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अब सिर्फ 32 रुपये में मिलेगा सेट टॉप बॉक्स

देश में अब घरेलू सेट टॉप बॉक्स बहुत ही सस्ती कीमत पर मिलने वाले हैं. इसके अलावा घरेलू कैस लाइसेंस भी बहुत कम कीमत उपलब्ध करवाया जाएगा. घरेलू विनिर्माताओं को सशर्त पहुंच प्रणाली (कैस) के लिए देश में ही विकसित समाधान उपलब्ध कराए जाने से सेट-टॉप-बॉक्स और सस्ता हो जाएगा.

खबर है कि अब घरेलू कैस लाइसेंस करीब 32 रुपये या 0.5 डॉलर में प्रदान किया जाएगा, जबकि मौजूदा बाजार लागत दो-तीन डॉलर प्रति लाइसेंस है. सेट-टॉप-बॉक्स की औसत लागत 800 से 1200 रुपये तक आती है.

इस देसी कैस का विकास सरकारी संस्था सी-डैक ने बेंगलुरू की कंपनी बायडिजाइन के साथ मिलकर की है. अधिकारियों का कहना है कि डवलपर भारतीय कैस को सभी घरेलू सेट-टॉप-बाक्स विनिर्माताओं और परिचालकों को 0.5 डॉलर प्रति लाइसेंस तक की कीमत पर उपलब्ध कराएंगे.

परियोजना की लागत 29.99 करोड़ रुपए है जिसमें से इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग 19.79 करोड़ रुपए का योगदान करेगी, जबकि शेष राशि का भुगतान बायडिजाइन करेगी. अधिकारी ने कहा कि यह परियोजना शीघ्र ही वाणिज्यिक कार्यान्वयन के लिए शुरू की जाएगी.

बैंकों के पैसों पर खड़ा रियल एस्टेट

सरकार अर्थव्यवस्था को आसानी से आगे बढ़ाने के लिए बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति पर बारीक नजर रखे हुए है. सरकार बैंकों पर गैर निष्पादित संपत्ति को कम करने पर जोर दे रही है और साथ ही, उस ने बैंकों को कुछ क्षेत्रों के लिए ऋण देने में कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में बैंक द्विविधा की स्थिति में हैं. बैंकों का पैसा छोटे और सामान्य कारोबारियों अथवा जनसामान्य के पास नहीं है बल्कि बैंकों का पैसा रियल एस्टेट में फंसा हुआ है. इस क्षेत्र में उन के करीब 62 हजार करोड़ रुपए फंसे हुए हैं.

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के हवाले से आई खबरों के अनुसार, डैवलपरों ने बड़ीबड़ी अट्टालिकाएं खड़ी तो कर दी हैं लेकिन उन्हें ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. क्रिसिल ने एक अध्ययन कराया है जिस में 25 शीर्ष भवन निर्माताओं को शामिल किया गया है. इन निर्माताओं का रियलिटी क्षेत्र के 95 फीसदी कारोबार पर कब्जा है.

अध्ययन में कहा गया है कि इस क्षेत्र पर बैंकों का 61,500 करोड़ रुपए का कर्ज शेष पड़ा हुआ है. बिल्डरों ने भवन तो खड़े कर लिए हैं लेकिन उन्हें ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. उन का कहना है कि एक बहुमंजिला भवन खड़ा करने में करीब 5 साल का वक्त लगता है लेकिन मंदी के कारण उन्हें ग्राहक मिलने पर लगभग इतना ही समय और लग रहा है.

इस से बिल्डरों को बैंकों का कर्ज लौटाने में दिक्कत हो रही है. भुगतान में देरी होगी तो उस का ब्याज उसी दर से बढ़ता रहेगा, जिस से बिल्डरों को नुकसान होगा. लेकिन यह भी तय है कि बिल्डर ने 5 साल पहले जिस दर पर भवन बनाया था उस से कई गुना ज्यादा दर पर वह उस भवन को बेचेगा, इसलिए नुकसान नहीं है.

