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रिवर सेंटर: गंगा को दुरुस्त करने की कवायद

इस हकीकत से शायद किसी को भी परहेज  नहीं होगा कि भारत में नदियों के नाम पर नाले बहते हैं. यदि देश की सबसे बड़ी और जीवनदायिनी नदी गंगा की बात करें, तो इसमें पानी कम और कचरा ज्यादा दिखाई पड़ता है. खासतौर पर  धर्म के नाम पर तो शुद्ध अशुद्ध हर वस्तु को इसमें बहा दिया जाता है. लेकिन इसे साफ़ करने के लिए सरकार द्वारा कई कागजी घोड़े दौड़ाए जा चुके हैं मगर हल अभी तक कुछ भी नहीं निकला है.

इसी कवायद में एक बार फिर गंगा को साफ़ करने के प्रयास की कड़ी में आईआईटी कानपुर में 'रिवर साइंस' सेंटर खुलने  की चर्चा हो रही है. गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी कोऑर्डिनेटर के पद पर आईआईटी कानपुर में कार्यरत प्रो. विनोद तारे कहते हैं, 'आईआईटी कानपुर में विभिन्न नदियों को लेकर लगातार रिसर्च होती रही है. गंगा भी इनमें से एक है. यह रिवर सेंटर हमारे इन प्रयासों को और भी मजबूत बनाएगा.'

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 'नमामी गंगे' इंजीनियर्स इण्डिया लिमिटेड द्वारा जो प्रोजेक्ट चलाया जा  रहा है उसके देखरेख की जिम्मेदारी प्रो. तारे को  ही दी गयी है. इस प्रोजेक्ट द्वारा गंगा नदी में गिर रहे नालों को रोकने के लिए प्लान तैयार किया जाएगा.  वैसे गंगा की सफाई को लेकर यह कार्य पहली बार नहीं हो रहा बल्कि कई बार अलग अलग स्तर पर इसके लिए  काम  किया जा चुका है.  यदि अतीत में जाया जाए तो गंगा में प्रदूषण की शुरुआत 1932  में तब हुई, जब कमिशनर हॉकिन्स ने बनारस का एक गन्दा नाला गंगा नदी से जोड़ने के आदेश दिए थे. इसके बाद इन नालों को गंगा से जोड़ने का सिलसिला आज तक नहीं थमा है.

इसी तरह गंगा प्रदूषण मुक्ति की शुरुआत 1986 में 'गंगा कार्य योजना' से हुई. तब से अब तक गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया जा चुका है. ऐसे में इस नए सेंटर को चलने के लिए प्रतिवर्ष 9 करोड़ रुपया सरकार द्वारा आईआईटी को देने की बात हजम नहीं होती.

सेंटर करेगा यह कार्य

– सेंटर में गंगा, यमुना से लेकर अन्य नदियों की स्थितियों का मूल्यांकन होगा. 

– नदियों के फ्लो के साथ बढ़ रहे प्रदूषण समेत अन्य विषयों पर भी काम होगा. 

– अन्य तकनीकी इंस्टीट्यूट से भी इस सेंटर को जोड़ा जाएगा. 

– नदियों की साफ़ सफाई को लेकर नए नए शोध होंगे.

सियासी रंगों से सैफई में फीका पड़ा शादी का रंग

मार्च का महीना होली को होता है. होली रंगों का त्योहार है. राजनीति में नेताओं के संबंध मेल मिलाप पर भी सियासत का रंग दिखता है. उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव की शादी राजलक्ष्मी के साथ बडी धूमधम से सैफई में सम्पन्न हुई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सांसद पत्नी डिंपल यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और अमर सिंह जैसे बडे लोग शादी में शरीक हुये. मुलायम सिंह यादव अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को बहुत मान और सम्मान देते है. इटावा के सैफई गांव में हुई इस शादी की तुलना कुछ समय पहले मुलायम परिवार के तेज प्रताप यादव की शादी से की जा रही है. जिसमें इस शादी का रंग फीका दिख रहा है.

