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जानकारी वीर्य की

वीर्य आदमी के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टै्रट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल ग्रंथियों से निकले रसों से बनता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म होते हैं, जो वीर्य में तैरते रहते हैं. शुक्राणु की मदद से ही बच्चे पैदा होते हैं.

  1. अंडकोष यानी शुक्राशय आदमी के शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की जरूरत होती है.
  2. अगर किसी वजह से अंडकोष अंदर ही रह जाते हैं, तो ये खराब हो जाते हैं. शुक्राशय के 2 काम हैं, शुक्राणु बनाना और पुरुषत्व हार्मोन टैस्ट्रोस्ट्रान बनाना.
  3. टैस्ट्रोस्ट्रान कैमिकल ही आदमी में क्रोमोसोम के साथ लिंग तय करता है. इसी के चलते बड़े होने पर लड़कों में बदलाव होते हैं, जैसे अंग के आकार में बढ़ोतरी, दाढ़ीमूंछें निकलना, आवाज में बदलाव, मांसपेशियों का ताकतवर होना वगैरह.
  4. किशोर उम्र तक शुक्राशय शुक्राणु नहीं बनाते. ये 11 से 13 साल के बीच शुरू होते हैं और तकरीबन 17-18 साल तक पूरी तेजी से बनते हैं.
  5. अंडकोष से निकल कर शुक्राणु इस के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो कर पकते हैं. यहां पर ये तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हैं. शुक्राणु बनने की पूरी प्रक्रिया में 72 दिन का समय लगता है.
  6. किशोर उम्र में बनना शुरू हो कर शुक्राणु जिंदगीभर बनते रहते हैं. हां, अधेड़ उम्र में इस के बनने की रफ्तार धीमी हो जाती है.
  7. शुक्राणु के बनने में दिमाग में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन का हाथ होता है. इन हार्मोनों की कमी होने पर शुक्राणु बनना बंद हो जाते हैं.
  8. वीर्य में मौजूद शुक्राणु 2 तरह के होते हैं, 3 3 या 3 4. अगर औरत के अंडे का मिलन 3 3 से होता है, तो लड़की और अगर 3 4 से होता है, तो लड़का पैदा होता है.
  9. मां के पेट में बच्चे का लिंग आदमी के शुक्राणुओं द्वारा तय होता है. इस में औरत का कोई बस नहीं होता है.
  10. वीर्य में सब से ज्यादा रस सैमाइनल वैसिकल ग्रंथि से निकले पानी से होता है. इस में फ्रक्टोज शुक्राणुओं का पोषक तत्त्व होता है. इस के अलावा रस में साइट्रिक एसिड, प्रोस्ट्राग्लैंडिन और फाइब्रोजन तत्त्व भी पाए जाते हैं.
  11. प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रस दूधिया रंग का होता है. इस में साइट्रेट, कैल्शियम, फास्फेट, वीर्य में थक्का बनाने वाले एंजाइम और घोलने वाले तत्त्व होते हैं. इन में अलावा मूत्र में स्थित यूरेथल ग्रंथियों का रिसाव भी वीर्य में मिल जाता है.
  12. स्खलन के समय शुक्राशय से निकले शुक्राणु सैमाइनल वैसिकल व प्रोस्टै्रट के स्राव के साथ मिल कर शुक्र नली द्वारा होते हुए मूत्र नलिका से बाहर हो जाते हैं.

यह भी जानें

* एक बार में निकले वीर्य की मात्रा 2 से 5 मिलीलिटर होती है.

* वीर्य चिकनापन लिए दूधिया रंग का होता है और इस में एक खास तरह की गंध होती है.

* वीर्य का चिकनापन सैमाइनल वैसिकल व पीए प्रोस्टै्रट के स्राव के चलते होता है. अगर पीए अम्लीय है, वीर्य पीला या लाल रंग लिए है, तो यह बीमारी की निशानी है.

* वीर्य से बदबू आना भी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

* 2-3 दिन के बाद निकला वीर्य गाढ़ा होता है, क्योंकि इस में शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा होती है.

* वीर्य निकलने के बाद जम जाता है. पर इस में मौजूद रसायन फाइब्रोलाइसिन एंजाइम इसे 15-20 मिनट में दोबारा पतला कर देते हैं. अगर वीर्य दोबारा पतला न हो, तो यह बीमारी की निशानी है.

* 4-5 दिन बाद एक घन मिलीलिटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 8 से 12 करोड़ होती है. यानी एक बार में तकरीबन 40 करोड़ शुक्राणु निकलते हैं, पर एक ही शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए काफी होता है.

* अगर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 6 करोड़ प्रति मिलीलिटर से कम हो, तो आदमी में बच्चे पैदा करने की ताकत कम होती है. अगर 2 करोड़ से कम हो, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* सामान्य शुक्राणु छोटे से सांप की शक्ल का होता है. इस का सिरा गोल सा होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिस को एक्रोसोम कहते हैं. साथ में गरदन, धड़ और पूंछ होती है.

