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ऐसे सूखे में तर जलसे के माने क्या

पुरानी कहावत है कि जब रोम जल रहा था तब नीरो चैन की वंशी बजा रहा था इधर देश जल तो नहीं रहा है पर सूखे की मार ऐसी है कि 33 करोड़ लोग पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रहे हैं और चिंता की बात यह आशंका है कि मई के आखिर पानी पीड़ितों की तादाद 50 करोड़ तक पहुँच जाएगी । देश भर में पानी के लिए मारा मारी मची है हालत यह है कि कई हिस्सों मे लोग पानी पर चौबीसों घंटे पहरा दे रहे हैं, एक त्रासद बात यह भी है कि पानी की छीना छपटी के चलते हत्याए तक होने लगी हैं ।

अभी बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ बीती 6 अप्रैल को मुंबई हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट मे जल संकट पर सुनवाई हुई थी और इन अदालतों ने जम कर लताड़ केंद्र सरकार को यह कहते लगाई थी कि, दस राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं ,पारा 45 डिग्री के पार पहुँच रहा है । लोगों के पास पानी नहीं है । हालत खराब होती जा रही है । ऐसे में आप आँखें कैसे मूँदे रह सकते हैं ? उन्हे मदद पहुंचाने के लिए कुछ तो करिए । केंद्र सरकार ने इस फटकार को बेहद गंभीरता से लिया और पानी पीड़ितों का गम भुलाने एक भव्य समारोह के आयोजन का फैसला ले डाला, मौका है मोदी सरकार की दूसरी सालगिरह को समारोह पूर्वक मनाने का जिसमे करोड़ों रु पानी की तरह फूंके जाएंगे । उम्मीद है कि इस रंगारंग जलसे का उदघाटन महानायक अमिताभ बच्चन के कर कमलों द्वारा होगा इस जश्न मे तीन खान आमिर , सलमान और शाहरुख तो खासतौर से बुलाये ही जा रहे हैं पर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने तमाम फिल्मी हस्तियों को इस तर समारोह में पधारने आमंत्रण भेज दिया है  इस जलसे का नामकरण होना अभी  बाकी है लेकिन तैयारियों पर नजर रखने सरकार ने सियासी दिग्गजों की एक पेनल बना दी है जिसमे शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू के अलावा केबिनेट मंत्री नितिन गडकरी पीयूष गोयल और सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठोर शामिल हैं ।

दिल्ली के इंडिया गेट पर होने जा रहे इस मेगा इवैंट में कोई 60 हजार लोगों को बॉलीवुड के इन नाचने गाने बालों के जरिये बताया जाएगा कि पिछले 2 सालों में देश ने जितनी तरक्की की है उतनी आजादी के बाद से अभी तक नहीं की थी इसलिए सूखा पानी जैसे क्षुद्र मुद्दों का शोक मत करो और नाचो गाओ झूमो कि सरकार तुम्हारे लिए क्या कुछ नहीं करती अगर इंडिया गेट तक नहीं आ सकते तो भी कोई बात नहीं इस तर जलसे का लुत्फ अपने घरों में बैठकर कोल्ड ड्रिंक पीते और आइस क्रीम खाते उठाओ क्योंकि इसका सीधा प्रसारण भी होगा । पहली सालगिरह के जलसे को सरकार ने नाम साल एक शुरुआत अनेक दिया था पर तब आम लोगों में मोदी को लेकर आस बाकी थी पर अब जब देश सूखे की चपेट में है तब मोदी बंसी नहीं बल्कि शहनाइयाँ बजबा रहे हैं जिनकी गूंज लगातार 8 घंटे सुनाई देगी । कोर्ट के बाहर सुप्रीम कोर्ट को जबाब दे दिया गया है कि केंद्र सरकार की आंखे खुली हुई हैं और वह सूखा पीड़ितों के मनोरंजन के लिए ही यह तर जलसा कर रही है ।

आखिर कितने पढ़े लिखे हैं हमारे प्रधानमंत्री

शायद ही कोई प्रामाणिक तौर पर बता पाये कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कितने पढ़े लिखे हैं हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव के नामांकन के वक्त दाखिल जानकारी मे नरेंद्र मोदी ने खुद को 1983 मे  गुजरात यूनिवेर्सिटी से एम ए और उससे पहले 1978 मे दिल्ली यूनिवेर्सिटी से बी ए होना बताया है । यह जानकारी कई वजहों के चलते शक के दायरे मे रही है जिसके पर्याप्त आधार भी हैं । ताजा हमला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया है जिनका बहुत स्पष्ट आरोप यह है कि केंद्रीय सूचना आयोग ( सी आई सी ) ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्रियों से जुड़ी जानकरियों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा रखी है ।