जीवन की मुसकान

मेरे दोनों बेटों को वायरल हो गया था. इसी बीच, मेरे पति को भी वायरल हो गया. उन्हें बहुत तेज बुखार के साथ इतनी कमजोरी आ गई कि वे ठीक से उठबैठ भी नहीं पा रहे थे. उन्हें डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने कहा कि उन्हें फौरन ऐडमिट करवाना पड़ेगा. हम घर वापस आ गए.

दोनों बच्चे बीमार थे, उन्हें देखूं या पति को देखूं. इतने में एक रिश्तेदार डाक्टर का ध्यान आया. उन का नर्सिंगहोम भी है. फोन करने पर वे घर आ गए. उन्होंने भी फौरन ऐडमिट करवाने के लिए कहा. उन से जब मैं ने कहा कि दोनों बच्चे बिस्तर पर हैं. उन्हें कैसे ऐडमिट करवाऊं? आप कुछ दवा दे दें तो…उन्होंने बड़ी रुखाई से जवाब दिया कि या तो बच्चों को देख लो या पति को बचा लो. यह कह कर वे वापस चले गए.

मैं बहुत परेशान थी कि क्या करूं. इतने में एक पड़ोसी आए और वे हमें एक पास के ही नर्सिंगहोम में ले गए. डाक्टर ने मेरे पति को चैक किया. पड़ोसी मेरी स्थिति को देख व सुन कर बहुत विनम्रता से बोले, ‘‘भाभीजी, आप गुप्ताजी को हमारे पास सिर्फ 24 घंटे के लिए छोड़ दीजिए. आप को कुछ नहीं करना पड़ेगा. आप आराम से बच्चों की देखभाल कीजिए. मेरी नर्सें गुप्ताजी की देखभाल कर लेंगी.’’

उन की नम्रताभरी बात मेरे दिल को छू गई और मैं ने अपने पति को निश्चिंत हो कर ऐडमिट करवा दिया. वे 24 घंटे में काफी स्वस्थ हो गए थे.

– आशा गुप्ता, जयपुर (राज.)

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मैं जहां भी जाता हूं, अपना बैग साथ ले कर जाता हूं. मैं उस में आवश्यकता की हर चीज रखता हूं, जैसे-वोटर कार्ड, राशन कार्ड, लाइसैंस कार्ड, आधार कार्ड आदि. कई लोगों ने मुझे टोका भी कि इतनी चीजें एकसाथ नहीं रखनी चाहिए. बस, समझदारी यही की कि उन सब चीजों को मैं हमेशा बैग की गुप्त जेब में ही रखता था जोकि मैं ने बनवा रखी थी.

एक शाम सब्जी मंडी की पार्किंग में बाइक खड़ी कर के मैं मंडी में गया. बैग साथ लेना जरूरी नहीं समझा. बाइक में ही छोड़ गया. यह मेरी भूल थी. जब वापस आया तो देखा कि बैग गायब था. मेरे होश उड़ गए. चारों ओर ढूंढ़ा, पूछताछ की पर बैग नहीं मिला. उस में जरूरी कागजात तो नहीं थे पर जरूरी कार्ड थे. बैग पर मेरा नाम, पता था पर चुराने वाले से वापसी की उम्मीद नहीं थी.

काफी खोजबीन के बाद मैं मंडी के पिछवाड़े गया जहां लोग बेकार की चीजें फेंकते थे. बैग वहां फटा हुआ मिला. मैं उस ओर लपका, उसे खोला, गुप्त जेब खंगाली. मेरे सभी कार्ड सुरक्षित मिल गए.

– अनिल कुमार झा, बूंदी (राज.)

