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धर्म के आगे कानून क्या चीज है

पर्यावरण के नियमों की धज्जियां, सरकारी मशीनरी का बेजा इस्तेमाल व कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखते हुए आर्ट औफ लिविंग संस्था का धार्मिक आयोजन विवादों के साथ खत्म हुआ.

श्री श्री रविशंकर की संस्था द्वारा आयोजित दिल्ली के यमुना खादर क्षेत्र में इस तथाकथित भगवा धार्मिक आयोजन में 1200 फुट लंबे व 400 फुट चौङा मंच बनाया गया था. धर्म और संस्कृति के नाम पर इस आयोजन में करोड़ों रूपए फूंके गए और जम कर यमुना नदी के किनारे गंद फैलाया गया.

वैसे धर्म ने न सिर्फ इनसानों को बांटा, पेड़ पौधे और यहां तक कि नदियों की सूरत तक बिगाड़ दी. रही सही कसर शहरी जिंदगी से निकली गंद नालों ने पूरी कर दी. दिल्ली में कालिंदी बैरेज के ऊपर से यमुना देखिए. नजारा देख कर दंग रह जाएंगे. यहां यमुना नाले जैसी दिखती है. आर्ट औफ लिविंग का कार्यक्रम इस के नजदीक ही हुआ.

यह जमीन डीडीए की है जो अभी केन्द्र सरकार यानी भाजपा के हाथों की कठपुतली है.भजभज मंडली के सिफारिश पर यह जमीन केंद्र सरकार ने बिना किसी कड़ी शर्तों पर आर्ट औफ लिविंग संस्था को दे दी, जिस के संस्थापक श्री श्री रविशंकर हैं और जो भाजपा सरकार के करीबी हैं. जो निर्माण कार्य यहां कराया गया उस के लिए केन्द्रीय पब्लिक वर्क डिपार्टमैंट से स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट भी तुरंत जारी कर दिया गया, जो कई मामलों में आसान नहीं होता. इतना ही नहीं, देश की सरहदों पर हमारी रक्षा करने वाली सेना के जवानों तक को नहीं बख्शा गया और उन से यमुना पर पुल तक बनवा लिए गए.

अतिक्रमण की शिकार दिल्ली की यमुना आज इतनी बेहाल है कि इस की मिट्टी जहरीली हो चुकी है. नदी के बगल में उग रही सब्जियों में खतरनाक कैमिकल तक पाए गए हैं, जो कैंसर जैसी बीमारी दे सकते हैं. अब कार्यक्रम के बाद लाखों लोगों द्वारा फैलाए हजारों टन गंद व कचरा यमुना के किनारे दबा दिए जाएंगे या यों ही पङे रहेंगे या फिर बारिश की पानी के साथ नदी के पानी में मिल कर उसे और जहरीला बनाएंगे.

सवाल वही है और जवाब कोरा आश्वासन ही कि यमुना साफ कम गंदी ज्यादा ही रहेगी. क्या महज धार्मिक आयोजन व नदी किनारे संध्या आरती से इस की सूरतेहाल बदल जाएगी? जिस देश की राजनीति ही जाति व धर्म पर टिकी हो, वहां कैसी उम्मीद? राजनीतिक पार्टियों को वोट चाहिए पर जो यमुना पर्यावरण को मजबूती दे, कृषि में सुधार लाए उस की कोई सुनेगा, इस में संदेह ही है. रविशंकर की संस्था ने इस आयोजन भगवा संस्कृति को कितनी मजबूती दी यह तो पता नहीं, पर इस कार्यक्रम से यह जरूर साफ हो गया कि 'जब सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का'.

दलित होकर ब्राह्मण को छूता है…

राजधानी में करोड़ों रुपए का तामझाम लगाकर पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में श्रीश्री रवि शंकर विश्व संस्कृति महोत्सव के जरिये दुनियाभर को भेदभाव मिटाकर एक साथ जोड़ने के राग अलाप रहे हैं, जबकि अपने ही देश में जातपात, धार्मिक संकीर्णता और छुआछूत के नाम पर दलितों को आज भी प्रताड़ित किया जा रहा है. रवि शंकर के इतने खर्चीले आयोजन में भारतीय संस्कृति का महिमामंडन सुनकर आप गलतफहमी न पाल लीजियेगा कि हमारे देश में सब भाईचारे से रहते हैं और किसी भी तरह के भेदभाव से दूर रहते हैं.

