्डन ग्लोब्स, ऑस्कर, राष्ट्रीय पुरस्कार और हर तरह के पुरस्कार पर होती है.’

इसी के आगे एटली ने कहा, ‘निश्चित रूप से हां, मैं भी जवान को ऑस्कर में ले जाना पसंद करूंगा. चलो देखते हैं. मुझे उम्मीद है कि शाहरुख सर इस इंटरव्यू को देखेंगे और पढ़ेंगे भी. इसके अलावा मैं उनसे कॉल करके पूछूंगा भी कि, ‘सर, क्या हमें इस फिल्म को ऑस्कर में ले जाना चाहिए?’

500 करोड़ के क्लब में शामिल होने जा रही हैं ‘जवान’  

आपको बताते चलें कि एटली के निर्देशन (Jawan Director Atlee) में बनी फिल्म ‘जवान’ को भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी खूब प्यार मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फिल्म ने कमाई के मामले में कई रिकॉर्ड तोड़े हैं. इसके अलावा जल्द ही फिल्म इंडिया में 500 करोड़ रुपये के क्लब में भी शामिल होने वाली है.

Zareen Khan जाएंगी जेल ! जारी हुआ वारंट

Zareen Khan Arrest Warrant : बॉलीवुड एक्ट्रेस ”जरीन खान” को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं है. उन्होंने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से लाखों लोगों का दिल जीत रखा है. इसके अलावा अभिनेता सलमान खान के साथ फिल्म ‘वीर’ में उनके अभिनय को भी खूब प्रशंसा मिली थी. वहीं अब खबर आ रही है कि एक्ट्रेस जरीन खान के खिलाफ वारंट जारी किया है, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.

साल 2018 का है मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिनेत्री ”जरीन खान” (Zareen Khan Arrest Warrant) के नाम पर कोलकाता के सियालदह कोर्ट में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. कहा जा रहा है कि साल 2018 में जरीन 6 आयोजनों में शामिल नहीं हुई थी. इसलिए एक कंपनी ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद जरीन के खिलाफ जारी हुए आरोप पत्र को नारकेलडांगा पुलिस ने सियालदह कोर्ट में पेश किया.

वहीं जब मीडिया ने जरीन खान की टीम से इस बारे में बात की, तो उन्होंने एक्ट्रेस के खिलाफ लगे सभी आरोपों से इनकार कर दिया. साथ ही इस खबर को गलत भी बताया.

जरीन के वकील ने जारी किया आधिकारिक बयान

इसी के साथ बीते दिन एक्ट्रेस ”जरीन खान” (Zareen Khan Arrest Warrant) की ओर से उनके वकील ने आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी किया. इस बयान में लिखा गया है कि, ‘सभी को ये ध्यान रखना होगा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ मजिस्ट्रेट के द्वारा ‘अनजाने में’ वारंट जारी किया गया है, जिसे मेरिट्स के आधार पर निपटाया जाएगा.’

जानें क्या है पूरा मामला ?

आपको बता दें कि साल 2018 में एक्ट्रेस ”जरीन खान” (Zareen Khan Arrest Warrant) को कोलकाता में आयोजित दुर्गा पूजा कार्यक्रम में प्रदर्शन करने के लिए शामिल होना था. लेकिन वो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई थी, जिसके बाद उस कार्यक्रम के आयोजकों ने जरीन के खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद एक्रट्रेस को कोलकाता पुलिस ने पूछताछ के लिए थाने में भी बुलाया था.

जरीन ने आयोजकों के खिलाफ लगाएं आरोप

हालांकि वहां जाकर अभिनेत्री ”जरीन खान” (Zareen Khan Arrest Warrant) ने उस कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ ही आरोप लगा दिया था. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, ”आयोजकों ने कार्यक्रम का गलत प्रतिनिधित्व करके उन्हें गुमराह किया था. उनसे कहा गया था कि कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल होंगी. लेकिन जब जरीन की टीम नें जांच की तो उन्हें पता चला कि ये कार्यक्रम उत्तरी कोलकाता में हो रहा है और वो भी एक छोटे पैमाने पर.”

इसी के साथ जरीन ने ये भी कहा था कि, ‘आयोजकों और उनके बीच वहां ठहरने और हवाई जहाज के टिकटों को लेकर गलतफहमी भी हुई थी.’

क्या आपका भी वजन कम हो रहा है ? अगर हां तो हो जाएं सावधान

आज के दौर में इकहरा बदन सौंदर्य का मापदंड माना जाता है. वजन ज्यादा होने से सौंदर्य, आकर्षण, स्मार्टनेस कम होती है और साथ ही अनेक घातक व जटिल रोगों का खतरा बढ़ जाता है. सभी समझदार व्यक्ति वजन ज्यादा होने पर उसे कम करने की कोशिश करते हैं. इस के लिए डायटिंग, व्यायाम एवं दूसरे तरीकों का सहारा लेते हैं, पर यदि किसी व्यक्ति का वजन बगैर किसी प्रयास के कम होने लगता है तो यह गंभीर रोगों का संकेत हो सकता है. अत: इस में लापरवाही न बरतें.