* अगर शुक्राणुओं के आकार में फर्क हो, तब भी बच्चे पैदा करने की ताकत कम हो जाती है. यह फर्क सिर, धड़ या पूंछ में हो सकता है. अगर असामान्य शुक्राणुओं की संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा होती है, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* शुक्राणु वीर्य में हमेशा तैरते रहते हैं. अगर शुक्राणु सुस्त हैं या 40 फीसदी से ज्यादा गतिहीन हैं, तो भी आदमी नामर्द हो सकता है.

* अगर वीर्य में मवाद, खून या श्वेत खून की कणिकाएं मौजूद हों, तो यह भी बीमारी की निशानी है.

* वीर्य या शुक्राणु बनने में खराबी कई बीमारियों के चलते हो सकती है. हार्मोन के बदलाव से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है.

* शुक्राशय में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे मम्स, लेप्रोसी, सिफलिस वगैरह.

* ट्यूमर, इंफैक्शन, फाइलेरिया से शुक्राशय खराब हो सकता है.

* शुक्राणु के बनने में प्रोटीन, विटामिन, खासतौर से विटामिन ई की जरूरत होती है.

वीर्य संबंधी गलतफहमियां

*  अगर पेशाब के साथ वीर्य या वीर्य जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तो लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. वे समझते हैं कि उन की ताकत कम हो रही है. नतीजतन, वे कई बीमारियों को न्योता दे बैठते हैं, जबकि वीर्य के निकलने या धातु निकलने से जिस्मानी ताकत में कमी होने का कोई संबंध नहीं है.

* हस्तमैथुन करने या रात को वीर्य गिरने से नौजवान समझते हैं कि इस के द्वारा उन की ताकत निकल रही है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं, जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है.

* वीर्य जमा नहीं होता. अगर वीर्य के साथ शुक्राणु बाहर न निकलें, तो शरीर में इन की कमी हो जाती है. इसी तरह शौच जाते समय जोर लगाने से भी कुछ बूंद वीर्य निकल सकता है, इसलिए घबराएं नहीं.

* कुछ लोगों में यह गलतफहमी है कि वीर्य की एक बूंद 40 बूंद खून के बराबर है. यह गलत सोच है. वीर्य जननांगों का स्राव है, जो लार, पसीना या आंसू की तरह ही शरीर में बनता है.

* कुछ लोगों का मानना है कि वे वीर्य गिरने के समय जीवनदायक रस को बरबाद करते रहे हैं.

* अगर वीर्य के निकल जाने से कीमती ताकत का नाश होता है, तो सभी शादीशुदा आदमी कमजोर हो जाते, इसलिए वीर्य और सैक्स संबंध के बारे में गलत सोच न बनाएं, तनाव से दूर रहें और कामयाब जिंदगी का लुत्फ उठाएं.

कुर्तियों का जलवा

गरमियों का मौसम आते ही शरीर को एक कूल सा एहसास बहुत ही सुकून देता है. इस मौसम में आप कौटन की कुर्तियां ट्राई कर सकती हैं. नए फैशन ट्रैंड के अनुरूप कौटन की शौर्ट और लौंग कुर्तियां सब के साथ अच्छी लगती हैं. फैशन की दुनिया में कुर्तियों का एक अनोखा ही स्टाइल है जो सभी टीनएनएजर्स के सिर चढ़ कर बोल रहा है.

कूल कुर्तियों का ट्रैंड

कूल लुक के साथ स्टाइलिश दिखने के लिए इन दिनों युवतियां में कुर्ती का फैशन जोरो पर है. गरमी के मौसम में कौटनन से बना यह परिधान सब तरह की ऐक्सैसरीज के साथ मेल खाता है.

कुर्ती का जो नया ट्रैंड मार्केट में पेश हुआ है. उस में घुटनों तक वाइल्ड और बेफिक्र लुक नजर आएगा. इस के साथ ही आप स्लीक कट वाली स्ट्रैट कुर्ती, म्यूलैट कुर्ती और हैमलाइन कुर्ती को पहन कर न्यू ट्रैंड में शामिल हो सकती है.

यूनीसैक्स कुर्तियां

कौटन कुर्तिया यूनिसैक्स ड्रैस है जिन में लड़के व लड़कियों दोनो कैरी कर सकते है अब डिजाइनर भी लड़के व लड़कियों की पसंद को ध्यान में रख कर डिजाइन तैयार कर रहे है. ये यूनिसैक्स कुर्तियां कालेज स्टूडेंट के बीच ज्यादा पापुलर है. यहीं नहीं डिजाइनर इन कौटन कुर्तियों के साथ सूप एैक्सपेरीमैंट भी कर रहे है. जैसे शौर्ट्स ब्राड लैगिंग्स, पटियाला सलवार, कैब्रीज व हैरम पैट्स के साथ इन्हें पहन रहे हैं. कौटन की कुर्तियों में हौल्टर नैक और औफ शोल्डर डिजाइन कुर्ती को जबरदस्त ग्रेस देती है.