मुझ को मधुमास मिले

तेरे श्रीमुख से फूल झरे

फूलों से आंगन महका

मन शीतल करती सुवास

आधार यही जीवन का

फूलों से कुछ रस ले कर

बैठा हूं मैं मधु रच कर

मेरे जीवन की शक्ति यही

जाना न कभी मुझ को तज कर

तेरे अधरों पर जब हास खिले

तब मुझ को मधुमास मिले

तुम छीनना न ये उत्सव

मेरा न कभी विश्वास हिले

प्रियंवदे! प्रियंवदे!!

पाठकों की समस्याएं

मैं 28 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 1 वर्ष हुआ है. समस्या यह है कि मुझे सैक्स संबंध बनाने से डर लगता है. पति मेरी समस्या को समझते हैं और मेरे साथ सहयोग करते हैं. मैं जानती हूं कि यह गलत है पर न जाने क्यों मुझे सैक्स के दौरान होने वाले दर्द से डर लगता है. क्या यह सेफ सैक्स होगा? कहीं ज्यादा ब्लीडिंग तो नहीं होगी? जैसे डर की वजह से मैं पति के साथ सैक्स संबंध बनाने से डरती हूं. क्या मेरा यह डर बेवजह है? समस्या का समाधान करें.

आप की जैसी समस्या कई महिलाओं को होती है. कई महिलाओं में यह डर दर्द का, किसी को अधिक ब्लीडिंग का तो किसी को अन्य किसी तरह की तकलीफ होने की शंका का होता है. इस के अलावा कई महिलाओं को उत्तेजना भी नहीं होती. वहीं कुछ महिलाएं अपने प्राइवेट पार्ट के प्रति इतनी इनसिक्योर होती हैं कि संक्रमण से डरती हैं. लेकिन ये सभी डर समय के साथ समाप्त हो जाते हैं.

जहां तक सैक्स संबंध बनाते समय दर्द की बात है, वह वेजाइनल व पेनिस की ड्राइनैस की वजह से होता है. इस से बचने के लिए सैक्स संबंध बनाने से पूर्व फोरप्ले करें. आप अपने मन में पहले से सैक्स के प्रति बैठे मिथकों को दूर करें. इस के लिए चाहें तो सैक्स काउंसलर से भी मिलें. सैक्स संबंध एक नैचुरल प्रक्रिया है, इसे बिना किसी भ्रांति के, बिना डरे एंजौय करें. कई बार इस का कारण बचपन में किसी परिचित या अपरिचित की कोई कुचेष्टा भी होती है जिस से मन में डर बैठ जाता है.

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मैं 32 वर्षीय विवाहित महिला हूं, 4 माह की गर्भावस्था है. पति चाहते हैं कि हम इस दौरान भी सैक्स संबंध बनाएं. मैं डरती हूं. क्या इस दौरान संबंध बनाना उचित होगा? कहीं इस से होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर तो कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा? गर्भावस्था के दौरान अगर सैक्स संबंध बनाने हों तो किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जानकारी दें.

आम महिला की तरह गर्भावस्था में सैक्स से जुड़ा आप का डर वाजिब है. अधिकांश माएं इस दौरान सैक्स संबंध बनाने से डरती हैं क्योंकि उन्हें लगता है इस से उन के होने वाले शिशु को नुकसान हो सकता है. कुछ स्थितियों को छोड़ कर आप गर्भावस्था के दौरान सैक्स कर सकते हैं. अगर आप को पेट में किसी प्रकार का दर्द या ऐंठन हो, पहले कभी गर्भपात हुआ हो, पहले कभी प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई हो या योनि से अधिक रक्तस्राव होने आदि स्थिति में सैक्स न करें.

अगर थकावट या चक्कर आने जैसी स्थिति महसूस हो तो भी सैक्स न करें. सामान्यतया डाक्टर गर्भावस्था के प्रारंभिक 2 महीने और गर्भावस्था के अंतिम 1 महीने में सैक्स से दूर रहने की सलाह देते हैं. लेकिन अगर शिशु व मां पूरी तरह स्वस्थ हैं तो चिकित्सक से सलाह ले कर सही सैक्स पोजीशन अपनाकर सैक्स संबंध बनाए जा सकते हैं.