स्वस्थ व्यक्ति का वजन भोजन की मात्रा और उन की सक्रियता, कार्य, मेहनत के अनुसार लगभग स्थिर रहता है. आमतौर पर व्यक्ति के कार्य के अनुसार ही उस की ऊर्जा (कैलोरी) की मात्रा निर्धारित हो जाती है.

ज्यादा मेहनत या व्यायाम करने के बाद भूख बढ़ जाती है. यदि शरीर को पर्याप्त कैलोरी मिलती रहती है तो वजन सामान्य बना रहता है. यदि सक्रियता और कैलोरी में संतुलन गड़बड़ाता है तो वजन घटता व बढ़ता है. शरीर का 1 पौंड वजन कम होने या बढ़ने का अर्थ है कि शरीर में 3,500 कैलोरी की कमी या बढ़ोतरी हो गई है. अस्थायी रूप से शरीर का वजन शरीर में द्रव की कमी या ऊतकों के टूटने से भी घट सकता है.

वजन कम होने के मुख्य कारण

वजन में कमी कई रोगों के चलते हो सकती है. अकसर ये रोग दीर्घकालीन होते हैं. ऐसे व्यक्तियों को लापरवाही नहीं करनी चाहिए और कुशल चिकित्सक से सलाह ले कर निर्देशित जांच करवानी चाहिए, ताकि रोग के कारण का पता लग सके और समुचित उपाय हो सके.

– गरीबी या अन्य कारणों से पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन न मिलने पर वजन कम होने लगता है.

– पोषक तत्त्वों का पाचन, अवशोषण, आंतों के रोगों, संक्रमण, अग्नाशय के स्राव में कमी, पित्त के स्राव में कमी, दवाओं के दुष्प्रभाव आदि कारणों से वजन कम हो सकता है.

– यदि उलटी, दस्त, पेचिश, उच्च ज्वर आदि कारणों से शरीर की ऊर्जा/ पोषक तत्त्वों की कमी होती है तो भी वजन कम होने लगता है.

– मधुमेह के मरीजों में भूख ज्यादा लगने के बावजूद, वजन कम हो सकता है, क्योंकि इन मरीजों के द्वारा शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज का समुचित रूप से उपयोग नहीं कर पाती हैं, अत: शरीर ऊर्जा के लिए वसा का उपयोग करने लगता है.

– ज्यादातर व्यक्तियों में 60 साल के बाद वजन हर साल कुछ न कुछ कम होने लगता है. यह बुढ़ापे में ऊतकों की टूटफूट के कारण होता है पर यदि बढ़ती आयु में तेजी से वजन कम होता है तो गंभीर रोगों का संकेत भी हो सकता है.

– जो वृद्ध व्यक्ति अकेले रहते हैं तो अपंगता, दृष्टि में कमी, संवेदनाओं में बदलाव आदि कारणों से भोजन पकाने, खाने में लाचार हो सकते हैं जिस के कारण वजन कम हो सकता है.

– मानसिक तनाव, अवसाद, चिंता, प्रियजन की मौत, गंभीर बीमारी, घाटा होने पर भी भूख कम हो सकती है, चूंकि भोजन करने में रुचि नहीं होती अत: वजन कम हो सकता है.

– कुछ व्यक्ति वजन के प्रति अत्यधिक सजग रहते हैं और वजन कम करने की सनक में बेवजह अत्यधिक डायटिंग करते हैं, अत्यधिक व्यायाम करते हैं. यह एक तरह का मानसिक रोग है. इन का वजन अत्यधिक कम हो जाता है, साथ ही इन में अनेक मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं.

– अनेक अंतर्स्रावी ग्रंथियों के रोग जैसे मधुमेह, थायरायड हार्मोन से ज्यादा स्राव होने (ग्रेबस रोग)  फियोक्रोमोसाइटोमा/ एडरीनल हार्मोन का ज्यादा स्राव आदि में भी वजन कम होता है.

– विभिन्न दीर्घकालीन हृदय रोगों, एंजाइना आदि के कारण भी वजन कम हो सकता है.

– गंभीर दीर्घकालीन फेफड़ों के रोगों, दमा, टी.बी., पुरानी खांसी, इंफाइजिमा आदि में भी मरीजों का वजन तेजी से कम होने लगता है.

– दीर्घकालीन गुर्दों के रोगों में भी वजन कम होने की समस्या रहती है.

– अधेड़ावस्था के बाद और बगैर स्पष्ट कारण के वजन कम होने का कारण कैंसर भी हो सकता है. विभिन्न अंगों के कैंसर ग्रस्त होने पर अकसर शुरुआत में कोई विशेष लक्षण नहीं होते पर उन का वजन कम होने लगता है.