एक प्रिंटेड पटियाला सलवार एक रंग की कई कुर्तियों और टौप के साथ मैच कर के पहनी जा सकती है. कौटन की कुर्तियां आरामदायक होने के साथसाथ फैशनेबल भी है.

इस के अलावा और भी कुर्तियां हैं ट्रैंड में

बैल्ट फ्रैंडली कुर्तियां

तपते मौसम को देखते हुए मार्केट में सफेद रंग की कुर्तियों का अलग ही जलवा है. यह रंग इस मौसम में आंखों को सुकून तो देता ही है साथ ही इस का स्टाइल भी अलग है इस कुर्ती को आप किसी भी स्टाइल में पहन सकते हैं. यह कुर्ती बैल्ट फ्रैंडली भी है और इसे बिना बैल्ट के भी पहन सकते है. वैसे बैल्ट घुटनों तक लंबी कुर्ती को कुछ ज्यादा ही आकर्षक बना देती है और अगर कैजुवल लुक रखनी है वे उस बैल्ट का इस्तेमाल करें जो इस के साथ कपड़े की लग कर आती है. और अगर औपचारिक लुक में रहना है तो लेदर की बैल्ट ज्यादा बेहतर है यह अलग ही लुक देगी.

कुर्तियों का न्यू ट्रैंड

कुर्तियों के न्यू ट्रैंड में पाकिस्तानी लौंग कुर्तियां इस समय ट्रैंड में हैं, जिन में कई तरह के डिजाइन उपलब्ध हैं. इन में, फ्लोरल प्रिंट, डिजिटल फ्लोरल पैटर्न, कुर्ती और जैकेट स्टाइल डिजाइनर कुर्ती पैटर्न में हैं.

यह कुर्तियां विभिन्न रंगों एवं डिजाइनों में उपलब्ध हैं. नैट, बीडस, लैश से ले कर ऐंब्रायडरी आदि के वर्क ने इन्हें और भी ज्यादा आकर्षक बना दिया है.

स्टाइल में है प्लेन स्टाइलिश कुर्तियां

फैशन ट्रैंड के अनुसार कलरफुल प्लेनकुर्तियां ज्यादा चलन में है जिस में ऐंब्राइडरी लैस वर्क का काम है इस के अलावा स्ट्रैट कट में दोनों साइड और फ्रंट में लौंग कट की प्लेन कुर्तियां, म्यूलैट कुर्ती आगे से ऊंची पीछे से लंबी स्टाइलिश कुर्ती और हैमलाइन कुर्ती की मार्केट में बहार है जो हर कलर व डिजाइन में उपलब्ध है.

लोकल मार्केट में सिंपल कुर्तियां 200 रुपए की रेंज में आसानी से मिल जाएंगी अगर आप को डिजाइनर लौंग कुर्तियां लेनी हैं तो वह 1000-1200 की रेंज से शुरू होगी आप अपनी पसंद और बजट के अनुसार इन कुर्तियों का लाजपत नगर मार्केट, चांदनी चौंक, खान मार्केट आदि में यह आसानी से मिल जाएंगी.

कौटन की कुर्ती की पहचान कैसे

अगर आप सिर्फ कौटन की कुर्तियां ही पहनना चाहती हैं तो कौटन की पहचान करना भी जरूरी है. असली कौटन की पहचान करने के लिए कोने से कपड़ा फाड़े अगर कपड़ा आसानी से फट जाए तो इस का मतलब कपड़ा असली कौटन था.

सिंपल कुर्तियों में प्रिंट्स की बहार

सिंपल कुर्तियों में आप को कई तरह के प्रिंट्स मिलेंगे ट्राइबल प्रिंट, पोल्का डौटस प्रिंट्स फ्लोरल प्रिंट्स और ज्यामिति प्रिंटस कुछ खास है अगर आप कुछ हैवी लेने का मन बना रही हैं तो पैच वर्क व ऐंब्रायडरी की मूर्तियों के औपशन आप के सामने होंगे. अगर प्लेन कुर्तियां ले रही हैं तो उस पर कलरफुल ऐंब्राइडरी वाली हाफ जैकेट डालें यह सिंपल कुर्ती को अट्रैक्टिव लुक देगी.

