पाकिस्तानी अवाम बढ़ती महंगाई को ले कर सड़कों पर है. चारों तरफ हायतोबा मची है. लोग भूखों मर रहे हैं. लोगों के पास न रोटी है न रोजगार. राजनीतिक अस्थिरता और बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने पड़ोसी देश पाकिस्तान में महंगाई के एक नए तुफान को जन्म दे दिया है.
पाकिस्तान के सिर पर आज 100 अरब डौलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज है. उच्च ब्याज दर और जर्जर आर्थिक हालात के कारण कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार न्यूनतम स्तर पर आ चुका है. ऐसे में पाकिस्तान के ऊपर डिफौल्ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है.
इतिहास गवाह है कि जो राष्ट्र धार्मिक कट्टरता की नींव पर खड़ा हुआ वे या तो तबाह हो गए या तबाह होने की राह पर हैं. धर्म की दकियानूसी मान्यताओंप्रथाओं ने ऐसे राष्ट्रों की कभी तरक्की नहीं होने दी. इस के उलट जिन देशों ने धर्म को नागरिकों के व्यक्तिगत सीमा में रख कर आधुनिक शिक्षा, नई खोजों, आविष्कारों और अनुसंधानों पर ध्यान दिया वे तेजी से तरक्की के रास्ते पर बढ़ गए. आज भारत चंद्रयान-3 को चांद पर सफलतापूर्वक लैंड करवा कर जहां इतिहास बना चुका है, वहीं पाकिस्तान में मौलाना 50 साल तक यही तय करने में लगे रहे कि कैमरे से तसवीर खींचना हराम है या हलाल. आज भी कुछ इसे हराम ही मानते हैं.
धर्म के नाम पर खूनखराबा
प्राकृतिक संसाधन किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास की आधारशिला होते हैं. पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन राष्ट्र के आर्थिक विकास की कुंजी हैं. लेकिन प्राकृतिक संसाधनों की प्राप्ति और उस का सही प्रयोग तभी संभव होता है जब लोग शिक्षित हों, उन्हें वैज्ञानिक जानकारी हो, तकनीकी ज्ञान हो. आप के सामने सोने का पहाड़ खड़ा हो मगर अल्लाह... अल्लाह... करने से, उस के सामने बैठ कर नमाज पढने से, दुआ मांगने से या मंत्रोच्चारण करने या पूजापाठ, दियाबाती, आरती करने से वह गहने में नहीं बदलेगा. सोने के सिक्के या गहने बनाने के लिए शिक्षा, तकनीक और साइंस की जानकारी चाहिए.