वजन कम होने के दुष्परिणाम

वजन कम होना कई शारीरिक, मानसिक रोगों का संकेत है. अधेड़ावस्था या वृद्धावस्था में वजन कम होना ज्यादा गंभीर रोगों का सूचक होता है. हर व्यक्ति की आयु, लंबाई के अनुसार वजन को आदर्श वजन के आसपास ही रखना चाहिए. यदि वजन मानक वजन से 20 प्रतिशत से ज्यादा होता है तो अनेक गंभीर रोगों जैसे मधुमेह, उच्चरक्तचाप, जोड़ों के रोगों, हृदय धमनी रोग, (एंजाइना हार्ट अटैक), पक्षाघात आदि की आशंका बढ़ जाती है.

इसी प्रकार मानक वजन से 10 प्रतिशत से ज्यादा वजन कम होने से कार्यक्षमता कम हो जाती है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिस के परिणामस्वरूप संक्रमण रोग आसानी से हो सकते हैं. कम वजन के व्यक्ति यदि किसी रोग से ग्रस्त नहीं हैं तो भी गुस्सैल, असंयमी होते हैं. हीन भावना से पीडि़त हो सकते हैं. अध्ययनों से पता चला है कि यदि वजन घटने लगता है तो मौत का खतरा बढ़ जाता है. शोधों से यह भी ज्ञात हुआ कि अत्यधिक दुबले व्यक्तियों की औसत आयु सामान्य वजन वालों की अपेक्षा कम होती है.वजन कम और ज्यादा होना दोनों ही स्थिति, नुकसानप्रद होती हैं, अत: अपना वजन सामान्य बनाए रखना आवश्यक है.

समाधान

यदि पिछले 6 से 12 सप्ताह में वजन बिना प्रयास के 5 प्रतिशत से ज्यादा कम होता है तो सचेत हो जाएं, लापरवाही न करें, चिकित्सक से परामर्श लें, वह लक्षण और परीक्षण के आधार पर आवश्यक जांच द्वारा कारण का पता लगा कर समुचित उपचार करेंगे. मेरा अनुभव है कि अनेक व्यक्तियों को वजन कम होने की गलतफहमी हो सकती है क्योंकि उन्होंने अपना वजन पहले नहीं लिया है. इन व्यक्तियों में वजन कम होने की पुष्टि बेल्ट की नाप, कपड़ों की फिटिंग से की जा सकती है.

अनेक मां अपने बच्चों को दुबला समझती हैं और उन के वजन कम होने की शिकायत के साथ चिकित्सक से परामर्श करती हैं. वैसे ये बच्चे हृष्टपुष्ट और सक्रिय होते हैं. यदि वजन मानक वजन से कम है, या कम हो रहा है तो इस समस्या का समाधान आवश्यक है. अकसर वजन कम हो रहे मरीजों में मूल रोग के कारण के भी लक्षण होते हैं, जिन के आधार पर चिकित्सक  संभावित रोगों के अनुसार जांच करवा कर रोग का पता लगाने पर समुचित उपचार करते हैं. रोगमुक्त हो जाने पर और पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन लेने से वजन पुन: सामान्य हो जाता है.

वृद्धावस्था में अवसाद, अकेलेपन, कैंसर, आंतों से पाचन, अवशोषण बाधित होने के कारण और युवा और अधेड़ावस्था में मधुमेह, थायरायड हार्मोन के ज्यादा स्राव, संक्रमण, टी.वी., एनोरेक्सिया नरवोसा रोग के कारण वजन कम होना सामान्य है. बीमारी के दौरान भूख कम हो जाती है, भोजन की अनिच्छा हो जाती है. कुछ रोगों में तो ज्वर, दस्त के दौरान भोजन बंद करने की प्रथा है. किसी भी रोग के दौरान शरीर के ऊतकों की टूटफूट की मरम्मत के लिए अतिरिक्त ऊर्जा, प्रोटीन एवं पोषक तत्त्वों की जरूरत बढ़ जाती है.

यदि इन की पूर्ति नहीं होती तो वजन कम होना लाजिमी है. अत: रोग पीडि़त होने पर पोषण पर विशेष ध्यान रखना आवश्यक है, जिस से शरीर शीघ्र स्वस्थ हो जाए. रोग मुक्त होने के कुछ समय बाद तक भी पौष्टिक भोजन जरूरी होता है.

सुंदर, सक्रिय, स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि वजन आदर्श (मानक), वजन के आसपास रहे. वजन कम होना या ज्यादा होना, दोनों ही स्वास्थ्य और सुंदरता, स्मार्टनेस की दृष्टि में हितकर नहीं है.