बक़ौल केजरीवाल आरोप लग रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के पास कोई डिग्री नहीं है , ऐसे में पूरे देश की जनता सच्चाई जानना चाहती है फिर भी आपने ( सी आई सी ) उनकी डिग्री से संबन्धित जानकारी सार्वजनिक करने से मना कर दिया ,आपने ऐसा क्यों किया यह तो गलत है । हुआ यूं था कि सी आई सी ने अरविंद केजरीवाल से उनके बारे में जुड़ी जानकरियों को सार्वजनिक करने बाबत पूछा था जिसके जबाब मे केजरी वाल ने पत्र लिखते जबाब दिया था कि उन्हे उनके बारे मे जानकरियाँ सार्वजनिक करने मे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसी जबाब मे उन्होने मोदी की डिग्रियों की जानकारी के बाबत सवाल खड़े कर दिये जिस पर हाल फिलहाल सी आई सी खामोश है । केजरीवाल ने सी आई सी की निष्पक्षता पर भी सबाल उठाए हैं ।

इस मामले को उदाहरण या आधार मानते यह अंदाजा सहज लगाया जा सकता है कि सी आई सी ने जब कभी नरेंद्र मोदी से भी यही सबाल पूछा होगा तो उन्होने अपनी डिग्रियों की जानकारी आम न करने कहा होगा इस अंदाजे का एकलौता आधार सी आई सी की संदिग्ध और रहस्यमय कार्यप्रणाली नहीं बल्कि खुद नरेंद्र मोदी का भी अपनी इन डिग्रियों के मुद्दे पर स्मृति ईरानी की तरह कतराना है । लोकसभा प्रचार अभियान में मोदी खुद को चाय बेचने बाला बताते अघाते नहीं थे न ही यह कहने में उन्हे कोई संकोच होता था कि उनकी माँ दूसरों के घरों मे काम करती थीं बिलाशक अपना संघर्ष बताना मोदी का हक था जिस पर फिदा होकर मतदाताओं ने उन्हे देश की सब से बड़ी कुर्सी पर बैठा भी  दिया पर मोदी ने जाने क्यों इस बात कि चर्चा नहीं की कि वे इतना पढ़े कैसे और इस दौरान किन कठिनाइयों का सामना उन्हे करना पड़ा ।

यह सहज मानव स्वभाव है कि जब कोई अपने आप को उद्घाटित करता है तो सब कुछ बता देना चाहता है लेकिन मोदी दो मुद्दों पर हमेशा चुप ही रहे पहला अपनी पत्नी जसोदा बेन से अलगाव जिसे व्यक्तिगत बात कहते मानते नजर अंदाज किया जा सकता है पर डिग्रियों का मुद्दा व्यक्तिगत नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह अब संवैधानिक और कानूनी तौर पर अहम हो चला है । यह कतई जरूरी नहीं कि प्रधानमंत्री या कोई दूसरा मंत्री नेता शिक्षित हो ही लेकिन यह जरूरी है कि उसकी शिक्षा के बारे में उसे चुनने बालों को जानकारी हो क्योंकि अब जागरूकता के चलते चयन का एक आधार उम्मीदवार की पढ़ाई लिखाई भी हो चला है जिसके बाबत अगर कोई गलत जानकारी दी गई है तो यह मतदाता के साथ छल ही मना जाएगा ।

ऐसे में मोदी की डिग्रियों को कटघरे में खड़ाकर केजरीवाल ने अपने परिपक्व होते राजनैतिक कौशल का ही परिचय दिया है । आमतौर पर कोई नेता जब बहुत बड़े पद पर पहुँच जाता है तो वे स्कूल कालेज बाले भी गर्व छुपाते नहीं जहां वह पढ़ा होता है लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दिल्ली या गुजरात यूनिवेर्सिटी ने ऐसी कोई पहल नहीं की है न ही मोदी को पढ़ाने बाले किसी प्राध्यापक ने उनके बारे में कुछ कहा है और तो और  उनका कोई सहपाठी भी अब तक सामने नहीं आया है।  यहाँ गौरतलब है कि बीते दिनो जब काशी विश्वविदधालय ने उन्हे पी एच डी की मानद उयाधि देना चाही थी तो विनम्रता पूर्वक खुद को इसके लिए अयोग्य बताते मोदी ने इसे लेने से मना कर दिया था   । रेडियो पर मन की बात मे जब पिछले दिनो मोदी ने छात्रों को संबोधित किया था तब अपने छात्र जीवन के संस्मरण प्रसंगवश भी नहीं बताए थे यह एक अस्वभाबिक सी बात मौके के लिहाज से  थी । देखना दिलचस्प होगा कि मोदी और सी आई सी अरविंद केजरीवाल के आरोपों पर कोई काररवाई करते हैं या नहीं ।