तेज प्रताप की शादी में प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर देश के बडे बडे नेताओं और अभिनेताओं को मुलायम परिवार की ओर से बुलावा भेजा गया था. सभी लोगों ने पूरा समय देकर तेज प्रताप की शादी में दावत का स्वाद लिया था. जब आदित्य यादव की शादी तय हुई और सैफई में शादी का आयोजन शुरू हुआ तो लोगों को उम्मीद थी कि एक बार फिर से प्रधनमंत्री से लेकर दूसरे प्रमुख नेता और अभिनेता सैफई आयेगे. सैफई में सियासी जमघट का जो रंग देखने को नहीं मिला, मुलायम परिवार उसकी कमी 13 मार्च को लखनऊ में पूरा करने की कोशिश में है. उस दिन जनेश्वर मिश्रा पार्क में आदित्य की शादी का रिसेप्शन दिया जा रहा है.

आदित्य की शादी उत्तर प्रदेश के विधनसभा चुनाव से पहले हुई. ऐसे में विरोधी दलों के नेताओं का शादी की दावत में शामिल होना वोट बैंक की राजनीति से मुफीद नहीं लग रहा था. आज का दौर सोशल मीडिया का दौर है, जहां हंसते मुस्कराते फोटो के वायरल होते देर नहीं लगती. लिहाजा दोनो ही तरफ से दूरी बरती गई. उत्तर प्रदेश की राजनीति में नेताओं के आपसी संबंधें को वोट बैंक से जोड कर देखने का रिवाज है. यही वजह है कि कभी समाजवादी नेता मुलायम और बहुजन समाज पार्टी नेता मायावती एक मंच पर नहीं दिखे.

मायावती के प्रति सपा नेताओं के मन में बने भाव शहद में डूबे तीर की तरह समय समय पर निकलते रहते है. सपा प्रदेश में अपना मुकाबला भाजपा के साथ ही दिखाना चाहती है, ऐसे में भाजपा के बडे नेताओं के साथ हंसीखुशी के पल बांटना नुकसानदायक न हो जाय, इसलिये सैफई में पहले जैसा माहौल नहीं दिखा. 2014 के लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव के पहले मुलायम विपक्षी दलों की धुरी बनते दिख रहे थे, वह माहौल भी बदल चुका है. इन सब सियासी रंगों ने सैफई में हुई शादी के रंग को पफीका कर दिया.

चमत्कारी चेन

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की पत्नी अमृता फड़नवीस को पुणे के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बाबा गुरुवानंद ने हवा से पकड़ कर एक चेन दी तो फड़नवीस दंपती का चैन छिन गया. इस घटना को पूरी तरह जादुई कह कर प्रचारित किया जा पाता, इस के पहले ही अंधश्रद्धा समिति ने इतना बवाल मचा दिया कि घबराई बौखलाई अमृता को यह सच बोलना पड़ा कि यह कोई चमत्कार वमत्कार नहीं था, बल्कि गुरुजी ने यह चेन उन्हें स्नेहवश दी थी.

काश, बाबा गुरुवानंद सभी सवा अरब देशवासियों से भी इतना ही स्नेह करने लगें तो दरिद्रता दूर हो जाएगी. हकीकत सभी जानते हैं कि खरबों की दौलत के मालिक गुरुवानंद जैसे आध्यात्मिक गुरु सिर्फ पैसों से प्यार करते हैं. तरस देवेंद्र फड़नवीस जैसे पतियों पर आता है जिन की पत्नियां ओझा बाबाओं के चक्कर में फंस कर पतियों के लिए मुसीबत खड़ी कर देती हैं.

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम: छिन जाएगी आंखों की रोशनी

न्नई के एक इंजीनियरिंग कालेज में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे पीयूष सिन्हा की आंखों में अचानक जलन, दर्द और काफी तेज खुजली शुरू हो गई. पहले तो वह इस की अनदेखी कर पढ़ाई में जुटा रहा, लेकिन जब उसे कंप्यूटर पर काम करने और रोशनी को देखने पर आंखों में तेज दर्द महसूस होने लगा और आंखें भी लाल हो गईं तो उस ने डाक्टर से आंखों की जांच कराई. डाक्टर ने बताया कि उसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम नामक बीमारी हो गई है.