मुझे मेरे बेटे की पसंद की गई लड़की अच्छी नहीं लगती, बताएं मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 55 वर्ष है. मेरे 26 वर्षीय बेटे ने अपनी कंपनी में काम कर रही गर्लफ्रैंड से शादी करने का फैसला कर लिया है. दोनों पढ़ेलिखे हैं और एकदूसरे को अच्छी तरह जानते भी हैं. उस लड़की का शादी से पहले ही घर में आनाजाना सामान्य हो चुका है. मुझे इस बात से भी कोई आपत्ति नहीं है परंतु उस लड़की का व्यवहार मुझे बेहद अटपटा लगता है.

वह जब भी घर आती है, सीधा बेटे के कमरे में चली जाती है, न रुक कर मुझे नमस्ते कहती और न ही मेरी बेटी से बात करती है. मुझे नहीं लगता कि शादी के बाद वह इस घर में हमारे साथ निभा पाएगी. क्या मुझे अपने बेटे से शादी के बाद अलग गृहस्थी बसाने के लिए कह देना चाहिए?

जवाब

आप का अपनी होने वाली बहू से कुछ इच्छाएं रखना स्वाभाविक है परंतु उस का आप और आप की बेटी के प्रति जो उदासीन व्यवहार है वह चिंताजनक है. आप इस विषय में अपने बेटे से बात करें, इस बारे में आप को उस लड़की से भी बात करनी चाहिए. हो सकता है कि वह आप लोगों से बात करने में झिझकती हो और उस का स्वभाव ही कुछ ऐसा हो. आप को खुद उस से बात करने की पहल करनी चाहिए. उस के विचार भी इस तरह के बड़े फैसलों में माने रखते हैं. अपने बेटे और होने वाली बहू दोनों से विचारविमर्श करने के बाद ही कोई फैसला लें.

वास्तुदोष कहां है : भानु प्रकाश क्यों चिंतित रहता था ?

सुबहसुबह तैयार हो कर जब भानुप्रकाश ने गैराज का ताला खोल कार को स्टार्ट करने लगे, तो वह घर्रघर्र कर के रह गई. वह एकदम से झल्ला कर के चिल्लाए, “सुधा… ओ सुधा, जरा बाहर तो आना.”

वह हड़बड़ाती हुई आई, तो भानुप्रकाश बोले- “देखो, आज फिर कार स्टार्ट नहीं हो रही है.”

“ओह… पिछले दिनों ही इसे रिपेयरिंग कराए थे ना. रोजरोज यह क्या हो जाता है?”

“मैं कहता था ना कि हमारा गैराज सही दिशा में नहीं है,” वह बोले, “पिछले सप्ताह इस में सांप निकला था, जिस से मैं बालबाल बचा था. यहां आए हमें 6 महीने भी नहीं हुए कि कार दो बार दुर्घटनाग्रस्त हुई है.”

“आप कहना क्या चाह रहे हैं?”

“यही कि गैराज में वास्तुदोष है. यही कारण है कि कार के साथ कुछ न कुछ परेशानी आ रही है और यह बीचबीच में खराब भी हो जा रही है. यह गैराज दक्षिणपश्चिम में है, जबकि इसे उत्तरपश्चिम यानी वायव्य कोण में होना चाहिए.”

“अरे, ऐसा कुछ नहीं है,” वह जानते हुए भी बोली कि भानु प्रकाश प्रारब्ध, ज्योतिष आदि पर आंख मूंद कर विश्वास करते हैं, उन की शंका का निवारण करना चाहा, “यह संयोग भी तो हो सकता है.”

“क्या बात करती हो, 18 लाख की नई गाड़ी है. और यह बारबार खराब हो जाती है. फिर यहां के गैराज में भी कोई न कोई हादसा हो जा रहा है. मुझे लगता है कि यह गैराज के सही दिशा में न होने के कारण है. मुझे अब किसी दूसरी जगह पर गैराज बनाना होगा.”

“कितनी मुश्किल से तो यह घर मिला है… इतने बड़े शहर में जगह कहां है, जो कोई अलग से गैराज बनवाए. फिर सरकार तो बनवाने से रही. और हम बनाएंगे तो हजारों रुपए का खर्च आएगा.”

“तो क्या करें…? रोजरोज की परेशानी तो नहीं देखी जा सकती?”

“लेकिन, गैराज बनाने के लिए जगह तो चाहिए?”

“जगह का क्या है… हम बंगले के सामने ही क्यों न गैराज बना लें?”

“अरे, इतनी अच्छी फुलवारी है. उसे तहसनहस कर दें.”

“और कोई उपाय भी तो नहीं है. मैं कल ही यहां काम लगा दूंगा.”

