समेट लिया है हम ने

एक टुकड़ा आसमान

एक बरसता बादल

एक ठिठुरती शाम और

सुरीली चांदनी रात

चिडि़यों की चुनचुन और

पहाड़ से झरता सुकून

रंगबिरंगे नन्हे फूल और

चीड़ों की गुपचुप सरगोशी

बल खाती लहराती सड़क और

झरने का मधुर संगीत

तुम्हारे एहसासों में

लिपटी सुबह और

तुम्हारी आगोश में

मदहोश शाम.

                   - डा. प्रिया सूफी

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