सेंसर बोर्ड की ‘संस्कारी कैंची’ पर चल सकती है कैंची

सिनेमा मेकर्स और सिनेमा लवर्स दोनों के लिए अप्रैल का ये मौसम खुशखबरी लेकर आया है. उनकी खुशी की वजह है सेंसर बोर्ड को विवादमुक्त और बेहतर बनाने के लिए साल की शुरुआत में बनाई गई श्याम बेनेगल कमिटी की वो रिपोर्ट, जिसमें कमिटी ने फिल्मों में कांट-छांट न किए जाने की सिफारिश की है. हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को सौंपी इस रिपोर्ट में श्याम बेनेगल कमिटी ने साफ कहा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन यानी सेंसर बोर्ड को अपने नाम के अनुसार ही सिर्फ फिल्मों को उसके कंटेंट के मुताबिक सर्टिफिकेट देने का काम करना चाहिए, न कि उसमें कांट-छांट करनी चाहिए. उसे फिल्म को मूल रूप में दर्शकों तक पहुंचने देना चाहिए. इससे फिल्ममेकर्स खुश हैं कि अगर ये सिफारिशें मान ली गईं, तो उनकी सोच जस की तस दर्शकों से पहुंच पाएगी. वहीं पब्लिक इसलिए खुश है कि अब उन्हें एंटरटेनमेंट का ज्यादा डोज मिल पाएगा.

बहुत जरूरी है ये बदलाव

सेंसर बोर्ड के सदस्य फिल्ममेकर अशोक पंडित कहते हैं, 'ये बहुत सही और जरूरी सुझाव हैं कमिटी के. मैं खुद यही बात बोर्ड मीटिंग्स में उठाता रहा हूं और इसके लिए लड़ता रहा हूं. बोर्ड का काम फिल्मों को सर्टिफिकेट देना ही है. उसे फिल्म को काटने का हक नहीं है. जो लोग फिल्म बनाते हैं, वो भी समझदार लोग हैं. उन्हें मत सिखाइए कि उन्हें क्या बनाना है! श्याम बेनेगल और उनकी कमिटी में शामिल राकेश ओम प्रकाश मेहरा, गौतम घोष, कमल हासन, ऐड गुरु पियूष पांडे, फिल्म जर्नलिस्ट भावना सोमाया सब लोग सिनेमा के प्रबुद्ध और जानकार लोग हैं. उन्होंने बिल्कुल सही कहा है.'

जब संस्कारी चेयरमैन ने उड़ाए होश

पिछले साल जनवरी में बोर्ड के चेयरमैन बने पहलाज निहलानी ने अपने विवादित फैसलों से पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया. निहलानी के कुछ अजीबोगरीब फैसलों पर एक नजर:

1- डोंट बी मवाली, नहीं चलेगी गाली-

सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनने के अगले ही महीने उन्होंने 28 शब्दों को एक लिस्ट जारी करके बैन कर दिया, जिसमें गालियों से लेकर बॉम्बे भी शामिल था. इस लिस्ट के खिलाफ पूरी फिल्म इंडस्ट्री एक हो गई. मुकेश भट्ट, करण जौहर, राजू हीरानी, अनुष्का शर्मा, दीपिका पादुकोण, विशाल भारद्वाज, अनुराग कश्यप, विद्या बालन आदि नामी फिल्मी हस्तियों ने सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से मिलकर इसका विरोध जताया. नतीजन इस सूची को रद्द कर दिया गया.

2- जेम्स बॉन्ड को बनाया संस्कारी-

पहलाज निहलानी के फिल्मों में कांट-छांट को लेकर भी खूब विवाद हुए. इसमें सबसे ज्यादा हंगामा जेम्स बॉन्ड सीरीज की फिल्म स्पेक्टर में किसिंग सीन को आधा किए जाने पर हुआ. यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी खूब उछला. इसके अलावा हेट स्टोरी 3 में भी भगवान को ऊपरवाला, संभोग को मिलन, बास्टर्ड को रास्कल कर दिया गया. एडल्ट कॉमेडी फिल्म मस्तीजादे में तो 350 और क्या कूल हैं हम में 200 कट्स लगाए गए. यही किस्सा जब महेश भट्ट की फिल्म लव गेम्स के साथ दोहराने की कोशिश हुई तो वो सेंसर बोर्ड पर खूब बरसे.