भानु प्रकाश सरकारी महकमे में कनिष्ठ सचिव ठहरे. बस ठेकेदार को बताना भर था. आननफानन काम लग गया. जहां कभी खूबसूरत फूलपत्तों के पौधे शोभायमान थे, उसे उजाड़ कर वहां सीमेंट की फर्श बन चुकी थी. लोहे की चादरों की दीवार और ऊपर एसबेस्टस की छत डाली जा चुकी थी. और पुराने गैराज का फाटक उखाड़ कर वहीं लगा दिया गया था. उन के कहेअनुसार अब गैराज वायव्य कोण अर्थात उत्तरपश्चिम में बन चुका था. और इसी चक्कर में बीसेक हजार रुपए खर्च हो गए थे.

“अब यहां कोई परेशानी नहीं होगी,” खुश होते हुए वह बोले.

“मगर, यह अब बंगले की चारदीवारी के बाहर है,” वह चिंतित स्वरों में बोली, “और, मैं ने सुना है, इधर चोरियां बहुत होती हैं.”

“अरे, ऐसा कुछ नहीं,” भानु प्रकाश निश्चिंत भाव से बोले, “बंगले के सामने ही तो है. फिर फाटक में मजबूत ताला लगाऊंगा.”

सुधा को इस बात का मलाल था कि एक खूबसूरत फुलवारी उजड़ गई थी और उस की जगह बंगले के ठीक सामने गैराज था. पहले बंगले के परिसर में ही चारदीवारी के भीतर गैराज था. अब गैराज के बाहर होने से उस के लिए अलग से ताले की व्यवस्था करनी पड़ी थी.

कुछ दिन तो ठीकठाक बीते. मगर, फिर भी एक हादसा हो ही गया.
वह 3 दिनों के लिए राजधानी में दौरे पर गए थे. वहीं उन्हें फोन आया कि गांव में मां की तबीयत ठीक नहीं है. उन्होंने तुरंत सुधा को फोन किया कि वह अविलंब गांव चली जाए. शाम की ट्रेन पकड़ कर वह गांव चली आई थी.

अगले दिन ही वह भी राजधानी से सीधे गांव चले आए.

उस के अगले दिन वह दोनों वापस लौटे. कार गैराज में नहीं थी. किसी ने ताला तोड़ कर दिनदहाड़े कार चोरी कर ली थी.

और वह थाने में कार चोरी की रपट लिखा रहे थे.

ये कैसी बेबसी : अरुण चाह कर भी कुछ क्यों नहीं कह पाया ?

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हौबी : पति की आदतों से वह क्यों परेशान थी ?

मेरे पति को सदा ही किसी न किसी हौबी ने पकड़े रखा. कभी बैडमिंटन खेलना, कभी शतरंज खेलना, कभी बिजली का सामान बनाना, जो कभी काम नहीं कर सका. बागबानी में सैकड़ों लगा कर गुलाब जितनी गोभी के फूल उगाए. कभी टिकट जमा करना, कभी सिक्के जमा करना. तांबे के सिक्के सैकड़ों साल पुराने वे भी सैकड़ों रुपए में लिए जाते जो अगर तांबे के मोल भी बिक जाएं तो बड़ी बात.

ये उन्हें खजाने की तरह संजोए रहते हैं. जब ये किसी हौबी में जकड़े होते हैं, तो इन को घर, बच्चे, मैं कुछ दिखाई नहीं देता. सारा समय उसी में लगे रहते हैं. खानेपीने तक की सुध नहीं रहती. औफिस जाना तो मजबूरी होती थी. अब ये रिटायर हो गए हैं तो सारा समय हौबी को ही समर्पित हैं. लगता अगर मुख्य हौबी से कुछ समय बच जाए तो ये पार्टटाइम हौबी भी शुरू कर दें.

आजकल सिक्कों की मुख्य हौबी है, जिस में सिक्कों के बारे में पढ़नालिखना और दूसरों को सिक्कों की जानकारी देना कि यह सिक्का कौन सा है, कब का है आदि. इंटरनैट पर सिक्काप्रेमियों को बताते रहते हैं. सारा दिन इंटरनैट पर लगे रहते हैं. कुछ समय बचा तो सुडोकू भरना. यहां तक कि सुडोकू टौयलेट में भी भरा जाता है और मैं टौयलेट के बाहर इंतजार करती रहती हूं कि मेरा नंबर कब आएगा. आजकल सुडोकू कुछ शांत है. अब ये एक नई हौबी की पकड़ में आ गए हैं. इन को खाना पकाने का शौक हो गया है. जीवन में पहली बार कुछ काम की हौबी ने इन को पकड़ा है. मैं ने सोचा कुछ तो लाभ होगा. बैठेबैठे पकापकाया स्वादिष्ठ भोजन मिलेगा.

इन्होंने पूरे मनोयोग से खाना पकाना शुरू किया. पहले इंटरनैट से रैसिपी पढ़ते, फिर उसे नोट करते. बाद में ढेरों कटोरियों में मसाले व अन्य सामग्री निकालते. नापतोल में कोई गड़बड़ नहीं. जैसे लिखा है सब वैसे ही होना चाहिए. हम लोगों की तरह नहीं कि यदि कोई मसाला नहीं मिला तो भी काम चला लिया. ये ठहरे परफैक्शनिस्ट अर्थात सब कुछ ठीक होना चाहिए. सो यदि डिश में इलायची डालनी है और घर में नहीं है तो तुरंत कार से इलायची लाने चले जाएंगे. 10 रुपए की इलायची और 50 रुपए का पैट्रोल.

