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मुनरो ने बनाया टी-20 का दूसरा सबसे तेज अर्धशतक

न्यूजीलैंड के कॉलिन मुनरो टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने देश के लिए सबसे तेज अर्धशतक लगाने वाले बल्लेबाज बन गए हैं. वैश्विक सूची में युवराज सिंह के बाद मनरो का दूसरा स्थान है. मुनरो ने रविवार को श्रीलंका के खिलाफ 14 गेंदों पर 50 रन पूरे किए. उनकी पारी में एक चौका और सात छक्के शामिल हैं. इससे पहले न्यूजीलैंड की ओर से सबसे तेज अर्धशतक का रिकॉर्ड मार्टिन गुपटिल के नाम था, जो उन्होंने रविवार को ही 19 गेंदों में बनाया था.

मुनरो से अधिक तेजी से सिर्फ युवराज सिंह ने अर्धशतक लगाया है. युवराज ने 2007 में डरबन में इंग्लैंड के खिलाफ 12 गेंदों पर अर्धशतक पूरा किया था. उस मैच में युवराज ने इंग्लिश गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के लगाए थे. टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में तीसरा सबसे तेज अर्धशतक आयरलैंड के पॉल स्टर्लिंग के नाम है. स्टर्लिंग ने साल 2012 में अफगानिस्तान के खिलाफ दुबई में 17 गेंदों पर अर्धशतक लगाया था.

युवराज ने टी-20 क्रिकेट के इतिहास में सबसे तेज अर्धशतक लगाया है. इस क्रम में मुनरो सातवें स्थान पर खिसक जाते हैं. दूसरे स्थान पर इंग्लैंड के मार्कस ट्रेस्कोथिक हैं, जिन्होंने 2010 में सोमरसेट के लिए खेलते हुए हैम्पशायर के खिलाफ 13 गेंदों पर अर्धशतक लगाया था. इसके बाद इमरान नजीर, जीएल ब्रोफी, के. नोएमा बार्नेट और केरन पोलार्ड ने अपनी-अपनी टीमों के लिए घरेलू मैचों में 14 गेंदों पर अर्धशतक लगाए हैं. ये अंतर्राष्ट्रीय शतक नहीं हैं.

पठानकोट अटैक के बाद अब कहां होगी ‘ज़ुबान’ की शूटिंग

मसान फिल्म से फिल्म जगत में पदार्पण कर चुके अभिनेता विक्की कौशल फिल्म ज़ुबान में अहम किरदार निभाते हुए नजर आयेंगे. ज़ुबान फिल्म के कुछ पैच दृश्यों की शूटिंग इस ठंड के मौसम में पठानकोट में की जानी थी, पर पठानकोट अटैक के चलते फिल्म जुबान के निर्माता अब दूजे लोकेशन की तलाश में है.

फिल्म की 70 प्रतिशत शूटिंग पठानकोट में ही हुई है, फिल्म के निर्माता चाहते थे की फिल्म का कुछ पेच वर्क जनवरी की ठंड में किया जाए. ​यूनिट के सूत्रों के अनुसार " फिल्म जुबान की शूटिंग ज्यादातर पठानकोट में मई में हुई है, पर  कुछ सीन की शूटिंग बाकी थी, क्यूंकि वह जनवरी में ठंड के महीने में फिल्माना था.

यह फिल्म एक म्यूजिकल ड्रामा से भरपूर है. फिल्म की टीम फिल्म की शूटिंग जनवरी के शुरुआत में ही करना चाहती थी पर दुर्भाग्यवश पठानकोट में अटैक हो गया , इसके चलते दूसरे लोकेशन की तलाश है. ज़ुबान फिल्म के निर्देशक मोज़ेज़ सिंह कहते है "​ फिल्म ने पहले ही अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में अपनी एक खास जगह बनायीं है, मुझे दिल से बुरा लग रहा है की देश के बहादुर जवानो को अपनी जान देनी पड़ी. मुझे पता है पठानकोट धरती पर स्वर्ग है , में चाहता हूं की फिर से वहां शूटिंग करूं , पर कड़ी सुरक्षा और हालात  देखते हुए वह शूटिंग नहीं होगी, इसी लिए फिल्म का जो पैच वर्क पठानकोट में करना था, अब उस के लिए हम दूसरे लोकेशन के तलाश मे है.