3- 'साला' नहीं 'साला खड़ूस' चलेगा-

बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कई फिल्मों से 'साला' और 'कमीना' जैसे शब्दों पर आपत्ति जताते हुए उन्हें हटवा दिया या म्यूट करा दिया, लेकिन आवाज तब उठी जब उन्होंने 'साला खड़ूस' टाइटल वाली राजू हीरानी की फिल्म को पास कर दिया. यही नहीं, लोगों ने उन्हें विशाल भारद्वाज की 'कमीने' टाइटिल वाली फिल्म भी याद दिलाई.

4- सूरज और शाहरुख भी नहीं बचे-

भारतीय परिवारों में संस्कार का बीच बोने वाले सूरज बड़जात्या की फिल्म में भी कट्स लग सकते हैं, इस बात पर शायद आपको यकीन न हो, लेकिन सेंसर बोर्ड के संस्कारी चेयरमैन ने सूरज बड़जात्या की पिछली रिलीज फिल्म प्रेम रतन धन पायो में भी कट्स लगाए. सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड ने फिल्म में इस्तेमाल रखैल शब्द को म्यूट करा दिया. यही नहीं, फैमिली फिल्मों के लिए मशहूर शाहरुख खान की फिल्म फैन से भी उन्होंने कमीना और घंटा शब्द कटवाए.

5- ओएमजी! डरावना है 'जंगलबुक'-

हाल ही में बच्चों के लिए बनाई गई हॉलीवुड फिल्म जंगलबुक को यूए सर्टिफिकेट देने पर भी सेंसर बोर्ड की काफी खिंचाई हुई. बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी के मुताबिक, फिल्म के कई सीन इतने डरावने हैं कि बच्चों को इन्हें अकेले नहीं देखने दिया जा सकता.

सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी के कार्यकाल में आए दिन इतने विवाद शुरू हो गए कि एक साल बाद ही जनवरी 2016 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को बोर्ड को सुधारने और विवाद मुक्त बनाने के लिए फिल्म मेकर श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में कमिटी बनानी पड़ी.

अशोक पंडित के मुताबिक चेयरमैन पहलाज निहलानी ने बोर्ड को अपनी बपौती मान लिया था. वो इसे अपने पर्सनल दफ्तर की तरह चलाने लगे थे. अभी हाल ही में उन्होंने दो फिल्मों के सर्टिफिकेट ही रिफ्यूज कर दिए. आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. इसलिए ऐसे फैसलों पर कंट्रोल जरूरी हो गया था.

अपनी पहली ही फिल्म मसान से दुनिया भर में वाहवाही बटोरने वाले डायरेक्टर नीरज घेवान भी सेंसर की कैंची को फिल्मों के लिए खतरनाक बताते हैं. बकौल नीरज, 'सीबीएफसी का फुल फॉर्म ही सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन है, लेकिन सब उसे कहते सेंसर बोर्ड हैं, गड़बड़ यहीं शुरू हो जाती है. बोर्ड के मौजूदा चेयरमेन साहब ने सेंसर शब्द को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया शायद. अब देखिए, हमारी फिल्म मसान को एडल्ट सर्टिफिकेट मिला. उस पर भी आपने 'साला' शब्द म्यूट करा दिया, जो कि बहुत ही सामान्य गाली है. अब ये तो बोर्ड की ज्यादती हो गई है.'

उनका कहना है, 'बोर्ड को फिल्म में अपनी पर्सनल विचारधारा नहीं घुसानी चाहिए. मैं गैंग्स ऑफ वासेपुर का उदाहरण दूं, वो कहानी ही माफिया डॉन की है. अब वो ऐसे तो नहीं बोलेगा कि देखिए, जी ये आप बहुत गलत कर रहे हैं…. वो गाली देकर ही बोलेगा. आप कहें कि हम ऐसे नहीं बोलते. ये सब हटाओ, तो ये कहां तक सही है? इसलिए श्याम बेनेगल कमिटी की सिफारिशें सिनेमा के हक में हैं.'

ज्यादा कैटेगरी, ज्यादा क्लैरिटी

श्याम बेनेगल कमिटी की रिपोर्ट में यू सर्टिफिकेट के बाद यूए को दो कैटेगरीज यूए12 प्लस और यूए15 प्लस में बांटा गया है. जबकि एडल्ट में भी एडल्ट और एडल्ट विद कॉशन (चेतावनी सहित) बनाई गई है.

