मेरे दोनों बेटों को वायरल हो गया था. इसी बीच, मेरे पति को भी वायरल हो गया. उन्हें बहुत तेज बुखार के साथ इतनी कमजोरी आ गई कि वे ठीक से उठबैठ भी नहीं पा रहे थे. उन्हें डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने कहा कि उन्हें फौरन ऐडमिट करवाना पड़ेगा. हम घर वापस आ गए.

दोनों बच्चे बीमार थे, उन्हें देखूं या पति को देखूं. इतने में एक रिश्तेदार डाक्टर का ध्यान आया. उन का नर्सिंगहोम भी है. फोन करने पर वे घर आ गए. उन्होंने भी फौरन ऐडमिट करवाने के लिए कहा. उन से जब मैं ने कहा कि दोनों बच्चे बिस्तर पर हैं. उन्हें कैसे ऐडमिट करवाऊं? आप कुछ दवा दे दें तो...उन्होंने बड़ी रुखाई से जवाब दिया कि या तो बच्चों को देख लो या पति को बचा लो. यह कह कर वे वापस चले गए.

मैं बहुत परेशान थी कि क्या करूं. इतने में एक पड़ोसी आए और वे हमें एक पास के ही नर्सिंगहोम में ले गए. डाक्टर ने मेरे पति को चैक किया. पड़ोसी मेरी स्थिति को देख व सुन कर बहुत विनम्रता से बोले, ‘‘भाभीजी, आप गुप्ताजी को हमारे पास सिर्फ 24 घंटे के लिए छोड़ दीजिए. आप को कुछ नहीं करना पड़ेगा. आप आराम से बच्चों की देखभाल कीजिए. मेरी नर्सें गुप्ताजी की देखभाल कर लेंगी.’’

उन की नम्रताभरी बात मेरे दिल को छू गई और मैं ने अपने पति को निश्चिंत हो कर ऐडमिट करवा दिया. वे 24 घंटे में काफी स्वस्थ हो गए थे.

- आशा गुप्ता, जयपुर (राज.)

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मैं जहां भी जाता हूं, अपना बैग साथ ले कर जाता हूं. मैं उस में आवश्यकता की हर चीज रखता हूं, जैसे-वोटर कार्ड, राशन कार्ड, लाइसैंस कार्ड, आधार कार्ड आदि. कई लोगों ने मुझे टोका भी कि इतनी चीजें एकसाथ नहीं रखनी चाहिए. बस, समझदारी यही की कि उन सब चीजों को मैं हमेशा बैग की गुप्त जेब में ही रखता था जोकि मैं ने बनवा रखी थी.

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