टी20 रैंकिंग: वेस्टइंडीज टॉप पर, भारत आठवें स्थान पर

न्यूजीलैंड के हाथों ट्वेंटी-20 सीरीज में 0-2 की शिकस्त झेलने वाली श्रीलंकाई टीम को ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भी नुकसान उठाना पड़ा है और वेस्टइंडीज ने उसकी जगह ले ली है.

आईसीसी की ओर से रविवार को जारी ताजा ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में वेस्टइंडीज नंबर वन टीम बन गयी है जबकि श्रीलंका दो स्थान खिसककर तीसरे स्थान पर गिर गयी है. न्यूजीलैंड ने श्रीलंका को दो मैचों की ट्वेंटी-20 सीरीज में 2-0 से क्लीन स्वीप कर जीत हासिल की जिसका नुकसान श्रीलंका को रैंकिंग में भी हुआ. ऑस्ट्रेलिया दूसरे नंबर पर पहुंच गयी है.

वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) और खिलाड़ियों के बीच चल रहे विवाद के बीच वेस्टइंडीज के लिए काफी समय बाद अच्छी खबर यह आयी कि उसे नंबर वन ट्वेंटी-20 टीम बनने का मौका मिला. हालांकि ट्वेंटी-20 फॉर्मेट में वेस्टइंडीज का प्रदर्शन बेहतर रहा है और उसने वर्ष 2012 का ट्वेंटी-20 विश्वकप जीता था. इसके अलावा वह 2014 ट्वेंटी-20 विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंचने में भी कामयाब हुई थी.

वर्ष 2014 का ट्वेंटी-20 विश्वकप जीतने वाली टीम श्रीलंका तीसरे जबकि ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है. इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड क्रमश: चौथे, पांचवे और छठे स्थान पर है. पाकिस्तान सातवें जबकि इस वर्ष ट्वेंटी-20 विश्वकप का मेजबान भारत आठवें स्थान पर है.

कुछ इस तरह बनेगा अब हर घर डिजाइनर

घर ही एक ऐसी जगह होती है जहां हर व्यक्ति अपनी सारी चिंताओं, परेशानियों को भूल कर कुछ पल सुकून के गुजारता है. पर घर में सुकून के पल तभी मिलेंगे जब आप का घर सुविधाजनक और डिजाइनर होगा. काली कट के डिजाइनर और वास्तुकार सिंधु कृष्णा कुमार कहते हैं, ‘‘आज हर घर डिजाइनर घर है. घर में डिजाइनर फैक्टर असली हीरो है.’’

ईकोफ्रैंडली घर का क्रेज

केरल हमेशा ईकोफ्रैंडली आर्किटैक्चर के लिए आगे रहा है पर कुछ समय से ईकोफ्रैंडली आर्किटैक्चर को पीछे रख कर वैस्टर्न स्टाइल के आर्किटैक्चर की नकल की जाने लगी है. साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है कि ऐसी संरचनाओं का निर्माण करने से जमीन पर असर न पड़े. बहुत से लोग तो आजकल पुराने व नए जमाने के स्टाइल के फ्यूजन वाले घर बनवा रहे हैं. मगर सब से जरूरी और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आजकल बहुत से लोग विशेषरूप से ऐसे घरों में पैसा लगाना चाहते हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित हों.

कोचीन के वास्तुकार शिंटो वर्गीस कहते हैं कि अब समकालीन शैली केरल पहुंच गई है. यह शैली समय और पैसा बचाने में काफी प्रभावी है. अब यूरोपियन निर्माण शैली में भी केरल एनआरआई संख्या की वजह से काफी आगे है.

जिन डिजाइनों में अधिक ऊर्जा की बचत का विकल्प होता है और जो ईकोफ्रैंडली सामग्री से बने होते हैं, उन का चलन अधिक है. इस बात को मानना होगा कि किसी भी सोसाइटी का आर्किटैक्चर वहां के सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक प्रभावों को दर्शाता है. केरल में एनआरआई का पैसा ही वहां स्टाइल्स का निर्धारण कर रहा है.