इसकी जरूरत के बारे में कमिटी के चेयरमैन श्याम बेनेगल कहते हैं, 'ऐसा सर्टिफिकेशन में स्पष्टता लाने के लिए किया गया है. अभी यूए में 18 से कम उम्र के सभी बच्चे आ जाते थे. जबकि टीनऐज वाली उम्र में बच्चों में बहुत तेजी से बदलाव होता है. इस दोनों ग्रुप के बच्चों की समझ में फर्क होता है, इसलिए ये कैटेगरी बनाई गई है. ताकि पैरंट्स की गाइडेंस में वो अपनी उम्र और समझ का सिनेमा देख सकें. इसी तरह एडल्ट और एडल्ट विद कॉशन बनाया गया है, जिससे साफ हो सके कि अगर एडल्ट है तो उसमें कुछ गाली-गलौज, कुछ मारधाड़ होगा, लेकिन अगर एडल्ट विद कॉशन है तो उसमें न्यूडिटी, ज्यादा वायलेंस, सेक्स होगा. इससे ऑडियंस को फिल्म के बारे में सही इंफॉर्मेशन मिलेगी.'

…तो इसलिए ‘पिंक बॉल’ से खेला जाएगा डे-नाइट टेस्ट मैच

टेस्ट मैच को और दिलचस्प बनाने के लिए डे-नाइट टेस्ट मैच के रूप में क्रिकेट के नए फॉर्मेट की शुरुआत हो चुकी है. गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेला जा चुका है. अब जल्द ही भारत में भी ऐसा ही मैच होने जा रहा है.

डे-नाइट क्रिकेट की शुरुआत में वनडे मैच खेले गए थे. तब परंपरागत लाल गेंद के स्थान पर सफेद गेंद का इस्तेमाल किया गया. इसका कारण यह था कि यलो फ्लडलाइट्स में लाल गेंद साफ नहीं दिखाई देती है. दुधिया रौशनी में यह गेंद भूरी नजर आती है. पिच का रंग भी ऐसा ही होता है. इस तरह खिलाड़ियों को लाल गेंद देखने में परेशानी होती थी, जबकि सफेद गेंद साफ नजर आती है. तब से अब तक सफेद गेंद से डे-नाइट वनडे मैच खेले जा रहे हैं.

सफेद गेंद के बजाए पिंक गेंद को डे-नाइट में इसलिए चुना गया क्योंकि सफेद गेंद 30-40 ओवर बाद गंदी हो जाती है. वनडे में उसे बदलने का विकल्प रहता है, क्योंकि हर पारी में नई गेंद इस्तेमाल होती है, लेकिन टेस्ट में बार-बार गेंद बदलना संभव नहीं होगा. इसलिए पिंक गेंद लाई गई.

द्रविड और मेरी कोई तुलना नहीं : चेतेश्वर पुजारा

चेतेश्वर पुजारा भले ही दूसरे बल्लेबाजों की तरह तेज तर्रार ना खेलते हों लेकिन मौजूदा दौर में भारत में ऐसे कम ही खिलाड़ी हैं, जो उनकी तरह मुश्किल हालात में खेल पाने की क्षमता रखते हैं.

पुजारा की राहुल द्रविड़ से तुलना को लेकर उन्होंने कहा कि अभी उन्हें उस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना है. विज़डन इंडिया से बातचीत करते हुए चेतेश्वर पुजारा ने विराट कोहली और राहुल द्रविड के बारे में बात की.

राहुल द्रविड से काफी सारी बातें सीखी है

राजकोट में जन्मे इस खिलाड़ी ने कहा, "शुरुआत में इतने महान खिलाड़ी से तुलना किए जाने पर कॉम्पलीमेंट लगता था. लेकिन समय बीतने के बाद लगा कि अगर मैं 3 नम्बर पर बैटिंग कर रहा हूं तो मुझे अपने स्ट्रेंथ पर खेलना होगा. राहुल द्रविड से बात कर मैंने काफी सारी बातें सीखी हैं.”

“श्रीलंका के साथ सीरीज से पहले मैं फॉर्म में नहीं था और तब इंडिया-ए के लिए खेल रहा था. तब राहुल इंडिया ए को कोचिंग दे रहे थे, उनसे मुझे काफी मदद मिली. हम दोनों में तुलना नहीं होनी चाहिए. उन्होंने दोनों फॉर्मेट में 10 हजार से ज्यादा रन बनाए औऱ मैंने अपना करियर अभी स्टार्ट ही किया है".