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि, आगरा के कयूरी गांव में एक दलित को परिवार समेत सिर्फ इसलिए पीटा गया कि उसने गलती से एक ब्राह्मण को छू लिया था. पीड़ित दलित परिवार की महिला की मानें तो उसका छोटा भाई सोनू मिठाई खरीदने एक दुकान पर गया, अनिल शर्मा नाम के दुकानदार को लेनदेन के दौरान सोनू का हाथ स्पर्श हो गया, बस फिर क्या था. खुद को ऊंची जाति और दलितों को सदियों से गुलाम और अपवित्र मानने की मानसिकता के मद में चूर अनिल को यह बात बर्दाश्त नहीं हुई कि एक दलित ने उसको छूकर अपवित्र क्यों किया, तमतमाए अनिल ने पहले सोनू की पिटाई की. सोनू ने अपने परिवार को आपबीती सुनाई. विरोधस्वरूप सोनू का परिवार अनिल के पास पहुँचा.

सोनू के परिवार का आरोप है कि इस घटना के बाद अनिल शर्मा और उसके साथ उनके घर आये परिवार की जमकर पिटाई की. इस मारपीट में एक गर्भवती महिला को भी चोटें आयीं, जिसे अस्पताल में भरती करना पड़ा.  हालांकि पुलिस इस पूरे प्रकरण को दो गुटों के बीच हुई शराब पीकर मारपीट का मामला बता रही है.

लेकिन बात जितनी सीधी दिखती है, उतनी सीधी है नहीं. इसे पहले भी देश के कोनेकोने से इस तरह की खबरें देखनेसुनने को मिलती हैं, जब गाँवकस्बो के रसूखदार ऊंची जातियों के लोग दलितों को प्रताड़ित करते हैं. किसी को नंगा करके सार्वजनिक घुमाया जाता है तो किसी को स्कूल से बेइज्जत करके भगा दिया जाता है. कहीं पर दलित महिलाओं का यौन शोषण होता है तो कई बार खबरें ऐसी भी आती है जहाँ दलित दूल्हे को घोडी पर चढ़ने नहीं दिया जाता. जैसा कि मध्य प्रदेश के रतलाम में दलित दूल्हे को हमले से बचाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस तैनात हुई. दूल्हे को हेलमेट भी पहनाया गया ताकि कोई उसे पत्थर न मार सके.

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के हरेवा में पांच दलित महिलाओं को चार घंटे तक नग्न घुमाने का शर्मनाक वाकया हुआ था. इसी तरह झांसी में हैण्डपम्प से पानी भरने को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि दबंगों ने दलित महिला व उसके परिजनों के साथ मारपीट की. रिपोर्ट्स बताती हैं कि हरियाणा लंबे समय से दलित उत्पीडन की घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रहा है. आम दलितों के अलावा अधिकारी स्तर के दलित भी उत्पीडन की घटनाओं से दोचार होते रहे हैं.

देश में छुआछूत की जडें इतनी गहरी हों तो फिर पीएम मोदी जी के बयान, 21वीं सदी एशिया की है, जिसमें भारत अगली कतार में है, के क्या माने रह जाते हैं. हम 21सदी में विश्वगुरु होने के दावे करते हैं लेकिन आज भी देश में जाति धर्म के नाम पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ न तो मजबूत कानून बना पाएं है और न उच्च जाति के उन दबंगों की मानसकिता बदल पाएं हैं, जो दलितों को प्रताड़ित करना बहादुरी और शान का काम समझते हैं.