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मैं 18 वर्षीय कालेज में पढ़ने वाली छात्रा हूं. पिछले दिनों फेसबुक पर मेरी दोस्ती एक लड़के से हुई. शुरूशुरू में हम दोनों के बीच औपचारिक बात होती थी, बाद में हमारे बीच खुल कर बात होने लगी. हम दोनों जब भी खाली होते, चैटिंग करते. मुझे उस से बात करना अच्छा लगता था. लेकिन अचानक उस लड़के ने मुझ से चैटिंग करनी बंद कर दी. मैं ने जानने की कोशिश की तो उस ने कोई वाजिब जवाब नहीं दिया. मुझे उस का यह व्यवहार अजीब लगा. फिर अचानक उस ने बात करनी शुरू कर दी है. मैं तय नहीं कर पा रही हूं कि उस से बातचीत जारी रखूं या उस से नाता तोड़ लूं. मैं उसे खोना भी नहीं चाहती और उस के व्यवहार के कारण दुखी भी नहीं होना चाहती. क्या करूं, सलाह दीजिए.

अगर वह लड़का आप के पूछने के बाद भी आप से बात न करने, दूरी बनाने का कारण नहीं बताना चाहता तो आप जबरदस्ती न करें. दरअसल, फेसबुक पर होने वाली चैटिंग मात्र आकर्षण है जिसे अधिकांश युवा प्यार समझने की भूल कर बैठते हैं और उस के पीछे अपने वास्तविक लक्ष्य से भटक जाते हैं. वह लड़का आप की भावनाओं से खेल रहा है, आप के साथ टाइमपास कर रहा है. आप उस से बात करना बंद कर दें. शुरुआती दौर में यह आप के लिए थोड़ा कठिन होगा लेकिन धीरेधीरे आप उसे भूल जाएंगी. आप जितनी जल्दी उस से दूरी बना लेंगी, आप के लिए अच्छा होगा. इस समय आप के लिए फेसबुक से ज्यादा जरूरी आप का कैरियर है, उस ओर ध्यान दें. इसी में आप की भलाई है.

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मैं और मेरा बौयफ्रैंड एकदूसरे को बेहद प्यार करते हैं और विवाह करना चाहते हैं लेकिन हमारे परिवार वाले मांगलिक दोष को ले कर विवाह में समस्या पैदा कर रहे हैं. कृपया इस दोष का कोई समाधान बताएं. हालांकि हम दोनों इन बातों में विश्वास नहीं करते हैं लेकिन घर वालों को कैसे समझाएं? उपाय बताएं.

वैवाहिक मामलों में मांगलिक दोष जैसी अड़चनें पंडितपुजारियों द्वारा अपने स्वार्थ के लिए गढ़ी जाती हैं. कई बार तो परिवार वाले जिस रिश्ते के लिए राजी नहीं होते, उस के लिए वे पंडितों से कहलवा कर रिश्ते जुड़ने में इस तरह से अड़चनें पैदा करते हैं. ये सब पंडितों द्वारा लोगों को गुमराह कर के पैसा ऐंठने का जरिया मात्र है. विवाह की सफलता या असफलता पतिपत्नी की आपसी समझ और सामंजस्य पर निर्भर करती है न कि व्यर्थ के अंधविश्वासों पर. आप अपने घर वालों को इस सच से अवगत कराएं और बिना किसी वहम के विवाह कर के वैवाहिक जीवन की शुरुआत करें.  

भारत के खिलाफ डेविड वार्नर को मिल सकता है आराम

भारत के खिलाफ वनडे सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया के उपकप्तान डेविड वॉर्नर को आराम दिया जा सकता है. वॉर्नर की जगह टीम में शॉन मार्श को शामिल करने की खबर है.