अंधविश्वासमुक्त घर

आजकल कुछ लोग 100 वर्गफुट में भी रह कर खुश हैं, क्योंकि उन्हें उसी में मौडर्न समय की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. ऐसे घर भी भारत में बहुत लोकप्रिय होते जा रहे हैं.

शिंटो वर्गीस कहते हैं कि आजकल कुछ लोग घर बनवाते समय वास्तु पर भी ध्यान देने लगे हैं. वास्तु का पागलपन इतना अधिक बढ़ गया है कि धर्म के पागलपन से भी आगे निकल गया है. लोग इस पर आंख मूंद कर विश्वास कर रहे हैं. अब यह भी एक तरह से अंधविश्वास बनता जा रहा है. इस तरह के खोखले अंधविश्वासों पर यकीन करने की बजाय घर को सुंदर व सुविधाजनक बनाने में ही समझदारी है. आजकल ईकोफ्रैंडली व ऐनर्जी फ्रैंडली घरों की लोकप्रियता दोबारा बढ़ने लगी है. रेनवाटर, हार्वैस्ट स्ट्रक्चर, सोलर, वाटर हीटर सिस्टम व ऐसी खिड़कियां जिन से अधिक से अधिक सूर्य की रोशनी अंदर आ सके, ऐसी तकनीकों पर आजकल के डिजाइनर जोर दे रहे हैं.

लिव इन पार्टनर संपत्ति का हकदार हो या नहीं

हाल ही में अदालतों में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे लोगों द्वारा कानूनन संपत्ति का अधिकार पाने की वकालत शुरू हुई है तथा कुछ को इस में सफलता भी मिली है. अदालतों का रुख इस पर नर्म होने लगा है. ऐसा लगता है कि कुछ परिस्थितियों में यह मांग सही रही होगी तभी अदालतों ने ऐसे फैसले दिए. पर इस के कुछ और पहलू भी विचारणीय हैं. पूरे समाज के परिपे्रक्ष्य में कानून में आने वाला यह बदलाव समाज में अलग प्रकार की उलझनें खड़ी कर सकता है.

शादी और सहजीवन में अंतर

शादी और सहजीवन में प्रमुख अंतर कर्तव्यों को स्वीकार या अस्वीकार करना है. शादी स्वयं के लिए कर्तव्य निश्चित करने का ही दूसरा नाम है और अधिकार कर्तव्य निर्वहन के बाद ही मिलते हैं. शायद इसीलिए हिंदी में ‘कर्तव्य और अधिकार एक ही सिक्के के 2 पहलू हैं’ और अंगरेजी में ‘ड्यूटीज ऐंड राइट्स गोज टुगैदर’ प्रसिद्ध कहावतें हैं.

विवाह की कानूनी परिभाषा भले ही एक स्त्री तथा एक पुरुष के दैहिक संबंधों तक सीमित हो, लेकिन धर्म तथा समाज के अनुसार एकदूसरे को दैहिक सुख प्रदान करना ही वैवाहिक दायित्व की इतिश्री नहीं है. शादी का अर्थ ही है कमिटमैंट या वादा. इस से जुड़े कानूनी अधिकार धर्म द्वारा इस रिश्ते को दिए गए अधिकारों के ही रूप हैं जो इस वादे के कारण ही वजूद में लाए गए हैं और यह वादा पूरे परिवार को भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करने का होता है. प्राय: एक के जीवित न रहने के बाद दूसरा उस के दायित्वों का वहन भी करता है और संपत्ति का अधिकारी भी होता है.