पैसा हाथ का मैल नहीं

पैसा हाथ का मैल नहीं मेहनत का मेडल होता है. पैसे को हाथ का मैल समझ कर जिसने खर्च किया, उसका हश्र बुरा होता है. विजय माल्या और सुब्रत राय सहारा, दो बड़े नाम हैं जिनसे यह बात समझी जा सकती है. जोडतोड और दिखावे के दम पर इन दोनो ही कारोबारियों ने बहुत कम समय में अपना नाम सबसे सफल कारोबारियों की सूची में दर्ज करा लिया था. दोनो ने ही कई बीमार कंपनियों को खरीद कर इस तरह का प्रदर्शन किया जैसे कारोबार की दुनिया में सब कुछ इनके ही कदमों में ही होगा. कुछ ही सालों के अंदर यह दोनो ही कारोबारी सबसे ऊंचें पायदान से गिर कर गुम हो गये.

सुब्रत राय सहारा जेल में हैं और विजय माल्या देश छोड कर फरार हो चुके हैं.1955 में जन्में विजय माल्या को शराब का बिजनेस पिता विठ्ठल माल्या ने विरासत में दिया था.1983 में विजय माल्या ने शराब की कंपनी संभालनी शुरू की. कुछ ही दिनों में वह शराब कंपनी के सबसे बडे कारोबारी बन गये. 2005 में किंगफिशर एयरलाइंस की शुरूआत करने के बाद विजय माल्या का नाम देश के सबसे सपफल कारोबारियों में गिना जाने लगा था. 2008 में माल्या ने रेसिंग कंपनी फोर्स इंडिया शुरू की. 2008 में उनका नाम दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में 962वें नंबर पर था. 7 साल में ही विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस दिवालिया हो गई. 2012 में कई बैंको ने विजय माल्या को विलफुल डिफाल्टर घोषित कर दिया.

विजय माल्या को शोमैन बनने का बडा शौक था. वह हर साल अपनी कंपनी का एक कैलेंडर शूट कराते थे, जो पूरे देश में चर्चा का विषय होता था. नेताओं ओर अभिनेताओं से उनकी करीबी दोस्ती थी. सीधे राजनीति में जब वह सफल नहीं हुये, तो राज्यसभा के सदस्य बन गये. हर दल के बडे नेता से विजय माल्या के करीबी संबंध थे. मार्च 2016 में विजय माल्या चर्चा में तब आये जब वह चुपचाप देश छोड कर चले गये. आईडीबीआई सहित 17 बैंकों के करीब 9 हजार करोड के कर्जदार विजय माल्या विलासितापूर्ण जिदंगी जीने के आदी थे. शाहखर्ची करने में वह सबसे आगे थे. मंहगी दावत देते थे और दिखावे वाले सारे काम करते थे. कुछ इसी तरह से सुब्रत राय सहारा भी शान औ शौकत की जिदंगी जीते थे. आज देश के यह अरबपति कारोबारी सबसे बडे कर्जदार हैं.

दरअसल बिजनेस का एक सिद्वांत होता है कि पैसे को हाथ का मैल नहीं मेहनत का मेडल समझो. उतना ही खर्च करो जितना कमाते हो. कमाई से ज्यादा खर्च करना मुसीबत का कारण होता है. दिखावे के लिये जब बिजनेसमैन कर्ज लेकर खर्च करते हैं, तो एक न एक दिन उनकी नाव डूबती जरूर है. चाहे कारोबारी कितना ही बड़ा क्यो न हो? चमक दमक तभी तक साथ देती है जब तक जेब में पैसा होता है. बिजनेस में सबसे पहले लाभ को अलग किया जाये, फिर लाभ के कुछ हिस्से को खर्च किया जाये, तभी आप अमेरिका के बिल गेट्स, चीन के जियाननिल वांग, जर्मनी के बीट हेइस्टर, कार्ल अल्ब्रेक्ट, भारत के मुकेश अंबानी और रूस के लियोनिद मिखेलसन जैसे सफल कारोबारी बन सकते है.            

मेरे बेटे के दूध के दांत में कीड़ा लगा है. क्या अभी इसका इलाज सचमुच जरूरी है.