जेएनयू : नई सोच कुचलने की कोशिश

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर और उसे निरर्थक कठघरे में खड़ा कर के भारतीय जनता पार्टी ने एक नए युवा नेता को पैदा कर दिया है. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय वैसे ही युवा नेताओं को पैदा करने का केंद्र रहा है और इस के पूर्व छात्रों में कई नाम कमा चुके हैं. कन्हैया ने अपने सरल व्यवहार, बेबाक भाषणों, स्पष्टवादिता, निर्भीकता और सब से बड़ी बात अपनी साधारण पृष्ठभूमि से वह जमीन बना ली है जो स्टार नेताओं के पुत्रों को आसानी से मात दे सकती है. कन्हैया कुमार से पहले एक बड़ी खेप नेता पुत्रों की पैदा हो रही थी जो पिता की सल्तनत संभालने के लिए राजनीति में आ रही थी. उन्हें पार्टी का बनाबनाया संगठन मिलता था और जयजयकार के नारे लगाने वाले तैयार रहते थे. ये राजकुमारों की तरह राजाओं की जगह ले रहे थे और एक विरासत की तरह राजनीति में लोकतंत्र का इस्तेमाल कर रहे थे.

कन्हैया कुमार ने इस पारिवारिक राजनीति से राहत दी है और लोग चाहे उस से असहमत हों, उस के इरादों पर अभी बड़ा निशान नहीं लगा पा रहे. हैदराबाद विश्वविद्यालय का रोहित वेमुला भी इसी परंपरा का छात्र था पर उसे कट्टरपंथियों के कारण आत्महत्या करनी पड़ी और अब वह सिर्फ एक आइकन बन कर पोस्टरों पर रह गया है पर कन्हैया शायद उसी की तर्ज पर एक बदलाव की मांग कर रहा है.

समाज को आज एक बदलाव की जरूरत है क्योंकि विकास की खोखली बातों ने भारत तो क्या अमेरिका, यूरोप और चीन तक में गहरा असंतोष पैदा कर दिया है. सूचना क्रांति हुई पर उसे अमीर कंपनियों ने हाईजैक कर लिया. इंटरनैट को मकड़जाल बना दिया गया है जो लाखों को बेकार कर रहा है और बेकारों को निरर्थक सूचना की शराब को मिला कर व्यस्त तो रख रहा है पर उत्पादक नहीं बना रहा है. आज का युवा समाज में अपना योगदान देने का अवसर ढूंढ़ रहा है जो उसे दिख नहीं रहा. प्रौढ़ पीढ़ी अब ज्यादा समय तक संपत्ति पर हकदार बनी रह रही है और युवाओं को उत्पादकों की गिनती में नहीं समझा जा रहा. युवा आक्रोश अब गहराता जा रहा है. पश्चिम एशिया, चीन, हौंगकौंग आदि में सरकार विरोधी आंदोलन अमेरिका में औक्यूपाई वाल स्ट्रीट, समलैंगिक संबंधों को ले कर अधिकार मांगना आदि इसी घुटन के परिणाम हैं और यही भारतीय युवा कर रहे हैं.

भारतीय युवाओं को पुरातनपंथी, पौराणिक सोच वाली धर्मांध पीढ़ी पहले की तरह दबानाकुचलना चाह रही है. कांगे्रस इस मामले में ज्यादा चतुर रहती थी क्योंकि कांगे्रस में सदा युवा नेता आते रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी तो परंपराओं की मानसिक गुलाम है और उसे युवाद्रोह, देशद्रोह, धर्मद्रोह, विद्रोह नजर आ रहा है. भाजपा चीनी नेताओं की तरह युवा जोश को कुचलना चाहती है पर कन्हैया कुमार जैसे युवा नेताओं को रोकना आसान न होगा. पुलिस के बल से कई देशों ने युवाओं को सफलता से दबाया है. चीन ने बीजिंग के तिआनानमेन स्क्वायर की क्रांति को नष्ट कर दिया पर उस ने युवाओं की एक पीढ़ी को भौतिक सुख दे दिए. पश्चिम एशिया के शासकों ने युवाओं को दबाया पर दिया कुछ नहीं तो इसलामिक स्टेट को जगह दे डाली. भारत का युवा अभी जोश में है क्रोध में नहीं, पर बढ़ती बेकारी, घटते अवसरों, फैलती घुटन और पुरानी व नई सोच में बढ़ते अंतर का परिणाम कुछ भी हो सकता है.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को बुल्डोजरों से खत्म करना होगा या यहां की बुल्डोजरी सोच देश में नया नेतृत्व पैदा करेगी, कुछ भी हो सकता है पर इतना जरूर लग रहा है कि वर्तमान सरकार इस समस्या का हल उस श्रीश्री रविशंकर में खोज रही है जो यमुना के गंदे पानी को शुद्ध करने के लिए उसे फूलपत्तियों, राख और कचरे से भरता है.

हॉकी की अंतर्राष्ट्रीय अंपायर बनी दुर्गा ठाकुर

सोमवार को दीपा कर्माकर ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव दिलाया इसके ठीक एक दिन बाद एक और भारतीय महिला खिलाड़ी ने देश का मान बढ़ाया. न्यूजीलैंड में हुए हाकेज बे कप में शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत की दुर्गा ठाकुर को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) द्वारा अंतरराष्ट्रीय आउटडोर अंपायर नियुक्त किया गया.