भारतीय संस्कृति में विवाह को एक पुनीत आश्रम में प्रवेश इसलिए माना गया है, क्योंकि यहां 2 परिवारों का मिलन होता है. विवाह के जरीए पतिपत्नी एकदूसरे के परिवार से जुड़ते हैं. हालांकि उन में आरंभ में कुछ वैचारिक या अहंजनित टकराव होते हैं, पर कुछ समय उपरांत रस्मोरिवाज के माध्यम से या एकदूसरे का मान रखने के लिए ऊपरी मन से अपने पति या पत्नी के संबंधियों से निभाते हुए अधिकतर लोगों में लगाव पनप ही जाता है. कर्तव्य को ऊपरी मन से निभाते हुए धीरेधीरे स्नेह पनपने की यह प्रक्रिया ही हमारी संस्कृति की आधारशिला है, जिसे नकारना ही सहजीवन का विकल्प चुनने का प्रमुख उद्देश्य है. प्यार का अर्थ है इनसान को उस की अच्छाइयों और कमजोरियों के साथ अपनाना और शादी का अर्थ है इनसान को उस के संबंधियों के साथ अपनाना. इसीलिए वैदिक समाज में पत्नी को पति की अर्धांगिनी कहा गया तथा उस का पति के दायित्वों के साथ उस की संपत्ति पर भी समान रूप से अधिकार सुनिश्चित किया गया.

समय के साथ जब धर्म का स्थान कानून ने लिया तथा पंचायतों का अदालतों ने तो वैदिक समाज के यही नियमकानून आधारशिला बने. समय का चक्र गतिमान रहा तथा मानव क्रमश: चतुर तथा आत्मकेंद्रित होता गया. इस से जन्म हुआ उन विकल्पों का जिन में कर्तव्य तथा समझौतेरूपी बंधन न्यूनतम हों. इस के कारण पहले संयुक्त परिवार का परंपरागत ढांचा टूटा, फिर दांपत्य जीवन का जिस से सहजीवन नाम का विकल्प सामने आया. लेकिन देखा गया है कि कर्तव्यविहीन तथा बंधनमुक्त जीवन को रसपूर्वक जीने वाले उम्र के अवसान में स्वयं को एकाकी तथा असुरक्षित पाते हैं. ऐसे में कुछ ने जीविकोपार्जन के लिए अदालतों के दरवाजे खटखटाए होंगे. कुछ का सिर्फ लंबे अरसे तक एक व्यक्ति से एकनिष्ठता के साथ जुड़े रहने से अधिकार भाव पनप गया होगा. पर मुख्य तथ्य यह है कि भारतीय समाज में केवल दैहिक सुख वैवाहिक व्यवस्था का आधार नहीं है. ऐसे में  लंबे अरसे तक केवल दैहिक एकनिष्ठता के कारण संपत्ति का अधिकार मिल जाना क्या वैवाहिक कर्तव्यों में बंधने की सोच को हतोत्साहित नहीं करेगा?

सिक्के का दूसरा पहलू

किंतु इस सिक्के का एक और पहलू विचारणीय है. समय के साथ स्त्रियों ने भी हर प्रकार के व्यवसाय में अपनी पहुंच बनाई है. उन्हें इस का अधिकार भी है और यह पूरे समाज के लिए गौरव का विषय भी है. कुछ व्यवसाय या जीवन ऐसे होते हैं जहां गृहस्थी के बंधन की कोई गुंजाइश नहीं होती, तो कुछ जनून ऐसे होते हैं, जिन के लिए रिश्तों की तरफ से बंधनमुक्त या दायित्वहीन जीवन आवश्यक है. तो क्या इस प्रकार का जीवन चुनने वालों को विपरीत लिंग के साहचर्य की नैसर्गिक चाह रखने का अधिकार नहीं है? बिलकुल है. सामाजिक संरचना एवं विचारधाराएं सतत परिवर्तनशील हैं. युवाओं का बंधनहीन जीवन के प्रति आकर्षण युग परिवर्तन का एक लक्षण है, जिसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. इसलिए समाज में इस का स्वागत आवश्यक होना चाहिए.

किंतु इसे कानूनी अधिकार दे देना इनसान को कर्तव्यहीन जीवन के लिए प्रेरित कर सकता है. यदि कोई जोड़ा स्वेच्छा से बंधनमुक्त जीवन जीता है तो आज नहीं तो कल हमारे समाज को भी पाश्चात्य समाज की तरह उसे सम्मान और अपनी शर्तों पर जीवन जीने का अधिकार देना ही होगा. लेकिन ऐसा जीवन जीने वालों को यह समझना आवश्यक है कि कर्तव्य से मुंह मोड़ने का मतलब अधिकार से वंचित होना भी है.