विराट के साथ हमेशा रणनीतियों पर चर्चा की है

विराट कोहली की तारीफ करते हुए पुजारा ने कहा, "विराट कोहली मैच से पहले काफी तैयारियां करते हैं. वो नेट्स पर घंटों प्रैक्टिस करते हैं और जिम में भी खूब पसीना बहाते हैं".

मुझे विराट कोहली के साथ समय बिताने में काफी मजा आता है क्योंकि वो काफी एक्टिव रहते हैं और देखते हैं कि बॉलर क्या कर रहा है. हम रणनीति पर विचार करते हैं. विराट हमेशा आकर बताते हैं कि मैंने ये किया और मुझे इससे मदद मिली. तुम भी इसे आजमा कर देख सकते हो.

टीम में वापसी करने को लेकर दाएं हाथ के इस स्टाइलिश बल्लेबाज ने कहा, "मैं बिना किसी बात की चिंता किए बगैर अपना स्वाभाविक खेल खेलना चाहता हूं. मैंने हमेशा हालात के मुताबिक ही खेला है. टेस्ट टीम में काफी सारे युवा खिलाड़ी हैं, जो करीब-करीब 1 ही उम्र के हैं. इससे हम एक दूसरे से अनुभव और बातें शेयर कर सकते हैं.

रीसेट किए बिना स्मार्टफोन से वायरस करें डिलीट

स्मार्टफोन में बार-बार वायरस आने से परेशान हैं. सारी फाइल्स करप्ट होने का डर है. घबराइए मत हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देंगे जिससे आप अपने फोन को वायरस से बचा पाएंगे और आपको बार-बार फैक्ट्री रीसेट भी नहीं करना पड़ेगा जिससे फोन का सारा डाटा डिलीट हो जाता है. जरा ध्यान दीजिए इन टिप्स पर:

1- सबसे पहले अपने फोन के सेफ मोड को ऑन कीजिए. इसके लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं-

•       फोन का पावर ऑफ करें

•       पावर बटन को प्रेस कर होल्ड करके रखें

•       जैसे ही फोन का नाम स्क्रीन पर दिखाई दे पावर बटन को छोड़ दें

•       वॉल्यूम डाउन की प्रेस करें

•       इसे तब तक होल्ड करके रखें जब तक डिवाइस रिस्टार्ट न हो जाए

•       अब फोन के Left में Safe Mode का वाटरमार्क नजर आने लगेगा

2- सेफ मोड एक्टिवेट होने के बाद सेटिंग्स में जाएं. एप्स पर टैप करें और फिर डाउनलोडेड पर टैप करें. (Settings > Apps > Downloaded )

3- डाउनलोडेड में सभी एप्स को चैक करें, अगर उसमें कोई ऐसी एप है जो आपने डाउनलोड नहीं की थी तो वह वायरस हो सकता है

4- उस एप पर टैप करें और जैसे ही Uninstall का ऑप्शन दिखाई दे उसे टैप करें. इसके बाद फोन को रिबूट कर दें.

5- अगर इसके बाद भी वायरस डिलीट नहीं होता है तो सेटिंग्स में जाकर सिक्योरिटी पर टैप करें फिर डिवाइस एडमिनीस्ट्रेटर में जाकर (Settings > Security > Device Administrators) उस एप को डिएक्टिवेट कर दें. इसके बाद सेटिंग्स में जाकर एप पर टैप करें फिर डाउनलोडेड में जाकर एप को Uninstall कर दें. (Settings > Apps > Downloaded )

IPL की छवि हो रही धूमिल, दूर हुए दर्शक

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के नौवें संस्करण की शुरुआत भले ही काफी अच्छी रही हो, लेकिन दुनिया के सबसे सफल खेल आयोजनों में से एक इस लीग की चमक धुंधली पड़ती नजर आ रही है.

क्रिकेट से जुड़े स्पॉट फिक्सिंग के विवादों का आईपीएल की लोकप्रियता पर काफी हद तक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. आईपीएल के छठे संस्करण में 2013 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन से मैच फिक्सिंग से जुड़े विवाद के कारण दो टीमों चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया था.

फिक्सिंग से आईपीएल पर पड़ा प्रभाव

बीसीसीआई ने हालांकि, आईपीएल में दो नई टीम- राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स और  गुजरात लॉयन्स को नौवें संस्करण में शामिल कर इस कमी को पूरा करने की कोशिश की है, लेकिन ऐसी धारणा है कि इस खेल में बड़े पैमाने पर मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार के विवादों के कारण इसकी लोकप्रियता में कमी आई है.

मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार विवादों के कारण श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा था और यह मामला रिटायर्ड जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली समिति के सामने गया. इसके बाद लोढा समिति ने कई सुझाव प्रस्तुत किए और अगर उन्हें लागू किया जाता, तो शायद भारत में इस खेल में व्यापक तौर पर बदलाव हो सकते थे, लेकिन बीसीसीआई और अन्य संगठनों समिति के कई सुझावों के खिलाफ है.

पहले से अधिक इंटरनैशनल टी20 क्रिकेट

आईपीएल की लोकप्रियता की कमी के पीछे का एक कारण यह भी है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस फॉर्मेट का अधिक आयोजन करने लगा है और साथ ही इसमें पहले से बेहतर भी कर रहा है.

सच तो यह है कि इस सीज़न आईपीएल में खाली स्टेडियम दिखना आम बात हो गई है, जिसका मतलब है कि टिकट बिक्री से आने वाला पैसा फ़्रेचाइज़ीज़ के लिए 40 फीसदी घट गया है। इसके पहले संस्करण व्यापक तौर पर लोकप्रिय हुए थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों के दिमाग से इसका बुखार उतरने लगा है. आईपीएल की 2014 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, इसकी कमाई में 1,000 करोड़ (1.5 करोड़ डॉलर) की कमी आई है.

चिंता यहीं खत्म नहीं होती। सिर्फ मैदान ही नहीं आईपीएल इस सीज़न में टीवी पर भी ज्यादा देखा नहीं जा रहा। आईपीएल के पहले हफ्ते में औसतन हर मैच के 3.5 रेटिंग प्वॉइंट्स की टीआरपी आई। इसकी अगर हाल ही में सम्पन्न हुए वर्ल्ड टी-20 से तुलना करें तो भारत-पाकिस्तान के एक मैच की टीआरपी 17.5 रही थी,  मतलब 5 गुने से भी ज्यादा।

आईपीएल का विवादों से रहा है नाता

इन सबके अलावा, आईपीएल 2016 कई परेशानियों के कारण भी सुर्खियों में रहा है. महाराष्ट्र में पानी की कमी के कारण बम्बई हाई कोर्ट का मैचों के स्थानांतरण किया गया है. इसके बाद राजस्थान में एक पत्रकार महेश पारीख का राजस्थान हाई कोर्ट में जयपुर में आईपीएल मैचों की मेजबानी के खिलाफ याचिका दायर करना.

इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए राजस्थान हाई कोर्ट ने बीसीसीआई और राज्य सरकार को नोटिस भेजते हुए एक सप्ताह का समय दिया है. इन परेशानियों को देखते हुए आईपीएल के अगले संस्करण के आयोजन के लिए बीसीसीआई को काफी सोच विचार करना होगा.

देश से बाहर हो सकता है अगला IPL

बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने इस सप्ताह बताया था, ‘हर कोई बीसीसीआई पर ही निशाना साध रहा है. मैचों के स्थानांतरण से काफी नुकसान होगा, जिसकी भरपाई बोर्ड को करनी पड़ेगी. यह एक प्रकार से बुरे सपने की तरह है. हमें इसका हल ढूंढना होगा. 10वें संस्करण के मैचों के लिए स्थलों के मामले पर आईपीएल का संचालन परिषद जल्द ही मिलकर फैसला करेगा.’

इन सब मामलों का हालांकि, आईपीएल के प्रायजकों पर कोई असर नहीं पड़ा है. पेप्सी ने मैच फिक्सिंग के बाद इस खेल से अपना अनुबंध समाप्त कर लिया है, लेकिन चीन की मोबाइल कंपनी वीवो ने इसकी भरपाई कर दी है.

IPL 2016: बंगलुरु में होगी फाइनल भिड़ंत

आईपीएल-9 में महाराष्ट्र की जगह कहां होंगे मुकाबले इस पर से सस्पेंस आखिरकार हट गया है. आईपीएल ने इस बात की घोषणा कर दी है कि बंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आईपीएल-9 का खिताबी मुकाबला खेला जाएगा. जबकि दिल्ली के फिरोजशाह कोटला को एलिमीनेटर मुकाबले की मेजबानी मिली है.

महाराष्ट्र में सूखे की वजह से अब कोई भी मुकाबला वहां नहीं खेला जाएगा,  और अब पुणे और मुंबई का होम ग्राउंड विशाखापट्नम होगा.