जब सारा सामान इकट्ठा हो जाता तो बनाने की प्रक्रिया शुरू होती. शुरूशुरू में तो गरम तेल में सूखा मसाला डाल कर भूनते तो वह जल जाता. फिर उस जले मसाले की सब्जी पकती. फिर डिश सजाई जाती. फिर फोटो खींच कर फेसबुक पर डाला जाता. फेसबुक पर फोटो देख कर लोग वाहवाह करते, पर जले मसाले की सब्जी खानी तो मुझे पड़ती. मैं क्या कहूं? सोचा बुरा कहा तो इन का दिल टूट जाएगा. सो पानी से गटक कर ‘बढि़या है’ कह देती. इन का हौसला बढ़ जाता.

ये और मेहनत से नएनए व्यंजन पकाते. कभी सब्जी में मिर्च इतनी कि 2 गिलास पानी से भी कम न होती. कभी साग में नमक इतना कि बराबर करने के लिए मुझे उस में चावल डाल कर सगभत्ता बनाना पड़ता. किचन ऐसा बिखेर देते कि समेटतेसमेटते मैं थक जाती. बरतन इतने गंदे करते कि कामवाली धोतेधोते थक जाती. डर लगता कहीं काम न छोड़ दे.

मेरी सहनशीलता तो देखिए, सब नुकसान सह कर भी इन की तारीफ करती रही. इस आशा में कि कभी तो ये सीख जाएंगे और मेरे अच्छे दिन आएंगे. सच ही इन की पाककला निखरने लगी और हमारी किचन भी संवरने लगी. विभिन्न प्रकार के उपयोग में आने वाले बरतन, कलछियां, प्याज काटने वाला, आलू छीलने वाला, आलू मसलने वाला सारे औजारहथियार आ गए. चाकुओं में धार कराई गई. पहले इन सब चीजों की ओर कभी ये ध्यान ही नहीं देते थे. अब ये इतने परफैक्ट हो गए कि नैट पर विभिन्न रैसिपियां देखते, फिर अपने हिसाब से उन में सब मसाले डालते और स्वादिष्ठ व्यंजन बनाते.

अब देखिए मजा. कभी कुम्हड़े का हलवा बनता तो कभी गाजर का, जिस में खूब घी, मावा और सारे महीने का मेवा झोंक दिया जाता. हम दोनों कोलैस्ट्रौल के रोगी और घर में खाने वाले भी हम दोनों ही. अब इतना मेवामसाला पड़ा हलवा कोई फेंक तो देगा नहीं. सो खूब चाटचाट कर खाया.

अब उन सब्जियों को भी खाने लगे, जिन्हें पहले कभी मुंह नहीं लगाते थे. एक से एक स्वादिष्ठ व्यंजन खूब घी, तेल, मेवा, चीनी में लिपटे व्यंजन. मेरे भाग्य ही खुल गए. इन की इस हौबी से बैठेबैठे एक से एक व्यंजन खाने को मिलने लगे. इतना अच्छा खाना खाने के बाद तबीयत कुछ भारी रहने लगी. डाक्टर को दिखाया तो पता चला कोलैस्ट्रौल लैबल बहुत बढ़ गया है.

डाक्टर की फीस, खून जांच, दवा सब मिला कर कई हजार की चपत बैठी. घीतेल, अच्छा खाना सब बंद हो गया. अब उबला खाना खाना पड़ रहा है. अब बताइए इन की हौबी मेरे लिए मजा है या सजा?

अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर हैं Neha Dhupia, जानें कैसा रहा एक्ट्रेस का करियर

Neha Dhupia Success Story : अपनी शानदार एक्टिंग से लाखों लोगों का दिल जीतने वाली बॉलीवुड एक्ट्रेस ”नेहा धूपिया” को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं है. उन्होंने अपनी उम्दा एक्टिंग से लोगों को अपना दीवाना बना रखा है. नेहा ने कई फिल्मों में अपने दमदार और स्ट्रांग रोल्स से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं. उन्होंने कुछ ही समय में हिन्दी सिनेमा में फर्श से अर्श तक का सफर अपने बलबूते पर हासिल किया है. तो आइए जानते हैं बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री ‘नेहा धूपिया’ के फिल्मी करियर के बारे में.