कंप्यूटर, लैपटौप, टैबलेट या स्मार्टफोन पर ज्यादा समय तक आंखें गढ़ा कर काम करने वालों को सतर्क रहना चाहिए. लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने और आंखों को ले कर सावधानी न बरतने वालों की आंखें खराब हो सकती हैं. उन की आंखों का लुब्रिकैंट हमेशा के लिए सूख सकता है. ऐसे लोग कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं और अपनी आंखों की रोशनी गवां सकते हैं.

पटना के नेत्र निदान आई हौस्पिटल के डायरैक्टर डाक्टर राकेश कुमार का कहना है कि यह बीमारी होने पर मरीज द्वारा पलकों को झपकाना काफी कम हो जाता है, जो आंखों के लिए काफी खतरनाक है. सामान्यतया पलकें हर मिनट में 15 बार झपकती हैं लेकिन कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से पीडि़त व्यक्ति की पलकें एक मिनट में 5-7 बार ही झपक पाती हैं. इस से आंखों में जलन और भारीपन हो जाता है. इस के साथ ही आंखों का पानी (लुब्रिकैंट) कम होने से आंखें सूखीसूखी महसूस होती हैं और थकान से दर्द करने लगती हैं. इस के अलावा सिर, गरदन और कंधों में भी दर्द होने लगता है.

डाक्टर राकेश कहते हैं कि इस बीमारी की अनदेखी नहीं करनी चाहिए वरना हमेशा के लिए आंखें सूख सकती हैं. इस से देखने में दिक्कत होने लगती है और धूप या रोशनी में आंखें खोलने में तकलीफ होती है. कंप्यूटर पर रोजाना 3 घंटे से ज्यादा समय तक लगातार काम करने वाले 90% लोगों को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम होने का खतरा रहता है.

आंखों के डाक्टर शंकर नाथ का कहना है कि कंप्यूटर पर ऐंटी ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल कर इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. साथ ही कंप्यूटर की स्क्रीन को आंख के लैवल से 4-5 इंच नीचे रखना चाहिए.  स्क्रीन का कंट्रास्ट भी कम रखना चाहिए.

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने के लिए कंप्यूटर पर काम करते समय खास तरह का चश्मा पहनना चाहिए. अगर आंखों में किसी भी तरह की तकलीफ हो तो डाक्टर से सलाह लेने में देर न करें.

थोड़ी सी सावधानी रख कर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की चपेट में आने से बचा जा सकता है. कंप्यूटर या लैपटौप पर काम करते समय हर 20-25 मिनट में कंप्यूटर से नजरें हटा कर 6-7 मीटर दूर की चीजों को देखें.

30 मिनट काम करने के बाद 30 सैकंड के लिए आंखों को बंद कर आराम दें. आंखों को ज्यादा थकान महसूस हो तो पानी से आंखें धोएं.             

बचाव के उपाय

–       अपने कंप्यूटर की स्क्रीन को 20 से 26 इंच की दूरी पर रखें.

–       कंप्यूटर के मौनीटर को अपनी आंखों के लैवल से 4-5 इंच नीचे रखें.

–       कंप्यूटर की स्क्रीन को 10 से 20 डिग्री के कोण पर रखें.

–       स्क्रीन पर दिखने वाले अक्षरों को सामान्य तौर पर पढ़े जाने वाले अक्षरों के साइज से 3 गुना ज्यादा रखें.

–       मौनीटर के कंट्रास्ट को कम रखें, ताकि आंखों पर ज्यादा जोर न पड़े. हर 20 मिनट बाद 20 फुट की दूरी पर स्थित किसी चीज को 20 सैकंड तक देखें.

–       हर 30 मिनट बाद 30 सैकंड के लिए आंखों को आराम दें.

जब मैच हारने के बाद ब्रावो ने पकड़ी धोनी की कॉलर

टी20 वर्ल्ड कप का रोमांचक आगाज हो चुका है. टी20 विश्व कप के अभ्यास सत्र मैच में भारत ने वेस्टइंडीज को 45 रनों से हरा दिया और शायद इसी कारण वेस्टइंडीज के खिलाड़ी ड्वेन ब्रावो को गुस्सा आ गया और वो कप्तान धोनी का कॉलर पकड़ बैठे, वो भी सरेआम सबके सामने फील्ड में.