टीम इंडिया के खिलाफ वनडे सीरीज के दौरान वॉर्नर दूसरी बार पिता बनने वाले हैं और ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें किसी भी वक्त छुट्टी लेने की छूट दे दी है. वॉर्नर की पत्नी केंडिस फॉलजोन के जनवरी के तीसरे हफ्ते में मां बनने की उम्मीद है. 29 साल के वॉर्नर इससे पहले 2014 में बच्चे के जन्म की वजह से जिम्बाब्वे का दौरा छोड़ चुके हैं.

धमाकेदार बल्लेबाज वॉर्नर की जगह मार्श को शामिल करने की खबर है. वहीं, मार्श ने पिछले 12 महीने से कोई वनडे मैच नहीं खेला है. हालांकि बांए हाथ के इस बल्लेबाज़ का पिछले 7 मैचों में औसत 76 का रहा है. अगर मार्श को मौका मिलता है, तो वो एरॉन फिंच के साथ पारी की शुरुआत कर सकते हैं.

जहां तक कप्तानी की बात है, तो वनडे क्रिकेट में जॉर्ज बेली ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी कर चुके हैं, लेकिन इस बार स्टीवन स्मिथ ही ये जिम्मेदारी निभाएंगे और जॉर्ज बेली को नंबर चार पर बल्लेबाजी करने को कहा जा सकता है.

स्मिथ पिछले 18 महीने से लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं. भारत के खिलाफ अहम सीरीज होने की वजह से उन्हें आराम मिलना मुश्किल है और वो खुद सीरीज में खेलने की इच्छा क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को जता चुके हैं. स्मिथ को बिग बैश लीग के दो मैचों में आराम दिया गया था.

हम आजाद हैं

हम आजाद हैं

कहीं भी जा सकते हैं

कुछ भी कर सकते हैं

कहीं भी थूक सकते हैं

कुछ भी फेंक सकते हैं

हम आजाद हैं

घर का कूड़ा छत पर से

किसी पर भी फेंक सकते हैं

गंगा की सफाई योजना की

कर के सफाई

हम किसी भी पवित्र नदी में

घर की गंदगी बहा सकते हैं

अरे, कहां रहते हैं आप?

यह इंडिया है

यहां जितने कानून बनते हैं

उतने ही विकल्प खुलते हैं

कानून तोड़ने के बहाने बनते हैं

नएनए तरीके बनते हैं

अरे, हम आजाद हैं

आजादीपसंद है नियति हमारी

पड़ोसी के दरवाजे पर

अपना कूड़ा फेंकने को

आजाद हैं हम

अपने स्पीकर

कानफोड़ू संगीत लगा कर

महल्ले वालों को चौबीस घंटे तक

भजनकीर्तन सुना कर

आलसी जो पूजापाठ में हैं

उन्हें रातभर जगा कर

उन का उद्धार करते हैं

हां, हम आजाद हैं.

                 –  केदारनाथ ‘सविता’

 

अरुणिमा ने एवरेस्ट के बाद अब अर्जेंटीना में फहराया तिरंगा

कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट फतेह करने वाली वर्ल्ड रिकॉर्डहोल्डर पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा ने एक और नई उपलब्धि हासिल कर ली है. अरुणिमा ने एशिया के बाहर सबसे ऊंची पर्वत चोटी कही जाने वाली माउंट अकोनकागुआ पर भी पहुंचने का कीर्तिमान हासिल कर लिया है. कृत्रिम पैर के सहारे यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह दुनिया की पहली महिला बन गई हैं.