बतौर टीवी एक्ट्रेस शुरु किया था करियर

आपको बता दें कि अब तक के अपने करियर में बॉलीवुड एक्ट्रेस ”नेहा धूपिया” (Neha Dhupia) ने कई हिट फिल्में दी हैं. हालांकि फिल्मों में आने से पहले साल 2000 में उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत बतौर टीवी आर्टिस्ट के तौर पर की थी. उन्होंने टीवी सीरियल ‘राजधानी’ में अपनी शानदार एक्टिंग से इस इंडस्ट्री में कदम रखा था.

मिस यूनिवर्स के बाद बदली किस्मत

बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि एक्ट्रेस ‘नेहा’ ने साल 2002 में भारत को मिस यूनिवर्स कॉम्पिटिशन में रिप्रजेन्ट किया था और मिस इंडिया कॉम्पिटिशन को जीता भी था. इसी के बाद से उनका बतौर एक्ट्रेस करियर शुरू हुआ.

मिस इंडिया बनने के अगले ही साल 2003 में उन्हें बॉलीवुड में डेब्यू करने का मौका मिला. उन्होंने फिल्म कयामत से बॉलीवुड में कदम रखा. हालांकि उनकी ये फिल्म हिट तो नहीं हो पाई लेकिन उनकी दमदार एक्टिंग को देखकर उन्हें कई नए प्रोजेक्टस में काम करने का मौका जरूर मिला. इसके बाद उन्होंने ‘क्या कूल हैं हम’, ‘चुपके चुपके’, ‘दस कहानियां’, ‘जूली’ और ‘हे बेबी’ आदि कई बड़ी फिल्मों में काम किया.

हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी बात रखती हैं एक्ट्रेस

आपको बताते चलें कि ”नेहा धूपिया” (Neha Dhupia) मीडिया के सामने अपनी बात को बेबाकी से कहने में भी कभी पीछे नहीं रहती है. उन्होंने कई बार कई मुद्दों पर निडर होकर अपनी बात रखी है. हालांकि इसके चलते वह कई बार लोगों के निशाने पर भी आ जाती हैं. वहीं, रोडीज में अपनी शानदार जजिंग के लिए भी नेहा की तारीफ की जाती है.

Mahesh Bhatt से लेकर Sanjay Dutt तक, जानें क्यों इन 5 एक्टर्स की बेटियों ने किया एक्टिंग से किनारा?

Star Kids Career : बॅालीवुड इंडस्ट्री में आने की चाह हर किसी की होती है. हर कोई चाहता है कि हम फिल्मों में आए, एक्टिंग करें, लाखों लोग हमारे फैन हो, हर समय हमारे घर के बाहर फैंस का जमावड़ा लगा रहे. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ऐसे स्टार किड्स भी हैं जिनहोंने अभी तक फिल्मों से दूरी बना रखी है और अपने-अपने करियर में उम्दा काम कर रहे हैं. तो आइए जानतें हैं उन्हीं कुछ स्टार किड्स (Star Kids Career) के बारे में.

  1. शाहीन भट्ट

हिन्दी फिल्म निर्माता और निर्देशक महेश भट्ट व एक्ट्रेस सोनी राजदान की छोटी बेटी आलिया भट्ट, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. तो वहीं उनकी बड़ी बेटी शाहीन भट्ट (Shaheen Bhatt) ने बड़े पर्दे से दूरी बना रखी है. वह लंबे समय से स्क्रीन राइटर और ऑथर के रूप में काम कर रही हैं.

2. रिद्धिमा कपूर साहनी

70 के दशक के मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर और अभिनेत्री नीतू सिंह की बेटी रिद्धिमा कपूर साहनी (riddhima kapoor sahni) ने भी ग्लैमर वर्लड से दूरी बना रखी हैं. वह इस समय ज्वेलरी डिजाइनर के तौर पर काम कर रही हैं.

3. अलविरा अग्निहोत्री और अर्पिता खान

लेखक और एक्टर सलीम खान को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं है. उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी है. उनके तीनों बेटों नें भी एक्टिंग में अपना करियर बनाया है, लेकिन उनकी दोनों बेटियां अलविरा अग्निहोत्री (alvira agnihotri) और अर्पिता खान (arpita khan sharma) फिल्म इंडस्ट्री से कोसों दूर है. अलविरा, जहां पेशे से एक फैशन डिजाइनर हैं तो वहीं अर्पिता हाउसवाइफ हैं.

4. सबा अली खान

अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की एक्टिंग के लोग आज भी दीवाने हैं. एक्ट्रेस शर्मिला की तरह उनके बेटे सैफ अली खान और छोटी बेटी सोहा अली खान ने फिल्मी दुनिया में खूब नाम कमाया. लेकिन उनकी बड़ी बेटी सबा अली खान (saba pataudi) ने कभी फिल्मों में अपनी किस्मत नहीं आजमाई. वो इन सब से दूर बतौर ज्वेलरी डिजाइनर काम कर रही हैं.