इससे पहले की आप अपने अक्ल के घोड़े दौड़ाये, हम बता देते हैं कि ये सब कुछ मैदान पर सिर्फ मस्ती-मजाक में हुआ, हालांकि धोनी के अजीज दोस्तों में से एक ब्रावो की इस हरकत से धोनी पहले से जागरूक नहीं थे, इसलिए जब ब्रावो ने उनका कॉलर पकड़ा, तो वो काफी सीरयस दिखे और दोनों की मस्ती की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

मालूम हो कि ब्रावो और धोनी के बीच काफी अच्छा तारतम्य है, दोनों ने आईपीएल टीम में साथ-साथ खेले हैं और दोनों एक-दूसरे की खूबियों और खामियों को बहुत अच्छे से जानते हैं.

तेरा सुरुरः कहानी और पटकथा के स्तर पर कमजोर फिल्म

हिमेश रेशमिया एक भाव शून्य चेहरे वाले कलाकार का नाम है. मगर खुद हिमेश रेशमिया इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है. सीरियल निर्माता के रूप में करियर शुरू करने वाले हिमेश रेशमिया बाद में अपने पिता संगीतकार विपिन रेशमिया के पदचिन्हों पर चलते हुए संगीतकार, फिर गायक बन गए. उसके बाद गायक से अभिनेता बने कई कलाकारों की तरह हिमेश रेशमिया ने भी अभिनय के क्षेत्र में कदम रख दिया.

‘‘तेरा सुरुर’’ से पहले वह ‘आपका सुरुर’, ‘कर्ज’, ‘कजरारे’, ‘रेडियो’, ‘दमादम’, ‘एक्सपोज’ जैसी अफसल फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. हर फिल्म में उनके भावहीन चेहरे की चर्चा होती रही है. मगर जिद्दी हिमेश रेशमिया खुद को हीरो लेकर फिल्म पर फिल्म बनाते जा रहे हैं. फिल्म ‘तेरा सुरुर’ को भी दर्शक मिलने की कोई उम्मीद नही है. मगर एक सफल व्यवसायी की तरह हिमेश रेशमिया ने फिल्म के रिलीज से एक सप्ताह पहले ही दावा करना शुरू कर दिया था कि उन्होने अपनी फिल्म बेचकर रिलीज से पहले ही लाभ कमा लिया.

106 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘तेरा सुरुर’’ की कहानी एक हत्यारे रघु (हिमेश रेशमिया) की है. उनकी प्रेमिका तारा (फरहा करीमी) ड्रग की तस्करी के आरोप में डबलिन की जेल में बंद है. जबकि असली अपराधी अनिरुद्ध रहस्य बना हुआ है. अपनी प्रेमिका तारा को बेकसूर साबित करने के लिए रघु कड़ी मेहनत कर रहा है. तारा को जेल से बाहर निकालने के लिए रघु अंततः (नसिरूद्दीन शाह) संतिनो की मदद लेता है. वह अनिरुद्ध तक पहुंचना चाहता है, पर हर बार मात खा जाता है. क्लायमेक्स में अनिरुद्ध की असलियत सामने आती है. फिल्म के दूसरे हिस्से में रघु के बचपन की कहानी भी बयां की गयी है कि वह आज जो कुछ है, उसकी वजहें क्या रही. अनिरूद्ध की असली पहचान के बारे में अनुमान लगाने के लिए कई अर्थहीन किरदार व छोटी छोटी कहानियां गढ़ी गयी हैं, जो कि फिल्म की रोचकता को विराम ही देती हैं.