सवाल

मेरे 9 वर्षीय बेटे के दूध के दांत में कीड़ा लगा है. घर में सभी बड़ों का कहना है कि हमें अनावश्यक ही उस का इलाज कराने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. दूध का दांत है निकल ही जाना है. पर जब जब किसी कारण हम उसे बच्चों के डाक्टर के पास ले जाते हैं, तो वह हमें इस का इलाज कराने की सलाह देता है. क्या यह इलाज सचमुच जरूरी है?

जवाब

आप के बेटे का डाक्टर बिलकुल सही सलाह दे रहा है. दांत में कीड़ा लगे रहने से बच्चे के स्वास्थ्य पर कई तरह से बुरा असर पड़ सकता है. उस के मुंह से बास आने से दूसरे बच्चे उस से कन्नी काटने लग सकते हैं, बच्चे को भोजन चबाने में दिक्कत हो सकती है, जिस के चलते उस के जबड़े का विकास ठीक से नहीं हो पाएगा. यह इन्फैक्शन दांत की मज्जा से जबड़े की हड्डी में भी फैल सकता है. इतना ही नहीं, कुछ नए शोध अध्ययनों के अनुसार इस के फलस्वरूप आगे चल कर शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव भी देखने में आ सकते हैं. अत: समय से इलाज करा लेने से बच्चा इन सब परेशानियों से आसानी से बच सकता है.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

 

मेरे चेहरे पर मुंहासे हो जाते हैं. मुंहासे खून की अशुद्धि से होते हैं. क्या यह सच है.

सवाल

मैं 19 साल की युवती हूं. पिछले 2-3 सालों से मेरे चेहरे पर कभी कभी मुंहासे हो जाते हैं. नानी कहती हैं कि मुंहासे खून की अशुद्धि से होते हैं. क्या यह बात सच है? वे मुझे खानेपीने को ले कर भी टोकती रहती हैं. क्या आप यह स्पष्ट कर सकते हैं कि किन चीजों को खाने से मुंहासे होने का डर रहता है? वे मुझे चेहरे पर कौस्मैटिक्स लगाने से भी मना करती हैं. क्या सौंदर्य प्रसाधन सचमुच मुंहासों को बढ़ावा देते हैं?

जवाब

कील मुंहासे खून की अशुद्धि से नहीं, बल्कि त्वचा के भीतर छिपी सिबेशियस ग्रंथियों के फूलने से होते हैं. किशोर उम्र में जब शरीर में सैक्स हारमोन बनने शुरू होते हैं तो हारमोन की प्रेरणा से ही सिबेशियस ग्रंथियां बड़ी मात्रा में सीबम बनाने लगती हैं. उस समय अगर सिबेशियस ग्रंथि से सीबम की ठीक से निकासी नहीं होती है, तो यह ग्रंथि फूल जाती है और छोटी छोटी फुंसियों में बदल जाती है.

खानेपीने की बहुत सी चीजें मुंहासों को बिगाड़ने का अवगुण रखने के लिए बदनाम हैं. इन में तली हुई चीजें, चाटपकौड़ी और चौकलेट को सब से बुरा माना जाता है. पर इस सोच के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है. हां, किसी एक चीज के साथ अगर मुंहासे बारबार बढ़ते नजर आएं, तो उस चीज से परहेज करें.

जहां तक मुंहासों और सौंदर्यप्रसाधनों के बीच संबंध होने की बात है, तो यह किसी सीमा तक सच है. त्वचा पर तैलीय सौंदर्य प्रसाधन, फाउंडेशन क्रीम, मौइश्चराइजिंग क्रीम, लोशन और तेल लगाने से रोमछिद्र बंद होने और मुंहासों के बढ़ने का पूरा रिस्क रहता है. अत: इन से परहेज बरतने में ही भलाई है. पर अगर आप कैलेमिन लोशन, पाउडर, ब्लशर, आईशैडो, आईलाइनर, मसकारा और लिपस्टिक लगाना चाहें, तो इन में कोई नुकसान नहीं.

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रातों रात दूर हो जायेंगे मुंहासे

यहां हम मुंहासों को रातों रात दूर करने के उपाय बता रहे हैं. ये सभी उपाय सुरक्षित और कारगर हैं.