करोड़ों के कटारे: जनता के पैसे लुटाते नेता

जनता के पैसों का नेता कैसे कैसे बेजा इस्तेमाल करते हैं, इस की ताजा मिसाल मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे हैं, जिन के विदेश जा कर इलाज कराने के लिए पहले 55 लाख रुपए देने के बाद राज्य सरकार ने दोबारा 2 करोड़ रुपए मंजूर किए, तो राज्य में खासा बवाल मचा.

इस से यह भी साबित हुआ कि जनता का पैसा कल्याणकारी योजनाओं में कम और नेताओं के इलाज पर ज्यादा लुटाया जा रहा है. सत्तारूढ़ दल के नेता तो बड़ी बेरहमी से सरकारी खजाने को खाली करते ही हैं, पर अब कांग्रेसी भी इस दौड़ में शामिल हो गए हैं. हैरानी की बात यह है कि खुद सत्यदेव कटारे का करोड़ों का कारोबार है, फिर भी उन्होंने सरकार से पैसे क्यों मांगे और सरकार ने यह भारीभरकम रकम मंजूर क्यों कर दी?

इस सवाल को बदनाम व्यापम घोटाले से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. कभी इन्हीं सत्यदेव कटारे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर इलजाम लगाया था कि उन्होंने अपनी एक नजदीकी रिश्तेदार को व्यापम के जरीए फायदा पहुंचाया, पर एकाएक ही वे चुप हो गए, तो एक कयास यह भी लगाया गया कि कहीं यह मुंह बंद रखने की कीमत तो नहीं थी?

बवंडर मचा, तो सत्यदेव कटारे ने एक करोड़, 46 लाख रुपए चैक के जरीए सरकार को लौटा दिए, पर बचे हुए तकरीबन एक करोड़ रुपए तो खर्च कर ही डाले.

लालू और नीतीश का फार्मूला

लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने न केवल पटना की गद्दी पर कब्जा किया है, दिल्ली के सिंहासन को हिला भी दिया है. बेहद दंभी बन रहे नरेंद्र मोदी को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने का श्रेय लालू और नीतीश जोड़ी को ही जाएगा, क्योंकि इसी के बाद नरेंद्र मोदी को याद आया कि चाय पर चर्चा के लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को बुलाना भी जरूरी है और उन के मंत्रिमंडल में अनुभवी व सौम्य विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी हैं. लालू और नीतीश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी जता दिया कि अपनी आरती का गंदा धुआं ज्यादा न फैलाओ, क्योंकि धुआं चाहे हवन का हो या रसायन फैक्ट्री का, जहरीला ही होता है.

बिहार में लालू नीतीश की जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी को एहसास हो गया है कि देश में हर तरह के लोग हैं. पौराणिक युग के आदेशों की तरह देश परशुरामों, विश्वामित्रों, वशिष्ठों, कृष्णों के ईशारों पर नहीं चल सकता. जिस ने भगवा धारण कर लिया उस के मुंह से निकले शब्द जरूरी नहीं मरहम वाले हों, वे तेजाबी भी हो सकते हैं.

लालू और नीतीश को जयप्रकाश नारायण का सा सम्मान तो नहीं मिल रहा पर बिहार की जनता ने उन्हें भरपूर वोट दे कर देश को जहर से बचा लिया है और हालात में इस तरह सुधार हुआ है कि सम्मान वापसी की जो लंबी लाइन लगी थी वह नतीजों के बाद रातोंरात गायब हो गई. अब उस की जरूरत न रही क्योंकि लालूनीतीश सुनामी ने कट्टरपंथियों को देश की राजनीति की गद्दी से उछाल फेंका है.

ऐसा नहीं है कि यह परिवर्तन हमेशा के लिए है. समाज में क्रियाप्रतिक्रिया तो चलती रहती है और हजारों सालों से समाज पर शासन करने के आदी भगवाई सत्ता पर शासन करने के आए मौके को आसानी से फिसलने देंगे, ऐसा नहीं लगता. अगर जनता होशियार नहीं रही तो भगवाई अंधेरे के दिन फिर लौट सकते हैं.