उन्होंने वर्ष 2011 में एनएसएनआईएस से ग्रेजुएशन किया और उन्हें 2015 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामैंट मिला जो नीदरलैंड के ब्रेडा में डबल सिक्स-नेशन कप था. नई दिल्ली के मार्डन स्कूल में फिजिकल एजुकेशन की शिक्षिका दुर्गा ने तीन खेल स्पर्धाओं हैंडबाल, बास्केटबाल और हाकी में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में अपने राज्य हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था. वह पिछले राष्ट्रीय खेलों के फाइनल्स के अंपायरों में शामिल थीं. 

इससे पहले दुर्गा ने2013 में तीसरी हॉकी इंडिया सब जूनियर पुरुष एवं महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के फाइनल्स से बतौर अंपायर अपने करियर की शुरुआत की थी.

आमिर खान के साथ काम करना चाहती हैं देविका भिसे

मशहूर भरत नाट्यम नृत्यांगना स्वाति भिसे की बेटी देविका भिसे को लगता है कि मशहूर गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के साथ उनका कोई न कोई नाता जरुर है. जब वह अमरीका के जान हाफकिन्स युनिवर्सिटी की छात्रा थीं, तब उन्हे श्रीनिवास रामानुजन की जिंदगी पर लिखे गए रार्बट केनीगल के उपन्यास ‘‘द मैन हू न्यू इंफीनिटी’’ पर आधारित नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला था. अब जब अमरीकी फिल्मकार मैथ्यू ब्राउन ने इसी उपन्यास पर इसी नाम से फिल्म बनायी है, तो इसमें देविका भिसे ने श्रीनिवास रामानुजन की पत्नी जानकी का किरदार निभाया है. इसमें श्रीनिवास रामानुजन के किरदार में देव पटेल हैं. अंग्रेजी व तमिल भाषी में बनी यह द्विभाषी फिल्म 29 अप्रैल को भारत सहित पूरे विश्व में एक साथ रिलीज होगी. भारत में इसे हिंदी में डब करके रिलीज करने की भी योजना है. अमरीका के न्यूयार्क शहर में रहने वाली देविका भिसे अपनी जड़ों से जुड़ी रहना चाहती हैं. इसी वजह से वह हर साल कम से कम दो माह भारत आकर चेन्नई शहर में रहती हैं.

खुद देविका भिसे कहती हैं-‘‘मैं पहले भारतीय ही हूं. मैने चार साल की उम्र से भरत नाट्यम सीखना शुरू किया था. मैंने संस्कृत के श्लोक और अयंगर ब्राम्हण परिवार की सभ्यता, संस्कृति व रहन सहन को सीखा व जाना है. मेरी नृत्य प्रतिभा की वजह से ही मुझे निर्देशक ब्राउन मैथ्यू ने अपनी फिल्म ‘‘द मैन हू न्यू इंफीनिटी’’ में जानकी के किरदार के लिए चुना. मेरी राय में अभिनय या चेहरे पर भाव लाना भी भरत नाट्यम नृत्य का एक हिस्सा है. मुझे लगता है कि श्रीनिवास रामानुजन के साथ मेरा कोई न कोई संबंध रहा होगा, तभी तो पहले मुझे उनके जीवन पर बने नाटक और अब उनके जीवन पर बनी फिल्म में अभिनय करने का अवसर मिला. इस फिल्म में अभिनय करने से पहले मैं चेन्नई के अलावा कैम्ब्रिज भी गयी, जहां पर श्रीनिवास रामानुजन ने पढ़ाई की थी.’’

देविका भिसे खुद को सौ प्रतिशत भारतीय मानती हैं. मगर उनके चेहरे का लुक कुछ ऐसा है, कि उन्हे भारतीय किरदार नही मिलते. पर वह विविधतापूर्ण किरदार निभाना चाहती हैं. उनकी तमन्ना आमिर खान व हृतिक रोशन के साथ अभिनय करने की है. वह राज कुमार हिरानी के निर्देशन में भी भारतीय फिल्में करना चाहती हैं.

गणित से दूर भागने वाले देव पटेल बने ‘रामानुजन’

भारतीय मूल के ब्रिटिश कलाकार देव पटेल फिल्म ‘‘स्लमडाग मिलेनियर’’ के बाद एक बार फिर चर्चा में है. इस बार उनकी चर्चा हालीवुड फिल्म ‘‘द मैन हू न्यू इंफीनिटी’’ में मशहूर भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का किरदार निभाने को लेकर है.

मजेदार बात यह है कि यह किरदार देव पटेल के निजी व्यक्तित्व के ठीक विपरीत है. वह निजी जिंदगी में गणित विषय से दूर भागते थे. लेखक निर्देशक मैथ्यू ब्राउन की फिल्म ‘‘द मैन हू न्यू इंफीनिटी’’ 29 अप्रैल को पूरे विश्व में अंग्रेजी व तमिल भाषा में रिलीज होगी. इसे हिंदी में डब भी किया जाएगा. इस फिल्म में देव पटेल की जोड़ी देविका भिसे के साथ है. फिल्म के अन्य कलाकार हैं-जेरेमी आयरन्स, स्टीफन फ्राय, टोबी जोन्स और अरूंधती नाग.