अरुणिमा ने यह कामयाबी बीते 25 दिसंबर को हासिल की है. उन्होंने 6,992 मीटर ऊंची माउंट अकोनकागुआ पर्वत चोटी पर पिछले माह 12 दिसंबर को चढ़ाई शुरू की थी और 25 दिसंबर को शाम 4:30 बजे यह उपलब्धि हासिल करके वहां तिरंगा फहरा दिया था. अरुणिमा मिशन 7 समिट के तहत अब तक दुनिया की पांच सबसे ऊंची पर्वत चोटियों पर पहुंच चुकी हैं

उन्होंने कहा, वह बची हुई दो पर्वत चोटियों पर भी जल्द ही फतेह हासिल कर लेंगी. अरुणिमा ने बताया कि एशिया के बाहर सबसे ऊंची पर्वत चोटी माने जाने वाली अकोनकागुआ पर आरोहण के दौरान उनके सहयोगी ओम प्रकाश और गाइड के तौर पर मारिया उनके साथ मौजूद थे.

आपको बता दें कि अरुणिमा ने साल 2011 में एक ट्रेन हादसे में अपना बायां पैर गंवा दिया था. इसके बाद उन्होंने सभी को चौंकाते हुए कृत्रिम पैर के सहारे 21 मई 2013 को एवरेस्ट फतेह किया था. उनकी इस उपलब्धि का सम्मान करते हुए भारत सरकार उन्हें पद्यश्री के सम्मान से नवाजा गया था.

तुम्हारे एहसास

समेट लिया है हम ने

एक टुकड़ा आसमान

एक बरसता बादल

एक ठिठुरती शाम और

सुरीली चांदनी रात

चिडि़यों की चुनचुन और

पहाड़ से झरता सुकून

रंगबिरंगे नन्हे फूल और

चीड़ों की गुपचुप सरगोशी

बल खाती लहराती सड़क और

झरने का मधुर संगीत

तुम्हारे एहसासों में

लिपटी सुबह और

तुम्हारी आगोश में

मदहोश शाम.

                   – डा. प्रिया सूफी

जिम्बाब्वे की जीत से क्रिकेट का 34 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा

नया साल जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के गेंदबाजों के लिए सौभाग्यशाली बनकर आया. एक रोमांचक मुकाबले में जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान की टीमों ने एक ऐसा रिकॉर्ड भी बना दिया, जो वनडे क्रिकेट के 34 सालों के इतिहास में कोई टीम नहीं बना सकी.

जी हां, कम स्कोर वाले इस मुकाबले में दोनों टीमों के मिलाकर कुल 18 बल्लेबाज दहाईं रन संख्या का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए. यानी मैच में 18 बल्लेबाज 10 रन भी नहीं बना सके. यह क्रिकेट के इतिहास में पहला मौका है जब 22 में से 18 बल्लेबाज 10 से कम पर आउट हुए हो.

इससे पहले साल 1981 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच मुकाबले में 17 बल्लेबाज 10 से कम रन बनाकर आउट हुए थे. पिछले सप्ताह पहली बार अंतरराट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) की वनडे रैंकिंग में शीर्ष-10 में जगह बनाने वाली अफगान टीम सिर्फ 16.1 ओवर खेल सकी और मोहम्मद शहजाद (31) दहाई का आंकड़ा पार करने वाले एकमात्र बल्लेबाज रहे. जबकि जिम्बाब्वे के 3 बल्लेबाज दहाई के आंकड़े में पहुंचे.

जिम्बाब्वे ने तीसरे वन-डे में अफगानिस्तान को 117 रन के बड़े अंतर से हराकर पांच मैचों की सीरीज में अपनी उम्मीदें कायम रखी है. टॉस जीतकर 48.3 ओवरों में मात्र 175 रन बना सकी जिम्बाब्वे के गेंदबाजों ने बेहद धारदार गेंदबाजी की और अफगानिस्तान को उनके न्यूनतम स्कोर 58 रनों पर ढेर कर दिया. जिम्बाब्वे के ल्यूक जोंगवे ने पहली बार पांच विकेट लिए जबकि नेविल मादजिवा ने तीन विकेट लेकर अफगानिस्तान को मात्र 16.1 ओवर में ऑलआउट कर दिया.

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