मुंहासों को हाथ न लगायें और फोड़े नहीं. ऐसा करने से समस्या बढ़ जाती है तथा इससे मुंहासों के दाग पड़ जाते हैं. इसके अलावा मुंहासों को फोड़ने से जलन होती है और खून भी निकलता है. क्या आप ऐसा चाहते हैं? नहीं न? तो इन्हें हाथ न लगाएं.

इनमें से अधिकांश उपाय मुंहासे को सुखा देते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि अधिक सूखने से यह भाग लाल और पपडीदार हो जाता है. अत: सीमित मात्रा में इन उपायों को अपनाएं. आइए जानें इन उपायों के बारे में.

1. टी ट्री ऑइल

यह निश्चित रूप से मुंहासों और फुंसियों को दूर करने का उत्तम तरीका है. जब आप इसका उपयोग करेंगे तो थोड़ी जलन महसूस होगी हालांकि इसका अर्थ यह है कि यह अपना काम कर रहा है.

2. टूथपेस्ट

यह एक अन्य आश्चर्यजनक उपचार है. टूथपेस्ट में हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है जो मुंहासे को सुखाने में सहायक होता है.

3.कैलामाइन लोशन

कैलामाइन एक प्रकार की मिट्टी होती है जो इसे सुखाती है तथा जलन और खुजली को कम करती है. रातों रात मुंहासों को दूर करने का यह एक प्रभावी तरीका है.

4. मुल्तानी मिट्टी

मुल्तानी मिट्टी चेहरे से अतिरिक्त तेल को सोख लेती है तथा रातों रात मुंहासे को सुखा देती है. मुंहासों को दूर करने के लिए आप इस घरेलू उपाय को अपना सकते हैं.

5. नारियल का तेल

जी हां, तेल से भी रातों रात मुंहासों को ठीक किया जा सकता है. मुंहासे पर थोडा सा नारियल का तेल लगायें, इसे रात भर लगा रहने दें और आप देखेंगे कि दूसरे दिन यह गायब हो गया है.

6. एलो वेरा जेल

एलो वेरा जेल मुंहासों से आराम दिलाता है तथा सूजन को काफी हद तक कम करता है. अत: मुंहासों पर एलो वेरा जेल लगाकर रात भर छोड़ दें और आप देखेंगे कि सुबह यह गायब हो गया है.

 

40 करोड़ के लिए हुआ विराट और अनुष्का का ब्रेकअप

टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली और बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा का ब्रेकअप गत दिनों हुए ब्रेकअप्स की लिस्ट में सबसे ज्यादा चर्चित रहा था. उनके ब्रेकअप को लेकर अटकलें तो बहुत लगीं, लेकिन हाल ही में जो वजह सामने आई है, वह सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली है.

अनुष्का शर्मा के एक दोस्त ने नाम न छापने की शर्त पर यह खुलासा किया कि विराट ने अपनी गर्लफ्रेंड अनुष्का की फिल्म 'बॉम्बे वेल्वेट' में 40 करोड़ रुपए लगाए थे. फिल्म अनुराग कश्यप का ड्रीम प्रोजेक्ट थी, इसमें रणबीर कपूर जैसा स्टार था और साथ ही इससे करण जौहर जैसे नामी निर्देशक अपना डेब्यू करने भी जा रहे थे. ऐसे में इससे काफी उम्मीदें थीं.

लेकिन करीब 120 करोड़ रुपए के भारी भरकम बजट में बनी इस फिल्म ने सारी उम्मीदें अपनी रिलीज के पहले सप्ताह में ही ध्वस्त कर दीं. फिल्म अपने ओपनिंग वीक में करीब 16 करोड़ रुपए ही कमा पाई. फिल्म एक्सपर्ट्स ने खुल्लमखुल्ला फिल्म को 'डिजैस्टर' और 'सदी की सबसे बड़ी फ्लॉप' जैसी संज्ञाएं दे डालीं. अनुराग कश्यप के भाई अभिनव कश्यप की फ्लॉप फिल्म 'बेशरम' की एक दिन की कमाई भी 'बॉम्बे वेल्वेट' से ज्यादा थी. 'बॉम्बे वेल्वेट' की कुल कमाई का मीटर करीब 24 करोड़ रुपए पर आकर ठहर गया.

