भारत में धर्म गुरूओं का सदैव बोल बाला रहा है. तमाम राजनेता इन धर्म गुरूओं के आगे नतमस्तक होते रहे हैं. ऐसे ही धर्मगुरूओं यानी कि धार्मिक बाबाओं पर फिल्म निर्देशक मनोज तिवारी एक व्यंग फिल्म ‘‘ग्लोबल बाबा’’ लेकर आए हैं. जिसमें एक अपराधी किस तरह धर्म गुरू बनकर देश के पूरे सिस्टम व हर राजनेता को अपने इशारे पर नचाता है, उसकी दास्तान है.
फिल्म ‘‘ग्लोबल बाबा’’ की कहानी शुरू होती है एक ढाबे पर ईमानदार पुलिस अफसर जैकब (रवि किशन) और अपराधी चिलम पहलवान (अभिमन्यू सिंह) के बीच आपसी बातचीत से. जैकब ने चिलम पहलवान को रस्सी के द्वारा बंदी सा बना रखा है. कुछ देर बाद पहलवान को अहसास हो जाता है कि उसके चारों तरफ बिना वर्दी के पुलिस वाले ही हैं. चिलम पहलवान, जैकब से कहता है कि, ‘सत्ता क्या बदली उनके तेवर बदल गए.’ पहलान धमकाता है कि जैसे ही दुबारा भानुमती सत्ता में आएगी, वैसे उसके उपर से सभी आरोप रफा दफा हो जाएंगे, मगर जैकब का अस्तित्व नहीं रह जाएगा. पहलवान की बातें सुनने के बाद जैकब उसका एनकाउंटर करने के लिए जंगल में ले जाता है. जहां जैकब, पहलवान को बता देता है कि भानुमती ही चाहती है कि चिलम पहलवान को खत्म कर दिया जाए. सच जानकर चिलम के चेहरे के भाव बदलते हैं.
फिर वह पुलिस को चकमा देकर भागता है,पर पुलिस उसे पीछे से गोली मारती है. वह भागकर नदी में गिर जाता है और नदी के एक किनारे पर जा पहुंचता है, जहां कुछ साधू चरस गांजा पीने में मशगूल हैं. उनमें से एक साधू बाबा उसे बचाकर उसकी पीठ में लगी गोलियां निकाल देता है. वहीं पर नदी किनारे उसकी मुलाकात मौनी बाबा उर्फ डमरू बाबा (पंकज त्रिपाठी) से होती है.
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