गणित विषय से दूर भागने की बात खुद देव पटेल स्वीकार करते है. यही वजह है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान इंग्लैंड में बनाए गए खास सेट पर निर्माता व निर्देशक अपनी तरफ से गणित में महारत रखने वाले केन ओनो को बुलाकर रखते थे, जो कि देव पटेल को गणित के सवाल हल करके दिया करते थे. केन ओनो मशहूर जापानी व अमरीकन गणितज्ञ हैं, जिन्हे नंबर गणित व श्रीनिवास रामानुजन की गणित में काफी रूचि है. इसके बावजूद देव पटेल के लिए इस फिल्म में अभिनय करना काफी कठिन रहा. क्योंकि जिस विषय के बारे में जानकारी न हो, उसमें खुद को परदे पर महारथी के रूप में पेश करने का अभिनय करना आसान नहीं था.

कहीं मोबाइल न बन जाए मौत का कारण

मोबाइल से ज्यादा नजदीकी आप के लिए खतरनाक है. इस के संपर्क में रहने से ना सिर्फ कई तरह की बीमारियां होती हैं बल्कि इस से आप की जान को भी खतरा है. अगर आप अपना मोबाइल फोन हर समय अपने पास रखते हैं या दिन भर फोन की बैटरी चार्ज करते रहते हैं तो सावधान हो जाइए, इस की वजह से किसी भी समय आप की मौत हो सकती है. जी हां हाल ही में पाकिस्तान में मोबाइल फोन की बैटरी ब्लास्ट होने से एक आदमी अचानक से आग का गोला बन गया. पाकिस्तान का यह वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक आदमी की जेब में अचानक मोबाइल फोन की बैटरी फट जाती है, बैटरी फटने से उस व्यक्ति के कपड़े में आग लग जाती है और वह धूधू कर के जलने लगता है. यह पहली घटना नहीं है जिस में मोबाइल फोन की बैटरी फटने से किसी की मौत हुई हो, इस से पहले भी कई बार मोबाइल फोन की बैटरी फटने की खबरें आ चुकी हैं.

ये कुछ घटनाएं हैं.

  1. यह घटना हरियाणा के भिवानी की है, जिस में रामकेश नामक व्यक्ति की जेब में रखे मोबाइल की बैटरी फट गई और वह जख्मी हो गया. रामकेश किसी काम से कस्बे की तहसील में पैदल जा रहा था. जैसे ही वह तहसील कार्यालय के पास स्थित सर्विस स्टेशन के पास पहुंचा. एकदम धमाका हुआ. उस के पैंट की जेब में रखे मोबाइल की बैटरी फट गई. जिस की वजह से जलने से शरीर पर गंभीर घाव हैं.
  2. कुछ इसी तरह बड़वानी जिले के ग्राम टेमला में मोबाइल की बैटरी फटने से 13 वर्षय संजय घायल हो गया. घटना में उस की उंगली कट गई साथ ही चेहरा भी झुलस गया.
  3. एक घटना तमिलनाडु के मधुरंथगम गांव की है. जहां एक 9 साल का बच्चा फोन उठाने गया तो फोन की बैटरी अचानक फट गई, जिस की वजह से उस की आंखों की रोशनी चली गई और हाथ व चेहरा झुलस गया.

क्यों फटती है बैटरी

मोबाइल फोन की बैटरी अकसर ज्यादा चार्ज करने की वजह से फटती है, ज्यादा चार्ज करने से फोन के मदर बोर्ड पर असर पड़ता है और फोन गरम हो जाता है. चार्जिंग के दौरान इस्तेमाल करने से भी बैटरी पर असर पड़ता है. कई बार अत्यधिक गरम व ठंडे तापमान का असर भी बैटरी को प्रभावित करता है जिस की वजह से बैटरी के फटने की संभावना बढ़ जाती है. कुछ लोग फोन को चार्जिंग पर लगा कर घंटों छोड़ देते हैं, जिस की वजह से बैटरी जरूरत से ज्यादा चार्ज हो जाती है और अचानक फट जाती है.