फिल्म का यह हश्र देखने के बाद जब विराट ने इस बारे में अनुष्का से पैसे को ले कर कुछ कहना चाहा, तो मैडम इस बात का बुरा मान गईं और रिलेशनशिप से ही खुद को अलग कर लिया और हमेशा की तरह साइलेंट मोड में चली गईं.

अनुष्का की दोस्त के मुताबिक विराट को जब यकीन हो गया कि उसे अपने पैसे वापस नहीं मिलने वाले, तो कुछ दिन गम में गलने के बाद और सोशल मीडिया में अपनी एक्स गर्लफ्रेंड को ताने सुनाने के बाद अब वह फिर उसके पास लौटना चाहता है. मजे की बात है कि अनुष्का आगे बढ़ गई हैं.

ओमान के इस खिलाड़ी ने पकड़ा हैरान कर देने वाला कैच

पहली बार टी20 विश्व कप में शामिल हुई ओमान की क्रिकेट टीम ने ग्रुप ए के क्वालीफायर मुकाबले में आयरलैंड की टीम को रोमांचक मुकाबले में 2 विकेट से हरा दिया. इस मुकाबले में ओमान के क्रिकेटर जीशान मकसूद ने एक ऐसा कैच लपका जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया.

मैच के दौरान आयरलैंड की टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी थी और उनको अच्छी शुरुआत भी मिल चुकी थी. इसी बीच ओमान के गेंदबाज आमिर कलीम द्वारा डाले जा रहे पारी के सातवें ओवर में आयरलैंड के पॉल स्टर्लिंग ने कवर्स पर एक हवा में लहराता शॉट खेला. शॉट की रफ्तार बहुत तेज थी लेकिन उससे भी तेज रफ्तार से ओमान के जीशान मकसूद ने तेजी से हवा में उछलते हुए एक हाथ से कैच को लपक लिया.

हालांकि विपक्षी टीम ने इस निर्णय पर संदेह जताया. इसके बाद अंपायरों ने यह निर्णय थर्ड अंपायर के ऊपर डाल दिया. थर्ड अंपायर ने जब रिप्ले में इस कैच को देखा तो सारी स्थिति साफ हो गई. रिप्ले में साफ दिखाई दे रहा था कि यह सही कैच था और थर्ड अंपायर ने इसे आउट करार दे दिया. सोशल मीडिया पर जीशान द्वारा पकड़ा गया यह कैच खूब वायरल हुआ है.

 

कपिल शर्मा के नए शो में जाएंगे नरेंद्र मोदी…?

अपने मशहूर टीवी शो 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में बॉलीवुड से लेकर खेल जगत तक की दिग्गज हस्तियों को बुला चुके कॉमेडियन कपिल शर्मा अब नेताओं को अपने शो पर मेहमान के तौर पर बुलाना चाहते हैं. इसी क्रम में उनकी एक बड़ी इच्छा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने शो पर बुलाने की है क्योंकि कपिल को उनकी कहानी प्रेरणादायी लगती है.

हाल ही में कपिल ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, "मैं अपने नए शो 'द कपिल शर्मा शो' में नरेंद्र मोदी को बुलाना चाहता हूं. मैं हाल ही में टीवी देख रहा था. मैंने एलेन के शो पर बराक ओबामा को देखा. यह शानदार है. हमारे यहां भी लोगों से जुड़ने वाले नेता होने चाहिए."

कपिल ने कहा, "यदि मोदी मेरे शो पर आते हैं तो हम राजनीति, दल आदि पर बात नहीं करेंगे. मैं जानना चाहूंगा कि एक छोटे से शहर से आने वाला एक आदमी कैसे इतना लंबा सफर तय करके हमारे देश का प्रधानमंत्री बन गया? यह एक प्रेरक कहानी है. मैं उनसे बात करने की कोशिश करूंगा."