5. त्रिशाला दत्त

आपको बता दें कि बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त और उनकी पहली पत्नी ऋचा शर्मा की बेटी त्रिशाला दत्त (trishala dutt) भी बॉलीवुड से कोसों दूर हैं. यहां तक की वह इंडिया से दूर न्यूयॉर्क में अपनी नानी मां के साथ रहती हैं. इसके अलावा कई बार उन्होंने ये भी कहा है कि उनकी फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

नरेंद्र मोदी का जन्मदिन : सत्ता के आगे शहादत भूल गए

प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर को देश की राजधानी दिल्ली से ले कर हर राज्य और शहर में भाजपा द्वारा एक इवेंट बना दिया गया.

दरअसल, नरेंद्र मोदी का जैसा बौडी लैंग्वेज है, जैसा विचार वे व्यक्त करते हैं उसे देखा जाए तो कहा जा सकता है कि मोदी की संवेदनशीलता यह होती कि अगर वे कश्मीर में हुई मुठभेड़ के बाद वीर शहीदों के सम्मान में अपने जन्मदिन को मनाने के बजाय इस इवेंट को स्थगित कर देते तो देश में एक बड़ा सकारात्मक संदेश जाता.

मगर प्रधानमंत्री 5 राज्यों के चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस से कोताही कर गए. सवाल यह है कि शहादत को नमन जरूरी है, देश जरूरी है या फिर सत्ता? इस का जवाब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास जरूर होगा या फिर विक्रमादित्य की सिंहासन बत्तीसी में. यही कारण है कि देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस की जम कर आलोचना की है.

कांग्रेस पार्टी के जायज सवाल

देश के प्रमुख विपक्षी दल अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिस से नरेंद्र मोदी सब से ज्यादा भयभीत दिखाई देते हैं और जिन के नेताओं पर सब से ज्यादा प्रहार करते हैं, ने ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को ‘चुनावी जुमला’ करार दिया है. कांग्रेस ने कहा कि आगामी चुनाव को देखते हुए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी जातिगत जनगणना पर कुछ नहीं बोल रहे.

पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा,”जनता दोबारा ‘बेवकूफ’ नहीं बनेगी और प्रधानमंत्री की सेवानिवृत्ति का समय आ गया है.”

जयराम रमेश ने ‘ऐक्स’ पर लिखा,”नोटबंदी, जीएसटी और उस के बाद कोरोनाकाल में अचानक लगाए गए बंद से भारत में लघु उद्यमों के लिए सब से ज्यादा विनाशकारी रहा. इन में से अधिकांश छोटे व्यवसाय उन लोगों द्वारा चलाए जाते हैं जो अपने हाथों से काम करते हैं. इन में कपड़ा, चमड़ा, धातु, एवं लकड़ी आदि के काम शामिल हैं.”

उन्होंने कहा,”भाजपा सरकार की नीतियों से प्रभावित बहुत से लोगों ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात की थी. राहुल गांधी यात्रा के बाद भी उन से जुड़े रहे हैं। वे उन की पीड़ा और परेशानियों को लगातार सुन रहे हैं.”

सचमुच अगर देखा जाए तो कहा जा सकता है कि वैश्विक महामारी करोनाकाल में जिस तरह केंद्र सरकार द्वारा देश के नागरिकों के साथ व्यवहार किया गया उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। उस दुख और त्रासदी को अब साहित्य और फिल्मों में भी देखा जा सकता है जो एक इतिहास बन चुका है.

सत्ता के लिए कुछ भी ‌‌

कश्मीर में जो कुछ बुधवार को घटित हुआ वह गुरुवार और शुक्रवार को देशभर में देखा और अनुभूत किया. शहीदों की चिताओं पर जिस तरह लोगों ने उमड़ श्रद्धांजलि दी और मासूम बच्चों ने अंतिम सलामी दी उसे देख कर तो हजारों किलोमीटर दूर बैठे हिंदुस्तानियों के आंसू भी छलक आएं. मगर हाय, सिंहासन बत्तीसी…

जन्मदिन के इवेंट में नरेंद्र मोदी को और भाजपा को कुछ भी दिखाई नहीं दिया क्योंकि सामने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे महत्त्वपूर्ण 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं और आगामी समय में लोकसभा चुनाव.

दरअसल, आतंकवादियों के साथ बुधवार सुबह मुठभेड़ के दौरान सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स इकाई के कमांडिंग अधिकारी कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोचक, जम्मू कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट्ट और सेना का एक जवान शहीद हो गए थे।

अधिकारियों के मुताबिक, इस अभियान के लिए किश्तवाड़ के ऊंचाई वाले इलाकों में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं ताकि पीर पंजाल पर्वत श्रेणी में आतंकवादियों की किसी भी गतिविधि पर नजर रखी जा सके.

यह सारा देश जानता है कि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद और देश की राजनीति करती है मगर सिंहासन बत्तीसी का सच है कि सचाई और नैतिकता से मुंह भी चुराती है.

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