आईपीएल की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में राजस्थान सरकार और राजस्थान के खेल मंत्री श्री गजेंद्र सिंह खिमसार की भी तारीफ की गई है. जयपुर को भी अब आईपीएल के मुकाबलों की मेजबानी मिल गई है.

नए शेड्यूल के मुताबिक 15 मई को होने वाले मुकाबलों के समय में भी परिवर्तन किया गया है, किंग्स-XI पंजाब और सनराइजर्स हैदराबाद का मैच रात 8 बजे होना था, और उसी दिन मुंबई इंडियंस और दिल्ली डेयरडेविल्स के बीच होने वाला मुकाबला शाम 4 बजे होना था. लेकिन अब इन दोनों मैचों की टाइमिंग उलट गई है. पहला मैच अब रात में होगा और रात में होने वाला मुकाबला शाम 4 बजे खेला जाएगा.

नए कार्यक्रम के मुताबिक महाराष्ट्र में होने वाले 19 मैचों की जगह अब बदल गई है.

फेसबुक कैमरा से कर सकेंगे डायरेक्ट फोटो अपलोड

फेसबुक पर फोटो अपलोड करने में परेशानी होती है. फोन गैलरी से तस्वीरें सेलेक्ट करनी पड़ती हैं. क्या आप फोटो क्लिक कर सीधे फेसबुक पर अपलोड नहीं कर पाते. क्या आप फेसबुक का अपना कैमरा चाहते हैं. तो लीजिए फेसबुक ने आपकी सुन ली है.

जी हां, फेसबुक जल्द ही एक ऐसा एप लांच करने जा रहा है जो स्नैपचैट जैसे काम करेगा. ये एप खास उन्हीं लोगों के लिए है जो अपनी फोटो तुरंत क्लिक करने अपलोड नहीं कर पाते हैं. इसके जरिए कंपनी यूजर को ज्यादा से ज्यादा वक्त तक अपने प्लेटफार्म से जोड़कर रखना चाहती है.

इस एप की मदद से फोटो खींचकर तुरंत ही नेटवर्क पर अपलोड की जा सकेगी. यही नहीं, इस फीचर के जरिए आप उसी फोटो को इंस्टाग्राम पर भी अपलोड कर पाएंगे. हालांकि, अभी फेसबुक की ये एप टेस्टिंग मोड में है. ऐसे में इस एप के लांच होने में कुछ समय लग सकता है.

इस एप को फेसबुक की फ्रेंड शेयरिंग टीम लंदन में बना रही है. प्राप्त खबरों की मानें तो इस एप की रिक्वेस्ट यूजर के पास आएगी और इजाजत मिलने के बाद फोटोज को ऑनलाइन करने का विकल्प मिल जाएगा. इस एप के जरिए फेसबुक अपने यूजर्स को सुविधा प्रदान करने का प्लान कर रहा है क्योंकि फेसबुक के काफी यूजर्स फोटो या वीडियो अपलोड नहीं कर पाते हैं.

वहीं, हो सकता है कि उन लोगों को ये एप जरा भी अच्छा न लगे जो अपनी फोटो एडिट करके डालते हैं. हालांकि, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि ये कैमरा सिर्फ तस्वीर खींचेगा या उसे एडिट भी करेगा.

…तो इसलिए सेरेना ने मैड्रिड ओपन से वापस लिया नाम

विश्व की नंबर एक महिला टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने मैड्रिड ओपन से अपना नाम वापस ले लिया है. ओपन के आयोजकों द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी सेरेना ने बुखार के कारण अपना नाम वापस लिया है.

सेरेना ने अपने बयान में कहा, 'मुझे बुखार है और मैं मैड्रिड ओपन से हट रही हूं. मैं 100 फीसदी ठीक नहीं हूं लेकिन मैं जल्द वापसी करने का प्रयास करूंगी.' सेरेना के हटने से एग्नीश्का रदवांस्का, मैड्रिड ओपन में शीर्ष वरीय खिलाड़ी होंगी. 21 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता सेरेना के लिए यह सत्र अब तक सफल नहीं माना जा सकता है.

सेरेना ने इस साल फ्रेंच ओपन खिताब जीता था और अब वह मई में इस साल का अपना पहला क्ले कोर्ट टूर्नमेंट खेलेंगी. इस टूर्नमेंट का आयोजन इटली में होगा. गौरतलब है कि सेरेना, 2012 और 2013 में मैड्रिड ओपन की विजेता रही हैं.

 

 

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