हिमेश रेशमिया या निर्देश श्वान अरन्हा के इशारे पर कैमरामैन का कैमरा सिर्फ हिमेश रेशमिया के ही इर्द गिर्द ज्यादा घूमता है. पर कैमरे को प्रतिभाशाली कलाकार रूपी हिमेश रेशमिया नहीं मिलता है. फिल्म का गीत संगीत अच्छा है. लोकेशन बहुत अच्छी चुनी गयी है. कुछ एक्शन सीन अच्छे बने हैं. कैमरामैन बधाई के पात्र हैं. फिल्म की पटकथा में तमाम कमियां नजर आती हैं. यदि हिमेश रेशमिया ने इसे फिल्म की बजाय एक लंबा म्यूजिक वीडियो बनाया होता, तो शायद लोगों को वह पसंद आ जाता.

इस मसाला फिल्म में कबीर बेदी, नसिरुद्दीन शाह, शेखर कपूर जैसे दिग्गज कलाकारों की उपस्थिति भी फिल्म को बेहतर रूप नहीं दे पाती है. फिल्म का निर्माण हिमेश रेशमिया की प्रोडक्शन कंपनी ‘एच आर म्यूजिक लिमिटेड’ और ‘टीसीरीज’ ने मिलकर किया है.

मैं करीना को कभी फोन नहीं करता: अर्जुन कपूर

मशहूर फिल्म निर्माता बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर की पहचान बौलीवुड में अभिनेता की बजाय एक फिल्मी संतान के ही रूप में ज्यादा होती है, जो अपने अभिनय को सुधारने की बजाय अन्य गतिविधियों से जुड़े ज्यादा नजर आते हैं. पिछले कुछ समय से बौलीवुड में चर्चाएं गर्म है कि अर्जुन कपूर ने रात बारह बजे करीना कपूर को फोन किया, जिसे करीना कपूर के पति और अभिनेता सैफ अली खान ने उठाया और अर्जुन कपूर को डांटते हुए समझाया कि भले घर के लोग व अच्छे कलाकार किसी महिला कलाकार को रात बारह बजे फोन नहीं करते हैं.

इस घटनाक्रम को लेकर कई तरह की बातें कही व अखबारों में छापी जा चुकी हैं. मगर इस घटनाक्रम को लेकर अब तक अर्जुन कपूर चुप्पी ही साधे हुए हैं. जब हमने इस बारे में उनसे सवाल किया, तो अर्जुन कपूर ने बौलीवुड की परंपरा के अनुरूप ही इस घटनाक्रम का सारा ढीकरा मीडिया पर मढ़ते हुए कहा-‘‘यह बहुत ही बचकानी खबर है. मेरी समझ में नहीं आता कि ऐसी बेहूदगी वाली बात किसने फैलायी. जिस सीन को लेकर खबर छपी है, वह सीन हमने अक्टूबर माह में फिल्माया था. जबकि खबर फिल्म का ट्रेलर आने के बाद छपी है. आप भी जानते हैं कि सैफ अली खान ने ट्रेलर की बड़ी तारीफ की है. ट्रेलर देखकर सैफ ने मुझे खुद मैसेज किया था. इसलिए मैं खबर को पढ़कर हंसकर टाल गया था. मैं कुछ कर नहीं सकता. मैं मानकर चलता हूं कि कुछ तो लोग कहेंगे. मीडिया के पास जब कुछ भी लिखने को नही होता है, तो वह ऐसी खबरे बनाता है.’’

अर्जुन कपूर पूरे दावे के साथ कहते हैं कि उन्होंने करीना कपूर को अब तक कभी भी फोन नहीं किया. वह कहते हैं-‘‘इस मामले में मैंने सफाई देना ही ठीक नहीं समझा. अब जब आपने पूछा है, तो बता दूं कि मैंने आज तक कभी भी करीना कपूर को फोन नहीं किया. मैं हमेशा उन्हें सिर्फ मैसेज भेजता हूं. मैं सैफ अली खान की इज्जत करता हूं. आप खुद सोचिये कि मैं खुद क्यों छपवाना चाहूंगा कि सैफ अली खान मुझसे नाराज हैं.’’

अब अर्जुन कपूर के दावों में कितनी सच्चाई है यह तो करीना कपूर या सैफ अली खान ही बेहतर बता सकते हैं…!!