कपिल ने कहा कि, "उन्हें इस बात की खुशी है कि कलर्स चैनल पर आने वाला उनका शो 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' खत्म हो गया है क्योंकि अब उन्हें कुछ नया करने का अवसर मिल रहा है." उन्होंने कहा, "उस शो के खत्म होने से मुझे अच्छा लग रहा है क्योंकि उस शो में किरदार तय थे और अब हमें कुछ अलग करने का मौका मिल रहा है. हमारे इस नए शो को लेकर हर कोई उत्साहित है. हम एक अलग किस्म का शो बना रहे हैं."

 

पिता ने कहा, कंगना के जन्म पर था मातम का माहौल

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कंगना रनाउत ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा था कि वह अपने परिवार की 'अनचाही संतान' थीं और अब उनके पिता ने भी इस पर सहमति जताई है. अभिनेत्री के पिता अमरदीप रनाउत ने अपने गांव में लड़कियों के बारे में पिछड़ी सोच को लेकर खुलासा करते हुए कहा कि कंगना के जन्म पर उनके घर में किसी को खुशी नहीं थी.

हिमाचल प्रदेश में रहने वाले अमरदीप ने बताया, "जब कंगना का जन्म हुआ था, तब हमारे गांव में लड़कियों के जन्म को लेकर लोगों की सोच काफी पिछड़ी हुई थी. उस वक्त उनके जन्म पर जश्न का नहीं, बल्कि मातम का माहौल होता था."

अमरदीप ने आगे बताया, "लोग हमारे घर पर आते और कहते थे 'फिर बेटी हो गई'. इसलिए कंगना के जन्म पर कोई जश्न नहीं हुआ था और न ही हमने मिठाई बांटी थी." कंगना ने अपनी सफलता से सबको गलत साबित कर दिया. वह अपनी बड़ी बहन और एसिड हमले की शिकार रंगोली के साथ भी खड़ी रहीं.

रंगोली अब कंगना की प्रबंधक के रूप में काम करती हैं और दोनों एक पत्रिका के नएए कवर पेज पर भी नजर आ रही हैं. अपनी बहन के बारे में रंगोली ने कहा, "जब कंगना का जन्म हुआ था, तो उस वक्त घर में कोई खुश नहीं था. आज भी चीजें बदली नहीं हैं और इसलिए हम बालिकाओं का समर्थन कर रहे हैं." कुछ वक्त पहले ही कंगना ने कहा था कि वह अपनी बहन रंगोली पर फिल्म बनाना चाहती हैं.

VIDEO: टीम इंडिया के लिए ये क्या बोल रहे हैं अफरीदी

टी20 विश्व कप के दौरान कोलकाता के ईडन गार्डन में जब भारत और पाकिस्तान की टीमें 19 मार्च को एक-दूसरे के आमने सामने होंगी, तो दोनों का ही लक्ष्य जीत हासिल करना होगा. हालांकि इस महामुकाबले से पहले दोनों ही टीमों पर बराबर का प्रेशर होता है. मैच हारने वाली टीम के खिलाड़ियों को प्रशंसकों के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है. कुछ ऐसा ही नजारा साल 2011 के विश्वकप सेमीफाइनल में भारत के हाथों हारने के बाद पाकिस्तान के साथ देखने को मिला.

भारत से हारने के बाद जब पाकिस्तान टीम अपने देश पहुंची तो उन पर मीडियाकर्मियों ने जबरदस्त हमला बोला था. पाक मीडिया ने शाहिद अफरीदी पर सवालों की बौछार कर दी थी लेकिन शाहिद ने इन सवालों का जवाब देनें की बजाय भारतीय टीम की प्रशंसा करना शुरु कर दिया था.

भारत की तारीफ करते हुए अफरीदी ने कहा था कि मुझे यह समझ नहीं आता कि हम भारत के इतने खिलाफ क्यों है. जबकि हमारे घरों में इंडियन सीरियल और मूवीज देखे जाते हैं, यहां तक कि हर शादी इंडियन तौर तरीको से की जाती है. फिर भी हम इतनी नफरत क्यों करते हैं. खेल में हार जीत अपनी जगह है. क्रिकेट एक खेल है और इसे खेल की तरह लेना चाहिए. हमें एक अच्छी टीम का सम्मान करना चाहिए.

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