किन कारणों से बैटरी होती है डिस्चार्ज

  • ब्लूटूथ का बटन हमेशा औन रखने से फोन की बैटरी जल्दी डिस्चार्ज होती है. वाईफाई, जीपीएस और इंफ्रारेड जैसे फीचर्स भी बैटरी कम करते हैं. अगर इन की आवश्यकता न हो तो बंद कर दें.
  • स्क्रीन का ब्राइटनेस बढ़ाने से हमें चीजें तो साफसाफ दिखती हैं लेकिन इस की वजह से फोन की बैटरी की खपत ज्यादा होती है.
  • फोन को ज्यादा समय तक वाइब्रैशन मोड पर रखने से भी बैटरी खत्म होती है इसलिए हर समय फोन वाइब्रैशन मोड पर रखने के बजाय जब जरूरत हो तभी रखें.
  • स्क्रीन डिस्प्ले व लाइव वौलपेपर लगाने की वजह से भी बैटरी जल्दी खत्म होती है.
  • ज्यादा गेम खेलने और इंटरनैट का इस्तेमाल करने से भी फोन में बारबार चार्जिंग की जरूरत पड़ती है.

किन बातों का ध्यान रखें

चार्जिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल न करें: जब फोन को चार्ज पर लगाएं तब इस्तेमाल करने से बचें. तकनीकी तौर पर इसे पैरासाइटिक चार्जिंग कहा जाता है. इस से बैटरी पर दबाव पड़ता है. जिस के कारण बैटरी फुल चार्जिंग साइकिल में नहीं पहुंच पाती है. नतीजतन बैटरी को नुकसान होता है. अगर आप इस समय फोन रिसीव करना चाहते हैं तो फोन उठाने से पहले चार्जर से जरूर निकाल लें.

जरूरत से ज्यादा चार्ज न करें: हीट लिथियम इयौन बैटरी का दुश्मन होता है. लिथियम इयौन का इस्तेमाल अधिकांश स्मार्टफोन में किया जाता है. ज्यादा हीट का प्रभाव पड़ने पर बैटरी फटने की संभावना रहती है. आप को छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना होगा, जैसे फोन वैसी जगह पर ना रखें, जहां सूर्य की ज्यादा रोशनी पड़े, चार्जिंग के दौरान ग्राफिकल वाले गेम न खेलें क्योंकि ये तापमान को बढ़ाने के साथसाथ बैटरी को नुकसान पहुंचाते हैं.

किसी भी चार्जर का इस्तेमाल न करें: ऐसा हमेशा होता है कि हमें जो चार्जर मिलता है हम उसी से चार्ज कर लेते हैं लेकिन यह गलत है. एक्सपर्ट का कहना है कि फोन को हमेशा उसी चार्जर से चार्ज करना चाहिए जिस कंपनी का फोन हो. और हां चार्जर खराब होने पर कोई भी चार्जर खरीदने के बजाय हमेशा ओरिजनल चार्जर ही खरीदना चाहिए.

रात भर चार्ज पर न लगा रहने दें: कई लोग ऐसे होते हैं जो फोन को रात भर चार्ज करते हैं. पर जरूरत से ज्यादा चार्ज करने से बैटरी की लाइफ कम होती है और जल्दी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप की बैटरी जल्दी खराब ना हो तो चार्ज पूरा होने पर चार्जर निकाल दें.

कुछ जरूरी टिप्स

  1. हमेशा यह ध्यान रखें कि फोन में बैटरी सेवर ऐप का इस्तेमाल करें. ऐप का नाम सुन कर आप सोच रहे होंगे कि ऐप को डाउनलोड करने की झंझट होगी, लेकिन इसे आप को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं है, यह आप के फोन में पहले से ही होता है. बस आप को इनेबल करना होता है.
  2. कभी भी सस्ता देख कर फोन ना खरीदें, इस में सस्ती बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है, जिस की फटने की संभावना ज्यादा होती है. हमेशा फोन खरीदने से पहले फीचर जरूर देखें.
  3. अगर आप का फोन पानी में गिर जाए तो एक दम से उसे चार्ज पर न लगाएं. पहले उसे सूखने दें. पर यह नहीं कि सूरज की रोशनी में सुखाएं. हो सके तो सर्विस सेंटर में ले जाएं. वे बैटरी को कैमिकल तरीके से सुखा देंगे.
  4. आप जब भी मोबाइल चार्ज करें, उसे आधा ही चार्ज करें. लगातार चार्ज करने से फोन की बैटरी गर्म होती है और उसे बदलनी पड़ती है.
  5. मोबाइल फोन को ज्यादा समय तक अपने शरीर के आसपास न रखें. जब रखें तो कोशिश करें कि कीपैड आप की बौडी की तरफ हो ताकि रेडिएशन बौडी में न समाए.

अपनी हार मानने को तैयार नहीं शाहरुख खान

शाहरुख खान के गर्दिश के दिन अभी भी खत्म नहीं हुए हैं. ‘‘दिलवाले’’ के बाक्स आफिस पर बुरी तरह मात खाने के चार माह बाद प्रदर्शित फिल्म ‘‘फैन’’ से शाहरुख खान को उम्मीद थी कि एक बार फिर वह दर्शकों के बीच अपना जादू चला ले जाएंगे, पर अफसोस ऐसा कुछ नहीं हुआ. बल्कि हकीकत में ‘फैन’ की स्थिति तो ‘दिलवाले’ से भी बदतर हो गयी है.