ग्लोबल बाबाः धर्म गुरूओं पर व्यंग्य प्रधान फिल्म

भारत में धर्म गुरूओं का सदैव बोल बाला रहा है. तमाम राजनेता इन धर्म गुरूओं के आगे नतमस्तक होते रहे हैं. ऐसे ही धर्मगुरूओं यानी कि धार्मिक बाबाओं पर  फिल्म निर्देशक मनोज तिवारी एक व्यंग फिल्म ‘‘ग्लोबल बाबा’’ लेकर आए हैं. जिसमें एक अपराधी किस तरह धर्म गुरू बनकर देश के पूरे सिस्टम व हर राजनेता को अपने इशारे पर नचाता है, उसकी दास्तान है.

फिल्म ‘‘ग्लोबल बाबा’’ की कहानी शुरू होती है एक ढाबे पर ईमानदार पुलिस अफसर जैकब (रवि किशन) और अपराधी चिलम पहलवान (अभिमन्यू सिंह) के बीच आपसी बातचीत से. जैकब ने चिलम पहलवान को रस्सी के द्वारा बंदी सा बना रखा है. कुछ देर बाद पहलवान को अहसास हो जाता है कि उसके चारों तरफ बिना वर्दी के पुलिस वाले ही हैं. चिलम पहलवान, जैकब से कहता है कि, ‘सत्ता क्या बदली उनके तेवर बदल गए.’ पहलान धमकाता है कि जैसे ही दुबारा भानुमती सत्ता में आएगी, वैसे उसके उपर से सभी आरोप रफा दफा हो जाएंगे, मगर जैकब का अस्तित्व नहीं रह जाएगा. पहलवान की बातें सुनने के बाद जैकब उसका एनकाउंटर करने के लिए जंगल में ले जाता है. जहां जैकब, पहलवान को बता देता है कि भानुमती ही चाहती है कि चिलम पहलवान को खत्म कर दिया जाए. सच जानकर चिलम के चेहरे के भाव बदलते हैं.

फिर वह पुलिस को चकमा देकर भागता है,पर पुलिस उसे पीछे से गोली मारती है. वह भागकर नदी में गिर जाता है और नदी के एक किनारे पर जा पहुंचता है, जहां कुछ साधू चरस गांजा पीने में मशगूल हैं. उनमें से एक साधू बाबा उसे बचाकर उसकी पीठ में लगी गोलियां निकाल देता है. वहीं पर नदी किनारे उसकी मुलाकात मौनी बाबा उर्फ डमरू बाबा (पंकज त्रिपाठी) से होती है.

डमरू बाबा तुतलाते हैं, इसलिए मौनी बाबा बने रहते हैं. डमरू बाबा, चिलम पहलवान को सलाह देते हैं कि वह धार्मिक बाबा बनकर हर तरह का ऐशो आराम पा सकते हैं. फिर डमरू बाबा के साथ चिलम कबीर नगर पहुंचता है. इस बीच वह नदी पार कराने वाले नाविक को अपने शरीर की सभी वस्तुएं पहनाकर उसकी हत्या कर देता है. कुछ समय बाद इसी नाविक की लाश पाकर पुलिस उसे चिलम की लाश मानकर अंतिम संस्कार कर देती है. इधर चिलम ने रूप बदलकर खुद का नाम ग्लोबल बाबा कर लिया है.

वाराणसी के पास कबीर नगर में भोला पंडित ने अपना आश्रम बना रखा है, वह कभी विधायक भी थे. डमरू बाबा, भोला पंडित (संजय मिश्रा) के साधकों को ग्लोबल बाबा के पास ले आता है. देखते ही देखते ग्लोबल बाबा का बहुत बड़ी जगह पर आलीशान महलनुमा आश्रम खड़ा हो जाता है. राज्य के गृहमंत्री डल्लू यादव (अखिलेंद्र मिश्रा) भी ग्लोबल बाबा के चंगुल में फंस जाते हैं. देश के रक्षा मंत्री भी ग्लोबल बाबा के आश्रम में कुछ दिन रहकर सेवाएं लेते हैं. ग्लोबल बाबा के आश्रम में जिस्मफरोशी, औरतों की खरीद फरोख्त सहित हर तरह के गैर कानूनी काम होते रहते हैं. राज्य में चुनाव घोषित हो जाते हैं. फिर शुरू होता है ग्लोबल बाबा और राज नेताओं के बीच का शतरंजी खेल. उधर जैकब को शक हो जाता है कि ग्लोबल बाबा ही अपराधी चिलम पहलवान है. इस खेल में टीवी पत्रकार भावना शर्मा भी बुरी तरह से फंस जाती है. अंततः ग्लोबल बाबा ऐसी चालें चलते हैं, जिसमें भावना शर्मा  को अपनी जान गंवानी पड़ती है. पर यहीं पर ग्लोबल बाबा और डमरू के बीच अनबन हो जाती है. डमरू बाबा गुस्से में ग्लोबल बाबा के अपराधों का सबूत एक पेन ड्राइव में करके पुलिस अफसर जैकब को सौंप देते है.