इसलामी देशों ने इस बात को यानी कट्टरपंथ को नजरअंदाज किया था और आज न केवल पूरा पश्चिमी एशिया आग की लपटों में झुलस रहा है, बल्कि मुसलमान दुनियाभर में अपने स्वधर्मियों के कारण उस अपराध की कीमत चुकाने को मजबूर हो रहे हैं जो उन्होंने किए ही नहीं.

नरेंद्र मोदी की गंगा आरती, राजपथ पर योगासनों, धार्मिक प्रवचनों की तरह के भाषणों की तरह ही पश्चिम एशिया के शासक तेल के पैसे का उपयोग इसलाम के बहाने अपने लोगों पर राज कर शौर्टकट ढूंढ़ते रहे हैं. और लोकतंत्र, नई तार्किक शिक्षा, वैज्ञानिक विचारों को ठुकराते रहे हैं. इस का खमियाजा अब इराक, लीबिया, सीरिया, इजिप्ट, ईरान के साथ सऊदी अरब और कतर, तुर्की आदि को भुगतना पड़ रहा है. इसलाम के साथ इसलामी तेल भी संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है.

भारतीय आर्थिक प्रगति भगवाई धुएं से बची है तो केवल बिहार के कारण. यदि लालूनीतीश फार्मूला और जगहों में न अपनाया गया तो जहरीला धुआं लौटने में देर न लगेगी.

10 साल के गेंदबाज ने 42 रन देकर चटकाए आठ विकेट

यह पहली बार नहीं है जब मुशीर खान सुर्खियों में हो. अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले सरफराज खान के भाई मुशीर ने स्कूल मैच में सिर्फ 42 रन देकर आठ विकेट चटकाए. अंजुमन इस्लाम के लिए खेलने वाले मुशीर ने अल बरकत मलिक मोहम्मद इस्लाम के खिलाफ हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में यह कारनामा रचा.

मुशीर के शानदार प्रदर्शन के बावजूद उनकी टीम इस मैच में जीत नहीं सकी. उनकी टीम को दूसरी पारी में 178 रन के लक्ष्य का पीछा करना था, लेकिन अंजुमन की टीम 18 ओवर में चार विकेट पर 83 रन ही बना सकी और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ. 

ऑस्ट्रेलिया में धूम मचाएंगे टीम इंडिया के ये 5 धुरंधर…!

ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया को पांच वनडे मैचों की सीरीज खेलनी है. नए साल की पहली सीरीज में टीम इंडिया के कई दिग्गजों पर फैन्स से लेकर चयनकर्ताओं की नजर होगी. हम आपको टीम इंडिया के ऐसे पांच खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पिछले साल छोटे फॉर्मेट में अच्छा कर पाए, और नए साल में धूम मचाने को बेकरार हैं.

कप्तान धोनी का इम्तिहान
साल 2015 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ. धोनी की कप्तानी में पिछले साल टीम इंडिया ने एक भी वनडे सीरीज़ नहीं जीती. इस बीच खिलाड़ी के तौर पर भी फिनिशर धोनी के ऊपर सवाल उठे. उन्होंने पिछले साल खेले 20 वनडे मैचों में 45.71 की औसत से 640 रन बनाए, जिसमें कोई शतक शामिल नहीं था. अर्धशतक भी सिर्फ़ चार निकले. धोनी बैटिंग ऑर्डर में ऊपर आने पर भी अड़े रहे. अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि नए साल में वो किस नंबर पर बल्लेबाजी करते हैं. हालांकि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि टेस्ट से संन्यास लेने का उन्हें फायदा हुआ है और इससे वे वनडे में बेहतर कर पाएंगे. 

विराट की फ़ॉर्म पर नज़र
टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने बड़े फॉर्मेट में पिछले साल खूब नाम कमाया, बल्ले से रन भी निकले, लेकिन वनडे में पिछले साल नाम के मुताबिक काम नहीं कर पाए… पिछले साल 20 वनडे मैचों में विराट ने सिर्फ़ 36.64 की औसत से 623 रन बनाए, जिसमें सिर्फ़ दो शतक शामिल रहे. बैटिंग ऑर्डर की जान विराट नए साल में वनडे में बेहतर प्रदर्शन करना चाहेंगे. उनके प्रदर्शन पर टीम इंडिया बहुत निर्भर करती है.