18 दिसंबर 2015 को प्रदर्शित हो चुकी ‘‘दिलवाले’’ ने वीकेंड यानी कि शुक्रवार, शनिवार व रविवार इन तीन दिनों में बाक्स आफिस पर 65 करोड़ से अधिक कमाए थे. जबकि 15 अप्रैल को रिलीज हुई ‘‘फैन’’ ने वीकेंड में इन तीन दिनों में महज 52.35 करोड़ ही कमाए हैं. मगर शाहरुख खान की टीम व उनके शुभचिंतक इस आंकड़े को इस तरह प्रचारित कर रहे हैं, जैसे कि शाहरुख खान ने सफलता का नया रिकार्ड बना डाला हो. यानी कि ‘फैन’का परिणाम बहुत ही ज्यादा निराशाजनक है.

1 मई को पुणे में होगा आईपीएल मैच, कोर्ट ने दी इजाजत

बीसीसीआई की अर्जी के बाद आज बंबई हाईकोर्ट ने एक मई को पुणे में आयोजित इंडियन प्रीमियर लीग के मैच को मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि महाराष्ट्र में व्याप्त जलसंकट को देखते हुए 30 अप्रैल के बाद इंडियन प्रीमियर लीग के मैच यहां आयोजित ना किये जायें .

न्यायमूर्ति वी एम कनाडे और एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने यह अनुमति बीसीसीआई महाप्रबंधक ( खेल विकास ) रत्नाकर शेट्टी की याचिका पर दी. उन्होंने अदालत से अपील की थी कि बीसीसीआई को एक मई का मैच पुणे में ही कराने की अनुमति दी जाये. उच्च न्यायालय ने 12 अप्रैल को फैसला दिया था कि 30 अप्रैल के बाद महाराष्ट्र में होने वाले आईपीएल के सारे मैच अन्यत्र कराये जायें. इसके बाद 13 मैच अन्य राज्यों को स्थानांतरित किये गए.

शेट्टी ने याचिका में एक मई को होने वाला मैच पुणे में ही कराने की अनुमति मांगी थी क्योंकि एक दिन के भीतर मैच अन्यत्र कराने का बंदोबस्त संभव नहीं था. पुणे को 29 अप्रैल को गुजरात लायंस के खिलाफ पुणे में खेलना है और बीसीसीआई तथा पुणे फ्रेंचाइजी के लिये एक मई को महाराष्ट्र के बाहर मैच शिफ्ट करना संभव नहीं था क्योंकि एक दिन में सारे इंतजाम नहीं किये जा सकते.

जिसके बाद बीसीसीआई ने कोर्ट में अर्जी लगायी थी. बीसीसीआई का कहना था कि महाराष्ट्र में जो जल संकट है उसका कारण आईपीएल नहीं है, क्योंकि वे सीवर का प्यूरीफाइड पानी ही पिच के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं पीने योग्य पानी नहीं. बीसीसीआई सूखाग्रस्त इलाकों के लिए पानी और पांच करोड़ रुपये की सहायता देने को भी तैयार था. हालांकि अदालत ने बीसीसीआई की दलीलें सुनने के बाद अनुमति दे दी लेकिन कहा कि यह अपवाद है.

मर्जर और अधिग्रहण 8 गुना अधिक मजबूत

चालू वर्ष में पिछले माह के दौरान भारतीय कॉरपोरेट बाजार में मर्जर और अधिग्रहण की गतिविधियों में मजबूती का रुख देखने को मिला है. इसके साथ ही यह भी बता दे कि मामले में सामने आई ग्रेंट थोरटन की रिपोर्ट से यह पता चला है कि मार्च महीने में कुल 540 करोड़ डॉलर के सौदों को अंजाम दिया गया है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 8 गुना अधिक है.

जहाँ इस वर्ष में मार्च के दौरान 48 मर्जर और अधिग्रहण के सौदे होते हुए देखे गए है तो वहीँ यह बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष के दौरान सौदों की यह संख्या 43 थी. मर्जर और अधिग्रहण की कीमत को मजबूती मुख्य रूप से 2 बड़े अधिग्रहण से मिली है.

इसमें पहला अधिग्रहण 130 करोड़ डॉलर में टास-यूरयोख ऑयल फील्ड के अधिग्रहण है और दूसरा सौदा टायर मैन्युफैक्चरर अलायंस ग्रुप का है. यह अधिग्र्रहण 120 करोड़ डॉलर का बताया जा रहा है. जानकारी में यह भी बता दे कि जनवरी से मार्च की माह अवधि में कुल 892 करोड़ डॉलर के मर्जर और अधिग्रहण के सौदे को अंजाम दिया गया है. वही यह भी बताया जा रहा है कि इस अवधि में टेलीकॉम, एनर्जी और ऑटोमोबाइल सेक्टर में सबसे अधिक सौदे किये गए है.

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