फिल्म में इस बात को बेहतर ढंग से रेखांकित किया गया है कि किस तरह आम लोगों के अधविश्वास व धर्म के नाम पर डरने की प्रवृत्ति के चलते नित नए धर्म गुरू उभरते रहते हैं. यह धर्म गुरू राजनेताओं के साथ मिलकर बडे़ बड़े अपराधों में लिप्त रहते हैं. फिल्म में इस बात को भी बहुत सही अंदाज में चित्रित किया गया है कि यह धार्मिक बाबा अपने समर्थकों यानी कि भीड़तंत्र के बल पर किस तरह सामांनातर सरकार चलाने लगते हैं. निर्देशक ने नेताओं द्वारा इन धार्मिक बाबाओ का चुनाव के वक्त अपने पक्ष मे उपयोग को भी सही अंदाज में पेश किया है. निर्देशक मनोज तिवारी के अनुसार यह काल्पनिक कथा है. पर फिल्म देखते समय लोगों को आसाराम बापू से लेकर स्वामी नित्यानंद तक कई धर्म गुरूओं या उनके कारनामों की याद आ जाए, तो आश्चर्य नहीं होगा.

फिल्म की विषवस्तु में कोई नवीनता नहीं है. फिल्म में ग्लोबल बाबा के नाम पर जो कुछ दिखा गया है, वैसा टीवी चैनलो व अखबारों में अक्सर पढ़ा व देखा या सुना जा चुका है. मगर फिल्म के निर्देशक मनोज तिवारी ने इस विषय को जिस तरह से परदे पर उतारा है, उससे यह रोचक व मनोरंजक फिल्म बनकर उभरती है. फिल्म के एडीटर चंदन अरोड़ा की एडीटिंग ने फिल्म को चार चांद लगा दिए हैं. अपराधी से कुटिल, चालाक, तेज तर्रार ग्लोबल बाबा के किरदार में अभिमन्यू सिंह निराश करते हैं. संजय मिश्रा के हिस्से करने के लिए कुछ खास था ही नहीं. फिल्म की नायिका व टीवी रिपोर्टर भावना शर्मा का किरदार ठीक से नहीं उभरता. भावना शर्मा के किरदार में संदीपा धर से काफी उम्मीदें थी, मगर वह पत्रकार के किरदार के साथ न्याय नहीं कर पायी. निर्देशक ने बेवजह उनके पिता की बीमारी को ज्यादा फुटेज दे दी. राज्य के गृहमंत्री व एक मंजे हुए पोलीटीशियन के किरदार में अखिलेंद्र मिश्रा उम्मीदो पर खरे नहीं उतरते हैं. यदि सभी कलाकारों ने बेहतर अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया होता, तो शायद फिल्म बाक्स आफिस पर कुछ कमाल कर जाती. वैसे भी फिल्म में ऐसा एक भी कलाकार नहीं है, जो दर्शक को सिनेमाघर के अंदर ला सके. देखना है कि कहानी व उसकी प्रस्तुतिकरण फिल्म को कितना लाभ पहुंचाती है.

फिल्म के निर्माता विजय बंसल व प्रिया बंसल, कहानीकार सूर्य कुमार उपाध्याय, पटकथा लेखक विशाल विजय कुमार, कैमरामैन देवेंद्र तिवारी व डी कानन, संगीतकार रिपुल शर्मा, अग्नेल रोमान व फैजान हुसेन हैं.