धवन करेंगे धमाका?
शिखर धवन के सितारे गर्दिश में नज़र आ रहे हैं. कप्तान और चयनकर्ताओं का भरोसा उन पर बना हुआ है, लेकिन उनका बल्ला है जो बोलने का नाम नहीं ले रहा. पिछले साल 20 वनडे मैचों में शिखर ने सिर्फ़ 37.25 की औसत से 745 रन बनाए, जिसमें दो शतक ही शामिल रहे. विजय हजारे ट्रॉफी में भी दिल्ली के लिए शिखर कुछ खास नहीं कर पाए. नए साल में उनके प्रदर्शन पर चयनकर्ताओं की नज़र होगी.

विदेशी पिच पर अश्विन का टेस्ट
पिछले साल अश्विन ने टेस्ट मैचों में कमाल का प्रदर्शन किया, लेकिन वनडे में वो बहुत प्रभावी नहीं रहे. रैंकिंग में नंबर वन टेस्ट गेंदबाज और नंबर वन टेस्ट ऑलराउंडर अश्विन के सामने छोटे फॉर्मेट में विदेशी पिच की चुनौती है. अश्विन ने पिछले साल 13 वनडे मैच खेले और 21 विकेट लिए. टी-20 से नाम कमाकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर आने वाले अश्विन नए साल में वनडे में अगर कमाल करते हैं तो टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को पटखनी दे सकती है.

वापसी की राह पर शमी
मोहम्मद शमी ने पिछले साल वर्ल्ड कप के बाद से कोई भी अंतराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है. चोट के बाद वापसी करने वाले शमी नए साल में उसी धरती से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शुरू करेंगे, जहां पर उन्होंने छोड़ा था. शमी वर्ल्ड कप वाली लय पाने की कोशिश करेंगे. शमी अगर उसी तेज़ी से निशाना लगा पाए जैसा उन्होंने वर्ल्ड कप में किया था, तो टीम इंडिया के पास नए साल में जीत से शुरुआत करने का मौका होगा.

आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में चमके अजिंक्य रहाणे

भारत के स्टार बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे आईसीसी की ताजा टेस्ट रैंकिंग में पहली बार टॉप टेन में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. रहाणे 753 रेटिंग प्वाइंट्स के साथ टेस्ट रैंकिंग लिस्ट में भारतीय टीम की नुमाइंदगी कर रहे हैं. इस लिस्ट में भारतीय बल्लेबाजों में उनका नाम सबसे ऊपर है.

टेस्ट रैंकिंग में पहले नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के स्टीवन स्मिथ मौजूद हैं, जिनके नाम 899 रेटिंग प्वाइंट्स हैं जबकि केन विलियम्सन (न्यूज़ीलैंड) और एबी डिविलियर्स (द.अफ़्रीका) दूसरे और तीसरे नंबर पर काबिज़ हैं.

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज़ में रहाणे ने अकेले दो शतकीय पारियां खेल कर अपना रुतबा तो ऊंचा किया ही अपनी टेस्ट रैंकिंग को भी फायदा पहुंचाया. रहाणे के अलावा टॉप 20 में तीन भारतीय बल्लेबाज- कोहली (15), मुरली विजय (17) और चेतेश्वर पुजारा (18) जगह बनाने में कामयाब रहे हैं.

आईसीसी की वनडे रैंकिंग में एबी डिविलियर्स अव्वल नंबर पर मौजूद हैं. विराट कोहली दूसरे, कप्तान एमएस धोनी छठे और शिखर धवन सातवें नंबर पर काबिज़ हैं. जबकि टी20 रैंकिंग में विराट कोहली अकेले भारतीय बल्लेबाज हैं जिन्हें टॉप टेन में जगह मिली हुई है. कोहली को टी20 रैंकिंग दूसरा स्थान हासिल है.

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