जब अपनी मां का कहना नहीं टाल पाए आमिर खान

बॉलीवुड स्टार आमिर खान कहां हैं और क्या कर रहे हैं? हर कोई यह बात जानना चाहता है, क्योंकि 'मिस्टर परफेक्टनिस्ट' ने अपनी इमेज ही कुछ ऐसी बनाई है. उनके 51वें जन्मदिन पर उनकी मां अपने बेटे को पास देखना चाहती हैं, वह उनका कहना नहीं टाल सके. फिलहाल वह 'दंगल' की शूटिंग पंजाब के जालंधर में खत्म करके अपने बेटे से मिलने लॉस ऐंजेलिस निकल गए हैं. इससे पहले आमिर ने जालंधर में खूब पसीना बहाया. कुश्ती पहलवान वाले किरदार के लिए उन्होंने कुश्ती चैंम्पियन सुशील कुमार से ट्रेनिंग भी ली.

आमिर से जुड़े एक खास सूत्र ने बताया कि आमिर को अभी करीब 30 से 40 किलोग्राम वजन घटाना होगा, ताकि वह किरदार के जवानी वाले फ्रेम में फिट बैठ सकें. आने वाले 14 मार्च को उनका 51वां हैपी बर्थडे है यानी गोल्डन के बाद डायमंड इयर में आने का पहला साल. या फिर ये कहें कि गोल्डन जुबली मनाने का समय. सूत्रों ने पुष्टि की है वह इस समय यूएस में हैं. आमिर 21 साल के बेटे जुनैद से मिलने का कोई मौका नहीं छोड़ते. जुनैद वहां फिल्म एंड एक्टिंग का कोर्स कर रहा है.

खबर है कि आमिर पेरेंट्स मीटिंग में अपने बेटे से मिलने गए हैं. कयास यह भी लगाया जा रहा है कि वह अपना जन्मदिन अपने परिवार के साथ मनाएंगे. लेकिन उनकी 80 साल की मां जीनत हुसैन का क्या! वह अपने आमिर को 14 मार्च को अपने पास देखना चाहती हैं. आमिर खान फिर पड़े ना पशोपेश में! लेकिन वह अपने जीवन में भी परफेक्शनिस्ट हैं, ये बात शायद ही कम लोगों को पता है. सूत्रों की मानें तो आमिर अपनी मां के साथ अपना जन्मदिन मनाएंगे. लेकिन कब, कैसे और किस तरह.. इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है.

राम भरोसे

आरएसएस से घोषित और अधिकृत तौर पर भाजपा में आए राम माधव की स्थिति 12वें खिलाड़ी जैसी है जो मैदान पर पानी की बोतल ले जाते वक्त ही नजर आता है लेकिन अब जरूरत पड़ी तो भाजपा ने उन्हें एक अहम काम सौंप दिया है. यह काम बड़ा ही चुनौतीपूर्ण और शायद ही हो सकने वाला है कि जम्मूकश्मीर में महबूबा मुफ्ती भाजपा के साथ गठबंधन धर्म निभाने को न्यूनतम शर्तों पर तैयार हो जाएं. पीडीपी की इस नई मुखिया को समझ आ रहा है कि अब भाजपा की उंगली थामे रखने का सीधा मतलब है बनाबनाया वोटबैंक हाथ से जाने देना. लिहाजा, वे यहांवहां की शर्तें थोप कर गठबंधन से किनारा करने की कोशिश कर रही हैं. भाजपा के लिए भागीदारी वाली इस सत्ता को छोड़ना जमीन को बंजर करने जैसी बात होगी. मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत के बाद घाटी की सियासत अब तक अधर में लटकी है तो उस की एक बड़ी वजह महबूबा की समझदारी भी है जो जल्दबाजी न दिखाते सोनिया गांधी और उमर अब्दुल्ला को भी घाटी में भाजपा के होने के खतरे का एहसास करा रही हैं वरना सारे पत्ते तो उन के हाथ में हैं ही. 

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